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मनपसंद जगह

आज फिर मैं अपनी मनपसंद जगह पर गया जहां मैंने पहली किताब लिखी थी, फिर से एक नई शुरुआत के लिए उसी समय जैसे में पहले जाता था, कॉफी होम सुबह 11 बजे खुलता है 2013 – 2014 में में सुबह 10.30 बजे लगभग पहुंच जाता था और बाहर ही गेट खुलने का इंतजार करता था, उस समय बस कुछ ही लोग आते थे।

मनपसंद जगह कॉफी होम
मनपसंद जगह कॉफी होम

लेकिन आज जब मैं 11.20 पहुंचा तब बहुत सारे लोग पहले से वहाँ पहुंचे हुए थे, एक समय था जब वह भीड़ बहुत कम होती थी इस समय और जब दोपहर लंच का समय होता था तब भीड़ बढ़ जाती थी बस उसी समय ही भीड़ ज्यादा होती थी और लोग आते और जाते रहते थे, लेकिन अब ज्यादातर लोग ठहरे रहते है, पहले बहुत ज्यादा संख्या में बुजुर्ग लोग आते थे।

लेकिन अब यंग क्राउड बहुत आता है, जिसकी वजह से भीड़ ज्यादा होती है, व्यक्ति अकेला होता था वो अपने साथियों का इंतजार करते  थे, और धीरे धीरे लोग इक्कठे होने लगते है कभी कोई किसी समय आता तो कोई किसी समय धीरे धीरे लोग जमा हो जाते थे, और अपने एक समय पर सब चले जाते थे उनमें से अधिकतर लोग रिटायर्ड होते थे।

आजकल सोशल मीडिया पर बहुत तेज़ी से कोई भी जगह प्रचलित हो जाती है, और लोग वहां पहुंचने लग जाते है, एक समय पर ये जगह बहुत ज्यादा लोगो को नही पता थी लेकिन आज इस जगह को हर कोई जानता है। क्युकी सभी लोगों को सोशल मीडिया पर इस जगह का पता चल रहा है, ओर वैसे भी यह जगह बहुत ही सुंदर है पेड़ के नीचे बैठकर बाते करना ओर समय बिताना तो हमेशा से ही अच्छा लगता है, यहाँ तो चाय, कॉफी व नाश्ता भी कर लेते है बैठकर ओर खूब बाते भी इसलिए यह जगह ओर भी खास हो जाती है।

यह मेरी मनपसंद जगहों में से एक है जहां मैं अक्सर जाना पसंद करता हूं, यहां बैठने के लिए जगह मिल जाती है और कोई रोक टोक नही होती की आप कितनी भी देर बैठो लेकिन आप अपने ऑफिस का काम लेकर नही जाए लैपटॉप का प्रयोग करना वर्जित है , इसलिए उसका उपयोग नही करे।  

आप यहां बैठकर लोगो के साथ मीटिंग कर सकते है अपने दोस्तो के संग घंटो बाते कर सकते है और स्पेशली साउथ इंडियन फूड आपको यहां मिलता है जिसको आप खा सकते है। 

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

मेरी दिनचर्या

हर रोज की मेरी एक नई कहानी है, मेरी दिनचर्या जिसमे मैं कभी लिखता हूँ तो कभी कुछ नहीं लिखता लेकिन सोचता बहुत हूँ मैं की क्या मुझे नया लिखना चाहिए, कैसे मैं अपने दिन को बेहतर बना सकु मेरा दिन तो तभी बेहतर होता है जब मेरे मन में अच्छे विचार आते है, ओर विचारों को पन्नों पर उतार देता हूँ बस फिर क्या वही दिन बेहतर, शानदार ओर जबरदस्त हो जाता है।

मैं सुबह 8:30 ओर 9 बजे के बीच में उठता हूँ, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करता हूँ जिससे की शरीर खुल जाए, फिर फ्रेश होता हूँ ओर नहाता हूँ समय 9:45 लगभग हो जाता है, सुबह का नाश्ता करके 11 बज जाते है, इस समय के दौरान भी लैपटॉप पर कुछ समय काम कर लेता हूँ ओर साथ ही स्टॉक मार्केट भी देख लेता हूँ, 11 बजे मैं अपना लैपटॉप उठाकर बिल्कुल तैयारी के साथ काम करने लग जाता हूँ, फिर मैं अपने विचारों को देखता हूँ ओर लिखता हूँ।

