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प्रेम की भाषा

प्रेम की भाषा का मुख हृदय….
करुणा प्रेम का कोश प्राणमय ।
करुणा के अंग सत्य दया और ममता …
करुणा बहती नदी सब के लिए समता ।

प्रेम से बंधती भविष्य के जीवनों की आशाएँ…..
प्रेम में देश जाति धर्म बड़े छोटे सब समा जाए ।
प्रेम में नहीं अहंकार क्रोध और द्वेष का भाव….
प्रेम का करुणा निर्मलता समता विश्वास का स्वभाव ।


जहां बहती हैं प्यार की नदियाँ बड़ी गहराई से।
करुणा प्रेम का कोश है, प्राणमय और अद्भुत,
जिसमें बसती हैं खुशियाँ और विश्वास की झूली जैसी बूँदें।

करुणा के अंग होते हैं सत्य, दया और ममता,
जो लाती हैं आपसी समझ और सद्भावना की बरसात।
सबके लिए समता बनती है करुणा की बहती नदी,
जहां प्यार और सहानुभूति का दौर बना रहता है नित्य।

हृदय की ताल में बसती हैं प्रेम की धुनें,
जो जगाती हैं दिलों में एकता और सद्भावना की भावना।
करुणा की मधुर आवाज सुनते हैं सभी अन्तर्मन,
प्रेम की भाषा में भीगते हैं हर मन के भावना।

घूमर फिल्म

घूमर फिल्म में कुछ ऐसे वाक्य जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक है, कुछ ऐसे विचार जिनको पढ़कर आपको हिम्मत मिले

  1. लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।
  2.  जिंदगी में कब कौनसी परेशानी आपको घेर ले ये बात किसी को नहीं पता।
  3.  हम अपने सपनों को बहुत बड़ा कर लेते है लेकिन हमे नहीं पता चलता वो कब टूट जाते है।
  4.  कोई किसी के लिए नहीं रुकता , आपके बदले कोई ओर जगह जरूर लेगा , बिल्कुल वैसा हो  या नहीं वो शायद आपसे बेहतर या फिर बस कुछ कम हो सकता है बिल्कुल आप जैसा न भी हो तो भी।
  5.  उन टूटे हुए ख्वाबों को फिर से जोड़ना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसका टूटना बहुत बड़ा दर्द  है।
  6.  तुम खुद को दुख से भरना चाहते हो लेकिन सुख तुम्हारे साथ ही क्युकी तुम दुख को बड़ा कर लेते हो ओर सुख को छोटा।
  7.  तुम्हारा होसला ही तुम्हें कामयाबी दिलाता है।
  8.  जिंदगी जब कही पर दरवाजा बंद करती है तब दरवाजा खोलना नहीं तोड़ना पड़ता है।
  9.  हम शरीर के कुछ अंगों को बिल्कुल भूल जाते है। जिनका प्रयोग सिर्फ कुछ ऐसे कामों के लिए करते है जिसका विकल्प भी आज मौजूद है।
  10.  जरूरी नहीं है दरवाजे को तोड़ना ही पड़े बस थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, उस दरवाजे की चाबी को पाने के लिए।
  11.  तीखी बाते कभी कभी इंसान को अच्छा बनाती है, तो बहुत सारे लोगों को बुरा भी बना देता है।
  12.  हमेशा सख्त होना भी अच्छा नहीं है।
  13.  हम हमेशा परफेक्ट होने में ही लगे रहते है। लेकिन क्या परफेक्ट होना जरूरी है?
  14.  कहते है रुकना नहीं है, बस चलते रहना है तभी मंजिल मिलती है।
  15.  अपनी गलतियों को सुधारना है, ओर दुबारा गलतिया ना हो ऐसा प्रयास करना है।
  16.  जिंदगी में बहुत सारी असफलता मिलती है, लेकिन सफलता हमारा अधिकार है, जो एक दिन  अवश्य मिलेगी।
  17.  क्रिकेट अनिश्चितिताओ का खेल है कुछ भी हो सकता है।
  18.  आपकी सफलता सिर्फ आप पर ही निर्भर नहीं करती वो एक समूह का भी हिस्सा है।
  19.  विश्वास जरूरी है अंधविश्वास नहीं।
  20. जब आपकी किस्मत ही किसी ने छिन ली हो, तब किस्मत पर भरोसा करोगे या खुद पर विश्वास।

