उम्मीद से उम्मीद लगाकर बैठ गया हूँ, अब उम्मीद भी पूछती है मुझसे की मैं पूरी हो जाऊ या अधूरी ही रहू।
ना जाने कितनी उम्मीद है मेरी आँखों में तुम्हें पाने की तुम्हें अपना बनाने की लेकिन तुम्हारे न कहने पर वो सारी उम्मीद टूटकर चकनाचूर हो जाती है।
उम्मीद से उम्मीद लगाकर बैठ गया हूँ, अब उम्मीद भी पूछती है मुझसे की मैं पूरी हो जाऊ या अधूरी ही रहू।
ना जाने कितनी उम्मीद है मेरी आँखों में तुम्हें पाने की तुम्हें अपना बनाने की लेकिन तुम्हारे न कहने पर वो सारी उम्मीद टूटकर चकनाचूर हो जाती है।
शब्द तो बन बैठा हूँ
लेकिन शब्दों को कह नहीं पाता हूँ
बस खुद में ही कही नजर आता हूँ
शब्द हूँ शब्दों से कतराता हूँ
कभी छुपक जाता हूँ ,
कभी दुबक जाता हूँ ,
बाहर नहीं आ पाता हूँ ,
घबरा कर बैठ भीतर ही जाता हूँ ,
यू मुझमे छिपा दर्द बहुत लेकिन कह कुछ नहीं पाता हूँ
बिना मतलब के चिल्लाता हूँ
हर किसी को बताता हूँ
शब्द हूँ मैं
लेकिन कुछ बोल नहीं पाता हूँ
भीतर की गहरी बाते जुबा पर ला नहीं पाता हूँ
जब भी बारी आई मेरी बोलने की सहमा सहमा नजर आता हूँ
शब्द हूँ मैं
लेकिन ज़्यादार मौन ही नजर आता हूँ
शब्द हूँ मैं
ना जाने ये बात भी कैसे जान पाया हूँ
लेकिन किसी को बता नहीं पाया हूँ
इस मन को कैसे रोके जो मन भीतर हो रही है उछल कूद है
इस मन को कैसे रोके
इस मन के आवेश में कितने है झोंके
इस मन को कैसे रोके
यह मन यह मन
इधर उधर ले जाए
जीवन संग सतरंगी सपने सजाए
जीवन की उधेड़ बुन में लगाए
नए नए रंग जीवन संग जोड़े
इन रंगों में इंसान खुद ही गुम हो जाए
इस मन भीतर अनेक कल्पना सज रही है
जो ये मन सजाए
इस मन को कैसे कैसे
हम समझाए
नित नए कार्यों में यह मन लग जाए
हाँ तुम्हारी हर बात अच्छी लगती , जिंदगी भर साथ रहु इसलिए मुलाकात अच्छी लगती है , तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है,
जो तुम कहते हो वो बस सच लगता है।
तुम्हारी हंसी, तुम्हारी भावनाएं,
मेरे दिल को कुछ ज़्यादा ही सुकून देती है।
तुम्हारी हर बात मुझे खुशी देती है,
जो तुम कहते हो वो मेरी जिंदगी बदल देती है।
दिनभर तुम्हारी यादों में खोये रहते हैं,
तुम्हारी बातों से जीवन में नई उमंग पाते हैं।
तुम्हारी हर बात दिल को छू जाती है,
जो तुम कहते हो वो दिल को सुकून देती है।
तुम सबसे अलग हो, तुम सबसे खास हो,
तुम्हारी हर बात मेरे दिल को रोमांचित कर देती है।
तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है,
तुम मेरी जिंदगी का हर पल खुशियों से भर देती हो।
तुम एक अनमोल सूखा नहीं हो,
तुम एक अनमोल गुलाब हो,
तुम्हारी हर बात मेरे दिल को आनंदित कर देती है।
सफल कैसे हो ? तुम्हें क्या लगता है ? की तुम थोड़ा बहुत कुछ करके सफल हो जाओगे कुछ 2-4 शॉर्टकट से बहुत अमीर ओर सफल व्यक्ति बन सकते हो? यदि तुम ऐसा सोचते हो तो इसका जवाब है। नहीं बिल्कुल नहीं इस तरह कभी भी सफल नहीं हो सकते, तुम्हें कड़ी मेहनत ओर बहुत दिमाग का प्रयोग करना होगा हर समय तुम्हें अपने Idea को एक नया रूप देना होगा ओर जब वो Idea फैल हो।
तुम्हें फिर से उतनी या उससे भी कई गुना मेहनत कर फिर उठना ओर आगे बढ़ना होगा, यू ही सफलता हाथ नहीं लगती, यू लकिरे इन हाथों में नहीं बनती, यू ही तुम इन लकीरों के राजा नहीं बन जाते कड़ी मेहनत ओर बुलंद हौसले ही तुम्हें सफल व्यक्ति बनाते है।
