Date Archives July 2023

बवाल फिल्म

वरुण धवन काफी समय बाद फिर एक बार बवाल फिल्म के परदे पर दिखे है संग जाह्नवी कपूर के इस फिल्म में वरुण धवन अज्जु भैया का किरदार निभाते है जो हर जगह बहुत बहुत प्रचलित है ओर ज्ञान बाटते हुए नजर आते है लेकिन जहां ज्ञान देना होता है वहाँ ज्ञान नहीं देते बस इसी पर पूरी फिल्म की कहानी को दौड़ाया जाता है।

ऐक्टर : वरुण धवन ,जान्हवी कपूर, मनोज पाहवा, अंजुमन सक्सेना, मुकेश तिवारी, गुंजन जोशी

डायरेक्टर : नितेश तिवारी

श्रेणी:  Hindi, रोमांस, ड्रामा

अवधि: 2Hrs 2 Min

बवाल फिल्म जिसमे वरुण धवन ओर जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिका में है फिल्म फर्स्ट हाफ में थोड़ी तेज ओर हंसी के कुछ झटके देते हुए चलती है , हालांकि निर्देशक ने कहानी और किरदारों को स्थापित करने में थोड़ा ज्यादा समय लगा दिया है, इस कारण फिल्म थोड़ी धीमी गति में आगे बढ़ती है, मध्यांतर के बाद कहानी अपने असली मकसद पर आती है।

यहां से नितेश फिल्म को एक अलग ट्रीटमेंट देते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बैकड्रॉप पर लव स्टोरी का को बुनना एक मुश्किल टास्क ही था, मगर नितेश इसे अश्विनी अय्यर तिवारी की कहानी और पियूष गुप्ता, निखिल मेहरोत्रा और श्रेयश जैन जैसे लेखकों की टीम के साथ बखूबी निबाह ले जाते हैं। फिल्म के संवाद, ‘हम सब भी तो थोड़े बहुत हिटलर जैसे ही हैं न, जो अपने पास है, उससे खुश नहीं हैं, जो दूसरे के पास है, वो चाहिए।‘ वर्ल्ड वॉर तो खत्म हो गई, मगर ये अंदर की वॉर कब खत्म होगी ?’

क्लाइमेक्स तक आते – आते फिल्म न केवल प्यारा-सा संदेश देती है बल्कि अंदर अच्छा महसूस भी करवाती है। बवाल फिल्म की एडिटिंग थोड़ी चुस्त होती ओर थोड़ी ऐक्टिंग ऊपर दर्जे पर जाती तो मज़ा कुछ ओर ही आ जाता।

सिनेमैटोग्राफर मितेश मीरचंदानी ने लखनऊ और यूरोप को दर्शाने में अपना कौशल दिखाया है। डेनियल बी जॉर्ज का बैकग्राउंड म्यूजिक वर्ल्ड वॉर के दृश्यों में पूरक साबित होता है, मगर मिथुन, तनिष्क बागची और आकाशदीप सेनगुप्ता की तिकड़ी संगीत के मामले में कोई कमाल नहीं दिखा पाए फिल्म में गाने ओर बैकग्राउंड का म्यूजिक कडक होना चाहिए था।

फिल्म Amazon प्राइम पर Available है आप जाकर देखिए।

फिर भी फिल्म तो अच्छी लगेगी बाकी आप अपनी राय में मुझे कमेन्ट में जरूर दे।

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15 अगस्त

15 अगस्त भारत के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की थी। यह दिन देश के लोगों के लिए गर्व और उत्साह का दिन होता है।

भारत को स्वतंत्रता कब प्राप्त हुई?

भारत काफी लम्बे समय तक अंग्रेजों का गुलाम बनकर रहा। अंग्रेजों ने हम भारतीयों पर करीब 200 वर्षों तक राज किया। भारत में आजादी के लिए कईं क्रांतियाँ हुई और कईं लोगों ने अपना बलिदान दिया।

तब जाकर भारत को 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसी दिन से प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

15 अगस्त 1947 के दिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लगभग 100 साल के संघर्ष के बाद ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद हुआ था। इस दिन नेहरू जी ने राष्ट्र के नाम एक ऐतिहासिक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लोगों को धन्यवाद दिया


स्वतंत्रता का महत्व:

