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कोरोना कोविड-19

कोरोना कोविड-19 ऐसे वायरस का नाम है जो आज के समय में पूरे विश्व में तेजी से फैल चुका है कोविड-19 के संक्रमण की गति भी उसी तरह है जिस तरह एक छोटी सी चिंगारी पूरे जंगल में पलक झपकते ही आग लगा देती है कोविड-19 संक्रमण जानलेवा भी साबित हुआ है इससे कई लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है यह संक्रमण तेजी से फैलता है और यह वायरस हर वर्ग सभी व्यक्ति बूढ़े बच्चे जवान और प्रत्येक लिंक के व्यक्ति को अपने संक्रमण से प्रभावित कर उनके जीवन को आघात पहुंचा रहा है कोविड-19 का इतिहास बहुत पुराना है यह कोरोनावायरस परिवार का ही सदस्य हैं अगर हम इतिहास के तरफ रूख करें और अपने बीते हुए कल को याद करें तो करोना RNA वायरस के समूह का सदस्य है जो कि स्तनधारियों तथा पक्षियों में पाया जाता है।                                                                     यह वायरस संक्रमण फैलाता है (Respitatory infection)कहते है  जुखाम गले में दर्द और सांस लेने में दिक्कत आती है कोरोनावायरस जैसे कि ऐसे SARS , MERS ,  कोविड-19 है  इस वायरस के लक्षण अलग-अलग तरह के हैं यह वायरस Chicken pig cow  में भी अलग-अलग तरह के लक्षण पैदा करता है और ध्यान देने वाली बात यह है कि इस वायरस के लिए किसी तरह की वैक्सीन एंटीवायरल दवाई नहीं बन पाई है।   कोरोनावायरस का इतिहास बताता है इस वायरस का पहला आक्रमण 1930 में हुआ था जो कि जानवरों में फैला इसके चलते जानवरों को श्वसन संक्रमण फैला और इस और इसे आईवीबी के नाम से जाना गया और 4 साल और एमसी होने 1931 में यह जानकारी दी कि यह वायरस जानवरों में फैल रहा है और इस वायरस में जानवरों को शोषण संक्रमण हो रहा है यह वायरस जानवरों में नॉर्थ डकोटा में फैला था इसके बाद 1940 में दो और करो ना परी वार के वायरस ने जन्म लिया जो कि एमएचवी तथा टीजीवी के नाम से जाना गया कोरोना वायरस के बाद करो ना वायरस के नए सदस्य का जन्म हुआ और वह वायरस हुमन कोरोनावायरस था यह वायरस में आया और इसके चलते यूएसए और यूके में वायरस को एकांत में रखा गया इसके अलावा कोरोनावायरस 2003 में एस ए आर एस के तीन प्रकोप के बाद एशिया तथा विश्व में वायरस का प्रकोप शुरू हुआ उसे डब्ल्यूएचओ ने एक प्रेस रिलीज द्वारा बताया कोरोनावायरस 2019 कोरोना कोविड-19 3:00 का एक विश्व प्रसिद्ध शहर वहां जहां पर एक व्यापार केट में मीट का व्यापार होता है वहां के इस मार्केट में जिंदा तथा मरे हुए दोनों प्रकार के जीवो का मीट मिलता है चाइना के नागरिकों द्वारा चमगादड़ को खाए जाने और जिंदा चूहों को खाए जाने के कारण कोविड-19 नामक वायरस की उत्पत्ति हुई क्योंकि चमगादड़ में हजारों तरह के वायरस होते हैं जो कि मनुष्य उन वायरस को जेल नहीं सकता मनुष्य के अंदर इन भयंकर वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है इसलिए चमगादड़ तत्वों को भोजन में शामिल करने का नतीजा हम को भी के रूप में भुगत रहे हैं यह वायरस 2019 दिसंबर में चाइना के शहर वहान में फैला तथा चाइना में डब्ल्यूएचओ को इस वायरस से ग्रसित होने का मामला बताया तथा डब्ल्यूएचओ ने 31 दिसंबर को द्वारा की गई नामक वायरस फैल चुका है तथा इसकी कोई भी दवा एंटीवायरस नहीं है यह एक बीमारी है कोरोनावायरस कोविड-19 भारत विश्व स्तर पर कोविड-19 फैसले के बाद भारत में भी इस वायरस ने अपनी दस्तक दी तथा भारत भी इस वायरस की चपेट में आ गया भारत में कोरोना कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को दक्षिण भारत के एक शहर केरला में आया इसके बाद भारत में ज्यादातर दक्षिण भारत में इसके बाद भारत में ज्यादातर दक्षिण भारत में कोरोना कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता ही गया तथा धीरे-धीरे दक्षिण भारत से उत्तरी भारत में भी कोविड-19 फैल गया भारत सरकार द्वारा कोविड-19 से बचने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए भारत सरकार द्वारा पहला कदम था जनता कर्फ्यू देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भारत देश को संबोधन करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा करी तथा देश के प्रत्येक नागरिक ने इस कर्फ्यू का पालन किया इसके बाद कोविड-19 का खतरा देखते हुए भारत देश में पहला लॉकडाउन की घोषणा भारत सरकार सरकार द्वारा की गई जो कि 25 मार्च से 14 अप्रैल तक घोषित हुआ कोविड-19 के बढ़ते संकट तथा भयंकर महामारी तथा इसके बचाव के लिए किसी भी तरह की दवाई anti-drug के ना होने के कारण भारत ने चार लॉकडाउन लगे जो कि पहला 25 मार्च 14 मार्च दूसरा 15 अप्रैल से 3 मई तीसरा 14 मई 17 मई 31 मई थे यह लोग महामारी से बचने के द्वारा भारत सरकार द्वारा पूरे देश में लगाए गए का तरीका बहुत आसान व सरल दिखाई पड़ता है परंतु यह चार लोग अपने आप में वायरस से भी बड़ी महामारी बने महामारी तथा उनका भारत पर असर हमारी समस्या बनी में और भारत में भी अपनी समस्याओं को अपने साथ लाया पहला लॉकडाउन 1.0 के चलते देश में निषेध गतिविधियां योगदान की वजह से पूरे देश की देश की सीमाएं बंद कर दी गई सारी हवाई यात्राएं रोक दी गई अब देश में बाहर से ना कोई आ सकता था है ना कोई जा सकता है लॉकडाउन 2.0
देश के प्रत्येक राज्य में अपने राज्य की सीमा बंद कर दी ताकि किसी भी राज्य के नागरिक इधर उधर ना जा सके पॉइंट 3 पूरे देश में रेलगाड़ी बसे हवाई जहाज सब पर प्रतिबंध लग गया पूरे देश में प्रतिबंध लगने से परिवहन पूरी तरीके से बंद हो गया पॉइंट 4 देश की सारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई सारी सारे बाजार व्यापार बंद हो चुके थे किसी भी तरीके का बाजार बंद था सिर्फ दवा की दुकान राशन की दुकान तथा अस्पताल ही खुले थे परंतु इन अस्पतालों में भी कोविड-19 से सुरक्षित मरीजों से बुरा हाल था पॉइंट 5 सभी तरह की जगह निर्माण व्यापार बंद था सरकारी दफ्तर अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां प्राइवेट उद्योग संबंध था पॉइंट 6 पूरे देश में सन्नाटा छाया था जीव जंतु सड़कों पर आ गए थे क्योंकि देश के किसी भी नागरिक को घर से निकलने की अनुमति नहीं थी कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य के लिए बाहर नहीं जा सकता था बीमारी दबाव आर अश्विन की खरीदारी करने के अलावा पॉइंट 7 प्रो दवाइयों की दुकानों के सामने 2 फीट की दूरी पर निशान बनाए गए थे अब इन्हीं गैरों में लोगों को खड़े होकर सामान लेना होगा देश में किसी भी तरह आपके जैसे सूरज सिनेमा समारोह पर प्रतिबंध था किसी भी व्यक्ति को बाहर ना निकलने की निकलने का आदेश था और किसी दवा अस्पताल राशन की की जरूरत की चीजों के लिए सिर्फ एक व्यक्ति ही घर से बाहर जा सकता था इन सब के कारण देश में