सफलता प्राप्त करना एक निरंतर प्रक्रिया है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करने वाले व्यक्तियों को संबोधित करती है। यह एक अविरत प्रक्रिया होती है जो समय, संयम, धैर्य, संघर्ष और सही दिशा में निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।
यहां कुछ संभव तरीके हैं जो आपको सफलता तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं: सफल कैसे हो
इन सभी तरीकों का उपयोग करके आप सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। लेकिन सफलता का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए भिन्न हो सकता है। इसलिए, आपको अपनी वास्तविक आकांक्षाओं और लक्ष्यों को स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी। यदि आप अपने लक्ष्यों के लिए उठाए गए कठिनाईयों से परे रहेंगे और अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रखेंगे तो सफलता आपके कदमों में बेहद निकट होगी।
जीवन आपके सवालों का जवाब देने को तैयार बैठा है, बस आप इस जीवन से सवाल तो पूछो एक बार , जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या पूछो,
जिंदगी उत्तर नहीं देती, सिर्फ अपने रुख बताती है।
जिंदगी की तरफ देखो, तो क्या दिखता है,
उदासी, खुशी, मुसीबतें, और बेहतर दिन जिन्हें याद करते हैं।
जिंदगी के सवाल हमें बहुत परेशान करते हैं,
हम तो नहीं जानते क्या गलत हो गया हमसे।
हम तो बस फिर से शुरू करना चाहते हैं,
जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं।
जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या जवाब मिलता है,
मौत का दर तो सबको होता है, बस जो जीता है वो जानता है।
जिंदगी की भीड़ में खुश रहो या उदास,
जीते रहो या हारो, जिंदगी का मजा तो बस रहता है उसमें बिताने में अपने वक्त का।
जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या पूछो,
हम सबके लिए जिंदगी एक सवाल बन जाती है।
फिर भी, हम जिंदगी को आगे बढ़ाना नहीं छोड़ सकते,
जीवन की ये चुनौती हमें और मजबूत बनाती है।
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तू अपनी राहों को चुन न पथ से भटक तू आगे बढ़ तू चल ,राह में रुकवटे आती है बहुत ,तू मंजिल को ना छोड़ ,बस अडिग हो बढ़ चल , मंजिल मिलेगी ना मिलेगी , ये क्या पता हमें,
पर जो भी कहते हैं, उस पर विश्वास हमें।
हर मुश्किल में थोड़ी होती है चुनौती,
पर जब दृढ़ता से जीत लेते हैं, तब खुशी से भर जाते हैं हमें।
मंजिल मिलती है या ना नहीं , इससे फर्क पड़ता है,
जो बीत गया उस पर शोक नहीं, नयी उमंगों का है अभिप्राय।
हर नयी चुनौती से अच्छे से लड़ते हैं हम,
जब तक हौसला हमारा बढ़िया, तब तक कुछ भी नहीं हमारा हार।
मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये क्या मायने रखता है,
जीवन हमें आनंद देता है जब हम प्रगति करते हैं।
हमने नयी उमंगों से हमेशा संघर्ष किया है,
जब मंजिल मिलती है, तब खुशियाँ हमें जागृत करती हैं।
मंजिल मिलेगी ना मिलेगी, ये तो भगवान जानते हैं,
पर हमें बस यही जानना है, कि जीवन एक यात्रा है।
हम सभी अपनी मंजिलों की तलाश में हैं,
जब तक जीवन हमारे साथ है, तब तक तो हमें बस अपने सपनों को पूरा करना है।
हर समस्या का समाधान होता …..
ध्यान की कमी से नही पाते पहचान ।
समस्या का समाधान हमारे भीतर ….
दूसरो के पास सिर्फ़ सुझाव की खबर ।
भीतर करे समस्या का चिंतन ….
जन्मेगा समाधान समस्या का निश्चित पतन ।
अपने ध्यान की रखे सही दिशा और दशा ….
