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कोरोना कोविड-19

कोरोना कोविड-19 ऐसे वायरस का नाम है जो आज के समय में पूरे विश्व में तेजी से फैल चुका है कोविड-19 के संक्रमण की गति भी उसी तरह है जिस तरह एक छोटी सी चिंगारी पूरे जंगल में पलक झपकते ही आग लगा देती है कोविड-19 संक्रमण जानलेवा भी साबित हुआ है इससे कई लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है यह संक्रमण तेजी से फैलता है और यह वायरस हर वर्ग सभी व्यक्ति बूढ़े बच्चे जवान और प्रत्येक लिंक के व्यक्ति को अपने संक्रमण से प्रभावित कर उनके जीवन को आघात पहुंचा रहा है कोविड-19 का इतिहास बहुत पुराना है यह कोरोनावायरस परिवार का ही सदस्य हैं अगर हम इतिहास के तरफ रूख करें और अपने बीते हुए कल को याद करें तो करोना RNA वायरस के समूह का सदस्य है जो कि स्तनधारियों तथा पक्षियों में पाया जाता है।                                                                     यह वायरस संक्रमण फैलाता है (Respitatory infection)कहते है  जुखाम गले में दर्द और सांस लेने में दिक्कत आती है कोरोनावायरस जैसे कि ऐसे SARS , MERS ,  कोविड-19 है  इस वायरस के लक्षण अलग-अलग तरह के हैं यह वायरस Chicken pig cow  में भी अलग-अलग तरह के लक्षण पैदा करता है और ध्यान देने वाली बात यह है कि इस वायरस के लिए किसी तरह की वैक्सीन एंटीवायरल दवाई नहीं बन पाई है।   कोरोनावायरस का इतिहास बताता है इस वायरस का पहला आक्रमण 1930 में हुआ था जो कि जानवरों में फैला इसके चलते जानवरों को श्वसन संक्रमण फैला और इस और इसे आईवीबी के नाम से जाना गया और 4 साल और एमसी होने 1931 में यह जानकारी दी कि यह वायरस जानवरों में फैल रहा है और इस वायरस में जानवरों को शोषण संक्रमण हो रहा है यह वायरस जानवरों में नॉर्थ डकोटा में फैला था इसके बाद 1940 में दो और करो ना परी वार के वायरस ने जन्म लिया जो कि एमएचवी तथा टीजीवी के नाम से जाना गया कोरोना वायरस के बाद करो ना वायरस के नए सदस्य का जन्म हुआ और वह वायरस हुमन कोरोनावायरस था यह वायरस में आया और इसके चलते यूएसए और यूके में वायरस को एकांत में रखा गया इसके अलावा कोरोनावायरस 2003 में एस ए आर एस के तीन प्रकोप के बाद एशिया तथा विश्व में वायरस का प्रकोप शुरू हुआ उसे डब्ल्यूएचओ ने एक प्रेस रिलीज द्वारा बताया कोरोनावायरस 2019 कोरोना कोविड-19 3:00 का एक विश्व प्रसिद्ध शहर वहां जहां पर एक व्यापार केट में मीट का व्यापार होता है वहां के इस मार्केट में जिंदा तथा मरे हुए दोनों प्रकार के जीवो का मीट मिलता है चाइना के नागरिकों द्वारा चमगादड़ को खाए जाने और जिंदा चूहों को खाए जाने के कारण कोविड-19 नामक वायरस की उत्पत्ति हुई क्योंकि चमगादड़ में हजारों तरह के वायरस होते हैं जो कि मनुष्य उन वायरस को जेल नहीं सकता मनुष्य के अंदर इन भयंकर वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है इसलिए चमगादड़ तत्वों को भोजन में शामिल करने का नतीजा हम को भी के रूप में भुगत रहे हैं यह वायरस 2019 दिसंबर में चाइना के शहर वहान में फैला तथा चाइना में डब्ल्यूएचओ को इस वायरस से ग्रसित होने का मामला बताया तथा डब्ल्यूएचओ ने 31 दिसंबर को द्वारा की गई नामक वायरस फैल चुका है तथा इसकी कोई भी दवा एंटीवायरस नहीं है यह एक बीमारी है कोरोनावायरस कोविड-19 भारत विश्व स्तर पर कोविड-19 फैसले