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मन का भटकाव

मन का भटकाव: मन के विचारों में इतना भटकाव क्यों है ? मन क्यों इधर उधर इतना भटक रहा है? यह विचार स्थिर क्यू नहीं होते ? क्या तरीका है इनको स्थिर करने का जानते है, धीरे धीरे कैसे अपने विचारों को स्थिर किया जा सकता है, ओर कैसे इन विचारों पर नियंत्रण लाया जा सकता है? यह मन का भटकाव कैसा है ?

मन ना जाने कितने ही विचारो को बुनने लगता है, ओर मन का भटकाव होता है , हमारे अंतिम लक्ष्य से हमको दूर करता है यह मन लगातार नए कार्यों को जोड़ना चाहता है ओर पुराने को छोड़ना

मन के भीतर तो अनेकों  विचारों का समूह है, जो लगातार बढ़ रहा है इन विचारों का कोई अंत नहीं दिखता ये तो बस लगातार ही बढ़ता ही जा रहा है, क्या ये विचार कभी रुकेंगे या फिर यू ही चलते रहेंगे।

इस विचार समूह को छोटा कैसे करे? और इस समूह को एक विचार पर लाकर कैसे रोके अथवा नियंत्रित करे? क्या एक विचार पर लाना सही होगा या फिर यू ही इसको बढ़ते रहने देना चाहिए।

किसी दृश्य को देखने पर उसके बारे में लगातार सोचना और ना जाने क्या क्या बुन  लेना , 
हमारे लक्ष्य की रुकावट का कारण बन जाती है और हम अपने लक्ष्य से दूर हो जाते है।

बाहरी दृश्य आपके अंतर के परिणाम में अनेक परिवर्तन कर रहे है, जिन्हे हम जानकर और अनजाने में अनदेखा कर रहे है और उसका परिणाम भटकाव है।

ये आंखे उन दृश्य को लगातार देख रही है, ओर उन सभी दृश्यों को विचार रूप में परिवर्तित कर रही है , इन विचारों पर कैसे नियान्तर्न लाए इनको कैसे स्थिर करे ?

अपने विचारो को एक जगह स्थिर करे और देखे उनको की वह किस और जाने की कोशिश कर रहे है।

मन भीतर अनेक विचार लगातार दौड़ रहे है कुछ विचार पुनः पुनः आ जाते है , अर्थात बार लौटकर वही विचार हमारे मन में दुबारा आ जाते है और हम उन कुछ ही विचारों के साथ अपना पूरा दिन व्यस्त कर बैठते है जबकि वो विचार किसी भी काम के नहीं होते उन बेकार के विचारों पर हम अपना समय बर्बाद किए जा रहे है इन विचारों को हटाकर हुमए कुछ ऐसे नए विचारों को अपने भीतेर लाना चाहिए जिनसे हम अपने आने वाले कल को और बेहतर बना सके।

कुछ नए है लेकिन जो दुबारा आ रहे है उनका क्या कारण क्या  है ?

अपने विचारो को एक सही दिशा में दौड़ाना और लक्ष्य की और अग्रसर करना ही बेहतर है
बहुत सारे विचारो का निचोड़ क्या है?

सिर्फ वही बात दुबारा – दुबारा सोचना जिसका परिणाम कुछ नही है, जिसका कोई परिणाम नहीं फिर भी  उसके बारे में इतना क्यों सोचना
चित ओर मन को शांत रख  कर ही तो इस जीवन को है जीना

मन क्यों इतना भाग रहा है? अलग-2 दृश्यों को देखकर

ब्रह्माण्ड आपके शब्दों  से इशारा दे रहा है
ब्रह्माण्ड आपके हर एक इशारे को किस  प्रकार से देख रहा है।
और उन पर किस  प्रकार से किस तरह से कार्य कर रहा है।

का हमार द्वारा भाते है? और हमारे पूछे गए सभी का तालमेल जवाब है? सवाल

हम ब्रह्मांड को सन्देश लगातार भेज रहे है, अपने दिमाग के द्वारा हमारे मन के विचार लगातार बाहर की ओर जा रहे है।

विचार और विचारो का जो समुह है वह कर रहा कितना इतना शोरगुल है, किस प्रकार से कार्य कर रहे है यह विचार?

हमारे पास भटकने के कई वास्ते बहुत मुश्किल है। नर्षित सम्भलने क परन्त की कोशिश सम्भलना ज्यादा से ज्यादी रहे अपने विचारों पर पान बदल और ज्यादात आपका बहुत रहा है। से यह किस Calm एक विचार आपके मस्तिष्क की पूरी संरचना वह विचार नकारात्म आप अपने भी हो सकता है जीवन आकर्षित करते है तो ही जिसके देखने को मिलते है और सकरात्मक जीवन सारे भाव नवरात्मक विचारो सम्भवत नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है और यदि आप स्कारात्मक जीवन की और ले जायेंगे जिसकी संभावना आपका जीवन बहुत ही अलग स्तिथि में होगा आपके विचार को नई दिशा मिलेगी जीवन खुशियों से भर उठेगा,

स्कारात्मक जीवन और उसकी सोच आपके जीवन को पूर्णतया एक नया रूप दे देती है

आपके लगातार सोचने की कोशिश करते रहना चाहिए।

स्वयं को जानेंगे

एक दिन आप स्वयं को जानेंगे –
“One day you will know yourself”
लेकिन कैसे ? इससे पहले तो क्या आप जानना चाहते है स्वयम को?
यह भी एक जिज्ञासा है यदि आपके भीतर स्वयं को जानने की इच्छा है तभी आप अपने गंतव्य तक पहुंच सकते है।
क्या आप जिज्ञासु है स्वयम के प्रति ? स्वयं को जानने के लिए , स्वयम को जानने की इच्छा होना ही जिज्ञासु कहाँ जाता है।

इस पुस्तक के माध्यम से आप स्वयम को पहचान सकते है बहुत सारे सवाल जो मेरे भीतर उठ रहे है क्या को आपके भीतर भी उठ रहे है ? यदि हां तो आप इस पुस्तक के माध्यम से पड़ाव दर पड़ाव अपने लक्ष्य की ओर अगर हो सकते है।
ये पुस्तक आपके और आपके जीवन का दर्पण दिखाने में सहायक होगी,
सफर है स्वयं को पहचाने का , जानने का , समझने का आप स्वयं को जानेंगे

क्या है हमारा मूल स्वरूप इस बात का पता लगाने का है?  कैसे कैसे हम सभी इस जीवन की दूरी को तय कर रहे है इस सफर को पूरा करने की क्या क्या कोशिश कर रहे है इस जीवन को हम किस प्रकार से समझ रहे है,
इस सफर को किस और ले जा रहे है ?
इस जीवन का क्या महत्व है ?
हमारे जीवन में  सभी व्यक्ति समय के अनुसार आते है और जाते है जिसका एक अपना कारण है हर एक व्यक्ति का अपना ही अलग कारण और महत्व होता है, जिसकी वजह से ये सारी घटनाएं होती है।

