अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…..
आत्ममंथन में समय को करे व्यय ।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे …..
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे ।
बेंठे अकेले और स्वय को दे समय….
व्यर्थ की बाँतो में हो रहा वो व्यय ।
रात्रि में करे दिन का लेखा जोखा….
व्यर्थ को छोड़े नहीं तो खा जाएँगे धोखा ।
अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।
जीवन की भागदौड़ में जब हम टूटे जाते हैं,
समय के चक्र में खो जाते हैं,
तब अकेले बैठ कर स्वयं को ध्यान देना होता है,
अपनी प्रतिभा को जगाना होता है।
जब जीवन की उचाईयों पर चढ़ना होता है,
समय के साथ कदम साथी रखना होता है।
आत्ममंथन करें और समय को व्यय करें,
इस रूप में अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
हर दिन क्रियाएं करें सोने से पहले,
अपने सपनों को पूरा करने के लिए जगें।
आत्मा की ऊर्जा को जगाएं और बढ़ाएं,
नये दिन में खुशियों से भरी जिंदगी पाएं।
जन्मी समझ से नये दिन का स्वागत करें,
खुशियों के फूलों से आगाज करें।
अपनी कविता के रंग में रंग जाएं,
और जीवन की हर बाधा को संग जाएं।
अकेले बेंठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।
जीवन की रेखाएं हम खुद खींचते हैं,
खुद ही अपने भाग्य की रचना करते हैं।
समय को सदा महत्व देते रहें,
और सपनों को पूरा करते जाएं।