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पैसों के पाँच नियम

पैसे के पांच प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं: पैसों के पाँच नियम जो मैं आपको नीचे बताने जा रहा हूँ उनको आप ध्यान से पढे ओर उनका चिंतन व मनन करे ताकि यह बात आप भविष्य में भी याद रखे।

1. बजट बनाना और उस बजट का पालन करना: अपने आमदनी और खर्चों का स्पष्ट बजट बनाएं और उसी के अनुसार खर्च करें। इससे आप बेफिजूल खर्चों से बच सकते हैं और अधिक बचत कर सकते हैं, जो आपकी जरूरत के समय में बहुत काम आती है, और हमारी बचत करने की आदत भी बनती है।

2. बचत और निवेश: अपनी आय का एक हिस्सा नियमित रूप से बचत और निवेश के लिए अलग रखें। लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न पाने के लिए विभिन्न निवेश विकल्पों पर विचार करें।

3. ऋण प्रबंधन: अपने ऋणों को नियंत्रित रखें और उच्च ब्याज दर वाले कर्ज को जल्दी से चुकाने का प्रयास करें, क्युकी उच्च ऋण में फंस जाते है, जितना आपका किसी कार्य में मुनाफा नहीं होता उससे अधिक आपका ब्याज चल जाता है, जिसकी वजह से वो व्यक्ति कभी कर्ज से उभर नहीं पाता, इसलिए यी आपको कर्ज लेने की कोई आवश्यकता नहीं है तो बिल्कुल ना ले, जब बहुत अधिक जरूरत महसूस हो तभी कर्ज की ओर बढ़े वरना कर्ज से दूरी बनाए रखे।

4. आवश्यकता और इच्छा में अंतर: अपने खर्चों को प्राथमिकता दें और अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर करना सीखें। पहले आवश्यकताओं को पूरा करें और फिर इच्छाओं पर खर्च करें, हमारी इच्छाए असीमित है इसलिए उनके बारे बाद में विचार करे पहले अपनी जरूरतों पर ध्यान दे।

5. वित्तीय सुरक्षा: अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहें और आपातकालीन स्थिति के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाएं। इसके अलावा, अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उपयुक्त बीमा कवरेज रखें।

मैं आशा करता हूं कि आपको यह मेरी पैसों के पाँच नियम पोस्ट पसंद आई होगी, कृपया कमेन्ट करके बताए यदि आप इसी तरह की पोस्ट लगातार पढ़ना चाहते है तो आगे भी हम इसी तरह की और पोस्ट लेकर आएंगे यदि आपका कोई मनपसंद विषय है जिस पर आप अधिक जानना चाहते तो कमेन्ट में हमे बताए उस पर आपको पूरी डीटेल में जानकारी देने की कोशिश की जाएगी।

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जल की कीमत

जल की कीमत हम लोग नहीं समझ रहे लेकिन जल की कीमत हमे तब पता चलेगी जब जल की एक बंद को भी हम तरसने लगेंगे, जल या पानी का नाम सुनते ही पहली बात क्या आती है ध्यान में ये जीवन है जीवन का अभाज्य अंग है इसके बिना जीवन का अंत और यह बात बहुत सच्ची और अपरिवर्तनशील है इसका कोई विकल्प भी नहीं हे जल का विकल्प सिर्फ़ और सिर्फ़ जल ही है, जो हमारे शरीर का 70 फ़ीसदी है इसी प्यारे अजूबे रसायन जिसमें हाइड्रोजन के दो हिस्से है और आक्सीजन का एक हिस्सा है जो आपके जीवन में नस नस में घुला हुआ है और मज़े की बात जल का बेशकीमती होने के बाद भी इसकी अनदेखी इसका ग़लत दोहन होता इसे waste किया जाता है।

इस पर गौर नहीं किया जाता, लापरवाह होकर पानी को बर्बाद किया जाता है, पानी की टंकी भर जाती है लेकिन घंटों तक मोटर चलती ही रहती है, गाड़ियों के लिए बाल्टी से ना पानी डालकर बल्कि उन पर पाइप चलाकर पानी डाला जाता है जिससे पानी बहुत खराब होता है, यदि आप देखो तो जो पानी घरों में बोतल से भरकर आता है, जब उसको साफ किया जाता है तो कितना ही पानी उस प्रक्रिया में नाली बहा दिया जाता है उसका संरक्षण करने की कोई पक्रिया नहीं बनाई जाती यही हमारे भीतर कमी है।