लगभग समय तो इसी तरह से ही निकल रहा है, कुछ अपने घर के छोटे मोटे काम में भी उलझ जाता हूँ, ओर फिर क्या बस घर का झाड़ू पोंछा भी मैं ही कर रहा हूँ जबसे मैं घर में रुकने लगा हूँ, यह काम करने लग गया हूँ जिससे मम्मी के काम में उनको मदद मिल जाती है थोड़ी बहुत उसके बाद मैं पापा की दुकान पर चला जाता हूँ, लगभग 2:30 घंटे दुकान पर बिता कर आता हूँ, दुकान पर भी मैं अपना काम करने के लिए लैपटॉप साथ लेकर जाता हूँ, कुछ समय अपना काम भी कर लेता हूँ। बस मेरी यही सोच रहती है की जितना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लिखने के लिए निकाल सकु उतना निकाल लिया करू, नहीं तो लिखने की आदत भी कम हो जाएगी।

4.30 बजे लगभग घर पर आकार चाय पीता हूँ, ओर कुछ खाता हूँ, ओर साथ साथ कुछ देर टीवी चलाकर देखता हूँ समय तो फिर से भागा हुआ ही दिखता है कब 8 बजने को होते है पता ही नहीं चलता ओर फिर मेरा दुबारा दुकान पर जाने का समय हो जाता है। उससे पहले मैं 7:15 पर एक कप चाय ओर पी लेता हूँ।

8 बजे मैं फिर से दुकान पर चला जाता हूँ, फिर 1 घंटे के बाद आता हूँ समय लगभग 9 बज जाता है कुछ उआर भी हो जाता है कभी कभी, घर आकार हाथ मुँह धोने के बाद रात का भोजन करता हूँ ओर कुछ समय फिर टीवी देखते हुए जब समय दस ओर सवा दस का हो जाता है उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर काम करने लग जाता हूँ, दो से ढाई घंटे लगभग काम करता हूँ उसके बाद सोता हूँ।

यही एक तरह की मेरी दिनचर्या हो गई है, हर रोज मैं लगभग इसी तरह से अपने समय को व्यतीत कर रहा हूँ जिसमे मुझे कभी उत्पादक लगता है ओर कभी नहीं क्युकी कई बार मेरा समय अपने घर के कार्यों में भी बीत जाता है, ओर काफी बार दुकान पर भी पूरे ध्यान से अपना काम नहीं कर पाता हूँ, इसलिए इस दिनचर्या को ओर बेहतर बनाने की ओर कोशिश कर रहा हूँ, ओर हर बार आपको कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते ही रहना चाहिए, कुछ अच्छा करने की कोशिश ओर चीजों में लगातार सुधार करने से रोजाना का जीवन बेहतर होता है।

इस समय को अनमोल बनाने के लिए मुझे बेहतर सोचना पड़ेगा तभी दिन बेहतर हो पाएगा, इस समय के अंदर ही मुझे ओर समय निकालना होगा जिससे की मैं ज्यादा काम कर सकु ओर बेहतर लिख सकु, मुझे लगभग 8 महीने हो गए है इसी तरह से मुझे मेरी दिनचर्या को अपनाते हुए, जिसमे मैं बहुत कुछ नया नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन जितना मुझे लगातार होना चाहिए था इस समय मैं उतना अपने काम के प्रति लगातार हूँ, जिसकी वजह से मैं अपनी काम करने की रफ्तार को बरकरार रख पा रहा हूँ, ओर बेहतर बना रहा हूँ।

बिना कुछ कहे

बिना कुछ कहे, उन्होंने कुछ ज्यादा ही समझ लिया अक्सर यही कुछ होता है, जब हम कहते कुछ नहीं है लेकिन वो समझ ज्यादा लेते है, बात कुछ होती नहीं है, लेकिन बढ़ बहुत जाती है, अक्सर यही कुछ होने लगता है, नजदीकिया बहुत होती है लेकिन एकदम से ना जाने क्यू दूरिया होने लग जाती है, मेने कुछ कहा नहीं उन्होंने सुन ज्यादा लिया, मेने कुछ समझाया नहीं 