स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी आजादी की कीमत क्या है। हमें यह याद दिलाता है कि हमें लगातार अपने देश के विकास और उन्नति में योगदान देना चाहिए। हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने देश में अमन और शांति को बनाए रखना चाहिए।

स्वतंत्रता का महत्व वही समझ सकता है, जिसने गुलामी का स्वाद चखा हो। स्वतंत्रता का हम सभी के जीवन में काफी महत्व है।

एक पराधीन व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई भी कार्य नहीं कर सकता है लेकिन, एक स्वतंत्र व्यक्ति अपनी मर्जी से प्रत्येक कार्य कर सकता है। यही इनके बीच में मुख्य अंतर है।

भारत को आजादी ऐसे ही रातों-रात नहीं मिली बल्कि, इसके लिए कईं लोगों ने संघर्ष किया है। उन्होंने अपना सब कुछ न्योंछावर के बाद यह आजादी हमें दिलवाई है।

उन्हीं की वजह से आज हम सभी आजादी की साँस ले रहे है। आज हम किसी भी चीज के लिए अपनी आवाज उठा सकते है और मांग कर सकते है

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए एक गर्व का दिन होता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश के संघर्ष के पीछे अनेक लोगों का बलिदान होता है। इस दिन हमें ये भी याद दिलाना चाहिए कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग उन्नति और समृद्धि के लिए करना चाहिए।

इस दिन हमें ये भी समझना चाहिए कि हमें अपने देश के लिए एक होकर काम करना चाहिए। हमें इस दिन को अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए एक संकल्प का दिन बनाना चाहिए। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने देश के भलाई के लिए नहीं बल्कि सभी देशों के लिए काम करना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें ये भी समझाता है कि हमें अपने देश के ऐसे महान् व्यक्तियों को याद रखना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान देकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था। हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए और उन्हें एक आदर्श के रूप में रखना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें एक नयी शुरुआत का दिन भी बनाता है। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए और उसकी हिफाजत करना चाहिए। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए देश के विकास में योगदान देना चाहिए और अपने देश को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए काम करना चाहिए।

समाप्त में, स्वतंत्रता दिवस हमें ये याद दिलाता है कि हमारे देश की स्वतंत्रता एक अनमोल उपहार है। हमें इसे सचेत रखना चाहिए और इसे अपने देश के उन्नति के लिए उपयोग करना चाहिए। इस दिन को धीरे-धीरे एक जन-आंदोलन के रूप में मनाना चाहिए, जिससे हमारे देश की अन्य ताकतों को भी संदेश मिलेगा कि हम स्वतंत्र हैं और अपने देश के लिए हम एक होकर काम करेंगे।

15 अगस्त का महत्व यह भी है कि इस दिन के बाद से भारत एक नया चैप्टर शुरू करता है। भारत ने आजाद होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उन्नति के लिए काम करना शुरू किया है, जैसे शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय एकता आदि।

इस दिन को याद करना हमें यह भी समझाता है कि हमें अपने देश के लिए काम करना चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की कीमत समझनी चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। इस दिन को मनाकर हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं और देश के विकास के लिए सक्रियता से योगदान देने का फैसला लेते हैं।

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एक दूसरे के दर्द

एक दूसरे के दर्द ख़ुशियाँ
समवेदना की समझ….
मनुष्यता के प्राण
उसके प्राणो का ध्वज ।

जब जीवन में प्रेम
तो दूसरे का ख़ुशियाँ
दुःख दर्द दिखता….

जब नही जाना प्रेम
नही गलती सिर्फ़ स्वयं
का दुःख दिखता
तो नही दूसरे का सुख
दुःख समझता ॥

जब दिल में दर्द उतर जाए,
तब गम की लहर आ जाए।
क्या करें जब ये छाती फट जाए,
वो दर्द जिसे बयां करने के लिए शब्द ना मिल पाए।

इस दर्द से जुड़े दोस्त का जब दिल दुखाए,
तो कैसे उसका दर्द कम कर पाए।
जब उसके आँसू बाहर ना निकले,
तो कैसे उसकी रूह से बातें कर पाए।

जीवन का हर मोड़ पर दर्द का एहसास होता है,
कोई अपना अपनों को खोता है, कोई प्यार को तरसता है।
दुखी होता है जब हमें अपने दोस्त का दर्द देख पाते हैं,
मगर उसे संभाल लेने की चाहत हमें हमेशा होती है।