इस पृथ्वी पर किसी एक व्यक्ति  की महत्वकांशा कैसी है
तो किसी दूसरे व्यक्ति की कैसी सबकी अलग अलग है ओर कुछ की समान हो सकती है
सभी व्यक्ति इच्छाओ को लेकर पैदा हो रहे है और इच्छाओ की पूर्ति करने के लिए ही अपना जीवन व्यतीत करते है सभी व्यक्तियों की महत्वकांशा एक जैसी नही होती
महत्वकांशा– महत्व + आकांशा
हम अपनी इच्छाओं को जितना महत्व देते है यह उतनी ही बढ़ती जाती है

जो कभी पूरी नही होती सिर्फ वहीं इच्छाएं पूरी होती है जिनके साथ आधार मिल जाता है इसके विपरित नहीं इसलिए कुछ ना कुछ इच्छा हमारे साथ जुड़ी ही रहती है जिसका हमे पता भी नही चलता परत दर परत वो इच्छाएं हमसे जुड़ी है जो कभी ना समाप्त होती का एक फेर है हर एक असावधानी पर कुछ और घटना हमारे जीवन के साथ जुड़ जाती है जिनसे हट पाना बहुत मुश्किल सा प्रतीत होता है

हम सभी अलग अलग दिशा में कार्य करने की कोशिश करता है तथा उसी क्षेत्र में ही सफल होना चाहता है तथा इनमें कुछ बहुत सारे कार्यो को एक साथ करना चाहते है और उन सभी कार्यो में सफलता प्राप्त करना चाहते है , परंतु कुछ ही व्यक्ति उनमें से सफल हो पाते है और कुछ अपने जीवन स्तर से ऊपर भी नही उठ पाते

ऐसा क्या कारण है की वो अपने जीवन को एक उन्नत जीवन नही बना पाते ? या बनाना नही चाहते?
कौनसा है हमारे जीवन स्थान का बिंदु ? किस स्थान पर पहुचना है हमे ? कहाँ पहुचना चाहते है हम ? कैसे उस स्थान पर पहुचा जा सकता है ?
लेकिन इन प्रश्नों से पहले तो हमारे मन में शायद कितने ही प्रश्न उठते है हर व्यक्ति जानना चाहता है ऋषि मुनि कितने ही पुरुषों महापुरषो के मन में ऐसे प्रश्न आते रहते है ?
की  कौन हूँ मै ?
मैं इस पृथ्वी पर क्यों आया हूँ ?
कहाँ से आया हूं, कहाँ जाना है ?
अथवा जाउ तो कहाँ जाउ जैसा प्रश्न भी हो सकता है ? आप स्वयं को जानेंगे जब आप स्वयं से इसी तरह के प्रश्न पूछेंगे।

यदि हम नही भी जाना चाहते है तो हम अपनी मंजिल की और अग्रसर होते है। परंतु इन बातो में कुछ अंतर होता है इस जीवन से  हम क्या प्राप्त करना चाहते है ?
क्या कुछ है जो बाकी रह गया है ? जिसको हम पूरा करना चाहते है
किस और जाना चाहते है तथा क्या कारण है और क्यों ?

क्यों आवश्यक है हमे इस जीवन अर्थ को जानना यदि हम अपनी गति में नही चल रहे है तो भी चलना पड़ता ही है परंतु तब हम पृकृति के अनुसार नही चल रहे है इसका मतलब ये है की हमे एक सहयोगी तत्व बनाना है उसके अनुसार चलना है हमे अपनी खोज करनी है हमे हमारा वास्तविक स्वरूप जानना है उसका सही रूप से अवलोकन करना है की हम किस कारण से यहाँ आये है तथा हमारा वास्तिविक स्वरूप क्या है।

ये शरीर , बुद्धि और मन और मन के भीतर के विचार किस प्रकार के है
हमे इनको जानना है,
ये शरीर क्या चाहता है? इस शरीर की इच्छा और अनिच्छा क्यों और कैसे उतपन्न हो रही है?
क्या इच्छा है और ये इच्छाएं किस प्रकार से कार्य करती है?
हमारे शरीर के अंग हमारी किस प्रकार से सहायता करते है?
ये शरीर हमे किस स्तिथि की और अग्रसर कर रहा है? हमारा जीवन किस और जा रहा है ? ये सफर लंबा है इस जीवन की यात्रा हमे किस और लिए जा रही है ? हमारा अस्तित्व क्या है ? क्या है हमारा मूल स्वरूप हम सभी यह जानना चाहते है

इस जीवन की यात्रा को कैसे सुखद जीवन बना सकते है? हमने यह सफर कहाँ से शुरू किया और ये सफर हमे कहाँ ले जा रहा है, क्या इस यात्रा का कोई अंतिम चरण है या ये यात्रा इसी प्रकार से चलती जा रही है ? कहते है हमे 84 लाख योनियों से होकर गुजरना पड़ता है यह हमारी इस जीवन यात्रा का सच है लेकिन क्यों हमे इन 84 लाख योनियो से गुजरना पड़ता है क्या कारण है?
यदि हमे ना जाना हो तो?

क्या कोई जबरदस्ती है की यही सफर तय करना पड़ेगा और कोई रास्ता नही है क्या ?
जो इतनी लंबी यात्रा है, इस जीवन की असल में ये लंबी नही बल्कि छोटी है, उन सभी के लिए जिनकी इच्छओं की पूर्ति नही हो रही क्योंकि वो जीवन मरण के चक्र को छोड़ना ही नही चाहते उनकी छोटी इच्छाएं इस प्रकार से चिपकी हुई है मानो वो कभी छोड़ना ही नही चाहते है।

स्वयं को जाने

स्वयं को जाने की कौन हूँ मैं यह एक प्रश्न ही बना हुआ है, लेकिन यह प्रश्न भी तभी तक है जब तक आपके मन में इस प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा नहीं है, नहीं तो यह प्रश्न फिर प्रश्न नहीं रहता उत्तरों की भरमार होती आपके पास, इसलिए अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आज से ही अपने भीतर की यात्रा को शुरू करे ओर जानिए की आप कौन है? आपका इस जीवन को पाने का क्या उद्देश्य है।

यदि कोई ओर व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर देगा तो उसका उत्तर शायद आपके लिए सही न हो क्युकी हम सभी की यात्रा का अर्थ अलग है।

जिन महापुरुषों ने इस प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा की उन्होंने जान लिया ओर जो लोग संसार के दवंध में फंसे वो फिर फंसे ही रहे इससे बाहर वो नहीं आ सके, इस प्रश्न का उत्तर हमारी दृढ़ इच्छा पर ही निर्भर करता है इसलिए दृढ़ निश्चय कर, दृढ़ संकल्प करो ओर भीतर की यात्रा शुरू करो तभी हमे सफलता मिलेगी।

