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बहाना और जवाब

बहाना और जवाब बहुत सारे लोगों के पास के बहाने होते है ओर वो अपने जीवन को बहनों के साथ ही व्यतीत करते है, ओर कुछ लोगों के पास बहाने नहीं होते वो उनका जवाब देते है, अपने जीवन में उन बहनों का सहारा नहीं लेते, अपने कर्मों को करते हुए आगे बढ़ते जाते है, ओर जो सफलता हासिल करना चाहते है वह बहाने नहीं बनाते।

बहाना  :- मेरे पास धन नही….

जवाब :- इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था, उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े…..

बहाना और जवाब
बहाना और जवाब

मुस्कुराओ

मुस्कुराओ ….क्युकी दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है, जो मुसकुराता है वो दुनिया को बदलने की हिम्मत रखता है, उसका विश्वास अपनी मुस्कुराहट से ओर बढ़ जाता है, वो मुरझाए हुए चेहरों को फिर से नई जान देता है, उनके भीतर नई ऊर्जा भर देता है।

मुस्कुराओ क्युकी दुनिए का हर आदमी कहिले फूलों ओर कहिले चेहरे को पसंद करता है।
मुस्कुराओ

मुसकुराना मानो दुनिया का खुद से ही बदल जाना है, मुसकुराना एक कला है भीतर चाहे कितने ही दुखी दुखी लेकिन आपके होंठों पर मुस्कुराहट दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट भर देता है।

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मन

मन क्या है? क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है यह शरीर से अलग है जो हमारे शरीर को चलायमान रखता है स्वयं नित कार्यों में मग्न रहता है और शरीर को भी वहीं आदेश देना चाहता है।

मन की गति बहुत तेज़ है, शरीर की वह गति नहीं है, शरीर धीमा है, यदि शरीर में मन आवागमन की गति आए तो शरीर इस ब्रह्माण्ड में कहीं विचर सकता है परन्तु यह करने के लिए बहुत तपस्या करनी होगी।

हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह स्वभाव है यह की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ अलग अथवा नए कार्यों की तलाश में रहते है और उन्हीं कार्यो को करना चाहते है खाली बैठ नही पाते जिसकी वजह से  मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।

हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ? या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै?
 
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है यदि हम पिछले दिन दिन में 2-4 के बीच सोए थे आज फिर शरीर उसी की मांग करता है परन्तु मन के साथ एसा नहीं है बिल्कुल भी नहीं है, नए कार्यो में लगाना चाहता है ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था वही दुबारा चाहता है उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है।

मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है अर्थात नया चाहता है इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है तो दूसरे छोर की और भागते है एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है एक मिनट भी हमें यह हमारा मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।

और इस मन को जिसने जीत लिया वहीं जीत जाता है और जो इससे हार गया वहीं हारा हुआ कहलाता है।

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बर्ट्रांड रोसल

बर्ट्रांड रोसल मैंने हिंदुतत्व को पढ़ और जान लिया की यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है, हिंदुतत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिंदुतत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे एक दिन एस आएगा की हिन्दू ही दुनिया की वास्तविकता उतएजन होगा।

बर्ट्रांड रोसल
Burtrand rosal

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।

जो मन के भीतर है दबा कहीं, यह कोशिश है उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन, कभी इस जीवन एमी संतुलन आता है तो काभी असंतुलन बस यह जीवन यू ही चलता है, इस जीवन को बेहतर करने की कोशिश में लगे रहना ही है, यही कोशिश हो हमारी हर समय अवसर की खोज रखे जारी।

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की, कुछ पाने की,
कुछ कह पाना,
कुछ समझा पाना,
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना भी संभव नहीं दिखता बस यू ही यह जीवन चलता फिरता

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दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए।