सभी तरह का व्यापार तथा मजदूरों का बच्चे बत्तर हाल हो चुका था गरीबों को गरीबों के पास खाने के लिए रोटी भी नहीं थी आम आदमी की जिंदगी में त्राहि-त्राहि हो गई थी मजदूर अपने घर नहीं जा सकते मालिकों द्वारा रोजगार से निकाले जाने के कारण मजदूरों का जीवन नर्क बन गया था इन्हीं कारणों से लाखों मजदूर पैदल ही भूखे अपने गांव की तरफ निकल पड़े सैनिकों के छोटे बच्चे के चलते हुए अपनी जान से हाथ धो बैठे हो ना काल महाकाल साबित हुआ सबसे ज्यादा बुरा हाल रोज खाने कमाने वालों पर हुआ परंतु इस करो ना के प्रकोप में महा मध्यमवर्ग भी और संपन्न वर्ग भी नहीं बच पाया हर व्यक्ति का बहुत बुरा समय

सरकार द्वारा उठाए गए कदम सरकार ने गरीब लोगों को ज्यादा से ज्यादा राशन देने की कोशिश करें सरकार द्वारा प्रत्येक गरीब वर्ग को मुक्त राशन बांटा गया इस महामारी के काल में पूरे भारत की अर्थव्यवस्था डगमगा गई मंदी का दौर वापस आ गया इसके चलते सरकार ने श्रमिक वर्ग के लिए 170000 करोड का राहत पैकेज निकाला ताकि श्रमिकों को कुछ राहत मिल सके इसी के चलते सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा करी सरकार द्वारा श्रमिकों के छोटे व्यापारी मध्यमवर्ग श्रमिकों को कामकाज के लिए दोबारा से शुरुआत करने का प्रोत्साहन मिला, सरकार द्वारा मुफ्त का राशन बांटने का सिलसिला बढ़ता रहा था कि देश का कोई भी वर्क भूखा ना मरे लॉकडाउन के चलते सरकार द्वारा शिविर लगाए गए खाना पकाकर बांटा गया बनाई गई ताकि किसी को भी ना हो कोई व्यक्ति भूख से ना मरे सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति को संक्रमण से बचाने के लिए निर्देश देगी से कोरोना से बचने के लिए राहत निर्देश जारी किए सभी व्यक्ति मार्क्स लगाने के निर्देश दिए गए सभी व्यक्तियों को निर्देश दिए गए जरूरी काम से ही बाहर निकलने के निर्देश दिए जाने लगे अपने आप को करो ना के संक्रमण से बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग आयुर्वेदिक दवा गाड़ी की विधियां बताई गई हाथ साफ करना सैनिटाइजेशन करने के निर्देश दिए गए सरकार द्वारा कौन बना सरकार द्वारा कोविड-19 से देश के प्रत्येक व्यक्ति को बचाने में एक प्रयास यह भी था कि देश में बीमार तथा स्वस्थ लोगों का वर्गीकरण करना सरकार द्वारा इस महामारी के खिलाफ उठाया गया एक कदम था रे ड्रोन ड्रोन वह दौर था,

