Blog

अपडेट

यदि आप अपडेट नहीं हो रहे है, तो कुछ समय बाद आप स्वयं ही आउटडेट हो जाएंगे, जिस तरह से दुनिया आगे बढ़ रही है, और नई नई तकनिके आ रही है इस हिसाब से टेक्नॉलजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, हाल ही में जिस तरह से अभी CHAT GPT आ चुका है, यदि हम देखे तो ज्यादातर बड़ी बड़ी कॉम्पनीया चैट गपट को प्रयोग में ल रही है ओर अपनी कार्य क्षमता को बढ़ रही रही है, उस हिसाब से हम सभी की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ रही है, एक कंपनी की काम करने की क्षमता अधिक हो रही है, जिसकी वजह से उनकी मार्केट ग्रोथ ओर अधिक होने लगी है, इन कॉम्पनियों का प्रॉफ़िट बढ़ने लगा है, अब कुछ घंटों का काम सिर्फ कुछ मिनटों में होने लगा है, एक इंसान की कार्यक्षमता बहुत ज्यादा हो चुकी है, ओर जो लोग इस चीज को अडैप्ट नहीं कर रहे है वो कितना पीछे चले जाएंगे आने वाले कुछ समय में , संभावनाए लगातार बढ़ रही है यदि कोई एक चीज नई आती है तो दूसरी पुरानी होगी ओर मार्केट से निकल जाएगी इसके साथ ही बहुत सारी नई चीजों का विस्तार भी होगा।

आज से 10 साल बाद वर्ल्ड किस लेवल पर पहुच सकता है , क्या possibilities है की हम किस लेवल पर होंगे

हम पहले खाना खाने के बाहर जाते थे या अधिकांश घर पर ही बनाते थे ओर उसीको खाते थे लेकिन जबसे swiggy , zomato , आदि अन्य सेवाये आई है , हम बाहर से खाना मांग कर खाने भी लग गए है , यह एक नई जॉब opportunity खुली है इसी तरह से नया behavior खुलता है कोई नहीं चीज जब मार्केट में आती है आने वाले समय में Chat GPT से जुड़ी नौकरिया भी सामने भी आने लगेगी , किसी भी नई तकनीक को हमे इग्नोर नहीं करना नहीं करना उसे अडैप्ट करना चाहिए , और समय के साथ साथ अपडेट होते रहना चाहिए।

जिस तरह से मार्केट में नए फोन आए , यू ट्यूब , फेस्बूक , इंस्टाग्राम , टिकटोक, आदि सोशल मीडिया के Plateform बने साथ ही इनसे कमाई से साधन भी विकसित हुए बहुत लोगों के लिए

ऑफलाइन के साथ साथ अब अनलाइन भी समान उतनी ही तेजी से बिक रहा है , इसलिए मार्केट में कोई चीज आती है तो उपयोग ओर उपभोग दोनों ही साथ साथ होते है , इससे नई नई संभावनाए भी खुलेगी

जैसे की व्हाट्सप्प था, हम पहले किसी को फोन करते थे अब मैसेज से भी काम चल जाता है , अपने प्रोडक्ट के बारे में बताने के लिए अपने ग्राहकों को अलग प्रकार से मार्केटिंग करनी पड़ती थी लेकिन व्हाट्सप्प या आदि आने सेवाओ के होने से हमे उन तक अपना संदेश व सेवाये बहुत आसानी से पहुच देते है तथा उन्हे अपने बारे अधिक जानकारी भी देते है , यदि आप व्हाट्सप्प चलोगे नहीं तो फिर उसी तरह से आपको अपने ग्राहकों के नुमबरों को डायरी में नोट करना अपड़ेगा ओर उन्हे एक एक करके बना होगा यह सब साधन हमे बिजनस व हमारी उड़पादां क्षमता, हमारी सर्विस को ओर बेहतर बनाने के लिए आती है , इसलिए इनका हमे समझदारी पूर्वक उपयोग व उपभोग करना चाहिए।

समय समय पर स्वयं को अपडेट करते रहे।

यह भी पढे: लगातार करते रहे, क्या सलाह है, अपने बिजनस, सबसे अच्छा विचार,

Shrink Flation

Shrink Flation क्या होता है? जब प्राइस मत बढ़ाओ , चीजों को छोटा कर दो , समान को आधा कर दिया जाए उसे Shrink Flation कहते है , Shrink Flation क्यों होता है ? – जब आपके आसपास बहुत स्पर्धा है, यदि आप प्राइस बढ़ देंगे तो आपका माल नहाई बिकेगा ओर दूसरी कॉम्पनी की सेल बढ़ने लग जाएगी और आपकी कम हो जाएगी , साथ ही कोस्ट बढ़ती है, एम्प्लोयी की सलेरी , उपकरण आदि की कारण बढ़ जाते है समान को बनाने में , एक प्रोडक्ट के पीछे कई और कंपनी भी खुल जाती है, अगर दूसरे लोग रेट नहीं बढ़ रहे तो हम कैसे बढ़ा सकते है इसलिए समान को आधा कर देते है।

क्या आप जानते है ? बिना प्राइस बढ़ाए भी प्रॉफ़िट कमाया जा सकता है, आइए जानते है आजकल बड़ी बड़ी कंपनी क्या करती है , प्रॉफ़िट को बढ़ाने के लिए यदि आप पार्ले जी का बिस्किट खाते है, तो आप देखेंगे की जो पिछले काफी सालों से पार्ले जी का बिस्किट आ रहा है उसका साइज़ अब छोटा हो गया है , लेकिन उसका दाम वही है वो नहीं बढ़ रहा लेकिन कुछ महीनों में ही बिस्किट कम हो जाते है।