स्वयं को जाने

आपके भीतर अनंत जिज्ञासा होने पर ही इस सवाल का जवाब मिल सकता है, यदि आपके मन भीतर इस प्रकार के प्रश्न उठते है तो आप स्वयं को एक जिज्ञासु के रूप में देख सकते है, परंतु इस प्रकार के प्रश्न उठे ओर आपने शांत कर दिए तो फिर आप जिज्ञासु कहाँ बस फिर तो आप किसी चीज को देखकर पढ़कर ही यह सवाल कर रहे है।

यदि आपके भीतर वास्तव में ऐसे प्रश्न उठते तो आप उन सवालों का उत्तर जानने के ईछुक हो ओर आप अपने आसपास के लोगों से , मित्रों व अन्य चीजों का सहारा लेते हो इन प्रश्नों का हल खोजने के लिए फिर आपको काही दूर नहीं जाना होता बस स्वयं में गोते लगाने होते है।

इस प्रश्न का उत्तर आपको 9 मिनट में भी मिल सकता है, ओर 9 जन्मों में भी न मिले ऐसा भी हो सकता है आप कितने जिज्ञासु है स्वयं की खोज के लिए यह इसी बात पर निर्भर करता है, फिर भी मैं आपको 4 ऐसी बाते बताता हूँ, जिसका सहारा लेकर आप स्वयं की खोज को शुरू कर सकते है।

1- ध्यान करना अत्यंत आवश्यक है।

2- अपने विचारों को देखना।

3- वर्तमान काल में ही जीवन को जीने की कोशिश करना।

4- स्वयं के साथ जिओ

Jivan kya hai

Main dekhta hu zindagi ke baare mei koi baat nahi kar raha bas sabhi log koi kuch or ki baate kar rahe hai………jivan kya hai

Unke pass bahut kuch hai baate karne ko lekin zindagi ke baare mei kuch nahi hai.

Zindagi ke baare mei kuch baat to karo ki yeh zindagi kaisi hai? kyuki yeh zindagi na milegi dubara isliye isko jio yahi abhi khulkar na hee tum mar jana yu hi ghut ghut kar.

Ye sabhi log kapde, jutey, khana, pina, ghumna, hangout karna chahte hai lekin jindagi ko bhulkar, bas jindagi ke baare mei kuch nahi soch rahe jo sabse jaruri hai usko hee bhule hue baithe hai…..

lekin kyuuuuu

kya hame jindagi ke baare mei baat nahi karni chahiye? zindagi jise aap ji rahe ho ya nahi, ye bhi aapko nahi pta bas bhaage ja rahe ho kahi na kahi, kidhar jana hai, safar kya hai? nahi maalum lekin chal rahe bina saas liye..

yahi hai jivan ?

Yeh swaal aap khud se puchiye ki zindagi kya hai or hame kidhar lekar ja rahi hai jindagi ka asli matlab kya hai, jindagi jidhar ja rahi hai ham chup chaap chale ja rahe hai bin soche samjhe, bina kuch jaane bas behte paani ki tarah khud ka koi decision nahi hai.

Kya yahi hai jivan ?

Yeh sirf swal na ho yeh aapko bechain karde bas is tarah se aapke dimaag mei bhar jaye tabhi ham is uttar ko jaan payenge.

Zindagi ka asli matlab janne ki koshish mei ham lag jaye

Is jivan ka purpose kya hai? ham yaha kyu aaye hai kya aesa koi swal mann mei aaya hai kabhi jisne tumhe thodi si bechaini di ho, tumahara mann is jindagi ke baare mei janne ki koshish kar rahe ho, kya hua kabhi aesa yadi uttar nahi hai to aesa hona chahiye tumhare mann bheetar se prshnn hee prshnn ho jaye or tum daud pado ki zindagi mai aa raha hu tujhse Rubru hone ke liye, apni baaho ko faila zindagi se milne ke liye tum utho, daud pado abhi tak tum nirjiv vastu smaan the yadi tumhare mann bheetar yeh prashn nahi utha tha , to ab daud jaao jab jaago tabhi sawera bas shuruaat yahi se abhi se karo bhar jivan ko apni baaho mei.

life question

Hi all these are few questions I’m asking to you please answer to these all life question that’s kind of a conversation between you and me

  1. your Name

Ans. Nikhat Parveen

2
School/collage/university

Ans. St. Anthony’s Girls sr. Sec school

3
Your age ?

Ans. 16

4
What you do for survival ?

Ans. For Survival , basically i think everybody has their Own ways . I just try to be happy in what i always had in a moment.

5
Do you like traveling ??

Ans. Yes

6
What inspire you most in your life ??

Ans. Music inspires me alot.

7
What you wanna be in your life ??

Ans. Singer

8
Am I who I want to be ?

Ans. I guess I Am. And i Can.

9
What are you so afraid of ?

Ans. Losing my love ones .

10
What would you be doing if you had six month to live ?

Ans. If I’ll be have only six months left ,then most probably i would prefer to travel to my dream destination and say thank you personally to every single person who made me smile and happy and confident even for a single second.

11
What do you hate ?

Ans. People with low self esteem and self belief.

12
Are you using your strength ?

Ans. I’m not an adult yet .but i AM using my strength in every possible way I’m capable of.

13
What will happen if you continue to live this way ?

Ans. I’ll not mind. I love what i have now . I know how to cherish every moment and make feel others loved .

14
When is the last time you’ve gone outside of your comfort zone ?

Ans. I’m am an ambivert. Couple of months back i joined some chatrooms of kpop fandom , it was at that time was little hard for me to get along well but i tried and made many good friends.

15
Is your health helping or harming your purpose in your life ?

Ans. Yes i guess. It’s harming me .

16
Are you moving in the right direction to achieve success in your life

Ans. I don’t know what I’m doing will take me to the right direction or not but I’m that much sure that whatever NOW I’m doing is making me day by day love ME more.

17
What do you do for fun ?

Ans. I Read Fictions .

18
How much do you worry about what others think ?

Ans. To be honest, i used to think and worry A LOT .But now i ignore them like it never exists .

19
What have been your biggest mistakes ?

Ans. To let someone make me fool though i was aware that the person is a fault.

20
Your favourite place ?

Ans. South Korea

21
Your favourite food ?

Ans . Anything ,but it should be spicy.

22
Your achievements in life ??

Ans. Though I’m only 16 but i presented my school in an art zonal competition when i was in 6th grade and won the 1 place.  My Poem is about to publish in an anthology book. Unicef korea follows me at my Instagram as I’m a regular viewer there. I’m a freelance writer at Hallyuism_india . I Earn. I give tutions and manage to pay for my own stuff when required.

23
Where you wanna see yourself after 10 year ?

Ans. As a strong and Highkey version of my dad.