उन्होंने समझ ज्यादा लिया,मेने कुछ देखा भी नहीं,उन्होंने देख भी ज्यादा लिया 

मेने कुछ सोचा भी नहीं उन्होंने सोच भी ज्यादा लिया 

बस इतना हुआ उसके बाद ना जाने वो रिश्ता ही कही खो गया नासमझी और समझी हुई बातो के बीच जो भेद था, उनकी वजह से वर्षो का रिश्ता अब रिश्ता नहीं रहा बस कुछ था ही नहीं ऐसा  कुछ हो गया। मेरी भीगी हुई पलके भी ना समझा सकी उनको कुछ ना जाने जो बिताया था हिस्सा समझने के लिए वो कुछ लम्हो में सिमट कही खो गया। 

बिना कुछ कहे ना जाने कितनी कितनी बाते हो जाती है, उन बातों से दूरिया भी बढ़ जाती है, पता नहीं चलता सालों का रिश्ता कब खत्म हो जाता है,

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईयशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

किताबे

किताबे जिससे कि हमें ज्ञान प्राप्त होता है। आखिरकार सभी प्रकार की जानकारी व ज्ञान का मूलभूत स्रोत यह किताबें ही है। किताबों में ही सभी प्रकार की जानकारी को एकत्र करके रखा जा सकता है। हमारे पूर्वजों ने भी नाना प्रकार के विषयों के ऊपर जानकारी इकट्ठी करके किसी न किसी ग्रंथ या किताब में उसे संजोकर रखा तभी तो हम आज उस ज्ञान को प्राप्त कर पाए हैं।

प्राचीन समय में कागज का आविष्कार होने से पहले हमारे पूर्वज लिखने के लिए भोज पत्रों का इस्तेमाल किया करते थे। इन भुज पत्रों के आगे और पीछे दोनों तरफ लिखावट होती थी और इन्हीं से किताबें बनाई जाती थी। उस समय लिखावट के लिए भी पेड़ों की टहनियों की कलम बनाकर इस्तेमाल की जाती थी। जब फूलों को पीसकर स्याही तैयार की जाती थी। समय के साथ साथ कागज और फिर आधुनिक कागज का आविष्कार होता गया और भोज पत्रों के स्थान आधुनिक कागज पत्रों ने ले ली और कागज के बाद भी आज कंप्यूटर ने उन कागजों का स्थान ले लिया।

सर्वप्रथम कागज का आविष्कार चीन में हुआ था।और कागजी मुद्रा का आविष्कार भी सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था। आज से 200 साल पहले राजा रवि वर्मा के द्वारा हमारे देश में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की गई वह कई किताबों की छपाई की गई। प्रिंटिंग प्रेस के आने से पहले राजाओं के दरबार में कई ज्ञानि व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी, जो कि किसी एक किताब को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करते थे। इसके अलावा एक ही किताब को लिखने के लिए काफी समय लग जाता था परंतु आज के समय में आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के आने से एक साथ लाखों किताबे बहुत ही कम कम समय में छापी जा सकती हैं।

आज जो हम अपने इतिहास के बारे में जानते हैं वह सिर्फ इन किताबों की वजह से ही तो जानते हैं। जो कुछ हमारे पूर्वज हमारे लिए किताबों में लिख गए उसी को पढ़कर हम प्राचीन समय के समाज के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं।

यह किताबे ही है जो ज्ञान का असीम भंडार हैं। प्रत्येक देश में प्रत्येक भाषा में प्रत्येक विषय पर लिखी गई किताबों से ही हम उस विषय के बारे में उस भाषा के बारे में उस देश के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं और किताब किसी न किसी भाषा में होती है परंतु जिस समय में भाषाओं का अविष्कार नहीं हुआ था चित्रों द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे वह जानकारी एकत्र करते थे , फिर धीरे-धीरे भाषाओं का विकास होने लगा, कुछ प्राचीन भाषाओं में पाली प्राकृत वह संस्कृत भाषाएं भी आती है। कई बौद्ध व जैन धर्म ग्रंथ जो कि आज से 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए उनमें पाली भाषा व प्राकृत भाषा मिलती है। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय पाली में प्राकृत भाषाओं का काफी प्रचलन था। सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तकें जैसे के महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता वह वेद व पुराण आदि संस्कृत भाषाओं में लिखे गए हैं। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय के कालखंड में संस्कृत भाषा का काफी प्रचार था।