जिससे उसका अधिकतर लोगों अधिकतर लोग महामारी से पीड़ित थे उसे राज्यों की श्रेणी में डाला गया रेड जोन को पूरी तरीके से सील कर दिया गया रेड जोन का कोई भी व्यक्ति अपने घर बाहर नहीं जा सकता राशन का दवाई की सुविधा आपको अपने घर पर मिलेगी रेड जोन का मतलब सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र और जोखिम का जोखिम भरा क्षेत्र है ऑरेंज ऑरेंज और रेड जोन के मुकाबले जोखिम स्थिति कम होती है वहां संक्रमण का खतरा होता है और जो व्यक्ति का राशन दवाई का में बाहर जाने की अनुमति होती है का पालन करते हुए तथा करना जरूरी है गिरिडीह में आता है जहां महामारी का खतरा बहुत ही कम या ना के बराबर होता है उसे ग्रीन कहते हैं परंतु विभीषण का पालन करना जरूरी है एक ही है कि प्रत्येक व्यक्ति को बचाना है सरकार द्वारा पूरे क्षेत्र कंटेंटमेंट जोन घोषित करना करो ना के मरीजों के लिए अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा इंतजाम करना सैनिटाइजेशन पर तथा मार्क्स पर कालाबाजारी पर रोकथाम निजी अस्पतालों को कम से कम फीस पर कोरोना कोविड-19 का टेस्ट व इलाज करने का निर्देश देना व्यापारियों कंपनियों के मालिक मकान मालिकों पर किसी भी तरीके के अनुशासनहीनता पर रोक लगाना यह सभी कदम व्यक्तियों को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए आज के समय में विश्व बैंक पर भारत कोरोना कोविड-19 ग्रसित देशों में तीसरे नंबर की श्रेणी में आ गया है पहले नंबर पर दूसरे नंबर पर भारत है आज की तारीख में भारत में 7 से ज्यादा लोग बनाने में लगे हुए हैं और इसमें भारत का नाम भी शामिल है भारत की दवा बनाने में जुटी हुई है इसी के साथ-साथ सरकार द्वारा भारत को अनलॉक करने के लिए शुरू हो गई है धीरे-धीरे सभी व्यवसाय खुलने लगे हैं फिर से सभी व्यक्तियों को रोजगार मिलने लगा है दो अनलॉक हो चुकी है 1 जून से 30 जून 1 जुलाई से 31 जुलाई हम सभी आशा करते हैं भारत के साथ-साथ पूरे विश्व को कोविड-19 जल्द से जल्द महामारी खत्म हो हमारे देश और विश्व में शांति बनी रहे।

Written By Utkarsha

कोविड 19

कोविड 19 कोरोनावायरस एक ऐसी बीमारी जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जो कि इस वायरस से बचा हो।

अब यह बीमारी कोई प्रकृति का प्रकोप है या फिर बनाया गया कोई वायरस यह तो हम नहीं जानते परंतु हम तो सिर्फ इसके परिणामों को ही देख रहे हैं ऐसी बीमारी ना तो कभी आई है ना ही कभी आए हम यही कामना करते हैं। इसे बीमारी की जगह महामारी कहना और ज्यादा ठीक रहेगा। जोकि चाइना के वुहान शहर से शुरू होकर इटली पहुंची और इटली से सारी दुनिया में पहुंची।

दुनिया के बड़े बड़े देश जो हर चीज में विकास पूरक है वह भी आज इस वायरस के आगे घुटने टेके खड़े हैं। और हमारे देशवासियों का तो क्या कहना यह हमारे देश वासी हैं जो महामारी में भी लोगों का फायदा उठा रहे हैं जब शुरुआत में वायरस की खबर आई तो पूरी मार्केट से सैनिटाइजर गायब कर दिए ब्लैक में बेच रहे हैं 4:30 हजार का एक टेस्ट हो रहा है जो कि व्यक्ति को पहले भी कराना जरूरी है और ठीक होने के बाद भी कराना जरूरी है अगर एक इंसान के घर में 4 लोग भी हैं तो 18000 पहले और 18000 बाद में यानी कि ₹36000 वह सिर्फ टेस्ट टेस्ट में खर्च कर रहा है।

आखिर आम आदमी के पास इतना कौन सा खजाना है कि वह इतना खर्च करें सिर्फ टेस्ट टेस्ट के ऊपर अगर अस्पतालों की बात करें तो किसी एक मरीज को रखने के लिए ₹50000 लाख रुपए प्रति दिन के हिसाब से भी वसूले जा रहे हैं क्योंकि कोई ट्रीटमेंट बना ही नहीं है सुरक्षा है घर पर रहकर भी ठीक हो रहे हैं बीमारी की वजह से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है अर्थव्यवस्था बिल्कुल पटरी पर आ गई है न जाने कितने उद्योग धंधे कारखाने सब बंद हो गए हैं कितने ही लोग बेरोजगार हो गए कितने ही लोगों का घर खर्च का पैसा नहीं है बच्चों की फीस लेने के लिए नहीं है

क्या तो आज ही खाएं और क्या करें और जिन लोगों का काम छूट गया है क्या उनको कोई राहत है अगर कुछ लोग पेट भरने के लिए खाना भी दे रहे हैं तो सिर्फ पेट भरने से ही इंसान का जीवन नहीं चलता इंसान के जीवन में शिक्षा जीवन स्तर भी कुछ मायने रखता है इस बीमारी ने सब की छवि एकदम मिटा दिए। अमेरिका देश चौकी दुनिया की सुपर पावर होने की दावा करता था।

कोविड 19 आज कोरोनावायरस के मारे अपने दरवाजे पूरी दुनिया के लिए बंद किए बैठा है परंतु एक बात और देखने में आई है हमारे देश भारत में लोगों में जागरूकता की बहुत कमी है जब तक हमारे स्वयं के ऊपर ना बीते तब तक हम जागरूक नहीं होते।कोरोनावायरस या कोविड-19 आज के समय में एक ऐसी बीमारी है जो भारत नहीं पूरे विश्व में फैल चुकी है, और इसकी चपेट में आ चुका है।

बीमारियां बहुत है इस दुनिया में वर्तमान में कई कारण भी है परंतु विषाणु जनित बीमारी सबसे खतरनाक आज के समय में है बीमारी के वैसे तो कोई कारण होते हैं जैसे कि बैक्टीरिया प्लाज्मोडियम सूक्ष्म जीव आदि परंतु आज के समय में हमारा रहन सहन भी बीमारियों का एक बड़ा कारण बन चुका है हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कम हो चुकी है।

भागदौड़ भरी जिंदगी और शारीरिक क्षमता को हमने बिलकुल छोड़ दिया है शारीरिक कार्य बिल्कुल कम कर दिया है अधिकतर ऑफिस में एक ही सीट पर पूरा दिन एक ही बैठा रहता है मैं तो कोई शारीरिक श्रम करता है ना उसे कोई पसीना आता है ना वह पर्यावरण के वातावरण के संपर्क में आता है एक कंप्यूटर चेयर कि आज के समय में इंसान के जीवन बन गया है। हमने पर्यावरण से जैसे-जैसे डोरी बनाना शुरू किया है हम बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं।