24
What you think of life ?

Ans. I think it’s an opportunity given to us to explore and discover new things daily and learn from them.

25
Do you believe in religion ??
Yes/no

Ans . No.

26
Who is your role model ??

Ans. BTS

27
What changes you wanna see in life ??

Ans. I want to give my father everything he is sacrificing right now just to make us feel safe and exquisite.

28
Are you happy with life ??
Yes/No

Ans. Yes

29
How you keep yourself happy

Ans. I love listening music. It is my power pill.

30
What you want to achieve in your life ?

Ans. I want to achieve my Father’s proud gesture towards me. I want to make him feel that his parenting didn’t went wrong.

31
What is your weekness ?

Ans. My Father

32
What’s your strength ?

My Father and my self confidence.

33
What makes you worried in your life ?

Ans. I always gets worried whatif i loose my precious ones whom i adore in my existence.

34
Whats your philosophy in life ?

Ans. My philosophy is , If a thing gives you happiness for even a second then that thing is GOOD for you.

35
What’s the one thing you would like to change about yourself

Ans. Sensitive persona

36
Are you religious or spiritual ??

Ans. Not really.

37 life question
Do you consider yourself on introvert or extrovert ??

Ans. I consider myself as an AMBIVERT.

38
What was the best phase in your life ?

Ans. When i realised that i can do things which i can not even imagine and which are beyond of my capabilities.

39
What was the worst phase in your life ?

Ans. When i lost my mom at the age of 12.

40
What’s your favourite book/movie of all time and why did it speak to you so much ?

Ans. My Favourite Book is *SUBTLE ART OF NOT GIVING A FUCK* BY MARK MANSON. it really made me realized that what type of persona i have. And what are the things I’m lacking in by worrying for an unnecessary things.

41
Are you more into looks or brain ??

Ans. Brain . Especially people with IQ around 148.

42
How do you feel about sharing your password with your partner ?

Ans. I’m only 16 , Oopsie no partner .

43
When do you think a person is ready for marriage

And. I guess . The person is ready for marriage when he/she knows their own worth and thier capabilities and potential to carry on the future  relationship .

44
What kind of parents do you think you will be ?

Ans. A kind of therapist maybe 😉

45
Have you ever lost someone close to you ?

And . Yes , My mom.

46
What’s an ideal weekend for you ?

Ans. Spotify on , Coffee on one hand and book on another with dim lights and Rainy scenario.

47
Do you judge a book by it’s cover ??

Ans. No

48
Do you believe in second chance ?

And. I do.

49
What are you most thankful for ?

Ans. That I’m breathing at this very moment.

50
What’s the one thing that people always misunderstand you ?

Ans. That she must be not knowing about the happenings Occuring in the world. In a simple text , unaware of outside world.

51
What did you past relationship teach you ?

Ans. Didn’t had in a relationship.

52
If a genie granted you 3 wishes right now, what would you wish for ?

Ans. I want my mom back , i want to meet my ideals whom I’m inspired from, happiness for my friends .

53
What’s your biggest regret in life ?

Ans. I let a person fool me.

54
What do you think you are still single ?

Ans. I guess people right now prefer fun rather then having conversation about real issues . It is not like i don’t Fun around but when it’s not i prefer Not.

55
What are three things you value most about a person ?

Ans. Not Judgemental at first sight ,Brain ,and how he/ she treats people.

56
What is the greatest struggle you’ve overcome ?

Ans. Covid-19

57
Who was your favourite teacher and why ?

Ans. There is one tutor of mine UK , i call her UK . She is the very first person who made me think that i CAN come out from my comfort zone. She basically moulded me into a mature person.

58
What is weirdest things about you ?

Ans. I’m Sensitive and clumsy.

59
What food could you not live without ?

Ans. Chicken made by my father.

60
What your best birthday ??

Ans. Last year when i prefered my birthday celebration outdoor.

61
When was the last time you told yourself that “I LOVE MYSELF”

Ans. Few hours ago. Haha, As my ideals are BTS how can i forget to say I love myself.

In last say few words for Me .

I don’t know you yet. But seems a nice and genuine person. Must be of good persona.

Thanks

कौन हूं मै ?

“निकला हूँ उस ठिकाने को ढूंढने जिसका पता भी ना मालुम मुझे”
मैं निकल चला हूँ उस राह पर जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता, ना उस मंजिल की खबर है न रास्ते  का पता बस निकल चला हूँ मैं,
अब लौटना संभव नहीं है और अब मै वापस लौटना भी नहीं चाहता क्युकी मै स्वयं को जानना चाहता हूं कौन हूं मैं ? यह प्रश्न मेरे मन को कचोट डालता है,

तलाश पूरी मेरी होगी
या अधूरी रह जायेगी?
ये भी नहीं पता मुझे
लेकिन
मैं निकल पड़ा हूँ,

अब लौट कर वापस नहीं आना है
मुझे बस मंजिल को पाकर ही रहना है
सफ़र में आयेे कितनी भी रुकावट
मैं रुकुंगा नहीं, थकूँगा नहीं
बस चलते ही रहना है मुझे
अपनी मंजिल को हासिल ही करना है मुझे

सवाल है कुछ इस तरह
जिनके जवाब मै खोज रहा हूं
ना जाने किस किस तरह

कौन हूँ मैं ?
किसलिए मैं आया हूँ यहाँ?
यहां मेरे आने का क्या कारण है ?
 

कौनसा ऐसा कार्य है जिसको पूर्ण करना है ?
यह मुझे न खबर ना ही पता है मुझे बस मंजिल की तलाश है, मैं भटक रहा हूँ इधर उधर अपनी मंजिल मैं 

मैं खोजता रहा बस अपनी मंजिल और अपना सफ़र मैं
ना मुझे नाम पता है,
ना निशान पता है
कौनसी छाप छोड़ी  थी,
ना ही मुझे उसका निशान पता है,
बस ढूंढ रहा हूँ अपने आपको
ढूंढता हूं मैं अपने आपको
ढूंढता हूँ हर जगह हल पल,
मैं भटकता फिर रहा हूं ना जाने

कभी मैं  सवयम को किसी वस्तु मे ढूंढता हुूं
तो कभी किसी वस्तु से अलग होकर मै देखता हूं
मुझे नहीं पता
की मैं अपने आपको कहा ढूंढ पाउँगा या फिर मै स्वयं को ढूंढ पाऊंगा भी या नहीं लेकिन चलना खोजना मेरा  काम है यही मेरा नियत कर्म है जिसे मुझे पूरा करना है।
मुझे ना रास्ता पता है
ना किसी दिशा का ज्ञान है
बस एक कोशिश है, अपने आपको जानने की मैं निकल चला हूँ उस रास्ते पर जहा मैं अपने आपको जान सकु ये मेरे पहला पड़ाव है जिंदगी में अपने आपको खोजने के लिए मैं आतुर हूँ मुझे कुछ पाना नहीं है बस जानना है, स्वयं को स्वयं की अनुभूति होती है कैसे ? बस यही समझ जाना है मुझे
नहीं पता क्यों ?  मुझे मेरे अंदर हजारो लाखो विचार उमड़ रहे है ? जो सिर्फ सवाल है जिनके जवाब नहीं है मेरे पास………..