जल की कीमत तब मनुष्य को पता चलेगी जब यह अद्भुत रसायन की कमी होगी , अभी बीच बीच में ट्रेलर आते रहते है उसे हम सीरियसली नहीं लेते इसके मनुष्यता को गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे ।
अभी तक मंनुष्य इतिहास में जो भी सभ्यता विकसित हुई वो किसी नदी के किनारे से ही विकसित होके फली फूली ।
समय आ सकता है या आम सा मिलने वाला पदार्थ जितना सोना चाँदी धन दे और बदले में न मिले ।

सब को मिलके मजबूत इरादे से इस जीवन की मुख्य धरोहर को बढ़ाने ( स्वयं की ही रक्षा है यह कार्य ) और स्वच्छ रखने के कार्य में लगे चाहे वो बड़ी बड़ी industries द्वारा इसक pollute करने का कार्य को कम या रोकने का या इन्ही इंडस्ट्रीज़ द्वारा ज़मीनी पानी को ख़राब करने से रोकने का हो या फिर बारिश के पानी का संरक्षण का हो जिससे धरती का वाटर टेबल में सुधार का गहरा विषय हो और ऐसी साइंस विकसित करे जैसी मां प्रकृति की है जिसमें सब अपनी भूख भी मिटा रहे है और परस्पर योगदान भी कर रहे मां प्रकृति की जीवन को संजोने के कार्य में ।

कहते है तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा उसके विभाजन को लेकर होगा यह जल या पानी संकट की लड़ाई का बिगुल बज चुका है यह आपकी निजी तथा सामूहिक लड़ाई है अपने और आने वाले नये जीवनों के बचाने का विषय है ।

आशा की किरणों के साथ वाणी को विश्राम जो बहुत कुछ अनकहा रह गया उसके लिए माफ़ी चाहूँगा ।

राम लालवानी

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पैसा क्यों जरूरी है

पैसा क्यों जरूरी है? पैसा आवश्यकता है हम सभी की, पैसों से बहुत सारी चीज़े पूरी हो जाती है, #पैसों से साधनों की प्राप्ति होती है,

पैसा तब बहुत जरूरी लगा जब घर में मेडिकल ईमर्जन्सी हुई तब पता चला की पास में पैसे ना हो तो कितनी तकलीफ होती है, हर जगह धक्के खाने पड़ते है, सरकारी अस्पताल में लंबी कतार में लगना पड़ता है, जब आपको किसी टेस्ट के लिए भी तारीख मिलती है सरकारी अस्पताल में तब पैसों की अहमहियत ओर ज्यादा महसूस होती है।

यदि पैसे होते तो इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवा लेते बहुत आराम से, ओर अपनी सहूलियत के अनुसार जितनी जल्दी हम चाहते, सरकारी अस्पताल वाले तो आपको अच्छे से देखते भी नहीं है, उनको यदि आप कुछ बोल दो तो उनका जवाब यही होता है की आपको पता है कुछ या मुह उठाकर आ गए हो, हर सरकारी अस्पताल में जाता हुआ उन्हे अनपढ़ ओर गरीब ही दिखता है जिनके साथ वह किसी भी प्रकार का व्याहवार कर लेते है।

पैसों की कमी तब पता चलती है जब आप सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से अपना केस नहीं लड़ पढ़ पाते हो, हमे ऐसा लगता है की हमारे साथ क्या बुरा होगा यदि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे तो लेकिन कब कौनसी घटना हमारे साथ घट जाए इस बात का किसी को नहीं पता होता, इसलिए पैसा जरूरी है।

अचानक यदि कोई एक्सीडेंट हो जाए ओर आपका इलाज सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से रुके तब आपको पैसों की कमी महसूस होती है।

पैसा क्यों जरूरी है यह बात तब और ज्यादा महसूस होती है जब आप स्वयं को असहाय मानते हो सिर्फ उन पैसों की वजह जब आप अपने बहुत सारे कार्यों को भी नहीं पूरा कर पाते।

वो पंडित भी आपको तब दर्शन करने देते है भगवान के जब आप चड़ावा ज्यादा देते हो, बिना चडावे के तो पंडित बस आपको आगे करते जाते है।

#भाई को आगे पढ़ ना पाते देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#बिना खाए सोया तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#संसार में जीवन यापन करने के लिए पैसा अति महत्वपूर्ण है। बिना पैसे के न भोजन मिलेगा,न पानी ,न बिजली,न मोबाइल में रिचार्ज होगा, कि कोरा पर आकर सवाल जबाब कर सकें। जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा बहुत जरूरी है।