के बाद भारत में भी इस वायरस ने अपनी दस्तक दी तथा भारत भी इस वायरस की चपेट में आ गया भारत में कोरोना कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को दक्षिण भारत के एक शहर केरला में आया इसके बाद भारत में ज्यादातर दक्षिण भारत में इसके बाद भारत में ज्यादातर दक्षिण भारत में कोरोना कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता ही गया तथा धीरे-धीरे दक्षिण भारत से उत्तरी भारत में भी कोविड-19 फैल गया भारत सरकार द्वारा कोविड-19 से बचने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए भारत सरकार द्वारा पहला कदम था जनता कर्फ्यू देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भारत देश को संबोधन करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा करी तथा देश के प्रत्येक नागरिक ने इस कर्फ्यू का पालन किया इसके बाद कोविड-19 का खतरा देखते हुए भारत देश में पहला लॉकडाउन की घोषणा भारत सरकार सरकार द्वारा की गई जो कि 25 मार्च से 14 अप्रैल तक घोषित हुआ कोविड-19 के बढ़ते संकट तथा भयंकर महामारी तथा इसके बचाव के लिए किसी भी तरह की दवाई anti-drug के ना होने के कारण भारत ने चार लॉकडाउन लगे जो कि पहला 25 मार्च 14 मार्च दूसरा 15 अप्रैल से 3 मई तीसरा 14 मई 17 मई 31 मई थे यह लोग महामारी से बचने के द्वारा भारत सरकार द्वारा पूरे देश में लगाए गए का तरीका बहुत आसान व सरल दिखाई पड़ता है परंतु यह चार लोग अपने आप में वायरस से भी बड़ी महामारी बने महामारी तथा उनका भारत पर असर हमारी समस्या बनी में और भारत में भी अपनी समस्याओं को अपने साथ लाया पहला लॉकडाउन 1.0 के चलते देश में निषेध गतिविधियां योगदान की वजह से पूरे देश की देश की सीमाएं बंद कर दी गई सारी हवाई यात्राएं रोक दी गई अब देश में बाहर से ना कोई आ सकता था है ना कोई जा सकता है लॉकडाउन 2.0
देश के प्रत्येक राज्य में अपने राज्य की सीमा बंद कर दी ताकि किसी भी राज्य के नागरिक इधर उधर ना जा सके पॉइंट 3 पूरे देश में रेलगाड़ी बसे हवाई जहाज सब पर प्रतिबंध लग गया पूरे देश में प्रतिबंध लगने से परिवहन पूरी तरीके से बंद हो गया पॉइंट 4 देश की सारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई सारी सारे बाजार व्यापार बंद हो चुके थे किसी भी तरीके का बाजार बंद था सिर्फ दवा की दुकान राशन की दुकान तथा अस्पताल ही खुले थे परंतु इन अस्पतालों में भी कोविड-19 से सुरक्षित मरीजों से बुरा हाल था पॉइंट 5 सभी तरह की जगह निर्माण व्यापार बंद था सरकारी दफ्तर अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां प्राइवेट उद्योग संबंध था पॉइंट 6 पूरे देश में सन्नाटा छाया था जीव जंतु सड़कों पर आ गए थे क्योंकि देश के किसी भी नागरिक को घर से निकलने की अनुमति नहीं थी कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य के लिए बाहर नहीं जा सकता था बीमारी दबाव आर अश्विन की खरीदारी करने के अलावा पॉइंट 7 प्रो दवाइयों की दुकानों के सामने 2 फीट की दूरी पर निशान बनाए गए थे अब इन्हीं गैरों में लोगों को खड़े होकर सामान लेना होगा देश में किसी भी तरह आपके जैसे सूरज सिनेमा समारोह पर प्रतिबंध था किसी भी व्यक्ति को बाहर ना निकलने की निकलने का आदेश था और किसी दवा अस्पताल राशन की की जरूरत की चीजों के लिए सिर्फ एक व्यक्ति ही घर से बाहर जा सकता था इन सब के कारण देश में