वो क्यों इतने सारे विचार एकत्रित हो रहे है इनका जवाब कहां खोज पाऊंगा मै ?
कहां मिलेंगे मुझे उन सवालों के जवाब ?

मेरे मैं और मस्तिस्क में जिनके बारे में मैं भी नहीं जानता मैं क्यों इतने विचारो से मैं भरा जा रहा हूँ,कहा से आ रहे है? क्या कारण है इन्ह विचारो के आने का? क्यों मुझे ये विचार कही ले जाना चाहते है ?मैं जाना तो कही और चाहता हूँ ये विचार मुझे कही और खीच रहे है जैसे मैं विवश हूँ इन्ह विचारो के साथ लेकिन मुझे अपनी मंजिल हासिल करनी है मैं निकल हूँ सिर्फ अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए तलाश भी उसी की बस कुछ और नहीं चाहिए मुझे चाहे मेरे विचार मुझे कितना ही भटक रहे हो कितना भी डरा रहे हो कभी भी ले जाने की कोशिश करे लेकिन मैं वापस ना जाऊंगा मैं अपनी मंजिल को पाकर ही रहूँगा ये मेरा विशवास स्वयं में जिसे मैं पूरा करके ही रहूँगा


मैं कौन हूँ?
किसमे हूँ मैं?
मेरे यहां होने का कारण क्या है ?
क्यों मेरा जन्म हुआ है?
ऐसा कोनसा कार्य है जिसे मैं करने यहाँ आया हूँ ?
कभी लगता है की मुर्गे की बांग में हूँ
तो कभी सूरज की रोशनी में हूँ
मैं हूँ कहाँ ? कौन हूँ मैं ?
यह एक प्रश्न जो मेरे मस्तिस्क को झुझला देता है,
की क्यों नहीं जान पा रहा हूँ अपने आपको, मैं तो एक शरीर हूँ या मन , लेकिन फिर वो भी नहीं हूँ,
तब कौन, कौन हूँ मैं ? आवाज़, सुर, ध्वनि किसमे हूँ में ?
कौन हूँ मैं?

किर्या में हूँ
या
कार्य में हूँ ?
विचार,
सोच,
हाव-भाव,
शब्द,
किर्या,
प्रतिकिर्या बस सवाल यही की कौन हूँ मैं?

मैं मुर्गे की कुकड़ू कु में हूँ, या
चिड़िया की ची ची में हूं मै,
सूरज की रोशनी में मैं हूँ ?
मैं प्रकाश हूँ या अँधेरा हूँ मैं?
कौनसी दिशा में हूँ या दिशाहीन भटकाव हूँ मैं
क्या दसो दिशाओ में मैं हूँ?
समय की तरह बीतता हुआ हूँ मैं
या समय हूँ मैं ?
बचपन,जवानी या बुढ़ापा हूँ मैं?
या इनके पड़ाव में हूँ मैं ?
टूटता हुआ हूँ मैं ?
या जुड़ा हुआ हूँ मैं ?
लड़खड़ाता हुआ हूँ मैं या
संभालता हुआ इंसान हूँ ?
पूर्ण हु मैं या
अपूर्ण हु मैं ?
शांति हूँ मैं या
शोर हूँ मैं ?
खेलता हुआ बचपन हूँ या
शांति का अनुभव हूँ मैं ?
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ ?
राह पर चलता हुआ इंसान हूं या
भटक गया हूं राह से कही ? 
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ इंसान हूं ?

प्रश्नों की झड़ी लगी हुई है मेरे मन मस्तिष्क में लेकिन जवाब कुछ नहीं आ रहा है, बस चल रहा हूँ मैं उस रहा पर जिसके लिए मैं निकला था।

मैं किस तरह से कर रहा हूं?
खुद की तलाश ये भी नही पता मुझको 

लेकिन तलाश कर रहा हूं
वो कौनसा रास्ता है?
जिससे मैं अपने आपको जान सकता हूं ? 
मैं अपने विचारों को देख रहा हूं , समझ रहा हूं जानने की कोशिश कर रहा हूं ,
किस ओर से ये विचार मेरे मन मस्तिष्क में आ रहे है इनका उद्गम स्थान कौनसा है और क्यों इतने विचार मेरे मस्तिष्क में आ रहे है ?

इन विचारो के कारण और परिणाम क्या है ?
शायद यह विचार ही है जो मुझे मेरी मंजिल तक मुझे पहुंचा सकते है
मुझे यही जानना है इन्हीं विचारों पर मुझे बल देना है,
इन्ही विचारो को सही ढंग से समझना है क्योंकि इन्ही विचारो के कारण मेरा जीवन कदम कदम पर बदल रहा है इसलिए मुझे इन्ह विचारो को ध्यांपूर्वक देखना है  ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो में बदल जाते है और विचारो इकठ्ठा कर लेते है मुझे ये जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में उन्में मिल जाता हूं क्यों मिल जाता हूं ये भी मुझे समझना है।ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो मैं बदल जाते है और विचारों का समूह रूप बना लेते है मुझे यह जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में मै उस किर्या मैं मिल जाता हूं लेकिन क्यों मिल जाता हूं यह भी मुझे समझना है।

हमको कुछ खबर नही इसका ना पता मालुम मुझे ना ही मंजिल की खबर फिर भी मैं चलता ही जा रहा हूं किश और मैं निकल चला ?किश सफर किस मंजिल की तलाश में मैं भटक इधर उधर हूं रहा बस अब मुझे बढ़ना है और आगे लेकिन कैसे मेरे ही विचार मुझे दबा रहे मेरे ही विचार मेरे रास्ते की रुकावट है मेरे विचार आगे नहीं बढ़ने देते है और रोक लेते है बार बार सारे विचार मेरे एक विचार को दबा रहे मुझमे डर पैदा पैदा कर रहे है उस डर से आगे निकलू कैसे बस वही सोचता हूं रुकावट से भर जाता जाता ह् मंजिल की औए आगे बढ़ नहीं पाता बार बार फिर वापस पीछे आ जाता हूं.