कंपनी समान कम कर देती है लेकिन मूल्य उतना ही रखती है, इसी तरह हल्दीराम की नमकीन या कोलगेट, कपड़े धोने वाला विम बार 155 ग्राम से 135 कर दिया मात्र 6 महीने के भीतर ,OREO बिस्किट में व्हाइट क्रीम कम करदी साथ ही बिस्किट की संख्या भी कम , चिप्स के पैकेट में हवा बढ़ रही है, लेकिन चिप्स कम हो गए है , कई बार ये लोग साइज़ बढ़ा देते है लेकिन समान उतना ही होता है।

हमे लगता है ज्यादा होगा लेकिन होता नहीं है, बस उसका आकर्षण अधिक कर देते है जो बेचने में इन कॉम्पनी के आसानी कर देती है, आदि बहुत सारी खाने पीने का समान है जो लगातार समान कम हो रहा है, लेकिन कीमतों में वृद्धि नहीं हो रही है , लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है की मेंहगाई नहीं हो रही। यह बात हो गई आपकी FMCG के प्रोडक्ट की आप हम कुछ ओर चीजों को भी देखते है जिन लोगों ने अपनी सर्विस को।

जब आप पहले फोन खरीदेते दे तो आपको फोन के साथ चार्जर, ईर्फोन, पिन आदि डब्बा भी बहुत अच्छा होता था लेकिन अब कॉम्पनी भी मिलती थी साथ डब्बे की पॅकिंग , कवर ओर भी की अच्छी चीजे उसके साथ मिलती है, व डिब्बे की पॅकिंग भी अच्छी होती थी लेकिन अब कंपनी सिर्फ फोन ही देती है।

टेलीकॉम इंडस्ट्रीज़ ने 30 दिन से काम करके उसको अब 28 दिन कर कर दिया है यह पैसे उतने ही ले रहे है लेकिन दिनों में कमी कर रहे है।

मेरा धैर्य से संवाद

मेरा धैर्य से संवाद , धेर्ये में तेरे में पलता
तेरे में मेरा बचपन जवानी में जीता ।
तू जेसा मुझे वैचारिक भोजन स्वस्थ
भोजन देगा उसी प्रकार मेरा शरीर
बनेगा ।

मै तुझे बदरी विशाल की तरह चाहता देखना ।
धेर्य सपना तो तेरा बहुत बड़ा लेकिन पहचान तू क्या जीवन जी रहा । पल भर में मुझे छोड़
ग़ुस्से के घोड़े की सवारी करने लगता हे ।
मुझे तो साहस दे मुझे पाल अच्छा वेचारिक भोजन दे निरंतर तो में तेरा सपना पूरा कर सकता हूँ ।

में तुझ से प्रतिज्ञा करता हूँ धैर्य मेने तेरे विचारो को सुना में तुझे अपनी तकलीफ़ों में आगे झोकूँगा तुझे में बहुत मज़बूत बनाऊँगा ओर
जीवन को महान उज्ज्वल बनाऊँगा मै समझ रहा हूँ तेरी कितनी आवश्यकता हे जो भी बड़ा दिख रखा लोगों के जीवन में वो तेरे ही बल पर प्राप्त हुआ हे ।

मेरा धैर्य से संवाद यही है अब तू लग जा काम पे वेसे ही समय जो अब आगे बचा हे उसे पहचान ओर अपने बुद्धि कोशल से आगे बढ़।

यह भी पढे: धैर्य व्यवहार, भीतर सच, आशा ओर निराश, अपमान ओर अहंकार,

ज़िंदगी की राह में

ज़िंदगी की राह में यू ही चलते चलते

ज़िंदगी की राह में चलते चलते,
बहुत से रास्ते आते हैं।
कभी खुशियों की मुस्कान साथ लाते,
कभी दुःखों की बूंदें गिराते।

हर राही अपनी मंजिल को ढूंढता है,
पर ज़िंदगी का मतलब खुद को पाना है।
सपनों को पंख देकर उड़ान भरनी है,
हर इम्तिहान में नयी पहचान बनानी है।

ज़िंदगी की लहरों में संघर्ष होता है,
पर उससे डर के मन्दिर नहीं चिढ़ाना है।
आगे बढ़ने की इच्छा ज़िंदा रखनी है,
नई उचाईयों को छूने का सपना देखनी है।

जीवन एक अनंत सफ़र है, यह याद रखो,
हर कदम पर नया अद्वितीय अनुभव है।
कभी गिरना है तो उठना भी सीखो,
हर हार को विजय का आगाज है।

ज़िंदगी की राह में चलते चलते,
आपसे यही आरज़ू है मेरी।
खुशियों की बारिश हो आपके ऊपर,
हमेशा ख़ुश रहें, यही दुआ है मेरी।

आज का दिन

आज का दिन नयी उम्मीदों का आगाज है,
आज का दिन नयी सफलताओं का पहला कदम है।
आज का दिन नया सपनों का पर्व है,
आज का दिन नयी ख़ुशियों का संगम है।

इस दिन को आप अपनी ज़रूरतों का आदान-प्रदान करें,
इस दिन को आप सपनों को पंख देकर उड़ान भरें।
आज को आप अद्वितीय बनाएं,
दिन को आप आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन बनाएं।अनंत उड़ान