यह विचार घूमर फिल्म से है, यदि आपको अच्छे लगे हो तो कृपया कमेन्ट करके बताए इसी तरह के बहुत सारे विचार फिल्मों के माध्यम से मैं लिखता रहूँगा।

टाइगर 3

टाइगर 3 की कहानी

कहानी की शुरुआत फ्लैशबैक से होती है, जहां जोया अपनी किशोरावस्था में है। वह पाकिस्तान के अपने ISI एजेंट पिता नजर (आमिर बशीर) से किक बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ले रही है। बाप-बेटी दोनों ही खुश हैं, मगर तभी एक आंतकी बम विस्फोट में जोया के पिता को जान गंवानी पड़ती है और वहीं से वह अपने पिता के शागिर्द आतिश रहमान (इमरान हाशमी) के प्रशिक्षण में ISI एजेंट बनने का फैसला करती है। फिर कहानी आती है, वर्तमान में जहां टाइगर (सलमान खान) जोया (कटरीना कैफ) और अपने बेटे के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहा है, मगर तभी आतिश रहमान अपनी गर्भवती पत्नी की मौत का बदला लेने के लिए टाइगर और जोया के बेटे को एक ऐसा इंजेक्शन दे देता है, जिसका एंटीडोट 24 घंटे में नहीं देने पर वह मर सकता है। बेटे की जान बचाने के लिए आतिश, टाइगर और जोया को एक ऐसा काम करने को मजबूर करता है, जिसके कारण ये दोनों ही इंडिया-पाकिस्तान में देशद्रोही साबित हो जाते हैं।

ऐसे हालात आतिश रहमान उस वक्त पैदा करता है, जब इंडिया-पाकिस्तान अमन की पहल कर रहे होते हैं। वह पाकिस्तान में जम्हूरियत खतम करके डिक्टेटरशिप लाना चाहता है। अब टाइगर उर्फ अव‍िनाश को न केवल अपनी बेगुनाही साबित करनी है बल्कि पाकिस्तान के लोकतंत्र के साथ-साथ वहां की वजीरे आजम को भी बचाना है। क्या टाइगर खुद को निर्दोष साबित कर पाता है? क्या वह अपने ससुराल में जम्हूरियत को कायम रख पाता है? क्या उसे एक बार फिर जोया का साथ मिल पाता है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

टाइगर 3′ का रिव्यू:

निर्देशक मनीष शर्मा फिल्म की शुरुआत स्पाई यूनिवर्स को सार्थक करने वाले धमाकेदार फाईट सीक्वेंस से शुरू करती है और लगता है कि यह फर्राटे से दौड़ेगी, मगर फर्स्ट हाफ में फिल्म सुस्त हो जाती है। इंटरवल के बाद जब इमरान हाशमी की एंट्री होती है, तब फिल्म अपनी गति पकड़ पाती है। फिल्म का प्लस पॉइंट है, इसका रोगंटे खड़े कर देनेवाला एक्शन। फिल्म को बॉलीवुड की सर्वाधिक एक्शन दृश्यों वाली फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया है, जो किसी हद तक सच भी साबित होती है, मगर कमजोर स्क्रीनप्ले फिल्म को नुकसान पहुंचाता है। हां, बॉलिवुड की नायिका का एक्शन के दांव-पेंच से मर्दों को चित करना अच्छा लगता है। फिल्म में एक जगह यंग कटरीना कहती भी है कि वो लारा क्राफ्ट (टॉम्ब राइडर की मशहूर जांबाज फाइटर) बनना चाहती है। मनीष कहानी को इंडिया-पाकिस्तान की जासूसी दुनिया जैसे परंपरागत सांचे में ढालते हुए आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने फिल्म में हर तरह के मसाले डाले हैं। इस टाइगर को पठान (शाहरुख खान) का साथ भी मिला है।