और पूरे विश्व को भी हमने खतरे में डाल दिया है विषाणु को इस पूरी दुनिया में कहीं कोई इलाज नहीं है विषाणु से केवल बचाव किया जा सकता है हमें भी अपनी ओर से पूरी सावधानी का पूरा बचाव रखना चाहिए दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए लापरवाही बिल्कुल नहीं बदलनी चाहिए हम जानते हैं कि पूरे विश्व में कितने व्यक्तियों की मृत्यु किस वायरस की वजह से हो चुकी है इसलिए हमें जितना हो सके सावधान रहना चाहिए घर पर रहते हुए हमें सभी देशों का पालन करना चाहिए। अपने आप को प्रकृति से भी जोड़ना चाहिए शारीरिक श्रम करना चाहिए थोड़ा व्यायाम भी जरूरी है भोजन मैं भी हमें बदलाव करना चाहिए

Written by Pritam Mundotiya

कोरोना काल

कोरोना में जनता कर्फ्यू  का आवाहन

21 दिनों के कोरोना lockdown से पहले जब नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने जनता कर्फ्यू का आवाहन किया जिसमें सभी देशवासी अपने अपने घरों में रहे जिसके साथ ही सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाए सभी लोग एक दूसरे से कम से कम 2 फीट कि दूरी बनाकर रहे।

मोदी जी की इस बात को तो पूरे देश ने उनका उत्साह ओर उल्लास के साथ मोदी जी का समर्थन किया और साथ सभी भारत देश वासियों ने थालिया , ढोलक , शंख , बर्तन आदि को बजाकर उन सभी सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जो इस युद्ध में अपनी जान पर खेलकर दूसरो की सेवा कर रहे है।
ध्वनि की गूंज से समस्त विश्व गूंज उठा हर जगह सिर्फ ध्वनियां गूंज रही थी और भयमुक्त घोषणा का प्रारम्भ किया गया कि अब युद्ध शुरू किया जाए हम सभी इस आपके साथ है और आपकी आज्ञा का पालन होगा।

उसके तुरंत बाद ही मोदी जी ने जाता को संबोधित करके 21 दिन का लॉकडॉउन लगा दिया था जब जनता कर्फ्यू  ख़तम हुआ

मुख्य पात्र एवम् घटनाएं
मुझे एक बात ध्यान अाई जब हम बहुत तेज दौड़ रहे होते है तब हमें हमारे आसपास से गुजर गई चीजे ध्यान से नहीं दिखती परन्तु जब हम धीरे धीरे चलते है तो उन सभी दृश्यों का पूरा आनन्द का लेते है जिनके आसपास से हम गुजर रहे होते है या वो हमारे पास से गुजर रहे होते है।
समय बहुत धीमी गति में इसलिए ध्यानपूर्वक देखे बहुत सुंदर सुंदर घटनाएं ओर दृश्य दिखेंगे

“जैसी जाकी भावना वैसा मन होए”

समय बहुत तेज़ दौड़ रहा था या इंसान आपधापी में लगा हुआ था लगातार इंसान भाग रहा था उसकी जरुरते तो कम थी लेकिन वो बस ना जाने क्यों भाग रहा था यह उस इंसान को भी नहीं मालूम था शायद जिसका एहसास दिलाने प्रकृति ने इंसान कि चाल में कुछ फर्क कर डाला है
कुछ ठहराव अब इंसान में शायद नजर आया है लगता है इंसान की सोच में भी कुछ फर्क अब नजर आने लगा है

जिस गति से समय चल रहा था अब उस गति में नहीं है
समय की चाल भी समझ नहीं आ रही थी आडी टेडी तिरछी सी कुछ हो रही थी अब ऐसा लगता है चाल सीधी हो रही है पृथ्वी की स्तिथि ओर परिस्थिति पर तभी फर्क पड़ता है जब ग्रह , नक्षत्र आदि अपनी जगह से परिवर्तित हो लेकिन क्या अब उनकी दिशा में परिवर्तन है या वो भी रुक गए है ?
ग्रह, नक्षत्र भी अब सीधी चाल में आ गए है ??
समय एक रुकी हुई घटना मे है या अब भी चल रहा है या फिर समय की गति धीमी हो गई है ?
क्या अब से पहले ऐसा हुआ है ?
चारो काल में ऐसा कभी नहीं हुआ जैसा 2020 में हुआ है कि मंदिर बंद हुए हो लेकिन अब हुआ
क्या सभी देवी , देवता अपने अपने स्थान पर चले गए है?  ओर इस संवाद को सुन रहे है जो पृथ्वी पर हो रहा है
इस समय सभी मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारे , गिरजाघर बंद है
लगातार प्रकृति संदेश दे रही है
पूरी अर्थव्यवस्था मतलब लक्ष्मी रुकी गई कहते है लक्ष्मी जी हमेशा चले तो शुभ माना जाता है यदि रुके तो अशुभ होता है यहां किसी एक देश की नहीं पूरे विश्व में सबकुछ रुक गया है।

“वासुदेव कुटुंबकम्”

यह प्रमाणित होता है कि सिर्फ भारत ही नहीं पूरा संसार एक कुटुंब कि भांति है जिसे इस मानव ने विभाजित किया है।
यदि अब भी 26 देश चलायमान स्तिथि में है तो इससे अभिप्राय यही है कि कुछ संवाद वहीं पर हो रहा है यह एक संकेत मात्र हो सकता है
उन देशों की क्या स्तिथि है?  यह जानना आवश्यक है क्युकी वह देश अभी तक Corona
की चपेट में नहीं आए है और यदि आएंगे तब क्या ?
क्या वो भी संक्रमित हो रहे है ?