उड़ान भरो नयी ऊचाइयों की,
ख्वाबों को पंख देकर उड़ जाओ।
सपनों को आज़ादी का रास्ता दिखाओ,
अपार समुद्रों को पार कर जाओ।

अंधकार को दूर कर दो रोशनी से,
खुद को अनंतता और स्वतंत्र बनाओ।
अपने आप को सीमित न करो,
चारों ओर अपनी परिधि छोड़ जाओ।

ज़मीन के नीचे छिपे ख़ज़ाने का,
आप खुद ही ख़ुदाई कर जाओ।
अपने सपनों की धरती को छेड़ो,
उसकी मिट्टी को आप रंग बनाओ।

आज़ादी की हवा में उड़ जाओ,
मुझसे ऊंचा आपका आंचल हो।
सब सीमाएँ तोड़ दो आप अपनी,
अपनी आवाज़ को पूरे आसमान में गूँजाओ।

अनंत उड़ान भरो नयी ऊचाइयों की,
आपका सफ़र हो अद्वितीय और अविरल।
आप ज़िंदगी के रंगों में ख़ुद को खो जाओ,
और देखो कैसे आप अपने आप से मिल जाओ।

रूठना नहीं है

रूठना नहीं है इन छोटी छोटी बातों पर , हाँ कुछ ऐसी ही बाते बस तुम इन छोटी मोती बातों पर बिगड़ मत जाया करो , थोड़ा थोड़ा हाँ बस थोड़ा थोड़ा तुम मुस्कुराय करो , ये जो तुम्हारी हंसी का जादू है न सब पर बिखर जाता है, ओर जिंदगी के होने का एक प्यार स एहसास दिलाता है। बस तुम इसी तरह से मुस्कुराया करो , ऐसे ही , बिना किसी बात पर तुम अपना ये प्यार सा मुंह मत फूलाया करो,

क्या तुम भी रूठ जाते हो उन्ही छोटी छोटी बातों पर? क्यू रूठते हो तुम और उस रूठने से क्या होता है? क्या तुमने कभी सोचा है, की तुम्हारी मुस्कुराहट कही खो जाती है जब तुम रूठते हो, तुम्हारे भीतर का प्रेम कही छुप जाता है, जब तुम रूठते हो, नहीं तुम्हें मुसकुराना है, ओर जीवन संग नए सपनों को सजाना है।

रूठना नहीं, मेरे यार, दिल की बाते सुनो थोड़ी यार
जब चाहें तुम गुस्सा कर लेना,
और दिल खोल कर तुम मुस्कुरा लेना। जिंदगी के सफर में है, थोड़े गम हमारी दोस्ती एक सहारा है जो मिटा देती है सभी गम

जब तुम खुद को अकेला महसूस करो मेरी बातों पर गौर कर लेना , जीवन के रंग में है बहुत उछाल दोस्ती एक खजाना है, जो करती मालामाल
कितना ही तुम रूठ मैं नहीं मनाऊँगा बस तुम रूठे लेकिन मैं तो तुम्हें प्यार से ही बुलाऊँगा

जीवन की दौड़ जब थक जाएगा तू तब कही ओर नहीं मेरे पास ही आएगा तू , मैं दोस्त हूँ तेरा
रूठना नहीं तू दिल की बाते सुन मेरे यार ।

जीवन को इन्जॉय

जीवन को इन्जॉय कैसे करना चाहोगे? जिंदगी उन हसीन लम्हों का ही नाम है जिनमे आपने सुकून पाया हो, ये भाग दौड़ की जिंदगी से बहुत दूर निकल जाना हो। इस जिंदगी के हसीन लम्हों को कैद करना

कहते है जिंदगी, जिंदगी लंबी नहीं बस बड़ी होनी चाहिए इसका अर्थ है, आपकी जिंदगी का कोई मतलब होना चाहिए जब तक जिए हर पल बेहतर होना चाहिए, जीवन को इन्जॉय करते हुए होना चाहिए।

पता नहीं कि जीवन को एन्जॉय करने के लिए क्या करना चाहिए मगर अधिकांश की जिन्दगी या तो निन्यानवे के चक्र में फँसी रहती है, या फिर जीवन को समझने और तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने में बीत जाती है।

फिर भी उम्र के इस पड़ाव तक आ कर मैंने जो सीखा है, उसके अनुसार लाइफ को एन्जॉय करने के लिए आपको इन बातों पर थोड़ा गौर करना चाहिए , यदि आपको यह बाते पसंद आए तो आप इनको अपने जीवन में उतार सकते है।

1. जीवन में आपाधापी तो उम्र भर की है इस भागम भाग का जो खेल है वो खत्म नहीं होता ये लंबा सिलसिला है। बस इसी दौड़ में कुछ ऐसे पलों को इककठे करना ओर उन पलों के साथ इन्जॉय कर सकते है , जिसे हम सभी यू ही गवा देते है ओर जीवन को इन्जॉय नहीं कर पाते है बस यू ही उधेड़ बुन में इस जीवन की उलझते हुए नजर आते है।

2. सन्तुलन तालमेल रखना जरूरी है, जीवन में काम और निजी जिन्दगी में अंतर रखना और दोनों के बीच सन्तुलन बनाये रखना उतना ही जरूरी है जितना कि हमारा साँस लेना, केवल काम या अर्थ भी जीवन को ख़ुशी से नहीं भर सकते और केवल निजी जीवन में मग्न रहने पर भी आपके पास जरूरी अर्थ नहीं आएगा, तो संतुलन जरूरी है।