संगीत की बात करें, तो प्रीतम के ‘रुंवा’ और ‘लेके प्रभु का नाम’ जैसे दोनों गाने अच्छे बन पड़े हैं। मगर डायलॉग उतने दमदार नहीं बन पाए। सिनेमटोग्राफर अजय गोस्वामी ने दिल्ली, मुंबई, इस्तांबुल, सेंट पीटसबर्ग, ऑस्ट्रिया जैसे लोकेशनों को बहुत ही कमाल अंदाज में फिल्माया है। फिल्म का प्री-क्लाइमेक्स लंबा हो जाता है, मगर अंत में दर्शकों के लिए एक सरप्राइज एलिमेंट जरूर है।

सलमान से लेकर इमरान हाशमी और कटरीना की परफॉर्मेंस

टाइगर 3 फिल्म में परफॉर्मेंस की बात करें, तो सलमान खान अपने चिरपरिचित अंदाज में हैं। उनका एक्शन और स्वैग उनके फैंस को भाता है और इस बात का सबूत है, सुबह के शो में दिवाली के दिन दर्शकों की मौजूदगी और उनकी एंट्री पर लोगों की सीटियां। कटरीना कैफ परिपक्व अपने एक्शन दृश्यों के साथ पूरा न्याय करती हैं। एशियाई अभिनेत्री मिशेल ली के साथ उनका टॉवल सीक्वेंस वाला एक्शन दृश्य रोमांचक है। इमरान हाशमी फिल्म का मजबूत पहलू हैं। उन्होंने अपनी भूमिका में जान लगा दी है। उन्हें विलेनिश अंदाज में देखने का अनुभव अलग है। पठान के रूप में शाहरुख खान का कैमियो और टाइगर के साथ उनका ब्रोमांस मजेदार है। कुमुद मिश्रा, विशाल जेठवा, रिद्धि डोगरा, रेवती, रणवीर शौरी जैसे कलाकार अपनी भूमिकाओं में जमे हैं।

भगवांथ केसरी

भगवांथ केसरी में नंदमुरी बालाकृष्ण, श्रीलीला, काजल अग्रवाल और अर्जुन रामपाल जैसे सितारों वाली फिल्म अक्टूबर में रिलीज हुई थी और जैसे ही फिल्म रिलीज हुई हर तरफ इसी के चर्चे होने लगे. इसी का असर था कि कई बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म इस फिल्म को खरीदने की होड़ में थे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर फिल्म किस ओटीटी प्लेटफॉर्म ने भगवंत केसरी के राइट्स खरीदे हैं तो आपको बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो पर ये फिल्म रिलीज हो गई है.

सिनेमाघरों में कुछ ऐसी फिल्में भी रिलीज होती हैं, जिन्हें देखने के लिए सिेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. भले ही ये फिल्में कम बजट में बनी हों, लेकिन इनकी कहानी इतनी जबरदस्त होती है कि कोई भी खुद को ये फिल्में देखने से रोक नहीं पाता. पिछले महीने ऐसी ही एक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसे देखने वालों की सिनेमाघर में भीड़ लग गई. इस फिल्म की सफलता को देखते हुए अब फिल्म के मेकर्स इसे ओटीटी पर रिलीज करने की तैयारी में जुट गए हैं. ये फिल्म है ‘भगवंत केसरी’, जो ‘गणपत’ और ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई और दोनों ही फिल्मों को जबरदस्त पटखनी देते हुए कमाई के मामले में काफी आगे निकल गई.

भगवांथ केसरी फैंस लंबे समय से फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने का इंतजार कर रहे थे, जो अब खत्म हो गया है. नटसिंह्मा नंदमुरी बालकृष्ण और श्री लीला की फिल्म के राइट्स ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम ने खरीद लिए हैं. यानी अब आप ये फिल्म अमेजन प्राइम पर आसानी से देख सकेंगे. फिल्म 24 नवंबर को ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जा चुकी है, अब इसका हिन्दी वर्जन अमेज़न उपलब्ध है, फिल्म बहुत ही शानदार है। फिल्म की कहानी में दम है,

