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दुकान में समान

आपकी दुकान में समान कितना है इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता, क्युकी जब आपकी दुकान पर कोई ग्राहक आता है तो वह यह कहकर चला जाता है, कुछ तो रखा करो दूर जाना पड़ता है यह समान लेने के लिए

क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है आपकी दुकान समान से भरी हुई है लेकिन फिर ग्राहक जो माँगता है वो आपके पास नहीं होता, और ग्राहक वहाँ से लौट जाता है।

आप किसी भी प्रकार की दुकान चला रहे हो लेकिन यदि आपके पास पूरा समान नहीं है तो ग्राहक लौटेगा ही, इसलिए हमे अपनी दुकान में समान को भरपूर मात्रा और किस्म के हिसाब से रखना चाहिए।

यदि आप किताबों का काम करते है और एक ही प्रकार की किताब का काम करते है तो आपको उस तरह की लगभग सभी पुस्तकों में अपनी दुकान पर रखना चाहिए, जिसमे कोई कमी नहीं आनी चाहिए, हो सकता है उस किताब मांग बहुत धीमी हो परंतु ग्राहक यह सोचकर नहीं आता की उस किताब की मांग धीमी तो मैं नहीं जाता उस व्यक्ति को तो वो किताब पद्धनी है इसलिए उसे वह किताब चाहिए ही, यदि वो आपके पास नहीं है तो वह ग्राहक अब कही और जाएगा ही।

आज का समय बिल्कुल भी उस तरह का नहीं है जब ग्राहक समान का इंतजार करे, अब ग्राहक 1-2 दिन भी नहीं ठहरता उसे अब समान तुरंत ही चाहिए होता है, आजकल तो घर का समान तो सिर्फ कुछ मिनटों में ही उपलब्ध हो जाता है, यदि आपके पास नहीं है तो ग्राहक या तो दूसरी दुकान पर चला जाएगा नहीं तो online ऑर्डर कर देगा, इसलिए आज के समय में समान हमारे पास उपलब्ध होना चाहिए, जिससे की आपकी बिक्री बढ़ती रहे क्युकी जब ग्राहक को उसी जगह पर समान मिल जाता है तो वह दुबारा भी आपके पास उम्मीद से आता है की आपके पास समान मिल जाएगा, नहीं तो यह सोचकर नहीं आएगा की इस दुकान पर समान तो कभी मिलता नहीं है फिर जाने का क्या फायदा।

इसलिए दुकान अब प्रतिस्पर्धा वाला कार्य हो चुका है और अब पहले के समय से भी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है, पहले सिर्फ आसपास की दुकानों से ही प्रतिस्पर्धा होती थी लेकिन आजकल अनलाइन पर समान बेच रहे दुकानदारों से मुकाबला होता है, और इसके साथ साथ बड़े बड़े व्यापारी बड़ी बड़ी दुकान खोलकर सामान को सस्ता बेच देते है जिनसे पप्रतिस्पर्धा का स्तर और अधिक हो गया है, जिसमे बहुत सारी चुनौती आती है। और छोटा व्यापारी बेचारा छोटा ही रह जाता है।

जैसे की मूल्य स्पर्धा, घर बैठे समान ग्राहक को मिल जाना, समय पर समान का मिलना, बहुत सारे चुनाव भी उन्हे online में मिल जाते है, व समय की बचत भी होती है।

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उम्र 40 की

उम्र 40 की जब उम्र के पड़ाव पार होने लगे तब ख्यालों की मात्रा बढ़ने लगती है, लेकिन लोगों की नजदीकिया उस समय बहुत कम होने लगती है, एक उम्र के बाद आपके दोस्त आपके रिश्तेदार आदि भी बहुत दूर हो जाते है, सभी अपने जीवन में व्यस्त हो जाते है जैसे आप होते है अपने जीवन में, संबंधों को बहुत सिचना पड़ता है उन्हे संभाल कर चलना होता है, हर छोटी बड़ी बात में रिश्ता कब कमजोर हो जाए उस बात का हमे एहसास ही नहीं होता।

उम्र 40 की जब होती है तो लगभग आपके जीवन का आधा समय बीत चुका है और यह भी कहा जा सकता है की आज के समय के हिसाब हम आधे से अधिक समय व्यतीत कर चुके है, क्युकी औसतन उम्र 60-70 की होने लगी है। यदि यही उम्र है तो हमने अपने जीवन को अभी तक कैसे तैयार किया है और आगे की तैयारी क्या है? क्या हम जो हो रहा है, जैसे हो रहा है के भरोसे तो नहीं बैठे हुए है यदि आप जैसे हो रहा है और जो हॉएगा के भरोसे बैठे है तो आपको उठने की आवश्यकता है, और अपने जीवन की तैयारी करने की बहुत आवश्यकता है, क्युकी सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठना उचित नहीं है, क्युकी भाग्य का निर्माण करना ही हमारा कर्म है।

यदि इस तरह से देखा जाए तो क्या हमने अभी तक किया है, क्या इस उम्र में आकर हम सेटल हो चुके है या अभी भी स्ट्रगल वाला जीवन व्यतीत कर रहे है। क्या अब जीवन आरामदायक है या फिर 99 के फेरे में बुरी तरह से फंस चुके है, जिससे बाहर निकलना असंभव सा प्रतीत होता है।

उम्र 40 की यह संकेत भी देता है की अब हमे स्वयं की खोज पर ज्यादा जोर देना चाहिए, हमे अब स्वयं की यात्रा मे आगे बढ़ना चाहिए, जो गलतिया अभी तक की है उन्हे दोहराया नया जाए, और अब उन गलतियों में सुधार भी किया जाए।

उम्र 40 की इस उम्र में आने के बाद अधिकांश लोग बहुत सारे कार्यों को करना छोड़ देते है, बहुत से सीखना भी छोड़ देते है, बहुत लोग किटाबे पढ़ना भी छोड़ देते है, लेकिन हम जिंदगी के किसी भी पड़ाव पर हो हमे सीखना या फिर पढ़ना नहीं छोड़ना चाहिए, क्युकी जीवन लगातार कुछ नया सीखने से और भी बेहतर होता है।

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