190 देश अभी तक प्रभावित हो चुके है इस वैश्विक महामारी से
कुल 216 देश है इससे अभिप्राय यह कि अभी भी 26 देश बाकी है क्या वो जैविक अणु से प्रभावित होंगे या नहीं ? यह भी एक सवाल ही है।
परन्तु यह समय काल भी मूक है जो सिर्फ काल की भांति अग्रसर है
श्री मद भागवत गीता में श्री कृष्ण कहते है मै काल हूं बढ़ा हुआ मै सबका विनाश करने के लिए बढ़ रहा हूं
क्या यह समय युग परिवर्तन का तो नहीं है ?

समय रुका हुआ है पूर्णतया रुका नहीं है परन्तु एक शांत लहर है जिसमें सबकुछ हो रहा है लेकिन सब हमारे भीतर ही ही रहा है  जो भी परिवर्तन हो रहे है वो हमारे भीतर ही ही ही रहे है बाहरी कुछ नहीं हो रहा है
हम सभी पत्थर की भांति है हमें कुछ नहीं पता क्या हो रहा है? सभी मूर्छित है यही मानो मुर्छित का भाव यह है कि हमारा जीवन पुनः शुरू होगा लेकिन क्या हमारी मानसिक स्थिति में बदलाव आएगा या नहीं ?

हां जब कोई अवतरित हुआ है या श्री मद्भागवत गीता का उपदेश हुआ है।
क्या वहीं संवाद पुनः शुरू हुआ है? क्या इस समय पृथ्वी पर अर्जुन और कृष्ण संवाद चल रहा है?
या वो संवाद हमारे भीतर चल रहा है?
इस समय हो क्या रहा है ?

जैसा कि कुछ भविष्यवक्ताओं ने लिखा था
कि कलयुग के अंत में  कल्कि अवतार होगा एसी कोई घटना हो रही है ?
जब जब धर्म की हानि होगी तब तब मै आऊंगा
क्या एसा कुछ हो रहा है ? क्या इस श्लोक के माध्यम से हम यह समझ सकते है कि अधर्म इतना बढ़ चुका है अब योगेश्वर श्री कृष्ण अवतरित हो चुके है ?
कल्कि में से क अक्षर की उत्पत्ति हुई है
अब बुद्धि कुमति से सुमति की और बढ़ रही है अर्थात  माता सुमति है
और पिता विष्णु यश भी है
जैसा संकेत है विश्व में अणु रूप से व्याप्त विष्णु

“कलयुग केवल नाम अधारा जपत जपत हो उजियारा”

पूरे चराचर जगत में प्रभु गुणगान भी है इस समय लोग लगातार जप, तो ,पूजा ध्यान आदि में प्रवृत्त हो रहे है।
साथ ही नवरात्रे आए है माता के नौ दिन माता ने भी आकर अपना संदेश दिया है यह समय आत्म मंथन का है
क्या इस पृथ्वी पर कोई अर्जुन है जिसे श्री कृष्ण गुह्य ज्ञान दे रहे है साथ ही जो इस समय वेद वाक्य पर चर्चा कर रहे है ?
प्रकृति अपना आवरण क्यों बदल रही है क्या अति हो चुकी है ? तामसिक प्रवृति पूरी तरह से रुकी हुई है सिर्फ सात्विकता है। तामसिक आवरण हटाना या तमसिक्ता की परत को हल्का करना ही इस समय की मांग है
इस समय पूरी दुनिया शाकाहारी भोजन ही प्रधानता है कुछ पढ़े लिखे गवार जो हमेशा यही कहते है को फूड चैन
लेकिन क्या अब नहीं सब कुछ सही चल रहा है या अगले 21 दिन तक नहीं चलेगा ?
भगवत गीता में आहार पर भी कहां गया है
तामसिक
राजसी
सात्विक
इस समय आप कौनसा भोजन कर रहे है ?
पूरा विश्व सात्विक भोजन ही कर रहा है
प्रकृति भी तामसी आवरण को हटाकर सात्विक आवरण की और बढ़ रही है, स्वास ले रही है प्रकृति और मानव मौन हो गया है वह कुटिया में बैठ गया है

विचारो में जो शुद्धि आ रही है वह भी सात्विक हो रही है
कर्मो के द्वारा भी किसी की कोई हानि नहीं ही रही है इसका भी यही निर्देश मिल रहा है कि कर्म भी सात्विक ही हो रहे है।
हम किसी के लिए बुरा नहीं सोच रहे बल्कि हर किसी की मदद करने की सोच रहे है , वाणी से भी किसी का अहित नहीं कर रहे यदि हम दूर भी है तो भी किसी भी सोशल मीडिया साइट के द्वारा किसी को बुरा नहीं बोल रहे तथा यह बोल कर रोका जा रहा है कि मैं आपसे बहस नहीं करना चाहता यदि मै आपको पसंद नहीं तो आप दूर हाट सकते है लगातार संदेश और एक ही और इशारा हो रहा है कि स्वयं के साथ जीवन

कोरोना काल में Self Isolation कर्ण कवच जिससे हमारा तात्पर्य यह की घर के भीतर ही रहना और साथ ही घर की चौखट को नहीं लांघना यहां पर आपको आपकी सीमा मै ही रोका जाता है
जिसे लक्ष्मण रेखा कहते है यहां हमारे बहुत सारी नीतियां चलाई जिसके तहत हमें सफलता हासिल हो सके।
जब तक यह कवच है तब तक हमारा कोई अहित नहीं कर सकता इसलिए इस कवच का पालन कीजिए आपके ऊपर शायद कुछ परेशानियां आ सकती है परन्तु आप इस कवच को मत तोडिएगा तभी आप सलामत रहेंगे साथ ही लक्ष्मण रेखा को पार मत करिएगा

हम यूं कहे कि स्वयं के साथ रहे , लोगो से भावनात्मक दूरी रखे , शारीरिक दूरी रखे तथा स्वाध्याय में जुट जाए स्वयं का अध्यन करे यही भागवत ज्ञान सप्ताह है सात दिन , चौदह दिन और जो इक्कीस दिन चलता है आपको 21 दिन मिले है आप कितने तेयार हो सकते है अब यह आप पर निर्भर करता है।