नंदा बालकृष्ण मूरी अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के लिया बहुत ही विख्यात है, इनका अपना ही एक अलग अंदाज है, इनके डाइअलॉग दर्शकों को बहुत लुभाते है, गुंडे तो कांपने लगते है इनको देखकर फिल्मों में जब ये बोलते है सब चुप हो जाते ओर जब मारते है तो बचते नहीं मार ही जाते है।

मुस्कुराओ

मुस्कुराओ ….क्युकी दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है, जो मुसकुराता है वो दुनिया को बदलने की हिम्मत रखता है, उसका विश्वास अपनी मुस्कुराहट से ओर बढ़ जाता है, वो मुरझाए हुए चेहरों को फिर से नई जान देता है, उनके भीतर नई ऊर्जा भर देता है।

मुस्कुराओ क्युकी दुनिए का हर आदमी कहिले फूलों ओर कहिले चेहरे को पसंद करता है।
मुस्कुराओ

मुसकुराना मानो दुनिया का खुद से ही बदल जाना है, मुसकुराना एक कला है भीतर चाहे कितने ही दुखी दुखी लेकिन आपके होंठों पर मुस्कुराहट दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट भर देता है।

यह भी पढे: मेरी मुस्कुराहट, मुस्कुराहट छुआ छूत, चेहरे की खूबसूरती, चेहरे पे मुस्कान,

सब समान

समय के लिए सब समान बुरा समय या हो अच्छा समय…..
कोशिश हो कि न विचलित हो सदा संतुष्टि से समय का हो व्यय ।
समय ज्ञाता लिए है प्रश्न और उत्तर पुस्तिका…..
प्रश्नों का कैसे देना उत्तर यह सबका अपना अपना तरीक़ा ।

वर्तमान बीता जाये कल कल ध्वनि सी बहती सरिता …..
कर्मों की भी होती चीख पुकार चुप्पी शांति भ्रम और ममता ।
वर्तमान से होता निर्धारित कैसा होगा भविष्य…..
हम स्वय रचियता , पहचाने स्वय का वास्तव ध्येय ।
समय में संतुष्टि माया और यथार्थ …
करे न्याय समय से बने सच्चे पार्थ ।

समय का चक्र चलता रहता है,
जीवन के हर लम्हे में बदलता रहता है।
कभी बुरा समय आता है हमारे पास,
कभी अच्छा समय देता है खुशियों का आगाज।

पर सबसे महत्वपूर्ण है समय संतुष्टि का,
न विचलित होने की हो चेष्टा सदा।
समय का व्यय करें आनंद से और संयम से,
जीवन के सभी क्षणों को महत्वपूर्ण बनाएं सदा।

समय ज्ञाता है हमारे प्रश्न और उत्तर को,
हमेशा हमारे साथ रहता है यह पुस्तिका।
जीवन के पाठ पढ़े हमें समय के साथ,
ज्ञान और अनुभव से बनाएं हमें सबका।

समय का सम्बंध है जीवन के हर अंग से,
इसे समझें और महत्वपूर्णता दें हमेशा।
समय को सदा सम्मान दें और सदा सदा,
जीवन के हर पल में खुशहाली का बनाएं वातावरण।
समय के लिए सब समान बुरा समय या हो अच्छा समय…..
कोशिश हो कि न विचलित हो सदा संतुष्टि से समय का हो व्यय ।

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बोरियत वाला मस्तिष्क

बोरियत वाला मस्तिष्क है क्या आपका ? आप खाली बैठते है?
या खाली बैठे है कुछ करने को है नही लेकिन करना बहुत कुछ चाहते है शरीर छटपटा रहा है कुछ करने को लेकिन क्या करू क्या नही बस समझ नही आ रहा है, किधर जाउ किधर नही जाउ कुछ नही समझ आ रहा है बस दिमाग खाली बैठ ऐसा लग रहा है पकता ही जा रहा है।

खाली बैठे है तो फ़ोन के नंबर ही चेक करले हम कितने नंबर है हमारे फोन में या फिर कितने वॉट्सएप कॉन्टेक्ट है? किसका मैसेज आया है किसका नहीं आदि इत्यादि ही देखले हम भी जरा
इधर उधर अखबार पढ़ले कुछ ना कुछ करले लेकिन कुछ तो करले बस यही चल रहा है लेकिन यह नही पता क्या करना चाहते है।

क्या करने के लिए कुछ नही है क्या इधर उधर की बाते कर रहे है ?  क्या सोच रहे है?
या कुछ सोचनेे के लिए नही क्या कुछ सोचना चाह रहे हो कुछ सोचने की कोशिश तो कर रहे परंतु कुछ कर नही पा रहे हो आपका शरीर भी बिल्कुल सुस्त नही है किसी भी किर्या में तो आप क्यों और क्या करना चाहोगे?

