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मालूम नहीं

मालूम नहीं यह एक ऐसा जवाब है जो अनेको दुविधाएं उतपन्न करता है, और इसका निष्कर्ष कुछ भी नही है और इस कुछ भी नही से प्राप्त होता है, आपके समय की हानि जिसका हर्जाना कोई भी नही भुगत सकता।

मालूम नहीं
मालूम नहीं

मालूम नहीं सिर्फ दो शब्द लेकिन मन में अनेकों प्रश्नों को जन्म दे देते है यह दो शब्द मान लीजिए आप किसी को अपने दिल का हाल बता दे, ओर उससे आपको एक बेहतर जवाब की अपेक्षा हो उसके बदले वो सिर्फ यह कह दे की पता नहीं तो आप समझेंगे, ना जवाब हा में आया ओर न ही ना में आया ओर साफ साफ शब्दों में आपके प्रश्न का उत्तर भी नहीं आया तो मन में तो हजारों पर्ष्णि का आना सहज ही है, यह एक दुविधा है आपको फिर से दुबारा वही प्रश्न पूछना होगा ओर फिर जवाब की तलाश में आप रहेंगे।

हो सकता है आप एक लंबा इंतजार भी करे उस जवाब के लिए जवाब आपके बहुत जरूरी है परंतु जवाब तो नहीं आया आप सिर्फ में लटके हो क्युकी जवाब ना हाँ था ओर ना ही ना उनका जवाब “पता नहीं” था जिसका यह अर्थ निकलता है तो इसका उत्तर उन्हे भी पता नहीं जवाब हाँ ओर ना कुछ भी हो सकता है।

समय तो अपनी गति में भाग रहा है ओर इंतजार जवाब के लिए लंबा होता जा रहा है, मन में सवाल बढ़ रहे है, मन में दवंध बढ़ रहा है, मन में चिड़चिड़ापन ओर परेशानी बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से हम उस एक स्थिति में बंध जाते है

ना आप पीछे हट पा रहे हो ओर ना ही आगे बढ़ पा रहे हो जिस संबंध को या तो खत्म हो जाना था या आगे बढ़ जाना था उन दोनों में से कुछ नहीं हो रहा बस इनके विपरीत ही परिस्थिति बन रही होती है।

क्युकी जवाब “मालूम नही” था

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धर्म के नाम पर

धर्म के नाम पर दंगे ना कर। तू हिन्दू है या मुसलमान जो भी हो पहले इंसान बन।

इस फोटो को कोई एक्सप्लेन करेगा ??
लगातार जब मै कोई पोस्ट डालता हूं तो लगातार मेरे साथ जिन्होंने बहुत अच्छा समय बिताया है वो मुझसे आकर बोलते है, कमेंट करते है धर्म , मजहब , हिन्दू , मुस्लिम यही सब बोलते है लेकिन मेरा धर्म इंसानियत है जैसा श्री मदभागवत गीता जी में उपदेश दिया गया है। और मै उसीको अपने आचरण में लगातार लाने के लिए प्रयासरत हूं मुझे तुम्हारी तरह नहीं बनना बिल्कुल भी नहीं बनना।
“धर्म को धारण करना धर्म कहलाता है” धारण अर्थात
और वो सनातन है आजकल असमाजिक तत्व अपनी तरह से तोड़ मरोड़ कर धर्म बना रहे है और बिगाड़ रहे है जिसे धर्म नहीं कहते और वो धर्म नहीं हो सकता जिसमे लड़ाई झगड़ा आदि सिखाया जाए।

धर्म के नाम पर
धर्म के नाम पर

मुझे तो नहीं लग रहा की ये दोनों भाई है जिस तरह से इन लोगो झगड़ा किया है क्या वो भाई भाई करते है ??
जवाब आपके पास है मेरे पास तो बिल्कुल नहीं है।