आप दिल की सुनते है या दिमाग या फिर आप दोनों की बातों पर गौर करते है, आपका दिल आपको ज्यादा प्रभावित करता है या दिमाग, दिमाग तो बहुत कठोर निर्णय लेता है लेकिन हमारा दिल बहुत हल्के क्युकी दिल बहुत जल्दी भावुक हो जाता है, इसी भावुकता में कई बार फैसले जो नहीं लेने चाहिए वो भी लिए जाए है।

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतेगा, ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा, यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है, कई बार तो वापस अपनी राह पर आना भी बहुत मुश्किल हो जाता है, खुद को संभालना भी मुश्किल हो जाता है, हमारी राहे काही गुम हो जाती है, क्युकी दिल ओर दिमाग की दुविधा बहुत बढ़ जाती है।

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क्रिकेट

क्रिकेट पूरी दुनिया में इतना लोकप्रिय क्यू है ? यह खेल सिर्फ खेल नहीं है, इस खेल को देखने में रुचि तो बढ़ती ही है साथ ही यह खेल आपको बहुत कुछ सिखाता है, आपके जीने के नजरिया को बदल देता है, आपके भीतर कुछ कर गुजरने की इच्छा को प्रबल करता है, आपको हिम्मत देता है।

कभी न हार मानने जैसी सोची बढ़ावा देता है।

जैसा की कहा जाता है क्रिकेट अनिश्चित घटनाओ का खेल है कब हो जिंदगी में ओर क्रिकेट ये किसी को नहीं पता इसलिए आखरी बाल तक मैच का रुख बादल सकता है, किसकी जीत किसकी हार ये कोई नहीं कह सकता बाजी कभी भी पलट सकती है। यही आपकी जिंदगी भी आपको सिखाती है।

इस खेल पूरी टीम एक तालमेल के साथ चलती है अकेला कोई नहीं जीत नहीं सकता उसने इतने रन बना दिए जिसकी वजह से हम जीत गए , परंतु बोलर ने गेंद भी डाली है तभी उतने रन बने है, फील्ड का योगदान, जो आपके साथ रन लेने के लिए दौड़ रहा है उसका योगदान हर किसी का योगदान होता है आपकी सफलता के पीछे आप अकेले भी बहुत अच्छे है लेकिन उन सभी के साथ आप बहुत अच्छे बन गए है तभी आप यहाँ तक पहुच पा रहे है, ओर इस बात को आप ना भूले

जो खेल में सफल नहीं हो पाते ओर आपकी टीम के साथ होते है आपको योगदान देते है लेकिन उनका साथ भी बहुत जरूरी होता है। सबका साथ ही आपकी सफलता है।

इस खेल में आप की हार के साथ ओर भी बहुत लोग हारते है सिर्फ आप नहीं हारते आप एक टीम होकर हारते है, आपको पूरा देश समर्थन करता है, बहुत सारे को तो हम लोग जानते भी नहीं है, ओर उन खेलों को हम लोग तवज्जो भी नहीं देते है जिस खेल को हम आदर सम्मान दे रहे है लोगों की भावना इस खेल के साथ जुड़ी हुई है।

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दिन की उम्र 24 घंटे

दिन आता है , दिन चला जाता है इस दिन की उम्र 24 घंटे ही है लेकिन ये संपूर्ण संसार को कार्यरत होने के लिए बाध्य कर देते है कुछ न करने के लिए , क्या आपके जीवन में भी स्वयं को बाध्य करने के लिए कोई नियम है ?  उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य बड़ा होना चाहिए।

दिन की उम्र 24 घंटे
समय

हमे अपनी उम्र से बड़ा कार्य करने के लिए सोचना चाहिए, हम सभी के पास समय की एकदम बराबर मात्रा होती है हर दिन लेकिन हम उस समय का सदुपयोग किस तरह से करते है यह बात बहुत म्हटवपूर्ण है, यदि हम समय की हानी करते रहे तो समय कब समाप्त हो जाएगा हमे पता नहीं चलेगा ओर हमारे पास कुछ नहीं होगा, सुख ओर दुख भी समय की सीमा में है, इनका आना जाना भी समाए के अनुसार ही होता है। इसलिए हमे हमेशा सोच समझकर ही अपने समय का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमारे दिन की उम्र तो 24 घंटे ही है लेकिन इन 24 घंटों का इस्तेमाल आपको ही करना है, आप इन 24 घंटों का इस्तेमाल कहाँ करेंगे यह निर्णय भी आपका ही होता है, कोई ओर इस समय का निर्णय नहीं ले रहा।