हम दर्द को कम नहीं कर सकते,
लेकिन उस दर्द के साथ रह सकते हैं।
दोस्त के दर्द में शामिल होकर,
उसका साथ देकर, उसकी मुस्कुराहट लौटाने का हमें सौभाग्य मिल सकता है।

जब दोस्त का दर्द हमारा दर्द बन जाए,
तब हमें उसके साथ थाम जाना चाहिए।
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा सच्चा रहेगा,
जब तक हम एक दूसरे के दर्द को समझना नहीं सीखेंगे।

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भीड़ तंत्र का हिस्सा

क्या आप भी इस भीड़ तंत्र का हिस्सा है? जो सोचते है ऐसे ही जीना चाहिए ओर मर जाना चाहिए बिना कुछ किये बस घर से आफिस या दुकान यही सब में बीत जाती है, जिंदगी और कुछ नही कर पाते खुद को भी हम खो बैठते  शादी करना बच्चे पैदा करना बस यही एक जीवन है।

मसक्कत भरी सी लगती है क्या जिंदगी? या फिर कुछ करने की इच्छा होती है, या जो इच्छा होती है उसको दबा कर मार दिया और कुचल दिया गया है, कही अब कोई ठिकाना नही मिलने वाला उन्ह इच्छाओ को जो तुमने दबा दी है वो इच्छा अब इच्छा नही है ऐसा लगता है।

क्या आप भी भीड़ तंत्र के शिकार है ? क्या आप भी उसी भीड़ में चल रहे जिसमे लाखो करोड़ो लोग भी है जिसका  नाम समाज का दे दिया गया है परंतु वास्तविकता कुछ और ही है जहां आपको मत देने का अधिकार है परंतु खुद की एक अलग सोच रखने का कोई अधिकार नही है,
क्या ऐसा सच में है ??

मैं भी फ़िल्म और क्रिकेट खेल प्रेम हूँ, परंतु अपने विचारो को पूर्णतया जानता हूं और समझ सकता हूं की मैं क्यों? क्योंकि कुछ समझाने के लिए समझना बहुत जरूरी है फिल्में जो हमे सर्फ और सिर्फ चार दिवारी और प्रेम, और इस जीवन के जो किस्से हो रहे है बस वही बता रही है।

जिसके अलावा कुछ भी नही जैसे की आत्ममंथन कैसे करे या अपने जीवन को और बेहतर कैसे बनाये या खुद को कैसे जाने इन विषयो के बारे में कोई फ़िल्म जगत का प्राणी नही बताता सिर्फ अपनी मन की सीमाओं ओर आप बीती तथा जो आज के समय में हो रही है या हो सकने वाली घटनाओ के बारे ही एक कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है इसके अलावा कुछ भी नही।

आज कल सिर्फ लोगो के मन में शादी करलो और अपना जीवन चक्र चलाओ बस इन्हें यही सिखाया जा रहा है, जो बिल्कुल ही जीवन के विपरीत एक स्तिथि लगती है, क्योंकि आपका उत्थान होना बहुत काम हो जाता है, जब आप एक वैवाहिक जीवन जीने की और अग्रसर होते है।

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मन यू ही भागता

मन यू ही भागता फिर रहा है कही, फिर रहा है कही, इस मन को कैसे संभालु , बस इस मन की व्यथा है , मन यू ही भागता रहा,
खुशियों की तलाश में थका हुआ।
कहीं न रुकता, न ठहरता,
हर समय खोजता रहा।

जीवन की दौड़ में पड़ा हुआ,
खुद को भुलाता जा रहा था।
सफलता की तलाश में जुटा हुआ,
मन खुशियों के सागर में बहता रहा था।

पर वो नहीं जानता था,
कि जो उसे खुश करता था,
वो उसी के अंदर ही मौजूद था।

बस वो एक दिन देख लिया,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही था।
जो उसने ढूंढा था बाहर,
वो उसी के अंदर छुपा हुआ था।

अब वहीं बैठकर, खुशियों के साथ,
वहीं वो खुश होता जा रहा है।
मन नहीं भागता अब,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही पाता है।

मन ने बुन रखे है इतने जाल जिसमे खुद ही बेचारा मन फंस रहा है, इस जाल से बाहर नहीं आ पाता, कोशिश बहुत करता है लेकिन यह बेचारा अपने ही जाल में खुद ही फँसता जाता।