राजा परीक्षित को 7 दिन मिले थे उन्होंने अपना जीवन पूर्णतया बदल लिया था हमें इस समय का लाभ उठाना चाहिए जीवन बहुत अमूल्य वस्तु है इस शरीर को यूं ही व्यर्थ ना कीजिए इससे जो अनुभव मिलते है वो बहुत आनंदित होते है विश्वास कीजिए मै आपसे अपने अनुभव से कह रहा हूं। 
कुछ लोग कहते है अभी यह भागवत पढ़ने की उम्र नहीं हुई , या बहुत कुछ है डर लगता है पढ़ने से ऐसा बिल्कुल नहीं है मै 14 साल की उम्र से भागवत का पाठ कर रहा हूं और अब भी कर रहा हूं और बहुत बार पढ़ चुका और सुन चुका और अब भी लगातार पढ़ता हूं और सुनता हूं मेरे जीवन की सभी समस्यायों के हल , जीवन से जुड़े जितने प्रश्न थे उन सभी का समाधान मुझे श्री मद भागवत गीता में मिला और अनेकानेक  रहस्य है जिनको मैने जाना और यह सभी रहस्य  बहुत स्पष्ट शब्दों में दिए हुए है।

इस समय की स्तिथि और परिस्थिति भी मैने आपको भागवत के शब्दों से ही बताई है।
लगातार प्रकृति हमे संदेश दे रही है जो हम सभी प्राणी मात्र को समझने चाहिए और प्रकृति के आदेश व निर्देशों का पालन करना चाहिए।
क्युकी सीधा संबंध प्रकृति के साथ है हमें प्रकृति ही संदेश देती है और हम उसी के अनुरूप कार्य करते है।

कोरोना काल में प्रकृति का संदेश समझिए

पूरे विश्व में भय कि एक स्थिति है पूरा विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है  इसके विपरित कुछ और है क्या ???
जब श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश शुरू करते है तब अर्जुन की यही दशा होती है वो भय से भरा  होता है उससे श्री कृष्ण के वचन सुने नहीं जाते उसका रोम रोम कांप उठता है और उसे एसा लगता है कि वह कुल घाति , कुल द्रोही कहलाएगा यदि वो अपनी रूढ़िवादी परंपराओं से छुटकारा पा जाएगा तो जो उसने अपने ऊपर थोप ली है

“भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है यह किसी को नहीं पता”

हमें नहीं पता कि भविष्य के गर्भ में क्या है?
जिस प्रकार से महाभारत में कई योद्धा , दोनों तरफ से आ रहे थे उसी प्रकार यहां भी संकट आ रहे है लगातार परिस्थिति बदल रही है

एक नया संकट तब्लीग़ी जमात जो 1927 में शुरू हुआ था  यह इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रसार करने के लिए विदेशी यात्रा करते है और अपने इस्लाम धर्म का प्रचार करते है

परन्तु इस समय यह एक प्रकार का चलता फिरता बम जिससे पूरी दुनिया बचना चाह रही है यह लोग किसी भी चीज पर अपनाथुक लगा रहे है , यदि वो कहीं जा रहे है तो थूक रहे है , सब्जी,फल, अन्य खाने पीने के समान पर भी यह लोग थूक रहे है , बल्की इन लोगो ने पुलिस कर्मियों पर भी थूका जिससे की यह बीमारियां फैला रहे है इनका उद्देश्य तो ऐसा लग रहा था है कि यह बीमारी और फैले
अब लोगो की मानसिकता क्या है ?

क्युकी इस अस्त्र का अभी तक कोई इलाज नहीं है इन लोगो में वो संक्रमण है Corona जिसका इलाज अभी तक नहीं मिला पूरी दुनिया Corona का इलाज ढूंढने का प्रयास कर रही है परन्तु मंजिल अभी दूर ही लगती है लगता है अगले कुछ महीनों में ही सफलता हासिल होगी परन्तु तब तक क्या होगा ? जन जीवन सामान्य हो पाएगा ?

भारत में चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह अभी तक नहीं दिखे आज पिछले 10 दिनों से वो कहा है ?
क्या कर रहे है ?
ऐसा कौनसा कार्य है जो इस समय उनके लिए बेहद जरूरी है लेकिन कॉरोना का संकट काल जरूरी नहीं लग रहा है क्या ??

पूरे विश्व में आसमान साफ हो चुका है जीव जंतुओं पर अत्याचार कम होने लगा है उनका सेवन बंद हुआ है परन्तु आज 10 दिन पूरा होने पर  दुबारा चीन से यह खबर अाई की उन्होंने दुबारा मांसाहार का सेवन शुरू कर दिया है इससे क्या समझा जाए ?

इटली में लोगो ने पैसे रोड पर फैक दिए है उन्हें यह समझ आने लगा है कि पैसा कोई महत्व नहीं रखता जीवन ज्यादा मूल्यवान है , जीवन की खुशियां ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा सिर्फ हमारी कुछ जरूरतों को पूरा करता है परन्तु हमारा जीवन नहीं लौटा सकता।

एक बहुत बड़ा सवाल यहां ये खड़ा होता है कि इस lockdown के बाद स्तिथि कैसी होगी ? लोगो का नजरिया कैसा होगा ?