कैसे करोगे ये क्या समय है की में कर भी नही पा रहा हूं लेकिन करना चाहता हु कुछ करने को है नही हर एक चीज़ से मैं बोर से महसूस कर रहा हूं।
क्या करू?  क्या ना करू? 

बस यही एक विचार मन, मस्तिष्क में घूम रहा है कुछ काम करने को नही या काम में मन नही लग रहा कभी बाहर जाते है कभी अंदर आते है

कभी बातो को खिंचने की कोशिश करते है किसी भी काम में मन नही लग रहा किसी से बात करने का मन नही कर रहा है सिर्फ बैठे है कुछ हो नही रहा है समय भी बीत नही रहा है धीरे धीरे समय निकल रहा है घड़ी ठीक से चल रही है या नही ? बस जल्दी से समय बीत जाए यह समय क्यों नहीं बीत रहा है?

यह बोरियत वाला मस्तिष्क है क्या आपको अपने विचारो में क्या कभी कुछ महसूस होता है इस मस्तिष्क को पहचानो अपने इस मस्तिष्क को देखो ये क्या करना चाहता है क्या कर रहा है? या फिर यह मस्तिष्क आपका कुछ देर में ही बोर होने का संदेश देता है या फिर लगातार किसी कार्य में लगने की कोशिश करता है।

हम सिर्फ समय बिताना चाहते है परन्तु यह नहीं देखना चाहते कि यह दिमाग क्या कहना चाहता है इस दिमाग को नहीं समझना चाहते बस इधर उधर उलझना चाहते है इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश नहीं करना चाहते

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Trade Fair

हम आए घूम कर प्रगति मैदान Trade fair जहां इस बार लगा हुआ था 42 वा अंतरराष्ट्रीय मेला जिसमे भारत वर्ष के सभी राज्य इस व्यापार मेले का हिस्सा होते है, और बहुत सारी चीज़ें इसमें देखने को मिलेगी जैसे की कपड़े , घर का सामान, खाने का सामान , रसोई का सामान, सजावट आदि सामान मिलेगा इन सभी की कीमत कम होगी यह तो नहीं कहा जा सकता परंतु वह चीज होती है जो आसानी से हमे मार्केट में नही मिल पाती, इसलिए इस समान का दाम थोड़ा महंगा होता है, ओर काफी नई कंपनी अपना प्रचार व प्रसार करने के लिए आती है, वह अपना स्टॉल लगते है। 

इस बार जिस थीम पर काम किया गया है वह है वासुदेव कुटुंबकम इसी थीम पर पूरा मेला बनाया गया है। 

वासुदेव कुटुंबकम
वासुदेव कुटुंबकम

मैं हर बार जाता हूं। स्कूल टाइम से जा रहा हूं मैं एक बार का किस्सा याद आया मुझे जब मैं पहली बार ट्रेड फेयर गया था अपने स्कूल फ्रेंड्स के साथ हम सभी स्कूल बंक करके प्रगति मैदान गए थे पहली बार किसी ने घर पर नही बताया था। 

बस निकल चले हम सभी वही जाकर अपने घरवालों को फोन करने की सोच रहे थे और काफी घबराए हुए थे की हमे घर पर जाने में तो देर हो जायेगी और घरवाले चिंता करने लग जायेंगे। 

वो मेरा पहला अनुभव था उस समय का मन में डर था लेकिन जाने की इच्छा थी वैसे भी हम 11वी में थे उस समय उम्र का जोश था की अब हम बड़े हुए है तो कौन क्या कहेगा हमे, बस यही सोचकर चले गए थे लेकिन हमने से कुछ वापस चले गए थे और कुछ अंदर घूमने गए। 