सभी तरह का व्यापार तथा मजदूरों का बच्चे बत्तर हाल हो चुका था गरीबों को गरीबों के पास खाने के लिए रोटी भी नहीं थी आम आदमी की जिंदगी में त्राहि-त्राहि हो गई थी मजदूर अपने घर नहीं जा सकते मालिकों द्वारा रोजगार से निकाले जाने के कारण मजदूरों का जीवन नर्क बन गया था इन्हीं कारणों से लाखों मजदूर पैदल ही भूखे अपने गांव की तरफ निकल पड़े सैनिकों के छोटे बच्चे के चलते हुए अपनी जान से हाथ धो बैठे हो ना काल महाकाल साबित हुआ सबसे ज्यादा बुरा हाल रोज खाने कमाने वालों पर हुआ परंतु इस करो ना के प्रकोप में महा मध्यमवर्ग भी और संपन्न वर्ग भी नहीं बच पाया हर व्यक्ति का बहुत बुरा समय

सरकार द्वारा उठाए गए कदम सरकार ने गरीब लोगों को ज्यादा से ज्यादा राशन देने की कोशिश करें सरकार द्वारा प्रत्येक गरीब वर्ग को मुक्त राशन बांटा गया इस महामारी के काल में पूरे भारत की अर्थव्यवस्था डगमगा गई मंदी का दौर वापस आ गया इसके चलते सरकार ने श्रमिक वर्ग के लिए 170000 करोड का राहत पैकेज निकाला ताकि श्रमिकों को कुछ राहत मिल सके इसी के चलते सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा करी सरकार द्वारा श्रमिकों के छोटे व्यापारी मध्यमवर्ग श्रमिकों को कामकाज के लिए दोबारा से शुरुआत करने का प्रोत्साहन मिला, सरकार द्वारा मुफ्त का राशन बांटने का सिलसिला बढ़ता रहा था कि देश का कोई भी वर्क भूखा ना मरे लॉकडाउन के चलते सरकार द्वारा शिविर लगाए गए खाना पकाकर बांटा गया बनाई गई ताकि किसी को भी ना हो कोई व्यक्ति भूख से ना मरे सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति को संक्रमण से बचाने के लिए निर्देश देगी से कोरोना से बचने के लिए राहत निर्देश जारी किए सभी व्यक्ति मार्क्स लगाने के निर्देश दिए गए सभी व्यक्तियों को निर्देश दिए गए जरूरी काम से ही बाहर निकलने के निर्देश दिए जाने लगे अपने आप को करो ना के संक्रमण से बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग आयुर्वेदिक दवा गाड़ी की विधियां बताई गई हाथ साफ करना सैनिटाइजेशन करने के निर्देश दिए गए सरकार द्वारा कौन बना सरकार द्वारा कोविड-19 से देश के प्रत्येक व्यक्ति को बचाने में एक प्रयास यह भी था कि देश में बीमार तथा स्वस्थ लोगों का वर्गीकरण करना सरकार द्वारा इस महामारी के खिलाफ उठाया गया एक कदम था रे ड्रोन ड्रोन वह दौर था,