सोचने ओर समझने कि प्रक्रिया में क्या बदलाव होंगे ?
शिक्षा में कुछ बदलाव होंगे ? या दुबारा से हम वैसे ही उसी तेज़ जिंदगी में उलझ जाएंगे ? भूल जाएंगे यह सब क्या हुआ?  इन इक्कीस दिनों में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा परिणाम क्या है ? क्या हम यह समझेंगे या फिर सब कुछ भूल कर फिर वही भगा दौड़ी वाली जिंदगी में लौट जाएंगे

कुछ नहीं बदला

वैश्विक मंदी मानव कृत या प्रकृति का दण्ड हर एक बात के एक से अधिक पहलू होते है उसी तरह यह समय भी बहुत सारे पहलुओं को दर्शा रहा है।
मानव करता तो है परन्तु उस अंदेशा नहीं होता कि उसके इन कृत्यों में क्या क्या छिपा होता है इंसान सिर्फ अपने मद अहंकार में भरा होता है उसे लगता है वहीं सर्वोपरि है और कोई नहीं है परन्तु इन कृत्यों का अंत प्रकृति ही करती है।

जिस प्रकार महाभारत के समय शकुनि और अन्य लोगो ने चोसा खेल षड़यंत्र रचा था उसी प्रकार चीन देश  ने भी सभी देशों के लिए कोई षड़यंत्र रचा है जिसमें ज्यादा हानि इटली , और अमेरिका की दिखाई दे रही है उसने यह जैविक हथियार बनाकर पूरे विश्व में फैला दिया और वैश्विक मंदी का शिकार बना दिया तथा सभी देशों पर अंकुश लगा दिया है कोई भी देश अपनी सीमा से बाहर नहीं आ सकता है और ना ही जा सकता है। जिस प्रकार से चक्रव्यूह की रचना की गई हो इसमें सभी देश , लोग जहां , जिस स्थिति में है वहीं ठहर गए है उनका आगे बढ़ना और पीछे हटना दोनों ही मुश्किल हो गया है।

अब भारत देश के प्रधान मंत्री जी ने दिन रविवार  5 अप्रैल को रात 9  बजे 9 मिनट के लिए सभी देशवासी अपने घरों में व घर के बाहर दिए , टॉर्च , मोमबत्ती जलाए जिससे अंधकार रूपी Corona दूर हो सके साथ ही उन सभी लोगों का मनोबल बढ़ाया जाए जो दिन रात कठिन परिश्रम कर जन समुदाय को बचाने की कोशिश में लगे हुए है

दिए जलाने के पीछे वैज्ञानिक दृष्टि , ज्योतिषी विज्ञान क्या है? क्या ये एक ब्रह्मास्त्र है ?
मै मानता हूं कुछ लोगो को तकलीफ होती होगी जब भी हमारे प्रधानमंत्री कुछ करने के लिए कहते है तो परन्तु हम सभी धर्म जाति वर्ग विशेष से ऊपर उठकर सोचना चाहिए क्युकी जब प्रधानमंत्री कुछ करने के लिए कहते है तो 135 करोड़ लोग किसी भी कार्य को एक साथ करते है तो उसका प्रभाव तीनों लोक पर पड़ता है
इस बात से तो मुझे लगता है सभी धर्म सहमत होंगे की जनसमुदाय में किया गया कार्य पूरी कायनात मंजूर करती है।
उसी प्रकार जिस प्रकार आपने ध्वनि का उच्चारण किया तो वह ध्वनि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में गूंज गई ,
यदि आप दीप ज्वलित करते है तो उसका प्रकाश भी पूरे ब्रह्माण्ड पर असर करता है।
यदि सूर्य का प्रकाश हमें मिल रहा है तो को हमारे दीपक , मोमबत्ती का प्रकाश भी सभी को मिलेगा
इसके अलावा हमारा एक भाव , एक एहसास , एक वचनबद्ध , एक कार्य व किर्या आकाश लोक तक नहीं जाएगी ?
यह मै आपसे पूछ रहा हूं क्युकी मै जानता हूं
निश्चित ही स्वीकृत होगा
जो लोग किसी भी धर्म को मानते है उस बात का कोई मायने नहीं है परन्तु आप प्रार्थना तो करते है वह कहीं से कैसे भी हो सकती है उसकी आवाज , उसकी ज्योति आकाश लोक तक अवश्य जाएगी।


यह नए नए शब्द आए है यह पुराने ही शब्द थे किन्तु अब इनको एक नया रूप , कार्य , दिशा , निर्देश दिया गया है जिनकी सहायता से हम अपने जीवन को एक नई दिशा अवश्य देंगे

Self quarantine , Self isolution
Home quarantine , social distancing ,

मरीज को 14 दिनों के लिए अकेले रखा जाता है ताकि वो संक्रमित रोग से बच सके उसकी इच्छा शक्ति , ओर लड़ने की शक्ति देखी जाती है कितनी है जिस प्रकार युद्ध में लड़ रहा सैनिक वीरगति को प्राप्त हो जाता है उसी तरह यहां भी हो रहा है

यह समय एक तरह से आकस्मिक मृत्यु काल का समय भी है जिसमें समय अवधि है

जब तक पेड़ से पीला पत्ता नहीं जाएगा  अर्थात पुराना पत्ता नहीं टूटेगा पेड़ से तब तक हरा पत्ता कैसे आएगा ?
यह तो प्रकृति का स्वाभाविक नियम है जिसे हम सभी परिवर्तन कहते है
इसलिए इस समय ज्यादा घात ज्यादा उम्र के लोगों को हो रहा है स्वत ही वह टूट रहा है एक प्रक्रिया चालू कर दी है काल ने ग्रास करने की उस प्रक्रिया से पुराना पत्ता टूट रहा है।

संग दोष बचना चाहिए अब यही समय जब हमें संग दोष भी नहीं हो रहा है आपको जिनका संग विधाता ने दिया आपके कर्मो के अनुसार आप उन्हीं के संग अभी है तथा वहीं संस्कार आपको मिल रहे है इसलिए जीवन को और ज्यादा अनुभव के साथ जिये
और इन्द्रियों का सुख तो मूढ़ तथा पापायू लोग करते है। इस समय इन्द्रियों को भोगने वाले सभी कार्य लगभग ना के बराबर ही है जैसे कि मदिरा पान , मांस भक्षण , आदि कार्यों का स्वत ही बंद होना ये संदेश देता है कि यह किसी भी प्रकार से हमारे जीवन के लिए नहीं है।

नियत कर्म क्या है ?
कर्म सिर्फ एक ही है उस परम पिता परमेश्वर की पूर्णतया भक्ति में लीन हो जाना इसके विपरित दूसरा कोई कर्म नहीं है।
प्रकृति एक संदेश दे रही है उस संदेश को समझने का प्रयास कीजिए
आप अपना आहार और व्यवहार नहीं बदलेंगे तो प्रकृति इससे भी कठोर दंड दे सकती है इसलिए वक़्त रहते ही समझ जाए।
प्रकृति यह संदेश दे रही है कि तामसिक प्रवृतियों को बंद कर दीजिए और सात्विकता की और रुख कीजिए।