तबसे लेकर अब मैं 38 साल का हो चुका हूं मैं हर साल जाता हूं और किसी किसी वर्ष तो ऐसा होता है की मैं 2 और 3 बार भी चला जाता हूं , मुझे नई नई चीज को देखने में अच्छा लगता है , मार्केट में क्या नया आ रहा है इस बारे में जानकारी मिलती है, इस वजह से ही में घूमने के लिए जाता हूं। 

Trade Fair के लिए टिकट अनलाइन Paytm इन्साइडर से आप ले सकते है, या फिर किसी भी मेट्रो स्टेशन से आप टिकट ले सकते है, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट वाले स्टेशन पर टिकट नहीं मिल रही है बाकी सभी जगह टिकट उपलब्ध है, Paytm से टिकट लेने पर आपको कोई Platform चार्ज नहीं देना पड़ता। 

 मेट्रो से सीधा आप सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर उतरते है ओर वही से प्रवेश करते है,  गेट नंबर 10 से भीतर प्रवेश करते है। 

इस बारे जाने का मजा थोड़ा अलग है क्यूकी  काफी समय से घर से बाहर नहीं गया निकला था, काफी समय बाद जब आप घर से बाहर निकलते है तब आपको भी अच्छा अच्छा महसूस होता है। और भीतर उत्साह भरा हुआ होता है की यह देखेंगे वह देखेंगे और कुछ नया कर भी लेंगे। 

इस बार सरस जो पहले की बाहर की ओर स्टॉल उपलब्ध करता था वो इस बार पूरी तरह से अंदर ही अरैन्ज कर रखा था, जिससे आपको देखने व घूमने में आसानी होती है। 

जो पहले लोग पार्क में बैठकर खाना कहा लेते थे अब वो जगह भी खत्म कर दी गई है, उसकी जगह पर फूड कोर्ट बना दिए गए है। 

इस बार प्रगति मैदान का Trade Fair पहले से ज्यादा व्यवस्थित है, जितनी भी भीड़ आए वो सारी फैल जाती है जिसके कारण लगता है की भीड़ नहीं है, सभी हाल खाली से लगते है। बहुत भिचे हुए नहीं लगते सभी स्टॉल पर यदि भीड़ उमड़ ना पड़े तो इससे समान का बिक्री अधिक होती है, ओर ग्राहकों को भी समान को पसंद करने में आसानी होती है, वो व समान को जांच कर के लेता है, नहीं तो धक्का मुक्की करके आगे बढ़ जाता है ना ही समान देख पाता था ना ही कुछ खरीदारी कर पाता था, जिन लोगों को सिर्फ घूमने का शोक होता है वह अपना घूमने का शोक पूरा कर लेते है ओर जिनको कुछ साथ खरीदारी भी होती है तो वह भी कर लेते है।

इस बार फूड कोर्ट भी काफी व्यवस्थित था, ओर सभी प्रकार का भोजन उपलब्ध था, राज्यों के अनुसार फूड कोर्ट लगाया गया हुआ है।

फूड कोर्ट
फूड कोर्ट

इस तरह के मेलों से हमे समान खरीदना चाहिए, यदि हम ईन जगहों से समान नहीं कहरीदेंगे तो आगे आने वाले समय में इस तरह के मेले लगने ही बंद हो जाएंगे क्युकी जिस तरह से अनलाइन का प्रचलन बढ़ रहा है, उस तरह से इन मेलों में खरीदारी कम हो रही है। 

सभी चीज़े आजकल अनलाइन मिल ही जाती है, जिसकी वजह से लोग अनलाइन समान खरीद लेते है, उन्हे बाहर जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। 

परिस्थितियां

हमारे जीवन की परिस्थितिया किस प्रकार की बन रही है, और हमारे जीवन से इन परिस्थितियों का क्या संबंध है। जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती- जाती है और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है सब अपने अपने तरीके से  अपनी परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
आप टूटना चाहते है या निखरना अब यह आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय पर तथा आपके मस्तिष्क के विचारो पर निर्भर करता है।
परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है।

सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है।

उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।
आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ?