3. जिस कार्य में अधिक रूचि हो, उसी में अपना करियर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। यह दोहरा फायदा देती है। जीवन में आप जो करेंगे, उसमें रूचि हमेशा बनी रहेगी और अर्थोपार्जन भी होता रहेगा। याद रखिये कि अर्थोपार्जन के लिए कुछ भी करना एक बात है, और ख़ुशी से वो करना जिसे करने पर आपको ख़ुशी मिलती है, यह दूसरी बात है। जब आप अपनी मनपसंद का कार्य करते है तो उस कार्य के लिए समय आप समय नहीं देखते बस उसमे लगे रहते है बोरियत नहीं आती आपका लगातार उस कार्य को करने का मन करता है।

4.यदि आप किसी को खुशी नहीं दे सकते तो किसी को आप दुखी भी न करे, मनुष्य जन्म से अन्तरात्मा के साथ जन्मता है। किसी भी विपरीत कार्य से उसे स्वयं पीड़ा होती है और उसकी अन्तरात्मा उसे तब तक कचोटती है जब तक कि वह उस विपरीत कार्य के बदले सही कार्य न कर दे। जान बूझ कर किसी को दिया गया दुःख अंततः मनुष्य की पीड़ा का कारण बनता है। इसलिए जीवन को एन्जॉय करने के रास्ते में किसी को दिया गया दुःख पीड़ा का कारण न बने, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने कर्म को सत्कर्मों तक सीमित रखें, ओर दूसरों का भी अच्छा सोचे व करे

5. सद्भावना और परोपकार दया भाव की नियत सदा हृदय में धारण रखना, ख़ुशी को खुद के समीप पाने का सरल उपाय है। एक पुष्प से अच्छादित उपवन में हर किसी का मन हर्षित होता है। कौन प्रातः की लालिमा को देख कर प्रफुल्लित, प्रसन्न और आनंद से भर नहीं जाता। पक्षियों का कलरव किसके हृदय को आह्लादित नहीं करता है। कौन बहते झरनों को या बरसते बादलों को देख कर मयूर की भांति नृत्य करने को उद्यत नहीं होता है। इसलिए, परोपकार और सद्भावना की उर्जा से वह मनुष्य सदा ही ऐसे भावों से परिपूर्ण रहता है। फिर उसे अपने जीवन को एन्जॉय करने से कोई रोक नहीं सकता।

6. प्रेम इस मृत्युलोक में अगर किसी ने प्रेम को जान लिया तो उसने जीवन का मर्म और उद्देश्य जान लिया। प्रेम कहने के लिए ढाई अक्षर का शब्द मात्र है, मगर इसके मर्म को जानने के लिए संत से ले कर भगवान तक मनुष्य रूप धर पृथ्वी पर आते हैं। इसे किन्हीं शब्दों या शब्दों के समूहों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता वरन इसे आत्मसात करना पड़ता है, वह भी सारे हृदय के लिए सम्भव नहीं जिसे परमात्मा ने बनाया है, प्रेम का मर्म जानने या समझने के लिए कुछ खास हृदय ही उपयुक्त है। फिर भी मनुष्य के लिए इसे जितना सम्भव हो, जानने की कोशिश करनी चाहिए। कदाचित, कई अर्थों में प्रेम ऊपर वर्णित अन्य गतिविधियों में समाहित है।

7. मौजूदा पलों का आनंद लें: वर्तमान क्षण को महसूस करें और उसका आनंद लें। अपने आस-पास के वातावरण की सुंदरता, सुखद संगठन, और मनोहारी वस्तुएं देखें।

8. संयम और अधिकार्यता बनाए रखें: अपने काम में संयम बनाए रखने का प्रयास करें। समय का सदुपयोग करें और अपनी प्राथमिकताओं को पहचानें।

9. सराहना करें: अपने आस-पास की खूबियों को देखें और सराहना करें। दृष्टि से छोटी-छोटी खुशियों को पकड़ें और उन्हें महसूस करें।

10. स्वास्थ्य का ध्यान रखें: अपने शरीर और मन की देखभाल करें। नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ आहार लें, और प्रतिदिन सुखद नींद प्राप्त करें।

11. अपनी प्रिय गतिविधियों में समय बिताएं: अपनी प्रिय गतिविधियों, जैसे कि गाना गाना, पुस्तक पढ़ना, फोटोग्राफी, योग, यात्रा, आदि में समय बिताएं। इन गतिविधियों में आपको आनंद का एहसास होगा।

12. संगठन को छोड़कर आराम करें: अपने आप को संगठित रखने के लिए अवकाश, अवकाश या छुट्टी पर जाएं। किसी खास स्थान पर जाने का आनंद लें और वहां की सुंदरता का आनंद उठाएं।

13. ध्यान और मेधा का अभ्यास करें: ध्यान और मेधा अभ्यास करें, जैसे कि मानसिक शांति और आनंद के लिए मेडिटेशन करें। योगाभ्यास भी मन को शांत और स्थिर रखने में मदद कर सकता है।

14. प्रेरणादायक किताबें पढ़ें: आप प्रेरणादायक किताबें पढ़कर अपने मन को प्रशांत, सकारात्मक और उत्साहित रख सकते हैं। किसी आदर्श के चरित्रों और उनकी कथाओं से प्रेरणा लें।