जिससे उसका अधिकतर लोगों अधिकतर लोग महामारी से पीड़ित थे उसे राज्यों की श्रेणी में डाला गया रेड जोन को पूरी तरीके से सील कर दिया गया रेड जोन का कोई भी व्यक्ति अपने घर बाहर नहीं जा सकता राशन का दवाई की सुविधा आपको अपने घर पर मिलेगी रेड जोन का मतलब सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र और जोखिम का जोखिम भरा क्षेत्र है ऑरेंज ऑरेंज और रेड जोन के मुकाबले जोखिम स्थिति कम होती है वहां संक्रमण का खतरा होता है और जो व्यक्ति का राशन दवाई का में बाहर जाने की अनुमति होती है का पालन करते हुए तथा करना जरूरी है गिरिडीह में आता है जहां महामारी का खतरा बहुत ही कम या ना के बराबर होता है उसे ग्रीन कहते हैं परंतु विभीषण का पालन करना जरूरी है एक ही है कि प्रत्येक व्यक्ति को बचाना है सरकार द्वारा पूरे क्षेत्र कंटेंटमेंट जोन घोषित करना करो ना के मरीजों के लिए अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा इंतजाम करना सैनिटाइजेशन पर तथा मार्क्स पर कालाबाजारी पर रोकथाम निजी अस्पतालों को कम से कम फीस पर कोरोना कोविड-19 का टेस्ट व इलाज करने का निर्देश देना व्यापारियों कंपनियों के मालिक मकान मालिकों पर किसी भी तरीके के अनुशासनहीनता पर रोक लगाना यह सभी कदम व्यक्तियों को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए आज के समय में विश्व बैंक पर भारत कोरोना कोविड-19 ग्रसित देशों में तीसरे नंबर की श्रेणी में आ गया है पहले नंबर पर दूसरे नंबर पर भारत है आज की तारीख में भारत में 7 से ज्यादा लोग बनाने में लगे हुए हैं और इसमें भारत का नाम भी शामिल है भारत की दवा बनाने में जुटी हुई है इसी के साथ-साथ सरकार द्वारा भारत को अनलॉक करने के लिए शुरू हो गई है धीरे-धीरे सभी व्यवसाय खुलने लगे हैं फिर से सभी व्यक्तियों को रोजगार मिलने लगा है दो अनलॉक हो चुकी है 1 जून से 30 जून 1 जुलाई से 31 जुलाई हम सभी आशा करते हैं भारत के साथ-साथ पूरे विश्व को कोविड-19 जल्द से जल्द महामारी खत्म हो हमारे देश और विश्व में शांति बनी रहे।

Written By Utkarsha

कोविड 19

कोविड 19 कोरोनावायरस एक ऐसी बीमारी जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जो कि इस वायरस से बचा हो।

अब यह बीमारी कोई प्रकृति का प्रकोप है या फिर बनाया गया कोई वायरस यह तो हम नहीं जानते परंतु हम तो सिर्फ इसके परिणामों को ही देख रहे हैं ऐसी बीमारी ना तो कभी आई है ना ही कभी आए हम यही कामना करते हैं। इसे बीमारी की जगह महामारी कहना और ज्यादा ठीक रहेगा। जोकि चाइना के वुहान शहर से शुरू होकर इटली पहुंची और इटली से सारी दुनिया में पहुंची।

दुनिया के बड़े बड़े देश जो हर चीज में विकास पूरक है वह भी आज इस वायरस के आगे घुटने टेके खड़े हैं। और हमारे देशवासियों का तो क्या कहना यह हमारे देश वासी हैं जो महामारी में भी लोगों का फायदा उठा रहे हैं जब शुरुआत में वायरस की खबर आई तो पूरी मार्केट से सैनिटाइजर गायब कर दिए ब्लैक में बेच रहे हैं 4:30 हजार का एक टेस्ट हो रहा है जो कि व्यक्ति को पहले भी कराना जरूरी है और ठीक होने के बाद भी कराना जरूरी है अगर एक इंसान के घर में 4 लोग भी हैं तो 18000 पहले और 18000 बाद में यानी कि ₹36000 वह सिर्फ टेस्ट टेस्ट में खर्च कर रहा है।

आखिर आम आदमी के पास इतना कौन सा खजाना है कि वह इतना खर्च करें सिर्फ टेस्ट टेस्ट के ऊपर अगर अस्पतालों की बात करें तो किसी एक मरीज को रखने के लिए ₹50000 लाख रुपए प्रति दिन के हिसाब से भी वसूले जा रहे हैं क्योंकि कोई ट्रीटमेंट बना ही नहीं है सुरक्षा है घर पर रहकर भी ठीक हो रहे हैं बीमारी की वजह से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है अर्थव्यवस्था बिल्कुल पटरी पर आ गई है न जाने कितने उद्योग धंधे कारखाने सब बंद हो गए हैं कितने ही लोग बेरोजगार हो गए कितने ही लोगों का घर खर्च का पैसा नहीं है बच्चों की फीस लेने के लिए नहीं है

