जीवन क्या है?

जीवन क्या है?
जीवन क्या है?

जीवन क्या है?          आज के समय में आधुनिक मनुष्य का जीवन केवल खाना पीना और सोना ही रह गया है।  इसके विपरित जीवन में से नैतिकता और नैतिक विचार जैसे गायब ही हो गए हैं। आज का मनुष्य ना तो साहित्य पढ़ने में इच्छुक है और ना ही सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेने का इच्छुक है।

हमने जितने भी महापुरुषों की जीवनी पढ़ीं है वह सभी महापुरुष केवल अपने लिए ना जी कर समाज के लिए जिए है तथा  अपना सारा जीवन देश, समाज व मनुष्य जाति के लिए समर्पित कर दिया परंतु आज का मनुष्य ना तो स्वयं को ही ठीक से रख रहा है ना ही स्वयं के ही नैतिक मूल्यों पर खरा उतर रहा है और ना ही देश समाज वह दूसरों के लिए कुछ कर पा रहा है, या फिर करना ही नहीं चाहता वह सिर्फ अपने लिए ही जीवन जीना चाहता है जैसे स्वार्थ से भर चुका हो आज मनुष्य

   आज के समय की भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य मात्र एक इंजन से चलने वाली गाड़ी की तरह रह गया है जो कि सिर्फ खाना खाता है और बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकाल देता है। फिर खाना खाता है और फिर
   काम से थकता है तो से जाता है । केवल यही आज के मनुष्य की दिनचर्या बन गई है ना तो आज का मनुष्य परिवार को समय दे पाता है और ना ही वह समाज प्रकृति के प्रति कुछ कर पाता है।
    हमें भी उन महापुरुषों की जीवनी अब पढ़नी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेकर देश के लिए इस समाज के लिए हमारे पर्यावरण के लिए प्रकृति के लिए कुछ करना चाहिए अपने आप को प्रकृति के साथ चलाना चाहिए।
खाने-पीने और सोने से हटकर हमें हमारे परिवार , हमारे देश हमारे समाज में प्रकृति के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं।

पारिवारिक जीवन:-   
हमारे जीवन में हमारे पारिवारिक जीवन का भी बहुत बड़ा रोल होता है परिवार दुनिया की सबसे छोटी परंतु महत्वपूर्ण इकाई है। मनुष्य जो कुछ भी सीखता है। सबसे पहले अपने परिवार से ही सीखता है परिवार से ही मनुष्य के अंदर उसके स्वभाव की झलक आती है।     
         
मनुष्य का स्वभाव:  
जीवन क्या है ? मनुष्य को अपने स्वभाव का निरंतर ध्यान रखना चाहिए  और बोली में मिठास रखनी चाहिए,  अहंकार से दूर रहना चाहिए  चाहे हम कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ले परंतु हमें अपने समाज में ही बने रहना है। देश दुनिया में हम जहां भी रहते हैं जिन लोगों के बीच रहते हैं वही सब हमारा समाज होता है। अगर हमारा स्वभाव हमारे समाज के अनुकूल नहीं है तो हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।मनुष्य अकेला ही सब कुछ नहीं कर सकता। मनुष्य के अपने जीवन निर्वाह की आवश्यकता के लिए समाज की जरूरत होती है। क्युकी हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए है एक दूसरे पर निर्भर है
                        

  समाज से बढ़ती दूरियां:
आज का मनुष्य समाज से दूरियां बनाता जा रहा है और अकेले रहने के लिए मजबूर है छोटे-छोटे फ्लैट्स में अकेला रहता है,  घर परिवार से दूर बड़े शहरों में अकेला रहता है। कोई काम की तलाश में, कोई रोजगार की तलाश में तो कोई पढ़ाई के लिए।
अकेला रहने की वजह से और समाज से दूर होने की वजह से ही मनुष्य को आज के समय में न जाने कितने मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों ने घेर लिया है। 
      
 शारीरिक स्वास्थ्य:  
मनुष्य को कोई भी कार्य के लिए सबसे प्रथम अपने शरीर पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। हमारे शास्त्रों में भी वर्णन है “प्रथम सुख निरोगी काया”
जिस मनुष्य में शरीर स्वस्थ होता है उसी के शरीर में स्वस्थ बुद्धि का निवास होता है। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें थोड़ा बहुत व्यायाम भी करना आवश्यक है अगर खुली हवा में सांस लेना प्राणायाम करना या कोई भी शारीरिक गतिविधियों में हमें लगे रहना चाहिए। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमें थोड़ा समय अपने स्वास्थ्य के लिए भी निकालना चाहिए शरीर स्वस्थ होगा तभी हम कोई भी कार्य कर पाएंगे। आज के समय में छोटी-छोटी बीमारी होने पर छोटा-छोटा मौसम बदलने पर हम बीमार पड़ जाते हैं हमारे शरीर की रोग निरोधक क्षमता भी बहुत कमजोर हो गई है जिसकी वजह से हम जल्दी जल्दी बीमार ही जाते है।   
                                      

 मानसिक स्वास्थ्य:
शरीर के साथ-साथ मनुष्य को अपने मस्तिष्क का भी ध्यान रखना चाहिए ,  मानसिक स्वास्थ्य का भी हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा महत्व है। आज के समय में मनुष्य को बहुत सी मानसिक बीमारी और मानसिक तनाव ने घेर लिया है।  माना की साधारण मनुष्य और मानसिक बीमारी को पागलपन समझता है परंतु ऐसा नहीं है , मन , मस्तिष्क स्वस्थ तो तन भी स्वस्थ रहता है।

#Written by Pritam Mundotiya

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