15. अपने पासवर्ड को छोड़ें: अपने दिन के हसीन पलों को कैप्चर करने के लिए अपने पासवर्ड और फोन को अवकाश पर छोड़ें। सोशल मीडिया का उपयोग कम करें और अपने पासवर्ड खोलने के बजाय वास्तविक जीवन को जीएं।

16. धैर्य और कृतज्ञता रखें: जीवन के प्रत्येक पल को धैर्य से और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करें। धन्यवाद की भावना रखें और अपने आस-पास के लोगों के साथ दया और सहानुभूति बनाए रखें।

याद रखें, हर दिन विशेष है और हर क्षण का आनंद उठाने का अवसर होता है। संयमित रहें, स्थितिवत्ता रखें और जीवन के छोटे-छोटे पलों का आनंद लें।

यह भी पढे: हमारा जीवन, ना करे चिंता, जीने का अंदाज, अलग होना अच्छा, चलते चलो,

गदर 2

किरदार गदर 2 : सनी देओल , अमीषा पटेल , उत्कर्ष शर्मा , सिमरत कौर , लव सिंह ओर मनीष वध्वा

सनी देओल ने कितनी ही हल्की फिल्म की हो लेकिन उनकी ऐक्टिंग बहुत शानदार रहती है, इनको देखने बाद तो यही लगता है, की ये ट्रक को भी उठाकर फैक देंगे जब गुस्से में होते है, फिर हथोड़े से पिटाई इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। और ऐसा ही कुछ दिखा सनी पाजी की गदर 2 में , कुछ भी कर सकते है सनी पाजी , उनके चेहरे को देखकर ही लोग डर जाते है वो जब गुस्से में होते है।

कुछ सीन ऐसे आते है, जहां आप खुद ही खड़े होकर चिल्लाने लग जाए आपका ऐसा मन करता है, सिनेमा हाल में लोग भारत माता की जय के नारे लगाते दिखे, ये मोमेंट कैमरे में तो कैद नही कर पाया लेकिन लोगो का समूह खुद जोर जोर से भारत माता की जय , भारत जिंदाबाद था , जिंदाबाद है, और जिंदाबाद रहेगा के नारे गूंजते रहे।

गदर 2
रिकार्ड तोड़ टिकट बुकिंग

फिल्म पहले हाफ में थोड़ी धीमी चलती है, लेकिन दूसरे हाफ में जोर पकड़ लेती है, फिल्म की कहानी को घुमाकर लाने में अनिल शर्मा को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी है, लेकिन फिर भी अनिल शर्मा दम पूरा लगा नहीं पाए ऐसा लगता है, पहले हाफ में फिल्म आपको बांध नहीं पाती है , और आप सीट के साथ चिपककर बैठना पसंद नहीं करते।

गदर 2 का म्यूजिक जो गदर एक प्रेम कथा में मैजिक करता है, हमारे मन में अपने आप ही गानों में खो जाता था , लेकिन वो गदर-2 में नहीं दिखाई पड़ता, तो गानों का जादू भी हल्का है लेकिन उत्कर्ष शर्मा ओर सिमरत का एकसाथ एक गाना है जिसमे दोनों अच्छे लगते है।

यह फिल्म सिर्फ 90s की याद दिलाती है , जीते उर्फ उत्कर्ष शर्मा की एक्टिंग पहले हाफ में कुछ हल्की लगती है, लेकिन दूसरे हाफ में उनकी ऐक्टिंग बहुत बढ़िया हो जाती है इनको दुबारा आगे फिल्मों में देखा जा सकता है। लेकिन यहाँ ऐसा लगता है की उत्कर्ष शर्मा को लॉन्च करने की कुछ ज्यादा जल्दी थी।

एक्शन सीन मे हाई टेक्नॉलजी की ज्यादा उम्मीद नहीं करे क्युकी यह 70-80 दशक के दौर की कहानी है, और अभी भी लगभग वही दौर चलता है इस फिल्म के हिसाब से ओर उतनी ही उम्मीद करते है।

फिल्म का निर्देशन: फिल्म की कहानी को निर्देशक ने बना ही दी उन पुराने पहलुओं को जोड़कर लेकिन कहानी में दम फिर भी कम ही दिखा , निर्देशन और बेहतर हो सकता था, कहानी धीमी पड़ जाती है। पहले हाफ में लेकिन फिल्म को दूसरे भाग में अच्छा बनाने की कोशिश की है उस कोशिश में काफी कामयाब भी हुए है।

फिल्म में स्कारात्मक पहलू : सनी देओल ही इस फिल्म की जान है जो फिल्म को एक अलग लेवल पर रखते है , उत्कर्ष शर्मा की एक्टिंग दूसरे भाग में बेहतर हो जाती है , फिल्म का क्लाइमैक्स अच्छा है, आखिरी में सिमरत ने भी किरदार अच्छा निभाया है , सकीना उर्फ अमीषा पटेल फिल्म की जान नहीं बन पाई इस फिल्म में

फिल्म में नकारात्मक पहलू : फिल्म का निर्देशन कुछ कमजोर दिखा है, इसलिए फिल्म काफी साधारण लगती है, जितनी उम्मीद की थी उससे खरी नहीं उतरती। सनी देओल को लगभग 1 घंटे तक फिल्म में से गायब रखा है ये बहुत ही नेगटिव पार्ट है इस फिल्म का , कुछ डाइअलॉग काफी कमजोर है।