क्या तो आज ही खाएं और क्या करें और जिन लोगों का काम छूट गया है क्या उनको कोई राहत है अगर कुछ लोग पेट भरने के लिए खाना भी दे रहे हैं तो सिर्फ पेट भरने से ही इंसान का जीवन नहीं चलता इंसान के जीवन में शिक्षा जीवन स्तर भी कुछ मायने रखता है इस बीमारी ने सब की छवि एकदम मिटा दिए। अमेरिका देश चौकी दुनिया की सुपर पावर होने की दावा करता था।

कोविड 19 आज कोरोनावायरस के मारे अपने दरवाजे पूरी दुनिया के लिए बंद किए बैठा है परंतु एक बात और देखने में आई है हमारे देश भारत में लोगों में जागरूकता की बहुत कमी है जब तक हमारे स्वयं के ऊपर ना बीते तब तक हम जागरूक नहीं होते।कोरोनावायरस या कोविड-19 आज के समय में एक ऐसी बीमारी है जो भारत नहीं पूरे विश्व में फैल चुकी है, और इसकी चपेट में आ चुका है।

बीमारियां बहुत है इस दुनिया में वर्तमान में कई कारण भी है परंतु विषाणु जनित बीमारी सबसे खतरनाक आज के समय में है बीमारी के वैसे तो कोई कारण होते हैं जैसे कि बैक्टीरिया प्लाज्मोडियम सूक्ष्म जीव आदि परंतु आज के समय में हमारा रहन सहन भी बीमारियों का एक बड़ा कारण बन चुका है हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कम हो चुकी है।

भागदौड़ भरी जिंदगी और शारीरिक क्षमता को हमने बिलकुल छोड़ दिया है शारीरिक कार्य बिल्कुल कम कर दिया है अधिकतर ऑफिस में एक ही सीट पर पूरा दिन एक ही बैठा रहता है मैं तो कोई शारीरिक श्रम करता है ना उसे कोई पसीना आता है ना वह पर्यावरण के वातावरण के संपर्क में आता है एक कंप्यूटर चेयर कि आज के समय में इंसान के जीवन बन गया है। हमने पर्यावरण से जैसे-जैसे डोरी बनाना शुरू किया है हम बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं।

और पूरे विश्व को भी हमने खतरे में डाल दिया है विषाणु को इस पूरी दुनिया में कहीं कोई इलाज नहीं है विषाणु से केवल बचाव किया जा सकता है हमें भी अपनी ओर से पूरी सावधानी का पूरा बचाव रखना चाहिए दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए लापरवाही बिल्कुल नहीं बदलनी चाहिए हम जानते हैं कि पूरे विश्व में कितने व्यक्तियों की मृत्यु किस वायरस की वजह से हो चुकी है इसलिए हमें जितना हो सके सावधान रहना चाहिए घर पर रहते हुए हमें सभी देशों का पालन करना चाहिए। अपने आप को प्रकृति से भी जोड़ना चाहिए शारीरिक श्रम करना चाहिए थोड़ा व्यायाम भी जरूरी है भोजन मैं भी हमें बदलाव करना चाहिए

Written by Pritam Mundotiya

सामाजिक दूरी

सोशल मीडिया व अन्य सभी जगह पर एक शब्द और है जो बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है ओर पिछले 2 महिने से यह शब्द बहुत प्रचलित हो चुका है जिसको हमे समझना चाहिए और इस शब्द का पालन भी करना चाहिए, सामाजिक दूरी को बनाकर रखना ही हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।

Social Distancing सामाजिक दूरी बनाकर रखिए कम से कम आपके ओर दूसरे व्यक्ति के मध्य 2 गज की दूरी हो
संग दोष से बचाव = किसी के साथ नहीं रहना बाहर वाला आपके संपर्क से दूर और आप भी सभी से उचित दूरी बनाए शारीरिक तथा यहां हम मानसिक विचारो से दूरी बनाए क्युकी स्वयं को मजबूत बनाना है इस समय नकरात्मक विचारो का प्रभाव हम ना पड़े