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उलझन में है दिल

उलझन में है दिल मेरा, अटका हुआ इस अँधेरे में,
कहीं समझ नहीं आता क्या सही है, क्या गलत में।

ये उलझन की घनी धुंध ने मेरी राहें बाँध ली हैं,
एक आस बना कर जीता हूँ, कि शायद बदल जाएं वही।

मैं तो जानता हूँ अब आगे बढ़ना होगा जरूर,
पर राह तो बेख़बर है, जिसे मैंने सोचा था वही नहीं है।

फिर भी ना उदासी है दिल में, ना हार का अभाव है,
कोशिश करता हूँ हर उलझन से अटके हुए समझौते कर लूँ।

जब भी उठती है उलझन की लहर, तब भी खड़ा रहता हूँ मैं,
उस समय भी ढूँढता हूँ मैं अपने अंतर की शांति के लिए।

उलझन की इस घनी धुंध में, बस यहीं हूँ मैं अकेला,
पर उठती हैं मुझमें नयी उमंग, कि एक दिन निकलूँ मैं जीता-जगता हुआ।

उलझन में है दिल मेरा, अटका हुआ इस अँधेरे में

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10 बेहतरीन पुस्तक

10 बेहतरीन पुस्तक जो यहाँ मैं आपको बता रहा हूँ , जो आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकती हैं, इन्हे पढिए ओर अपने जीवन में बदलाव लाए

“द मैजिक” द्वारा रोबिन शर्मा – आत्मविश्वास, सफलता और संतुलन की शक्ति पर एक अद्भुत पुस्तक।

“द फाइव लव लैंग्वेजेज आफ एपोलोजी” द्वारा जी पी मोरलैंड – अपने धर्म या विश्वास से संबंधित सवालों के जवाब खोजने के लिए एक अद्भुत पुस्तक।

“द लास्ट लेक्चर” द्वारा रैंडी पौश – एक मोटिवेशनल बुक जो जीवन के मूल्यों, सफलता और निर्णय लेने के बारे में बात करती है।

“द डेल कार्नेगी हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इंफ्लूएंस पीपल” द्वारा डेल कार्नेगी – समाज में व्यक्तित्व विकसित करने और अधिक संवाद करने के लिए संबंधों बनाने के लिए एक अद्भुत पुस्तक।

“द फाइव सेक्रेट्स यू मस्ट डिस्कवर बेफोर यू डाई” द्वारा जॉन इच्स – एक अद्भुत पुस्तक जो आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन, निर्णय लेने की कला और स्व-विकास में मदद करती है।

“द अर्ट ऑफ़ हैपीनेस” द्वारा डलाई लामा – एक अद्भुत पुस्तक जो आपको खुश और संतुष्ट रहने की कला सिखाती है।

“द फाइव सीक्रेट्स ऑफ एक्स्ट्राओर्डिनरी लीडर्स” द्वारा जॉन मैक्सवेल – अग्रणी लोगों केविशेषताओं को समझने और अपने जीवन में लागू करने के लिए एक अद्भुत पुस्तक।

“द फार्स्ट 90 डेज्स” द्वारा माइकल वॉट्किन्स – एक सफल जीवन और करियर बनाने के लिए आवश्यक संगठन, निर्धारित लक्ष्य और समय प्रबंधन की तकनीकों को समझने के लिए एक अद्भुत पुस्तक।

“द फील गुड हैंडबुक” द्वारा डेविड हैपल – आपकी मानसिक स्थिति को बढ़ावा देने, स्वस्थ मनोवृत्ति को बनाए रखने और जीवन की सभी दिक्कतों से निपटने के लिए एक उपयोगी पुस्तक।

“द वर्क ऑफ लाइफ” द्वारा लिओ बाबौता – एक अद्भुत पुस्तक जो आपको अपने जीवन के उद्देश्य को समझने, अपने जीवन का अधिक महत्वपूर्ण हिस्सा को पहचानने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मदद करती है।

यह हुई 10 बेहतरीन पुस्तक जो माइने आपको बताई कमेन्ट करके अवश्य बताए की आपने इनमे से कौनसी पुस्तक पढ़ी है।

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10 घटनाए इतिहास में

10 घटनाए इतिहास में जो अधिक महतवपूर्ण घटना मानी जाती थी

इतिहास में बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं, लेकिन यह बहुत मुश्किल हो जाता है कि 10 घटनाए इतिहास में से जो सबसे महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, निम्नलिखित घटनाओं को आमतौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है:

  • फ्रांस की क्रांति (1789): फ्रांस की क्रांति 18वीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने यूरोप में राजनैतिक और सामाजिक बदलाव का मार्ग प्रशस्त किया।
  • अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (1775-1783): अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने अमेरिकी इतिहास को बदल दिया था। इससे अमेरिका एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा था।
  • राजस्थान के एकीकरण (1949): भारत में उत्तरी राजस्थान के कई रियासतों के एकीकरण से भारत का नक्शा बदल गया था।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945): द्वितीय विश्वयुद्ध एक विशाल और घोर युद्ध था, जो दुनिया को बदल दिया था। इससे नाजी जर्मनी का पतन हुआ था और अमेरिका एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा था।
  • भारत का स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947): भारत का स्वतंत्रता संग्राम भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसने भारत को आजादी की ओर ले जाने में मदद की।
  • अखंड भारत का विभाजन (1947): भारत का विभाजन भारत के इतिहास में एक बड़ी घटना थी, जो भारत के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया था। इससे भारत का दो अलग-अलग राज्य बन गए थे।
  • राष्ट्रपति केनेडी की हत्या (1963): राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या एक अहम घटना थी, जो अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
  • अंग्रेजों की इंडियन विस्तापित कार्यवाही (1858): इंडियन विस्तापित कार्यवाही भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराया।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919): जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास में एक भयानक घटना थी, जिसमें इंग्लैंडी सेना ने भारतीय नागरिकों पर अत्याचार किया था।
  • बर्लिन दीवार का गिरना (1989): बर्लिन दीवार का गिरना उस समय एक बड़ी घटना थी, जब दो जगहों में विभाजित एक राष्ट्र को फिर से एक कर दिया गया था।

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ध्यान करते समय

ध्यान करते समय आप स्थिर क्यों नहीं बैठ पाते

ध्यान करते समय आप विचारों के घने बादलों से घिरे हुए है जब आप चलते फिरते है, या कोई भी कार्य कर रहे होते है, जब आपको पता नहीं चलता की आपके मन में कितने विचार लगातार चल रहे है, आपको सिर्फ यह लगता है की आप काम कर रहे है परंतु जब आप एक स्थान पर शांत होकर बैठने की कोशिश करते है, तो वह विचार आपको शांति से बैठने नहीं देते वह विचार आपके मन मस्तिष्क में चलते रहते है , यह विचार किसी भी प्रकार के हो सकते है जैसे पैर में चींटी काट रही क्या? खुजली हो रही है? हल्की सी आवाज में आपका मन बहुत सारी कल्पनाए गढ़ लेता है, हवा चलती है तो शरीर में सरसराहट होती है लगता है, चींटियों ने स्पर्श किया , आदि अनेक विचार उत्पन्न होते है लेकिन जैसे जैसे आप ध्यान में बैठ कर अपने मन को देखने लगेंगे आपका चित भी शांत होगा ओर इस प्रकार के विचार हटने लगेंगे, नए विचारों पर भी रोक लगने लगेगी जिसकी वजह से आपका शरीर स्थिर होने लगेगा,

ध्यान करते समय
ध्यान

यदि आपने देखा हो तो ध्यान करते समय कुछ लोग बस हिलते ही रहते है, कभी वो अपनी टांग हिलाते है, या फिर हाथों को हिलाते है, उनका शरीर स्थिर ही नहीं होता, यह सब मन में विचारों की गति का बहुत तेज होने से होता है, इसलिए भी यह एक कारण है शरीर को स्थिर होने की आदत नहीं होती जैसे जैसे आप बैठने आदत डालते है शरीर को आप ध्यान में ही उतरते जाएंगे।

जिस तरह से शुरुआत में लोग सत्संग सुनते है ओर उनको नींद आ जाती है क्युकी निद्रा माता उनको भजन , सत्संग नहीं करने देती लेकिन धीरे आप दृढ़ हो जाते है आपको बैठना सुनना अच्छा लगता है सत्संग तो वह स्वत ही हो जाता है, इस प्रकार शरीर के पंचतत्व आपको स्थिर नहीं बैठने देते लेकिन आप धीरे धीरे गहरे भीतर होना शुरू जाते है, बस थोड़ा समय लगता है फिर ध्यान आपके के लिए आनंद हो जाता है।

मन को कैसे शांत करे?