फिल्म का कॉमेडी सीन जो हैंडपम वाला है जैसे ही सनी देओल हैंडपंप उखड़ने के लिए जाते है सभी लोग भाग खड़े होते है, यह सीन याद दिलाता है पुरानी गदर की ओर ये हेंडपम्प वाला सीन आप भूलेंगे नहीं।

कुल मिलकर पारिवारिक फिल्म है जो बहुत लंबे समय बाद आई है , बहुत ज्यादा उम्मीद हाई एक्शन सीन की उम्मीद लगाकर थीअटर में नया जाए बस सनी ओर सकीना की जोड़ी देखे ओर अपने परिवार संग ये फिल्म देखे आपको फिल्म जरूर पसंद आएगी।

अनमोल विचार

कुछ ऐसे अनमोल विचार जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक होते है, हर सुबह इन विचारों पर चिंतन, मनन करना चाहिए हमारा जीवन ओर सरल हो जाता है, ऐसे ही 10 अनमोल विचार है 1. श्रेष्ठ प्रयाणाम भविष्य
रूपी साँस लीजिए बिना
किसी अपेक्षा ….
वर्तमान रूपी साँस को
पकड़ के रोकिए वर्तमान में
जीना नेक शिक्षा …..
भूतकाल रूपी साँस बाहर
निकाले पाये मुक्ति
ये सच्ची परीक्षा ॥

2) काला घोड़ा सफ़ेद स्वारी एक के बाद एक की बारी…..
तवा वो काला घोड़ा रोटी होती गोरी सफ़ेद स्वारी ।
खड़ा द्वार पर ऐसा घोड़ा जिसने चाहा पेट मरोड़ा……
इसका उत्तर हे ताला , चाभी से मरोड़ते पेट नहीं मारना पड़ता हथौड़ा ।

3) जो समय बीता सो बीता वो नहीं आएगा दोबारा ……
अब समय दूसरा, झांकिये भविष्य वही अब उसका ही सहारा ।
समय सदा गतिमान अपने कार्य के प्रति कर्मनिष्ठ …..
समय के पास भूतकाल वर्तमान और भविष्य के अनगिनत असंख्य पृष्ठ ।

4) शिक्षक बच्चे से किया प्रश्न
शिक्षक तुमरे पास चार भटूरा हे
ओर वो भटूरा हम ने ले लिया
तो तुमरे पास क्या बचा ?
बच्चा बोला बचा हमारे पास “छोला “.

इस बात से पता चलता हे की भटूरा बिना छोले के अधूरा हे उसका जीवन ,
छोला भटूरे का परम मित्र और सखा है ।
दोनों जब एक दूसरे से मिलकर किसी तीसरे की आत्मिक संतुष्टि का कारण बनते हे अपना स्वयं का बलिदान देकर ।

5) सुख ही शांति….
ये शुद्ध भ्रांति ।
शांति ही सुख….
यह बात सत्य प्रमुख ।

भीतर शांति बाहर निरंतर प्रयास ….
फिर सब क्षेत्त्रो में होगा विकास ।
भीतरी शांति ही सच्चा सुख….
सब का हो भला कहे यह मुख ।

6) मेहनत का धन…..
ख़ुशियों से संपन्न ।
धेर्य हों धारण….
जीवन बने उदाहरण ।

मीठे बोल बने पहचान….
करे सबका सम्मान ।
मान सम्मान का व्यवहार….
जीवन का वो आधार ।

7) अच्छी पुस्तकें और अच्छे व्यक्ति ….
तुरंत नहीं समझ आते , कथन में नही कोई अतिशयोक्ति ।
पुस्तक की तरह व्यक्ति के भी भिन्न भिन्न अध्याय…
पढ़कर सीखना पड़ेगा कैसे अध्याय से स्वयं को समझ आए ।

पढ़े पुस्तक रुचि से स्वयं का प्रिय विषय…
सिद्ध हो सार्थक हो पूरा हो आपका ध्यय ।
स्वयं के जीवन के भी लिखने हे अध्याय…..
जो पढ़े समझे आपको बात समझ वो जाए ।

8) कभी बचपन में घुमाते थे साइकिल या स्कूटर का पहिया …..
वाह वो भी क्या दिन थे जो बस गये यादों में ,
मन बसिया ।
मैं और मेरा टायर संग लोहे की छड़ी आगे से गोल टायर में घूमती फसी…..
सोचते अब तो यादो के फ़व्वारे से चेहरे पे झांकती हँसी ।
मैं और मेरा टायर
अब आगे कुछ साल बचे होने को रिटायर ।
शुरुआत बचपन में टायर….
अब बुढ़ापा हो जाएँगे रिटायर ।
रिटायर में छिपा है टायर ….
इसी में पूरा जीवन चक्र हे दायर ।

9) क्रोध का कारण नहीं होता नक़द ….
क्रोध का परिणाम होता दर्दनाक दुखद ।
क्रोध एक ज्वाला करती सब भस्म….
जानती वो जलाना उसकी एक ही रस्म ।
क्रोध क्रोध
खोता बोध ।
करे क्रोध पे शोध….
यह दुख का बालकअबोध ।
यह जन्मता प्रतिशोध ….
जगाये भीतर यह बोध ।