भीड़ वाले इलाके में ना जाए साथ ही भीड़ एकत्रित ना होने दे
“भीड़ और झुण्ड” यह दोनों शब्द अब बहिष्कृत हो जाएंगे
“भेड़ चाल” यह शब्द गायब होगा अगले कुछ समय में
एकला चलो
असंग
स्वयं के साथ ज्यादा समय व्यतीत करना ऐसे शब्दों का प्रचलन दुबारा से शुरू होने लगेगा।


Self Quarantine = स्वयं को एक कमरे में बंद कर लेना

किसी को छूना नहीं ,किसी का स्पर्श नहीं लेना घर के सदस्यों से भी उचित दूरी बनाए रखना

अब यह एक शब्द है स्वयं को एक कमरे के भीतर ही रखना और आत्ममंथन करना  यदि आप चिड़चिड़ा या भीड़ के साथ नहीं रहना तो खुद को एक अलग बंद कमरे में रह सकते हो और स्वयं के लिए बहुत कुछ सोच सकते , जिस आप आत्म उत्थान कह सकते है इसी एक चीज के लिए लोग घर छोड़ दिया करते थे परन्तु प्रकृति ने ये संदेश दिया है कि स्वयं के साथ रहे और स्वयं का निर्माण करे

सेल्फ ग्रूम = self Grooming

Home Quarantine = खुद को घर में कैद कर लेना और कहीं बाहर नहीं जाना यह भी एक अच्छा विचार है दुनिया की भीड़ से बिल्कुल अलग हो जाना और स्वयं के चित को शांत करना अपने परिवार के साथ खूब सारी बाते करना और बतियाना ना फोन की जरूरत ना किसी ओर चीज की आवश्यकता गृहस्थ जीवन ही अति सुखदाई अपने परिवार संग अपने समय का लाभ उठाओ और परिवार जन सहित अपने जीवन को सार्थक करो।

जब आवश्यक हो तभी घर से बाहर निकले बेवजह आप घर से बाहर ना आए घर से बाहर या भीड़ वाले एरिया में मस्क जरूर लगाएं।

धीरज शब्द का अर्थ क्या है

धीर , धीरज , सब्र, धैर्य, यह चारो शब्द इस एक Patience शब्द में बदल दिए गए है
क्या आपको नहीं लगता?  कि हमारे शब्द कहीं खो गए है हमारे हिंदी भाषा के शब्दों का हनन हो रहा है

अंग्रेजी भाषी होना ठीक है परन्तु उचित स्थान पर ही सही है जहां जरूरत हो बिना जरूरत के अंग्रेजी भाषा ठीक नहीं है क्युकी अंग्रेज़ी में शब्दों का हनन होता है।

अब उन चारो शब्दों में कितना प्रेम है परन्तु Patience एक शब्द जिसमे ये चार शब्द आ गए क्या उसमे प्रेम दिखता है ? क्या भावनाए पता चल रही है ? क्या वो शब्दों का एहसास , अनुभव मालूम पड़ रहा है मेरे ख्याल से बिल्कुल भी नहीं,

यदि आप आजकल रामायण देख रहे है तो उसमें हिंदी के शब्दों का इतनी सहजता से प्रयोग हो रहा है जो मन को हर्षित कर देता है ऐसी हिंदी पिछले 20 साल में किसी और धारावाहिक में नहीं दिखी।

क्यों अंग्रेज़ी भाषा पर इतना बल दिया जा रहा है ? क्यों हिंदी में अधिक से अधिक कार्य नहीं कराए जाते ?
ऐसा क्या है अंग्रेज़ी में? ठीक है हम मान भी लें अंग्रेज़ी अतिआवश्यक है आज के समय के अनुसार परन्तु हिंदी अत्यंत आवश्यक भाषा है जो पूरी तरह से वैज्ञानिक है हर एक स्वर , उच्चारण की स्तिथि अलग स्थान से निकलती है जो सीधे आपके शरीर और मस्तिष्क को प्रभावित करती है और सभ्य शालीनता प्रदान करती है