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कर्म से भाग्य

कर्म से भाग्य बदल सकते है, ये बात क्या पूर्णतया सत्य है ?
जी हाँ, कर्म से आपके भाग्य में बदलाव होता है साथ ही जो हाथ की रेखाए उन्मे भी परिवर्तन होता है, ऐसा अनुभव से ही कह पा रहा हूँ,

भूतकाल जिसमे हम जाकर कुछ भी ठीक नहीं कर सकते लेकिन कुछ फेर बदल की जा सकती है, जो आपके पूर्व के कर्म बन चुके है उनको पूर्णतया बदलना मुश्किल है परंतु असंभव नहीं असंभव का अर्थ यहाँ इस प्रकार है की जो घटना आपके साथ होनी थी उसका रुख बदल जाएगा, उसमे कई ओर रास्ते खुल जाएंगे , आपको दरवाजों की चाबी मिल जाएगी जिन दरवाजों पर आपके लिए ताले लगे हुए थे उनकी या तो चाबी मिल जाएगी या फिर पहले से ही खुले हुए मिलेंगे ( इसीको फेर बदल कहते है )

जैसे जैसे आपके कर्म , आपके विचार अच्छा सोचते है, आपके साथ फिर से कुछ नई घटनाओ का जमा घटा होता है जिसके कारण आने वाली घटनाए बदल जाती है उनका परिणाम बदल जाता है।

इसको करके देखे : आप किसी ज्योतिष के पास जाए ओर उनसे पूछे की क्या अंदेशा है मेरे साथ अगले 5-10-15 साल में घटनाओ का फिर आप उसके हिसाब से अपने विचार ओर कर्मों में बदलाव कीजिए ओर उन्हे लिखित रूप में अपने पास रखे आपको समझ आ जाएगा की घटना तो उन्होंने सही बताई लेकिन परिणाम बड़े रोचक आ रहे है यह सब आपके साथ तभी होगा जब आप अपने विचारों ओर कर्मों को एक साथ पूरी मेहनत के साथ कार्य करेंगे, और आप अपने कर्म से भाग्य को बदल पाएंगे।

स्वयं के अनुभव से मैं आपको यह बात बता रहा हूँ, क्युकी हमारी सोच हमारे आने वाले भविष्य का निर्माण करते है, जैसा आप सोचते है वैसा होता हुआ चल जाता है, जिस प्रकार के कार्य करते है उसी तरह के परिणाम आपके सामने आते है, आपके कर्म से भाग्य का निर्माण होता है, इसी को जानकार ओर समझकर हमे सभी कार्यों को करना चाहिए।

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सच का सफर

सच का रास्ता आसान नहीं है मुश्किल है सच का सफर लेकिन सच बोलने के लिए कभी सोचना नहीं पड़ता लेकिन जब हम झूठ बोलते है तब हमे सोचना पड़ता है की दुबारा भी यही बोलना है इस झूठ को छुपाना भी है पड़ता इसलिए सच्चाई के रास्ते को हमे अपनाना इस राह से नहीं भटकना इसी पर आज का विचार “सच की सफर”

सच बोलने के लिए नहीं सोचना हे पड़ता…..
ये सच की क़ाबिलियत उसका तड़का ।
सच के नाम के झूठे नोट भी चल रहे……
इसी व्यवस्था में वो झूठे भी हे पल रहे ।

सच की राह मुश्किल पर रास्ता सीधा….
देखने की बात कितनी किसकी श्रद्धा ।
कुदरत का क़ानून सच उसका आधार ….
इसी आधार से दे मन विचारो को आकार ।

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