10) काहे करे शिकायत….
उसमें दुःख चला आवत ।
शिकायत को समझेंगे….
बनायेंगे दोस्त नहीं उसमें उलझेंगे ।

जीवन जीवंत
शिकायतों का करे अंत ।
रहे हम शांत
अच्छा ही अच्छा होगा उसके उपरांत ।

आजकल पता नहीं क्या हुआ है,
पूछो कुछ जवाब कुछ और……
न करे शिकायत रहे मस्त समय
का अजीब यह चल रहा दोर ।

जीवन के अनमोल विचार जिनका करे हर सुबह चिंतन मनन

गदर 2 टिकट बुकिंग

जिस तरह से GADAR-2 की advance टिकट बुकिंग हो रही है उस हिसाब से omg कही भी स्टैन्ड करती हुई नहीं दिख रही , OMG 10% ही टिकट बुकिंग होती दिख रही है, 1.5 लाख टिकट के आसपास अभी तक बिक चुकी है। इस तरह से लगता है की पठान फिल्म का भी रिकार्ड तोड़ देगी।

टिकट बुकिंग
चित्र स्रोत : गूगल, रिकार्ड तोड़ टिकट बुकिंग

22 साल बाद गदर 2 रिलीज हो रही है पहली गदर जब आई थी तब भी यही हाल हुआ था लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी सिनेमाघरों में सनी देओल की ऐक्टिंग ओर एक्शन सीन को देखने के लिए 2-3 हफ्ते तक टिकट ही नहीं मिली थी उनका HANDPUMP उखाड़ने वाला सीन इतना फेमस हुआ की लोग आज तक नहीं भूले, लोग इंतजार कर रहे थे की टिकट मिले ओर हम फिल्म देखने जाए , उन दिनों गदर के साथ आमिर खान की लगान भी आई थी, जिन्ह लोगों को शायद गदर की टिकट नहीं मिल पा रही थी वो लोग लगान ही देखने चले इसमे कोई शक नहीं है लगान एक फिल्म थी।

लेकिन गदर फिल्म के आगे लगान फीकी पड़ गई थी इस बार भी कुछ इसी तरह से होता दिख रहा है, जब मैंने टिकट बुक कराई थी उसी दिन से लग रहा था की टिकट फिल्म के रिलीज होने से पहले ही खत्म हो जाएगी ओर जिस दिन फिल्म देखने के लिए जाना होगा टिकट नहीं मिल पाएगी, इस दिन अक्षय कुमार की OMG-2 भी रिलीज हो रही है ।

लेकिन Theater में भीड़ नहीं दिख रही OMG-2 के लिए सभी सिनेमा हाल में आराम से टिकट उपलब्ध है OMG-2 की , दर्शक सिर्फ ओर सिर्फ गदर 2 ही देखना पसंद कर रहे है , जो लोग सोच रहे है , की अनलाइन क्या बुक करनी उसी दिन लेलेंगे टिकट उनको टिकट नहीं मिलने वाली जिस तरह से हर घंटे बुक मी शो पर टिकट बुक हो रही है। उस समय जो लगान के साथ हुआ था की , GADAR-2 की टिकट नहीं मिली तो लगान ही देख लेते है, बस यही OMG-2 फिल्म के होता दिख रहा है अगले एक हफ्ते या 2 हफ्ते टिकट तो मिलती हुई नहीं दिख रही है, जिस तरीके से सिनेमा हाल में जाने को लोग बेकरार है, बाकी फिल्म देखने के बाद पता चलेगा, की फिल्म में कितना दम है।

उम्मीद करते है फिल्म अच्छी ही होगी

उगरम फिल्म

नंदी जैसी सफल फिल्म देने के बाद, अभिनेता अल्लारी नरेश और निर्देशक विजय कनकमेडला एक एक्शन थ्रिलर, उग्रम के साथ वापस आ गए हैं। नंदी की तरह उगरम फिल्म भी सच्ची घटनाओं पर आधारित है। मिरना मेनन ने मुख्य भूमिका निभाई। फिल्म सिनेमाघरों में आ चुकी है और देखते हैं कैसी है यह उगरम फिल्म

अभिनीत: अल्लारी नरेश, मिरना मेनन, इंद्रजा, शरथ लोहिताश्व निदेशक: विजय कनकमेदला निर्माता: साहू गरपति और हरीश पेड्डी संगीत निर्देशक: श्री चरण पकाला छायांकन: सिद्धार्थ जे

कहानी:                                                                                                                               एक ईमानदार व बहुत गुस्सेल पुलिसकर्मी शिव कुमार (अल्लारी नरेश) को अपर्णा (मिरना मेनन) से प्यार हो जाता है। उन दोनों की शादी हो जाती है और अपर्णा एक लड़की को जन्म देती है। जहां शिव कुमार अपनी नौकरी के प्रति बहुत जुनूनी हैं, वहीं अपर्णा अपने पति से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं क्योंकि वह अपने परिवार को पूरा समय नहीं दे रहे है इस वजह से अपर्णा को शिव कुमार घर छोड़ने के लिए निकल पड़ता है , उसी दौरान अपर्णा ओर उसकी लड़की लापता हो जाती है, जबकि शिव गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। शिव कुमार की पत्नी और बेटी का क्या हुआ? क्या लापता मामलों और उसके परिवार के लापता होने के बीच कोई संबंध है? शिव ने कैसे सुलझाया पूरा रहस्य? यह कहानी की जड़ का हिस्सा है। यही वो हिस्सा जिसे फिल्म ओर बांध लेती है