“कुमति निवार सुमति के संगी”

जब आप एकांत , ध्यान में होते है प्रकृति की छत्र छाया में होते है तब आपके भीतर बहुत सारे अच्छे विचारो का संचालन होने लगता है और तब बुरे विचारो से मुक्त होने लगने है और  आप अपनी सारी दुरबुद्धी को बाहर निकाल देते है और सुमति का आचरण करते है

ऐसा ही हर जगह देखने को मिल रहा है बेशक हम सभी कुछ घबराए हुए है लेकिन घबराहट तो उस अर्जुन को भी हुई थी अर्जुन तो क्षत्रिय था तब भी वो घबराहट से भरा हुआ था
जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यज्ञ निहित कर्म करने को कहा था
आज हम सभी को भी प्रकृति प्रेरित कर रही है और हम भी शायद प्रेरित हो रहे है तभी हम  सभी लोग सकारात्मक सोच की और बढ़ रहे है
इस मुश्किल घड़ी में , फेसबुक , वॉट्सएप, ट्विटर, आदि कहीं भी सोशल मीडिया पर इस समय कोई राजनीतिक , सामाजिक , बुरी ख़बर नहीं है ना ही कोई लड़ाई झगड़ा आदि इत्यादि है जैसा कि हम सुबह से शाम तक इतना स्क्रॉल करते है तब हमे ना जाने कितनी ही नकरात्मक खबरे पढ़ने को मिल जाती है कभी किसी को ट्रोल करते है तो कभी किसी गालियां देते है परन्तु आज हम सभी एक दूसरे को सिर्फ यही कह रहे है।

‘Social Distancing’

कोरोना सभी देशों में एक ही शब्द गूंज रहा था social distancing एक दूसरे से दूर रहे अर्थात उचित दूरी बनाए रखे ताकि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित ना कर सके स्वयं को भी बचाए और दूसरो को भी बचाए

कोरोना काल में “घर में रहिए कुछ ना करिए”

स्वयं को सुरक्षित रखीए व अपने परिवार को सुरक्षित रखीए अब हमारी सिर्फ एक यही कोशिश है कोरोना को हराने की जिस पर हम जीत जरूर हासिल करेंगे।
हाथ मिलाना , गले लगना कोई जरूरी नहीं है हम नमस्कार करे तो ज्यादा बेहतर है नमस्कार का अर्थ यह है कि सामने वाले के ह्रदय में विराज रहे प्रभु को नमस्कार करना।
हर क्षण प्रभु का स्मरण रहे , हर समय हमें आदर सरकार की भावना को संजोए रखे यही हमारे जीवन का उद्देश्य है जो प्रकृति हमें संदेश दे रही है हाथ मिलाने से दूसरे के में में किस प्रकार के विचार है यह हमें नहीं पता होता इसलिए हमे उन विचारो को शांत करने के लिए नमस्कार की मुद्रा को अपनाना चाहिए और प्रभु स्मरण करे।

हमारे विचार आचरण सभी शुद्ध हो रहे है इससे तात्पर्य यह की प्रकृति अपने ऊपर से एक परत,एक आवरण  हटा रही है। जो तामसिक परत है उसे हटाकर सात्विकता की और बढ़ रही है मांस खाने से लोग घबरा रहे है , जीवो के बारे में लोग सोच रहे है यही सुमति है , यही सुविचार है,  कुमति से मुक्ति है , बुरे विचारों से दूर होना है कुमति को निकाल देना है,और अच्छे विचारो का समावेश करना है।

प्रकृति के संदेश को कभी भी नजरअंदाज ना करे प्रकृति के साथ सदैव जुड़े रहे हर एक घटना आपको एक संदेश देती है परन्तु आप उस संदेश को सजगता से नहीं देखते उस पर हम ध्यान नहीं देते

भारत पूरी दुनिया के लिए सदा ही अध्यात्म गुरु रहा है
भारत ही वो देश है जहां लोगो को एक ना एक बार अपने जीवन काल में आना अतिआवश्यक है क्युकी भारत ही आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र है जहां पर आध्यात्मिक शिक्षा पूर्ण होती है सभी के लिए चाहे वो इस संसार में कहीं भी रहता हो

भारत को ढोंग और अंधविश्वास का नाम तो पिछली कुछ शताब्दियों में दिया गया है क्युकी कुछ मूढ़ बुद्धि के प्राणी  हमें गुलाम बनाना चाहते थे  परन्तु उन्हें नहीं पता कि हम स्वाध्याय करते है हमारा जीवन ही स्वाध्याय में बीता है हम किताबो के मोहताज नहीं है हम स्वयं की खोज करके ज्ञान को प्राप्त होते है, और यह वही समय है जब भारत पूरी दुनिया को जीना सिखाएगा 
भारत ही विश्व गुरु कहलाएगा।

तनाव ,अकेलापन यह सब हमारे जीवन पर कभी भी हावी नहीं हो सकता क्युकी हम पहले से एकला चालों वाली राह पर है। असंग होना तो हमारे जीवन का पहला मुख्य लक्ष्य है
एकांत भाव में रहना , स्वयं के साथ होने से नए नए अनुभव को जन सामान्य लोगो के सामने लाना ताकि वो सभी उसी राह पर चल सके , मृत्यु ओर जीवन इन सबसे ऊपर उठना ही हमारा परम लक्ष्य रहा है।
आओ दुनिया को उसी राह पर ले चले वहीं सन्देश दोहराए 

वासुदेव कुटुंबकम्
शब्दों का परिवार
इस वचन को जन जन तक फैलाए
कृष्ण बंदे जगतगुरू सभी के लिए एक ही मूलमंत्र है
स्वयं का न्यास संन्यास स्वयं में रहना ही संन्यास है घर छोड़कर चले जाना संन्यास नहीं है।

#Rohitshabd