यह आप पर ही निर्भर करता है कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे, और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे
कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते ,  ना वो कुछ कर पाते है।

समय बलवान है ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है,समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको  भी साथ पकड़ लेते है और इंसान कमजोर पड़ जाता है हार मान लेता है तथा डरने लग जाता है जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

यह भी पढे: कठिन परिस्थिति, परिवर्तन काल जीवन, जीवन की परिस्थितिया, प्रश्न और उत्तर,

सुनने की शक्ति

श्रवण शक्ति और सुनने की शक्ति, अच्छा श्रावक बने, हमारे कानो के द्वारा हमे बाहरी आवाजे सुनाई देती है जिसकी वजह से हम बहुत सारे शब्दों पर कार्य करते है,

सुनने की शक्ति हमे कानो के द्वारा कुछ सूक्ष्म आवाजो को सुन सकते है यदि हम अपनी सुनने की शक्ति को बढ़ाले तो हम अति सूक्ष्म धवनियो को आसानी से सुन सकते है परन्तु अभी तो हम कई बार अपने टीवी की आवाज को भी तेज़ करते है कि सुनाई नहीं रहा , बहुत जोर से रेडियो speaker आदि लगाकर सुनते है जैसे हम खुद नहीं सुनना पूरी दुनिया को सुनाना चाहते है हम सब शोर पसंद कर रहे है

हमारे साथ तो ऐसा भी होता है की घड़ी की सुई बज रही होती है परंतु हमारे मस्तिष्क में विचारो का इतना शोर होता है की उस घड़ी की आवाज भी नही सुनाई देती आजकल तो हम सभी का यह हाल हो चुका है की सड़क पर चलते रहते है औए बहुत सारी गाड़िया हॉर्न बजाती है और हमे उन्हें निकलने की जगह भी नही देते बस वो भी बजाते रहते है, हॉर्न और हम अपने कानो को जैसे बन्द करके चलते है यह कोई दिन में आप मगन नही होते यह तो आपके बाहर सारे विचार है जो आपके मस्तिष्क में एकत्रित हो जाते है जिसके कारण आप कुछ भी सुन नही पा रहे  मतलब सुनकर भी अनसुना कर रहे हो या उन्ह विचारो में खो जाते हो


कानो में मोबाइल की लीड लगाकर रोड पार करते है इधर उधर घूमते है और बाहर का तथा अंदर का शोर दोनो एक साथ सुन रहे होते है, किसी भी आवाज को अपनी और आने नही देना अपनी
बहुत सारी ऐसी बाते भी सुन सकते हो जो सामने वाला कहना तो चाह रहा हो परंतु होठो तक ला कर ही रोक लिया हो ब्रह्मंड में ऐसी बहुत सारी ध्वनियां गूंज रही है जो आसानी से नही सुन पाते वो सिर्फ और सिर्फ ध्यान की गहराई में उत्तर जाने के बाद सुन सकते है जिसमे ऐसा अनुभव होता है की कोई हमे बहुत कुछ बोला चला जा रहा और हम सुन रहे है समझ रहे है

Translate the words through ears
हमारे कान क्या सुन्ना चाह रहे है ?
ये किस प्रकार की ध्वनि सुन्ना चाहते है? 
किसी भी सूक्ष्म ध्वनि को सुनने में सक्षम होते है

परंतु हम उन सूक्ष्म ध्वनियों को सुन्ना नही चाहते या सुन नही पा रहे है क्योंकि हमारा  मस्तिष्क हमेसा  बहुत सारे विचारो के साथ उलझा हुआ है लगातार शोर में जीने कि आदत हो गई है हमें
हमारे मस्तिष्क के कारण हम अंदर की ध्वनियों को सुन नही पा रहे है हम उन पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहे है हम उन सभी ध्वनियों पर अपना ध्यान केंद्रीत कर ही नही पाते  हमारे कान हमेसा बाहर की ध्वनियों को सुनने में ज्यादा मसरूफ रहते है ये अंदर की ध्वनियों को सुनने के लिए ज्यादा सजग हो नही पाते उसके लिए हमे ध्यान की लंबी प्रकिर्यायों से गुजरना होता है।

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