प्लस पॉइंट:                                                                                               कॉमेडी किंग अल्लारी नरेश एक शानदार अभिनेता भी हैं। कई बार, उन्होंने कुछ लीक से हटकर फिल्मों में असाधारण अभिनय से अपनी काबिलियत साबित की है। उग्रम फिल्म में हमें नरेश में वह अभिनेता देखने को मिलता है। जो अपने ईमानदार प्रदर्शन व गुस्सेल रूप से सभी को आश्चर्यचकित कर देते हैं। नरेश पुलिस की भूमिका के लिए आवश्यक तीव्रता लाते हैं, और सहजता से अभिनय करते हैं। वह एक्शन दृश्यों में बहुत अच्छे हैं, और उनके द्वारा किए गए प्रयास बहुत स्पष्ट हैं। वह फिल्म को शुरू से लेकर अंत तक अपने कंधों पर उठाते हैं। चरित्र-प्रधान फिल्म में नरेश को देखना बहुत अच्छा था।

फिल्म की शुरुआत अच्छी है और पहला भाग अच्छी गति से आगे बढ़ता है। पारिवारिक ड्रामा साफ-सुथरा है, जिसे पूरे परिवार संग देखी और दूसरी तरफ, नायक के चरित्र को अच्छी तरह से प्रदर्शित किया गया है। पहले घंटे में एक शानदार दृश्य है जहां नरेश कुछ छेड़छाड़ करने वालों को दंडित करता है। इस विशेष अनुक्रम को समझदारीपूर्ण और प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जाता है।

एक प्रमुख एक्शन सीक्वेंस, जो दूसरे भाग में आता है, अच्छी तरह से निष्पादित किया गया है। मिरना मेनन को अच्छी भूमिका मिली और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। शत्रु ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्होंने अपना काम बहुत अच्छे से किया है। श्री चरण का बैकग्राउंड स्कोर कुछ एक्शन ब्लॉक को ऊंचा उठाता है।

नकारात्मक अंक

उग्रम फिल्म के साथ सबसे बड़ी निराशा मुख्य बिंदु, यानी लापता मामलों के मुद्दे को संभालने के तरीके से है। यह विशेष पहलू केवल दूसरे भाग में ही केंद्र में आता है, और कोई उम्मीद कर सकता है कि उसके बाद कार्यवाही उग्र और दिलचस्प होगी। लेकिन जांच के कोण में दम नहीं है, और यह काफी सामान्य है।

दूसरे भाग में अचानक एक गाना आता है जो प्रवाह को प्रभावित करता है। लोगों के अपहरण का मुख्य कारण बड़े पैमाने पर निराश करता है, क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसे हमने कई फिल्मों में देखा है। परिचित कहानी दूसरे घंटे में मौजूद सकारात्मक पहलुओं पर भारी पड़ती है। अगर निर्देशक ने मुख्य मुद्दे में कुछ नया पहलू जोड़ा होता, तो चीजें बहुत बेहतर होतीं।

खलनायक का चरित्र ख़राब तरीके से लिखा गया है, और क्लाइमेक्स प्रभाव को काफी प्रभावित करता है। नायक एक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है, लेकिन अंत में उस पहलू को अचानक नजरअंदाज कर दिया जाता है। कुछ संवाद मूर्खतापूर्ण लगे। इंद्रजा का किरदार प्रभाव छोड़ने में असफल रहता है।

तकनीकी पहलू:   संगीतकार श्री चरण पकाला ने अच्छा काम किया। कुछ गाने अच्छे हैं और उनका बैकग्राउंड ठोस है। सिद्धार्थ की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है और उनके गहरे फ्रेम फिल्म की टोन के अनुरूप हैं। संपादन लगभग ठीक है. उत्पादन मूल्य अच्छे हैं. संवाद और बेहतर हो सकते थे।

निर्देशक विजय कनकमेदला की बात करें तो उन्होंने उगरम फिल्म के साथ अच्छा काम किया। पहले हाफ को अच्छे तरीके से संभाला, लेकिन जब दूसरे हाफ की बात आई तो उन्होंने पकड़ थोड़ी खो दी। हालाँकि उसे नरेश से सर्वश्रेष्ठ मिलता है, लेकिन कथानक के लिहाज से उग्रम फिल्म उतना महान नहीं है। परिचित मेडिकल माफिया एंगल ने फिल्म को कुछ हद तक निराश किया है। फिर भी, नरेश का शानदार प्रदर्शन और अच्छे तकनीकी मूल्य फिल्म को अच्छी कमाई की

क्या फिल्म देखने लायक है ? कुल मिलाकर, उगरम फिल्म एक अच्छी एक्शन थ्रिलर है। अल्लारी नरेश हर संभव प्रयास करते हैं और सराहनीय प्रदर्शन करते हैं। दोनों हिस्सों में कुछ दृश्यों को अच्छी तरह से निष्पादित किया गया है और सभी एक्शन ब्लॉक बहुत बढ़िया हैं। लेकिन मुख्य मुद्दा परिचित कहानी के साथ है क्योंकि यह फिल्म को अगले स्तर तक जाने से रोकती है। इसलिए उग्रम इस सप्ताह के अंत में एक बार देखी जाने वाली फिल्म बन जाएगी।

क्या फिल्म ऐमज़ान प्राइम पर उपलब्ध है ? जी हाँ ये फिल्म amazon पर available है