अंत में एक सुझाव यह भी है की आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है, मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है?  जब आप इस बात को समझने लग जाएंगे आपका मन भीतर स्वत ही शांत होने लग जाएगा वह दौड़ेगा नहीं क्युकी आप उस पर निगरानी रखे हुए है , इस मन को आप मना नहीं कर रहे कुछ भी करने को लेकिन देख रहे है बस फिर वो कही नहीं भागेगा, रुक जाएगा ठहर जाएगा आपका ओर साथ आपके शरीर को भी स्थिर होने में मदद करेगा।

अंत में एक सुझाव यह भी है ध्यान करते समय आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है, तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है , मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है? जैसे जैसे आप मन को देखना शुरू कर दोगे आपकी हर एक क्रिया ध्यान हो जाएगी।

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हमारी उम्मीद

हमारी उम्मीद क्यू टूट जाती है उम्मीद टूट जाने के कई कारण हो सकते हैं। यह मानसिक और भावनात्मक कारणों से लेकर, वास्तविक जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है।

निम्नलिखित कुछ सामान्य कारण हो सकते हैं:

उम्मीद के कारण: जब हम किसी व्यक्ति या स्थिति से उम्मीद करते हैं तो हमारी उम्मीद सीमित होती है। जब हमारी उम्मीद न पूरी होती है, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद को टूटने का कारण बनती है।

अपेक्षाओं का असंगठन: जब हम अपेक्षाओं को असंगठित रूप से रखते हैं तो उन्हें पूरा करना मुश्किल हो जाता है। यदि हम अपेक्षाओं को ढंग से संगठित नहीं करते हैं तो वे असंभव साबित हो सकते हैं और हमारी उम्मीद टूट सकती है।

आक्रोश: आक्रोश और असंतुष्टि आपकी उम्मीदों को टूटने का मुख्य कारण हो सकते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति या स्थिति से अधिक उम्मीद करते हैं, तो जब आपकी उम्मीद न पूरी होती है, तो आप आक्रोशित हो जाते हैं और आपकी उम्मीद टूट जाती है।

घटनाओं का विपरीत घटना: कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमारी उम्मीदों के विपरीत होती हैं। जब हमारी उम्मीद के अनुरूप घटनाएं होती हैं, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद टूटने का कारण बनती है।

लापरवाही: कभी-कभी हम अपनी उम्मीदों को पूरा करने के लिए सक्रिय नहीं होते हैं या हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इससे हमारी उम्मीदों में कमी आती है और वे टूट जाती हैं।

इन अलग-अलग कारणों के अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं जो उम्मीद को टूटने का कारण बनते हैं। इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और अपनी उम्मीदों को संभवतः संगठित रखना चाहिए ताकि हमारी उम्मीदें टूटने से बच सकें।

कुछ उम्मीद को बढ़ाने के लिए सुझाव

सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोचने से आपकी उम्मीद बढ़ती है। आप अपनी सोच को सकारात्मक बनाने के लिए मन को शांत रखें और सकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करें।

लक्ष्य निर्धारित करें: अपनी उम्मीदों को बढ़ाने के लिए आपको अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करना होगा। लक्ष्य के साथ आप अपने काम में अधिक लगाव दिखाएंगे और यह आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

अपनी संवेदनशीलता को संभालें: अपनी संवेदनशीलता को संभालना भी आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अपनी संवेदनशीलता को संभालने से आप अपने आप को निराशावादी सोच से बचा सकते हैं।

सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताएं: सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताना आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। उनसे बातचीत करने से आपके आसपास की ऊर्जा सकारात्मक होती है और आपकी उम्मीद बढ़ती है।

स्वस्थ रहें: अपने शरीर की देखभाल करना भी आपकी उम्मीद को बढ़ाने में मदद कर सकता है। स्वस्थ शरीर सकारात्मक सोच का एक महत्वपूर्ण अंग है और आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

इन सुझावों के अलावा भी कई अन्य तरीके हो सकते हैं जो आपकी उम्मीद को बढ़ा सकते हैं। उम्मीद बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप सकारात्मक हों और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। आप अपने विचारों को सकारात्मक बनाने के लिए ध्यान दें और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करें।

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