चाहे हम गूगल इंटरनेट व कंप्यूटर पर कितना ही समय क्यों ना बिता लें परंतु ज्ञान का असीम सोर्स दो किताबें ही है हमें किताबों के साथ भी कुछ समय बिताना चाहिए। इससे हमारा ज्ञान वर्धन भी होगा।

vaccine

कौनसी vaccine अच्छी है यह भी हम सभी के मन में एक प्रश्न बना हुआ है लेकिन मै आपके लिए यह साफ कर देना चाहता हूं कि सरकार द्वारा दी जा रही दोनों ही vaccine अच्छी है जिस पर आप पूरा भरोसा करे ओर टीका लगवाए।

बिना किसी बहकावे में आए जो vaccine उपलब्ध हो उसे लगवाए ओर स्वयं को सुरक्षित करें ।

आज 31May को मैने covidshield का टीका लगवाया…अब अगली डोज लगभग 75 दिन के बाद लगेगी ओर वह भी covidshield की ही होगी इसमें भी कुछ लोगो को गलतफहमी हो जाती है कि दूसरी डोज कोई ओर लगा सकते है लेकिन ऐसा नहीं है जो डोज आपको पहली लगी है वहीं दूसरी भी लगेगी।

अभी तक तो ना ही मुझे सर्दी महसूस हो रही है ना ही कुछ ओर आपको डॉक्टर सलाह देते है अगले 5 दिनों तक आप किसी के संपर्क मे ना आए , घर से बाहर ना जाए , अल्कोहल का सेवन ना करे , सिगरेट का सेवन भी नहीं करे , अन्य कोई दवाई भी ना लेे, जिस जगह टीका लगाया गया उसे रगड़े नहीं सिर्फ रूई को वहीं पर दबाकर रखे। यदि बुखार आए तो सिर्फ Paracitamol ही इसके अलवा कुछ नहीं ले, सावधानी बरते

हम सभी सिर्फ यही सोचते है की टीका लगवा अब सब ठीक रहेगा मै बाहर घूमता हूं मुझे कुछ नहीं होगा लेकिन डॉक्टर ने यह सब भी बताया है उसका भी तो पालन कीजिए बेफिजूल में बाहर ना घूमिए।

मै अपना अनुभव शेयर करता हूं मुझे 1 पूरा दिन बुखार रहा ओर हाथ पैरो में तेज़ दर्द भी रहा यह एक अप्राकृतिक बुखार था जिसे एक vaccine की वजह आना हुआ अन्यथा इस बुखार का कोई मतलब नहीं हमारी जिंदगी में

दूसरों के बहकावे में ना आए अपनी अक्ल लगाए ओर टीकाकरण जल्द से जल्द कराए, क्युकी सावधानी हटी दुर्घटना घटी

कोरोना काल में जीवन

कोरोना काल में जीवन कैसा था, यह समय है जब सभी लोग अपने काम धंधों से भी झुझ रहे है, ओर साथ ही बीमारी से भी सभी लोग आजकल परेशान है कि आगे क्या होगा ? कैसे परिवार ओर जीवन चलेगा ? क्या हम जीवित भी रहेंगे या नहीं

हम सभी के मन में बहुत सारे ऐसे विचार आ रहे है जो हमें नकारात्मक जीवन की और धकेल रहे है क्या हम इं सभी विचारो से बाहर निकल पाएंगे या फिर जीवन कि स्तिथि ओर परिस्थती ओर भी गंभीर हो जाएगी

कोरोना काल में जीवन का क्या होगा ओर क्या नहीं यह किसी को भी नहीं पता था, इसलिए सभी बैठे है अपने घरों में , हम सभी के मन में डर घर कर चुका है।