मुझे खुद की तलाश है में बेखबर हूं अपने ही लिए ना मुझे पता अपने ही होने का ना ही रकस्त कुछ मिल रहा बस युही में चलता जा रहा हूं जिसका न होश है मुझे ना खबर है रहो की भी बड़ी अजीब सी मिल रही है रहे भी मुझे लोग मिल रहे है करवा यू बढ़ रहा सफर में क्या होना था और हो क्या रहा है इसका भी होश नही है मुझको बस में आगे बढ़ युही चल रहा हूं मंजिल मील या ना मिले लेकिन मैं आगे बढ़ रहा हूं।

इसमे बताया जा रहा है हम अपनी मंजिल को भूलकर अलग अलग राहो पर निकल पड़ते है जिसका कोई मेल नही है मिलान नही है हमारी मंजिल जिसका दूर दूर तक कोई नाता नही है बस चलते रहते है हैम ओर फेर भटकाव जिंदगी का पेड़ होता ही जाता है पता भी होता है कुछ फिर भी कुछ न कुछ भूल कर ही देते है हम मनीला को पाने के लिए जैसे मम्मी मार्किट सामान लेने के लिए भेजती है तो हम किसी से बात करते हुए रुक जाते है और भूल जाते है कि किस लिए आया या फिर कौनसा समान लेने के लिए आया था।

लोग अब मिलते जा रहे है मुझे मेरी इन्ह राहो मैं मुझे कारवा भी यू जुड़ता ही जा रहा रहा है बस में सफर के साथ चलता ही जा रहा हूं मंजिल की तलाश में , मैं ना जाने कहा कहा मैं भटकता जा रहा हूं बार बार मेरे मन में आ रहा यही सवाल की कौन हूँ, मैं किधर जा रहा हूँ, स्वयं की तलाश में बस मैं चला जा रहा हूँ।

क्या शब्दों का संचार हूं मैं या आसमान से विस्तार हूं मैं क्रोध हूं मैं या प्रेम हूं मैं 
क्यों विचार टूटे टूटे से लगते है क्या, उसमे हूं मैं क्या इंसान ना समझ है , या आज का इंसान सब कुछ समझता है हम सभी बुद्धिमान समझते है।


कौन है इंसान?  लक्ष्य क्या है ?
फिर ना जाने क्यों चल रहा है ये इंसान 
क्या इस इंसान को पता है वो क्या चाहता है ?


टूटता हूं मैं या जुड़ता हुआ मैं , समय के साथ साथ बैतब हूआ बिता हूं पल में या समय के आने बाप काल या पल में हूं मैं ? लेकिन कौन हूं मैं परिस्तिथयो से भाग रहा इंसान हूं मैं या जूझ रहा परिष्तिथियो में ठहरा हुआ रुक हुआ देखता हुआ एहसास  हूं मैं या कल या देखती हुई आंख महसूस कर रहा है शरीर हूं मैं या मूर्च्छा में पड़ा हूआ शरीर 

बहता हुआ प्रेम हूं मैं या
इंसान का क्रोध ?
विपरित दिशा में मुड रहा इंसान हूं मैं
या ब्रह्मांड का विस्तार हूं मैं ? 
अनुकूल परिस्तिथयो में बह रहा इंसान हूं विप्रिप जाने की कोसिह हूं मैं ? 
लड़ता हुआ इंसान हूं मै या चुप रहता हूं मै?
हर पल हर समय में बढ़ाने वाली परिस्थितियों
से भरा हुआ इंसान हूं मैं ?
उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं
या सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?

उधेड़ बन में जा रहा इंसान हूं मैं ?
या
सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?
घबराहट हूं मैं या साहस हूं मैं ?
हाथी की गर्जना हूं ? हिम्मत हूं मैं ? 

इंसान की पूर्णता हूं मैं या
उसकी अपूर्णता हूं मैं ?

रिक्त स्थान हूं या
भर हुआ आसमान ?
सवाल हूं मैं या जवाब हूं मैं
समस्या हूं या समाधान  हूं मैं ?
जानने की इच्छा या
पहचानने की समझ हूं मैं ?
चलता हुआ मुसाफिर हूं मै? या
रुका हुआ इंसान हूं मै?
परिसिथतियों के साथ बह रहा हु मै
परिष्तिथियो से लड़ता हुआ इंसान ? 

खुशी हूं मैं या दुख हूं मैं ?
अंधेरा हूं मैं या प्रकाश हूं?
हर जगह ढूंढ रहा इंसान हूं मैं
कौन सा उद्गम स्थान हूं मैं ?

इस स्तिथि में हु मैं ?
कोनसी सी परिस्तिथत में हूं
चांद की शीतलता हूं या
सूरज की ज्वलनशीलता हु मैं ? 

बिंदु सा आकर हूं मैं या
ब्रह्मांड जैसा निराकार हूं ? 
शब्द सा मीठा हूं या
नीम से कड़वा हूं मैं

कौन हूं मैं ? 

इस जगह खड़ा इंसान हु मैं ?
हर वक़्त , हर पल घटना में मैं
अपने आपको खोजता इंसान हु मैं ?
चट्टान की तरह कठोर हूं मै ? या
माँ की तरह नरम हु मैं
ये मुझे ना पता चल पा रहा है
कि कौन हूं मैं?
हर पल हर जगह खोजता चल रहा मैं
इस सवाल  का जवाब नही मिल रहा है
हर एक वस्तु हर एक घटना में होने की कोशिश है
और
हर घटना को जानने और समझने की
कोशिश में लगा हुआ मैं

किस ओर निकल चला किस मंजिल को पाने को हूं मै ?
निकल चला बस गतिमान हु मैं
अब रुकना मेरा काम नहीं
मुझे मिले मेरी पहचान वहीं है सही
कही ढूंढता स्वयम को चला
पूछता अपने आपको रहा
बतादो मुझे कौन हूं मैं
जानते है लोग मुझे मेरे नाम से
मेरे काम से लेकिन मेरा अस्तित्व है क्या ?
इस वजह मै यहां वहां बस भटकता ही रहा
ना मंजिल न सफर का मुझे पता चला
बस रहा ढूंढ मै स्वयम को हर पल रहा
कौन हूं मैं?
ये प्रश्न मेरे मन में बार बार उठ रहा 
“निकला हूँ उस ठिकाने को ढूंढने जिसका पता भी ना मालुम मुझे”
मैं निकल चला हूँ उस राह पर जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता, ना उस मंजिल की खबर है न रास्ते  का पता बस निकल चला हूँ मैं
अब लौटना संभव नहीं है और अब मै वापस लौटना भी नहीं चाहता क्युकी मै स्वयं को जानना चाहता हूं कौन हूं में ? यह प्रश्न मेरे मन को कचोट डालता है
तलाश पूरी मेरी होगी
या
अधूरी रह जायेगी?
ये भी नहीं पता मुझे
लेकिन
मैं निकल पड़ा हूँ
अब लौट कर वापस नहीं आना है
मुझे बस मंजिल को पाकर ही रहना है
सफ़र में आयेे कितनी भी रुकावट
मैं रुकुंगा नहीं, थकूँगा नहीं
बस चलते ही रहना है मुझे
अपनी मंजिल को हासिल ही करना है मुझे
सवाल है कुछ इस तरह
जिनके जवाब मै खोज रहा हूं
ना जाने किस किस तरह
कौन हूँ मैं ?
किसलिए मैं आया हूँ यहाँ?
यहां मेरे आने का क्या कारण है ? कौनसा ऐसा कार्य है जिसको पूर्ण करना है ?
यह मुझे न खबर ना ही पता है मुझे बस मंजिल की तलाश है, मैं भटक रहा हूँ इधर उधर अपनी मंजिल मैं 