तथा आपके भीतर जो विकार है उन्हें बाहर निकालती है परन्तु अंग्रेज़ी भाषा आपके भीतर विकार पैदा करती है। अंग्रेज़ी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है जो अर्थ का अनर्थ कर देते है परन्तु हिंदी हर एक शब्द को सही अर्थ एवं ज्ञान की दृष्टि से प्रमाणित करती है।

हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है , अंग्रेजी या किसी अन्य  भाषा में ये बात देखने में नहीं मिलती।

क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है। एक बार बोल कर देखिये।
च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है। एक बार बोल कर देखिये।
ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। एक बार बोल कर देखिये।
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है। एक बार बोल कर देखिये।
प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये।

यह सही हे कि हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं  परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है।

हमारा सीधा संबंध इस भौतिक एवम् पार भौतिक सत्ता से जोड़ता है।

रामायण और महाभारत तो आपको वैज्ञानिक दृष्टि भी प्रदान करते है जिसमें आपको सामान्य विज्ञान और एडवांस टेक्नोलॉजी भी दिखती है। हम सभी जितना हिंदी से दूर हो रहे है उतनी ही बुद्धि कुमति की ओर अग्रसर है इस बुड्ढी को सुमति की कारण है तो हमें हमारी हिंदी भाषा , संस्कृत को सुदृढ करना होगा तभी हमारे विचारो में अधिक परिवर्तन दिखेगा

क्या आपने रामायण में भविष्यवाणी सुनी? जब लक्ष्मण भरत को मार देने के बारे में सोचता है आकाशवाणी का यही संदेश आता है बिना विचारे किसी मत पर पहुंचना बाद में पछतावे का कारण हो सकता है।

यह आकाशवाणी कोई कल्पना मात्र नहीं है यह सत्य है इसी प्रकार से पहले भविष्यवाणी होती थी यही भविष्यवाणी महाभारत में भी देखने को मिलेगी।

एक द्वापर युग की कथा है और एक त्रेता युग की परन्तु कलयुग में आकाशवाणी नहीं होती सुनाई से रही है क्युकी हम सभी अपने कोर अपनी आत्मा से दूर होते जा रहे है यही कारण है हमारा जीवन व्यस्त नहीं अस्त- व्यस्त हो रहा है।

चुनाव के बाद


चुनाव के बाद क्या होता है, आप सभी एक बात समझिए हम लोग क्या देखते है ? क्या पढ़ते है ? टीवी देखते है और अख़बार पढ़ते है आजकल तो क्या दिखाया जा रहा है और क्या पढ़ाया हा रहा है यह सबको पता है इसके साथ ही मोबाइल के द्वारा हम सोशल मीडिया पर जो समय बिताते है उसमे भी बहुत सारी बाते झूठी होती है और कुछ वॉट्सएप बाबा का ज्ञान अब किस पर विश्वास करे ओर किस पर नहीं यह हम सभी के लिए एक चुनौती भरा विषय है।

हम सभी लोग अपने अनुभव पर वोट दे रहे है जैसा हम लोगो के साथ हो रहा है उसी के आधार पर वोट जाता है जो सुनते है देखते है बस वही सब इसी आधार पर वोट दिया गया है यह बात स्पष्ट हो चुकी है।

दिल्ली वालो के बारे में बहुत कुछ लोग बोल रहे है लगातार कुछ ना कुछ लिखा जा रहा है दिल्ली वाले मुफ्तखोर हो गए है दो कौड़ी की बिजली पानी के लिए बिक गए है।

दिल्ली की जनता ने फ्री के लिए कोई वोट नहीं किया उन्होंने काम भी किया इस बात से आपको सहमत होना चाहिए हर बात में नकारना गलत बात है। और काम नहीं भी किए ऐसा भी है। उसके लिए मै दुबारा लिखूंगा की उन्होंने क्या किया है और क्या नहीं

यह बात बहुत गलत है जिस प्रकार से लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए।

कौन किसको वोट देना चाहता है यह उसका मौलिक अधिकार है आप उसे उसका निर्णय लेने से नहीं रोक सकते