दसवीं ओर बारहवी की परीक्षा भी अटकी हुई है कॉलेज की परीक्षा भी जैसे तैसे ले रहे है ऑनलाइन से लेकिन उससे क्या होगा ? बच्चो को किताब खोलकर पेपर देने की अनुमति दी गईं है क्या बच्चो का बौद्धिक स्तर बढ़ रहा है

ना ही बच्चो की शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है ना ही उनको कोई अवसर मिल रहा है। पिछले डेढ़ साल से बच्चे घर पर ही है अब उनका पढ़ाई से मन भी हट रहा है। जब हम सभी घर में रहने लग जाते है तो घर , परिवार के किर्या कलापो में उलझ कर रह जाते है जिससे हमारे लक्ष्य हमसे दूर हो जाते है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सभी अपने लक्ष्यों से दूर हो जाते है कुछ अपने लक्ष्यों को भेदने के लिए ओर ज्यादा तेयार होकर बाहर आते है लेकिन ज्यादातर लोग अपने लक्ष्यों से भटक जाते है ऐसा ही आजकल हो रहा है

बेरोज़गारी बढ़ रही है , व्यवसाय घट रहा है नए परिणाम नहीं आ रहे है , नया कुछ करने को नहीं मिल रहा है। गरीब मजदूर , माध्यम वर्ग ओर अमीर सभी इस बोझ के तले अब दब रहे है, की कैसे उभरेंगे फिर से

इंतजार क्या है

  • इंतजार क्या है ? यह तो आप किसी भी चीज़ का करो वो हमेसा लंबा ही होगा क्योंकि प्रतीक्षा ही ऐसी चीज़ जो समय की लंबी दूरी तय करता है और लगता है वो समय की दूरी खत्म ही नही हो रही वो वही रुक हुआ है ओर बस सब्र कर बैठ है, की वो आएगा चाहे वो एक पल का इंतज़ार हो या 100 साल का इंतजार तो इंतजार ही है।
  • इंतज़ार क्या है ? यह बात तो आप एक दुकानदार से पूछिये जिसकी दुकान में सुबह से शाम बीत गयी लेकिन ग्राहक नही आया।
  • इंतज़ार को प्रेम और प्रेमिका से पूछिये जो घंटों से प्रतीक्षा कर रहे है।
  • इंतजार क्या है ? उस व्यक्ति से पूछिये जो खड़ा है बस स्टॉप पर अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचने के लिए उस नंबर की बस के इंतज़ार में और वो बस ही नही आ रही है बाकी सभी बसे लगातार अपनी सेवा में कार्यरत है।
  • इंतज़ार क्या है? यह आप उस मरीज से पूछिये जो हॉस्पिटल में एक कमरे को लेने के लिए इंतज़ार कर रहा है और उसे कोई कमरा खाली नही मिल रहा है ऐसा लगता है वो अंतिम सांसे अपनी इसी इंतज़ार में तोड़ देगा की कोई कमरा खाली हो और मुझे जगह मिले।
  • इंतज़ार पूछो उस मरीज से जो शायद अपनी आखिरी चन्द सांसे गिन रहा हो और यहाँ इंतज़ार हो सिर्फ डॉक्टर का, उसके इलाज का इंतजार कर रहा।
  • इंतज़ार उनसे पूछिये जो अपने केस की सुनवाई में आंखे बिछाए बैठे है लेकिन उम्र बित्त रही है फैसला नही हो रहा है 10 साल में 70 बार एक केश की सुनवाई होती है।
  • इंतज़ार उस व्यक्ति से पूछिये जो सफलता को हासिल करने में पूरी जिंदगी बिता चुका परंतु सफलता हासिल नही हुई है अब तक और भी इंतज़ार में ही बैठा हो ।
  • इंतज़ार तो आप उनसे भी पूछ सकते है जिन्होंने सरकार की आवासीय योजना में अपनी एक पीढ़ी खत्म करदी हो और अब जब वो निकल गया है उसके बाद भी अगले 5 से 10 साल इंतज़ार करना बाकी है।

इंतजार एक उम्मीद ही है जो हम सभी में उम्मीद के सहारे ही इंतजार करते है किसी चीज या इंसान का इसके अलावा कुछ ओर कर भी नहीं सकते जब हम उस परिस्थिति में होते है।