मैं खोजता रहा बस अपनी मंजिल और अपना सफ़र मैं
ना मुझे नाम पता है,
ना निशान पता है
कौनसी छाप छोड़ी  थी
ना ही मुझे उसका निशान पता है
बस ढूंढ रहा हूँ अपने आपको
ढूंढता हूं मैं अपने आपको
ढूंढता हूँ हर जगह हल पल,
मैं भटकता फिर रहा हूं ना जाने

कभी मैं  सवयम को किसी वस्तु मे ढूंढता हुूं
तो कभी किसी वस्तु से अलग होकर मै देखता हूं
मुझे नहीं पता
की मैं अपने आपको कहा ढूंढ पाउँगा या फिर मै स्वयं को ढूंढ पाऊंगा भी या नहीं लेकिन चलना खोजना मेरा  काम है यही मेरा नियत कर्म है जिसे मुझे पूरा करना है।
मुझे ना रास्ता पता है
ना किसी दिशा का ज्ञान है
बस एक कोशिश है अपने आपको जानने की मैं निकल चला हूँ उस रास्ते पर जहा मैं अपने आपको जान सकु ये मेरे पहला पड़ाव है जिंदगी में अपने आपको खोजने के लिए मैं आतुर हूँ मुझे कुछ पाना नहीं है बस जानना है, स्वयं को स्वयं की अनुभूति होती है कैसे ? बस यही समझ जाना है मुझे
नहीं पता क्यों ?  मुझे मेरे अंदर हजारो लाखो विचार उमड़ रहे है ? जो सिर्फ सवाल है जिनके जवाब नहीं है मेरे पास
वो क्यों इतने सारे विचार एकत्रित हो रहे है इनका जवाब कहां खोज पाऊंगा मै ?
कहां मिलेंगे मुझे उन सवालों के जवाब ?

मेरे मैं और मस्तिस्क में जिनके बारे में मैं भी नहीं जानता मैं क्यों इतने विचारो से मैं भरा जा रहा हूँ कहा से आ रहे है ?क्या कारण है इन्ह विचारो के आने का ? क्यों मुझे ये विचार कही ले जाना चाहते है ?मैं जाना तो कही और चाहता हूँ ये विचार मुझे कही और खीच रहे है जैसे मैं विवश हूँ इन्ह विचारो के साथ लेकिन मुझे अपनी मंजिल हासिल करनी है मैं निकल हूँ सिर्फ अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए तलाश भी उसी की बस कुछ और नहीं चाहिए मुझे चाहे मेरे विचार मुझे कितना ही भटक रहे हो कितना भी डरा रहे हो कभी भी ले जाने की कोशिश करे लेकिन मैं वापस ना जाऊंगा मैं अपनी मंजिल को पाकर ही रहूँगा ये मेरा विशवास स्वयं में जिसे मैं पूरा करके ही रहूँगा
मैं कौन हूँ?
किसमे हूँ मैं?
मेरे यहां होने का कारण क्या है ?
क्यों मेरा जन्म हुआ है?
ऐसा कोनसा कार्य है जिसे मैं करने यहाँ आया हूँ ?
कभी लगता है की मुर्गे की बांग में हूँ
तो कभी सूरज की रोशनी में हूँ
मैं हूँ कहाँ ? कौन हूँ मैं ?
यह एक प्रश्न जो मेरे मस्तिस्क को झुझला देता है
की क्यों नहीं जान पा रहा हूँ अपने आपको 
मैं तो एक शरीर हूँ या मन
लेकिन फिर वो भी नहीं हूँ
तब कौन कौन हूँ मैं ?
आवाज़, सुर,ध्वनि
किसमे हूँ में ?
कौन हूँ मैं ?
किर्या में हूँ
या
कार्य में हूँ ?
विचार,
सोच,
हाव-भाव
शब्द,
किर्या,
प्रतिकिर्या में हूँ क्या

मैं मुर्गे की कुकड़ू कु में हूँ या
चिड़िया की ची ची में हूं मै
सूरज की रोशनी में मैं हूँ ?
मैं प्रकाश हूँ या अँधेरा हूँ मैं?
कौनसी दिशा में हूँ
या दसो दिशाओ में मैं हूँ?
समय की तरह बीतता हुआ हूँ मैं
या समय हूँ मैं ?
बचपन,जवानी या बुढ़ापा हूँ मैं?
या इनके पड़ाव में हूँ मैं ?
टूटता हुआ हूँ मैं ?
या जुड़ा हुआ हूँ मैं ?
लड़खड़ाता हुआ हूँ मैं या
संभालता हुआ इंसान हूँ ?
पूर्ण हु मैं या
अपूर्ण हु मैं ?
शांति हूँ मैं या
शोर हूँ मैं ?
खेलता हुआ बचपन हूँ या शांति का अनुभव हूँ मैं ?
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ ?
राह पर चलता हुआ इंसान हूं या
भटक गया हूं राह से कही ? 
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ इंसान हूं ?

मैं किस तरह से कर रहा हूं? खुद की तलाश ये भी नही पता मुझको 

लेकिन तलाश कर रहा हूं
वो कौनसा रास्ता है?
जिससे मैं अपने आपको जान सकता हूं ? 
मैं अपने विचारों को देख रहा हूं , समझ रहा हूं जानने की कोशिश कर रहा हूं ,
किस ओर से ये विचार मेरे मन मस्तिष्क में आ रहे है इनका उद्गम स्थान कौनसा है और क्यों इतने विचार मेरे मस्तिष्क में आ रहे है ?
इन विचारो के कारण और परिणाम क्या है ?
शायद यह विचार ही है जो मुझे मेरी मंजिल तक मुझे पहुंचा सकते है
मुझे यही जानना है इन्हीं विचारों पर मुझे बल देना है
इन्ही विचारो को सही ढंग से समझना है क्योंकि इन्ही विचारो के कारण मेरा जीवन कदम कदम पर बदल रहा है इसलिए मुझे इन्ह विचारो को ध्यांपूर्वक देखना है  ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो में बदल जाते है और विचारो इकठ्ठा कर लेते है मुझे ये जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में उन्में मिल जाता हूं क्यों मिल जाता हूं ये भी मुझे समझना है।ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो मैं बदल जाते है और विचारों का समूह रूप बना लेते है मुझे यह जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में मै उस किर्या मैं मिल जाता हूं लेकिन क्यों मिल जाता हूं यह भी मुझे समझना है।