उत्तर मिलेगा न छोड़े समाधान की आशा ।
सब्र रख सब ठीक होगा आज नहीं तो कल होगा , हमारा सब्र हमारा इम्तिहान लेता है सब्र का बांध टूट जाता है, ओर हम बेसब्री में कुछ का कुछ कर जाते है जिसकी वजह से हम अपने रास्ते भटक जाते है, हम अपनी मंजिल से ही कही दूर हो जाते है जिसका हमे पता नहीं चलता उस समय हमारे दिमाग में सिर्फ वही चल रहा होता है की कब होगा , कैसे होगा लेकिन सवाल इतना बड़ा हो जाता है की सब्र का बांध टूट जाता है इस सब्र को पकड़ कर रखना बहुत जरूरी है वरना यह सब्र, धैर्य टूट गए तो हम इसके विपरीत दिशा में बहने लग जाते है इसलिए यह टूटना नहीं चाहिए।
जीवन में, हमें कई बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम थक जाते हैं और उम्मीद खो देते हैं। इन समयों में, सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सब्र से काम लेने से हम भविष्य में सफलता हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी धैर्य बनाए रख सकते हैं।
हालांकि, सब्र का मतलब यह नहीं है कि हमें कुछ नहीं करना चाहिए। सब्र से काम लेने के साथ हमें अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए निरंतर काम करना चाहिए। इसके अलावा, हमें अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने की भी आवश्यकता होती है।
इसलिए, सफलता हासिल करने के लिए सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए सब्र से काम लेने की जरूरत होती है, और अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के साथ निरंतर काम करना होगा, ताकि हमारे जीवन में से सभी कठिनाई खत्म हो जाए।
बात करते है आदिपुरुष फिल्म के बारे में इस फिल्म की कहानी तो हम सभी जानते है, लेकिन रामायण जितनी बार देखी व सुनी जाए उतनी बार नई शिक्षा मिलती है , कुछ नया सीखने को मिलता है बस यही कारण था मेरा इस फिल्म को देखने का वैसे भी काफी लंबे समय से कोई ऐसी फिल्म नहीं देखी है।
मुझे सैफ अली खान से कोई एतराज़ नहीं है न ही फिल्म के किरदारों से मुझे दिक्कत है om raut से क्युकी जिस तरह से दिखाना या दर्शाना चाहिए था ऐसा कुछ नही था, फिल्म में इस दशानन वाले सीन के अलावा सैफ अली खान की एक्टिंग थोड़ी बहुत ठीक थी, लेकिन इतने सारे दृश्य ऐसे थे जहां पर सिर्फ हसीं आ रही थी, और फिल्म को बीच में छोड़ कर जाने का मन कर रहा था परंतु पैसे तो मेरे लगे थे, Om Raut के नही इसलिए मैने फिल्म को पूरा देखा।
यह 2.59 घंटे की फिल्म है जिसमें आपको अच्छे डायलॉग , इमोशन नहीं मिलते और हम सभी के प्यारे हनुमान जी के मुख से एक बार भी जय श्री राम नही सुनाई देता, इस फिल्म में श्री राम जी को राघव नाम से संबोधित किया गया व लक्ष्मण जी को शेष नाम से।
सबसे गजब की बात तो यह दिखती है की फिल्म में खतम करने की जल्दी बहुत दिखाई गई है। कोई भी अच्छे से कवर किया ही नहीं है पता नहीं फिल्म के डायरेक्टर इस फिल्म को खत्म करके जाना कहां चाहते थे।
इमोशन का कोई स्थान नहीं है, ना ही कोई भी सीन बहुत अच्छी तरह से फिल्माया गया है, जिस जगह जरूरत थी फिल्म को दर्शकों के साथ जोड़ने की वो कोशिश भी पूरी तरह से नही की गई।
इस फिल्म में एक गलती नही बल्कि खूब सारी गलतियां की गई है शब्दों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ दिया गया है,भाषा का दुरुपयोग किया गया है रामायण के नाम पर इन लोगो एकता कपूर का सीरियल दिखा दिया।
जब रावण सीता माता का हरण कर रहा था तब श्री मुख से एक बार भी सीता सीता नही निकला था यह एक साधारण सी बात हुई है जैसे इस तरह से फिल्माया गया।
माता शबरी वाला सीन भी बिलकुल खराब कर दिया साथ ही सीन सही तरीके से नही दिखाया गया।
मनोज मुंतशीर के कुछ भद्दे शब्द जिन्होंने फिल्म का स्तर गिरा दिया
1) “कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की”
(2) “तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया”
(3) “जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे उनकी लंका लगा देंगे”
(4) “आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं”
(5) “मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है”
Point 1. Single star movie
2 ticket price high on weekend because they know after this week no one will see
3 fault language and dialogue are so bogus
4. Acting level is like Tv serial
5. No emotion in this Epic tale
6. Chanting of Ram Ram and Jai Hanuman is missing
7. First part bit ok but 2 half is completely flat
8. Ye film toh baccho ke liye bhi nahi hai bachhe kya sikhenge is film ko dekhkar ki hanuman ji is tarah se baat karte hai?
I think don’t waste your money anymore
in cinema for this Adipurush movie better to watch Ramayan at home
Is film ko 1.5 staar ki rating bahut hai wo isliye ki Bollywood ne aese effect and all ke liye effort lgai otherwise movie is not worth watch