क्या यहां दो भाई लिखना उचित था ?? इस तरह के विचार रखने वाला व्यक्ति मेरा भाई कैसे हुआ ???
मेरे विचार , मेरे संस्कार तो इस तरह का उपद्रव करने के संस्कार नहीं देते
मेरे अंदर क्रोध , घृणा , अहंकार , लालच , हो सकता है लेकिन क्या इस हद तक है ??
बिल्कुल नहीं है और ना ही कभी होगा क्युकी यह इंसानियत नहीं है , आजकल लोग इंसान नहीं बनना चाहते वो हिन्दू – मुस्लिम बनना चाहते है यह आपको बनना है यह आपका रास्ता है मेरा नहीं और मै ऐसे आडंबर , ढोंगी,सत्ता के लालची लोगो की तरह बनने का बिल्कुल इच्छुक नहीं हूं।
यह दो भाई लड़ रहे है आपस नुक़सान किसका हुआ ??

आपकी जमीन ,आपका घर , और आपके आसपास के लोगों का भी आपने घर , मकान , गाडियां यह सब जला दिया लेकिन किसलिए यह तो बता दो ??
हॉस्पिटल बंद रहेगा उस एरिया में सिर्फ तुम दो भाई लोगो की वजह से
रोड पर खड़ी रिक्शा और गाडियां सब जलाई तुम दो भाईयो ने , अब स्कूल कैसे जाएंगे बच्चे , हॉस्पिटल में दवाई तो तुम ही लोग लेने जाते हो अबकही ओर जाओगे पैसे भी तुम्हारे खर्च होंगे या कोई और आएगा ??

रोड तोड़ दी अब सरकार बनवाए तुम्हारे लिए ??
हॉस्पिटल बनवाए तुम्हारे लिए ताकि तुम फिर तोड़ दो
मस्जिद, मंदिर तोड़ दिए अब कहां जाओगे वैसे तुम दोनों भाई इस लायक नहीं हो की मंदिर ओर मस्जिद जाओ तुम्हे इतनी अक्ल ही नहीं है कि लड़ाई नहीं करते लड़ाई भी ऐसी मेरे पास लफ्ज़ भी नहीं है तुम दी भाईयो के लिए।
बहुत गुस्सा आ रहा है तुम दोनों भाइयों के लिए कितना लिखूं उतना कम है बेशर्मी की सारी हदे पार तुमने कर दी।

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इतना मत चलाओ

मैं सारा दिन लोगो को चलाता हूं, तुम मुझे ही चला रहे हो , इतना मत चलाओ कुछ कम से ही तुम काम चला लो , यह हमे समझ आता है की तुम हमे ही बेवकूफ बना रहे हो , लेकिन इतना भी मत बनाओ
क्या भाई ?
ऐसा बोलते हुए सुना है क्या आपने भी ?
बहुत सारे लोग आते है ऐसे जो कहते है क्या भाई हमे ही चला रहे हो और कोई नही मिला क्या हम दुनिया को सीखा रहे है ये हमे सीखा रहा है।

यह लोग बताना चाहते है की हमसे ज्यादा धूर्त, चालाक , चतुर, ज्ञानी, बुद्धिमानी और कोई भी नही है सिर्फ हमे ही सारा ज्ञान है और हमने ही सारी दुनिया देखी है, बाकी इनके सामने लोग मूर्ख है
ज्यादातर ऐसा लोग तब कहते है जब वो पैसा बचाना चाहते है, आपसे किसी वस्तु के एवज में कुछ और भी प्राप्त करना चाहते है।

या फिर जो आपने मूल्य बताया है उसमे कमी या मोलभाव करना चाहते है, ताकि आप इन्हे वह वस्तु सस्ते दाम पर दे ओर इनका फायदा हो जाए, बस यह अपने फायदे के लिए बाते बनाते है।
ऐसे व्यक्ति वो होते है दूसरे के धंधे पर लात मारना चाहते है और बोलते है हम इससे बेहतर लेकर दे सकते है और सस्ता भी , यह वो व्यक्ति होते है जो हमेसा अपनी बढ़ाई सुन्ना पसन्द करते है
यह वो व्यक्ति हो सकते है जो खुद को ज्यादा होशियार समझते हो लेकिन इनको पता कुछ नही होता बस बाते बनाना जान गए है ।