हमको कुछ खबर नही इसका ना पता मालुम मुझे ना ही मंजिल की खबर फिर भी मैं चलता ही जा रहा हूं किश और मैं निकल चला ?किश सफर किस मंजिल की तलाश में मैं भटक इधर उधर हूं रहा बस अब मुझे बढ़ना है और आगे लेकिन कैसे मेरे ही विचार मुझे दबा रहे मेरे ही विचार मेरे रास्ते की रुकावट है मेरे विचार आगे नहीं बढ़ने देते है और रोक लेते है बार बार सारे विचार मेरे एक विचार को दबा रहे मुझमे डर पैदा पैदा कर रहे है उस डर से आगे निकलू कैसे बस वही सोचता हूं रुकावट से भर जाता जाता ह् मंजिल की औए आगे बढ़ नहीं पाता बार बार फिर वापस पीछे आ जाता हूं 

मुझे खुद की तलाश है में बेखबर हूं अपने ही लिए ना मुझे पता अपने ही होने का ना ही रास्ता कुछ मिल रहा बस युही में चलता जा रहा हूं जिसका न होश है मुझे ना खबर है राह भी बड़ी अजीब सी मिल रही है।
लोग मिल रहे है, करवा यू बढ़ रहा सफर में क्या होना था, और हो क्या रहा है? इसका भी होश नही है मुझको बस में आगे बढ़ युही चल रहा हूं, मंजिल मील या ना मिले लेकिन मैं आगे बढ़ रहा हूं।

इसमे बताया जा रहा है हम अपनी मंजिल को भूलकर अलग अलग राहो पर निकल पड़ते है जिसका कोई मेल नही है मिलान नही है हमारी मंजिल जिसका दूर दूर तक कोई नाता नही है बस चलते रहते है हैम ओर फेर भटकाव जिंदगी का पेड़ होता ही जाता है पता भी होता है कुछ फिर भी कुछ न कुछ भूल कर ही देते है हम मनीला को पाने के लिए जैसे मम्मी मार्किट सामान लेने के लिए भेजती है तो हम किसी से बात करते हुए रुक जाते है और भूल जाते है कि किस लिए आया या फिर कौनसा समान लेने के लिए आया था।

लोग अब मिलते जा रहे है मुझे मेरी इन्ह राहो मैं मुझे कारवां भी यू जुड़ता ही जा रहा रहा है बस में सफर के साथ चलता ही जा रहा हूं मंजिल की तलाश में, मैं ना जाने कहा-कहा मैं भटकता मैं जा रहा हूं, बार बार मेरे मन में आ रहा ये प्रश्न है।

“क्या शब्दों का संचार हूं?, मैं या आसमान से विस्तार हूं, मैं क्रोध हूं, मैं या प्रेम हूं मैं”

क्यों विचार टूटे टूटे से लगते है क्या उसमे हूं मैं क्या इंसान ना समझ है , या आज का इंसान सब कुछ समझता है हम सभी बुद्धिमान समझते है 

कौन है इंसान?  लक्ष्य क्या है ?
फिर ना जाने क्यों चल रहा है ये इंसान 
क्या इस इंसान को पता है वो क्या चाहता है ?

टूटता हूं मैं या जुड़ता हुआ मैं , समय के साथ साथ बैतब हूआ बिता हूं पल में या समय के आने बाप काल या पल में हूं मैं ? लेकिन कौन हूं मैं परिस्तिथयो से भाग रहा इंसान हूं मैं या जूझ रहा परिष्तिथियो में ठहरा हुआ रुक हुआ देखता हुआ एहसास  हूं मैं या कल या देखती हुई आंख महसूस कर रहा है शरीर हूं मैं या मूर्च्छा में पड़ा हूआ शरीर 

बहता हुआ प्रेम हूं मैं या
इंसान का क्रोध ?
विपरित दिशा में मुड रहा इंसान हूं मैं
या ब्रह्मांड का विस्तार हूं मैं ? 
अनुकूल परिस्तिथयो में बह रहा इंसान हूं विप्रिप जाने की कोसिह हूं मैं ? 
लड़ता हुआ इंसान हूं मै या चुप रहता हूं मै?
हर पल हर समय में बढ़ाने वाली परिस्थितियों
से भरा हुआ इंसान हूं मैं ?
उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं
या सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?

उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं ?
या
सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?
घबराहट हूं मैं या साहस हूं मैं ?
हाथी की गर्जना हूं ? हिम्मत हूं मैं ? 

इंसान की पूर्णता हूं मैं या
उसकी अपूर्णता हूं मैं ?

रिक्त स्थान हूं या
भर हुआ आसमान ?
सवाल हूं मैं या जवाब हूं मैं
समस्या हूं या समाधान  हूं मैं ?
जानने की इच्छा या
पहचानने की समझ हूं मैं ?
चलता हुआ मुसाफिर हूं मै? या
रुका हुआ इंसान हूं मै?
परिसिथतियों के साथ बह रहा हु मै
परिष्तिथियो से लड़ता हुआ इंसान ? 

खुशी हूं मैं या दुख हूं मैं ?
अंधेरा हूं मैं या प्रकाश हूं?
हर जगह ढूंढ रहा इंसान हूं मैं
कौन सा उद्गम स्थान हूं मैं ?

इस स्तिथि में हु मैं ?
कोनसी सी परिस्तिथत में हूं
चांद की शीतलता हूं या
सूरज की ज्वलनशीलता हु मैं ? 

बिंदु सा आकर हूं मैं या
ब्रह्मांड जैसा निराकार हूं ? 
शब्द सा मीठा हूं या
नीम से कड़वा हूं मैं

कौन हूं मैं ? 

इस जगह खड़ा इंसान हु मैं ?
हर वक़्त , हर पल घटना में मैं
अपने आपको खोजता इंसान हु मैं ?
चट्टान की तरह कठोर हूं मै ? या
माँ की तरह नरम हु मैं
ये मुझे ना पता चल पा रहा है
कि कौन हूं मैं?
हर पल हर जगह खोजता चल रहा मैं
इस सवाल  का जवाब नही मिल रहा है
हर एक वस्तु हर एक घटना में होने की कोशिश है
और
हर घटना को जानने और समझने की
कोशिश में लगा हुआ मैं

किस ओर निकल चला किस मंजिल को पाने को हूं मै ?
निकल चला बस गतिमान हु मैं
अब रुकना मेरा काम नहीं
मुझे मिले मेरी पहचान वहीं है सही
कही ढूंढता स्वयम को चला
पूछता अपने आपको रहा
बतादो मुझे कौन हूं मैं
जानते है लोग मुझे मेरे नाम से
मेरे काम से लेकिन मेरा अस्तित्व है क्या ?
इस वजह मै यहां वहां बस भटकता ही रहा
ना मंजिल न सफर का मुझे पता चला
बस रहा ढूंढ मै स्वयम को हर पल रहा
कौन हूं मैं?
ये प्रश्न मेरे मन में बार बार उठ रहा।