बहुत सारे विचार मंथन करते हुए लोगो ने अपना दिया है और इस बात को स्वीकार करना चाहिए

जीत अब किसी भी पार्टी की हुईं है इसका यह तात्पर्य नहीं है आपको देशद्रोही बोलने का अधिकार है दिल्ली देश की राजधानी है और यह अधिकार आपको बिल्कुल भी नहीं है कि आप अभद्र शब्दो का प्रयोग करे

अपने शब्दो पर नियंत्रण रखना अतिआवश्यक है बहुत जल्दी कुछ लोग अपना आपा खो देते है यदि आप स्वयं  विवेकी नहीं हो तो आप दूसरों को क्यों कोश रहे हो ??

खुद के विचार इतने सीमित दायरे में सिमट गए और आप इल्जाम दिल्ली की जनता पर लगा रहे है।

यह समय आत्ममंथन का है , देशमंथन, विचारमंथन का है दिल्ली मंथन का है अपने विचार ओर मत के लिए ही अपना नेता चुनने का अधिकार दिया है और उसके चलते ही दिल्ली का चुनाव तय हुआ है, अब आप इसमें घृणा के बीज ना बोए तो बेहतर है।

चुनाव के बाद सोचिए और समझिए।

तानहा जी

पिछले हफ्ते दो बड़ी फिल्में रिलीज हुई तानहा जी और छपाक
जिसमे ऐसा हुआ कि तानहा जी तन्हा तन्हा कहते हुए ऊपर निकल गई और छपाक़ धपाक से नीचे गिर गई
छपाक और तान्हा जी दोनों ही फिल्में सिर्फ एक बार देखने लायक है जितना इन दोनों फिल्मों का हंगामा मचाया जा रहा था दोनों इतनी गजब की नहीं है जितना लोगो ने फिल्म को देखने और ना देखने पर शोर मचा रखा था लेकिन दोनों फिल्म देखने के बाद यह निष्कर्ष निकला की यह दोनों फिल्में साल की सुपरहिट फिल्मों में से कोई एक नहीं है।

जहां Tanha Ji को 3.5 की रेटिंग देनी चाहिए थी वहां लोगो ने बहुत ज्यादा ही कर रखी है और छपाक को 2.5 रेटिंग मिलनी चाहिए थी वहां उसे भी लोगो ने जबरदस्ती में ऊपर उठा रखा है।
वैसे लोगो के मन की बात भी के दू मै लोग दोनों ही फिल्म देखना चाहते थे लेकिन इतना सबकुछ उल्टा सबकुछ सोशल मीडिया पर फैला कर सब रायता कर दिया जिसकी वजह से Tanha Ji को फायदा हो ओर छपाक धपक से नीचे गिर गई।

तानहा जी फिल्म में दो बड़े सुपरस्टार थे जिनकी एक्टिंग की वजह से यह फिल्म हिट हो गई वरना फिल्म में कोई खास दम नहीं था काजोल का फिल्म नाम ही था लेकिन एक्टिंग के नाम पर कुछ नहीं दिखाया गया वहीं दूसरी और दीपिका पादुकोण की एक्टिंग बहुत बेहतरीन है फिल्म में कहीं कही पर वो निराश कर देती है कुछ सीन में वो इमोशन नहीं झलकते लेकिन उनको इग्नोर किया जा सकता है ऐसा ही Tanha Ji में भी हुआ की इमोशन पर काम नहीं किया गया।
अगर आप सभी दीपिका पादुकोण के JNU जाने की नाराज़गी से उभर गए तो फिल्म देखकर आ सकते हो और TANHA JI भी देखिए पैसे वसूल है दोनों ही फिल्में
इन झगड़ों दंगे फसाद से कुछ नहीं मिलने वाला गुस्से में घर अपना ही जलता है दूसरे तो आकर हाथ सेकते है हुजूर इसलिए लोगो को हाथ सेकने का मौका ना दे
और मैं दोनों पक्षों को देखता हू , दोनों की बुराई और अच्छाई को सरहना करता हू मेरे लिए सभी समान है
ना मै किसी से नफ़रत करता हू ना ही प्रेम

तानहा जी
तानहा जी