यह वो व्यक्ति हो सकते है जो आपसे आपके धंधे की पूरी जानकारी ले लेते है। यह वो व्यक्ति हो सकते है जो बिना मतलब के बस दिमाग खोरी करते है , यह जो सुबह से शाम तक लोगो को मूर्ख बनाने के लिए घूमते है। इतना मत चलाओ।

यह उन लोगो में से हो सकते है जिनके पास कुछ काम नही होता बस कभी ताश खेलते हुए , या जुआ , या इधर उधर घूमते हुए ही नजर आते है और अपना समय व्यतीत करते है। इसलिए इतना मत चलाओ किसी को।

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राज नीति

राज नीति क्या है ?
किस प्रकार की राज नीति है या होनी चाहिए ? इस पर भी कुछ चर्चा आज करते है , राज की नीति या नीति का राज दोनो मे से क्या ?

जनता पर राज ? अगर जनता पर राज तो क्यों ? जानता ने आपको चुन लिया है क्या अपने ऊपर राज करने के लिए या कोई हक दे दिया सिर्फ मत देने से , आपको हमने चुनाव जितवा दिया है इसका मतलब यह है, की आप हमारे हितों का ध्यान रखे सही नीति के साथ दिल पर राज करे अच्छी नीति के साथ इसका तातपर्य यह नही की आप राज नीति चलाये कूट नीति , विदुर नीति , शाशक नीति और अन्य अन्य प्रकार की जितनी भी नीतियां है।

देखा यह जा रहा है की देश को कई भागो में विभाजित करने की एक कोशिश जो जारी है वो किस प्रकार से है हम और आप जो बिना समझे किसी भी बात पर अपनी प्रतिकिर्या इतनी जल्दी दे देते है, यह उन सभी बातो का कारण बन सकती है, इसलिए हमे सोचना और समझना चाहिए की चल क्या रहा है, हमे अपने नजरिये को थोड़ा बदलना होगा और देखना होगा की यह सही है या गलत ? यह कौन लोग है, जो हिमारी सोच कब साथ खिलवाड़ कर रहे है ?

अगर सरकार काम कर रही है या नही कर रही है तो आलोचक कौन है ?
क्या जनता आलोचना कर रही है ?
क्या जनता किसी भी प्रकार की असहमति दर्शा रही है ? जनता क्या चाहती है ?
जनता तो शांत बैठी है फिर आलोचक कौन है ?

क्या विपक्ष ? लेकिन विपक्ष चुप क्यों है? या फिर वो लोग जिनका दाना पानी बन्द हो गया है ?
या फिर वो लोग जो जो मुफ्त का माल समझकर लूटने की कोशिश करते थे ?
या आज सीधा जनता तक सब कुछ सीधा जा रहा सारी योजनाए का लाभ जनता तक पहुच रहा है जो पहले नहीं पहुच पाता था।

आज किसको इतना दर्द हो रहा है ?
कौन बेचैन है जिसके पास काम नही है या काम है ? क्या काम उनके पास नहीं जो पहले भी कामचोर थे ओर आज भी है, काम तो पहले से ऐसा चल रहा है बस अब आपको सब कुछ दिखाना पड़ रहा है यह आपकी दिक्कत है ? दिक्कत किस बात से है या कहाँ आ रही है ?

अगर कोई दिक्कत आ रही है तो फिर जनता और सरकार के मध्य सीधा एक तालमेल बनाना चाहिए की सभी समस्याओं का हल हो सके,
यदि किसी भी प्रकार की समस्या है वो व्यक्तिगत नही है वो सामाजिक है इसलिए आज सारी समस्याओं को देखा जाता है और उचित हल किया जाता है।

जहाँ तक मेरा विचार है यह जितने भी कार्य परिवर्तन के रूप में हो रहे है वो सूझ बुझ के साथ हो रहे है, इसलिए अपनी किये गए कार्यो पर अपनी प्रतिकिर्या सोच समझकर दे आवेश और जल्दबाजी में लिया गया फैसला कभी उचित नही होता।

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