#खुशी के लिए पैसा महत्वपूर्ण है

#पढ़ाई को बीच रास्ते में छूटते हुए देख लगा की पैसा बहुत जरूरी है।

#मुझे आमिर होकर देखना है पैसा है तो सब अपने है, वरना सब सपने है।

#छत से पानी टपकते हुए देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है, दीवारी की सफेदी झड़ रही थी लेकिन सफेदी के पैसे भी ना थे तो लगा ये जवानी भी किस काम यदि पैसा ना हुआ हाथ में तो

#पैसे कमाना तो सबसे जरूरी है। जीवन में और कुछ करें ना करें , लेकिन पैसे जरूर कमाएं। क्योंकि पैसा कमाते रहेंगे तो दुनिया आपकी है, सारे रिश्ते आपके है, सभी दोस्त आपको पूछते है वर्ना आपका कोई नहीं। ये मेरा निजी अनुभव है।

पैसा आज के समय का सबसे अनमोल वस्तु बन चुका है आप बिना पैसों की आज का जीवन जीने का सोच भी नहीं सकते यह और चिकन आर्थिक दोनों ही क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है इसमें ना केवल व्यापार बल्कि घरेलू शोध पढ़ाई समाज सेवा मंदिर और आविष्कार सभी के लिए पैसा बेहद जरूरी है।

“पैसा कमाना जरूरी तो है” ये माइंडसेट होगा तो अच्छा है “लेकिन पैसा ही जरूरी है” ये माइंडसेट गलत है।

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हमारी पृथ्वी का हृदय

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का हृदय
उसे साँवरे नहीं इस बात में कोई संदेह ।

सब इस प्रकृति माँ का दिया देय….
इसका सही प्रयोग से करे व्यय ।

पेड़ पौधे धरती की संपदा….
सिर्फ़ उसका दोहन लाएगी विपदा ।

स्वयं से करे पर्यावरण को सुरक्षित
अपनी लालचो को करे संयमित ।

पर्यावरण में गहरा असंतुलन….
तापमान बढ़ रहा कट रहे है वन ।
एक तकलीफ़ हो रहा जलवायु परिवर्तन ।

इस गहरी समस्या पे दे ध्यान….
कैसे बाहर आयेंगे बने बुद्धिमान ।
नहीं तो जल्द गर्कं हो जाएँगे सब श्रीमान ।

सब जगह भिन्न भिन्न पेड़ उगाये…..
जल कटाव मिट्टी पहाड़ो को बचाये ।
हर दिन पर्यावरण दिवस जी कर मनाये ।
इस धरती को मानव का स्वर्ग बनाये ।
ख़ुद भी जिए दूसरी को भी जिवाए ।
यह मंत्र पढ़े और पढ़ाये ।

पर्यावरण, हमारी पृथ्वी का हृदय है। यह हमारे सभी जीवनों की जड़ है और हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। पर्यावरण हमें स्वच्छ और ऊर्जावान वातावरण प्रदान करता है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि, आजकल हमारे पर्यावरण को नष्ट करने की चिंता बढ़ रही है। वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, वायु प्रदूषण और जल संकट के कारण पर्यावरण की स्थिति गंभीर हो रही है।

हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है। हमें अपनी भूमिका समझनी चाहिए और सुस्थित और सुरक्षित पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। हमें प्रदूषण कम करने, वनरक्षण को बढ़ावा देने, जल संरचनाओं को सुधारने और जल संचय करने के लिए जागरूक होना चाहिए। वन्य जीवों की संरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामरिक मुकाबला भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

हमारे पर्यावरण को साँवरने के लिए हमें साझा संगठनिक प्रयास करने, अधिकांशतः संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं और समझौतों का पालन करने और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करके समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने की आवश्यकता है। पर्यावरण के हित में सतत और संवेदनशील प्रगति करना हमारा कर्तव्य हद्वारा जारी यह संदेश स्वर्णिम संकट को दर्शाता है। पर्यावरण हमारी माता की तरह है, और हमें उसे सावरना हमारा दायित्व है। इसके बिना, हमारा अस्तित्व खतरे में है। हमें संयुक्त रूप से कार्य करना होगा और पर्यावरण की सभी मान्यताओं का पालन करना होगा ताकि हम इसे सुरक्षित रख सकें। हमें जल संचय, प्रदूषण नियंत्रण, और वन संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। साथ ही, हमें नवाचारी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी में सुधार ला सकें। यदि हम इन समस्याओं के सामाजिक, आर्थिक, और वैज्ञानिक मुद्दों को संगठित रूप से समझते हैं और उन्हें हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं, तो हम पर्यावरण को सावर सकते हैं। पर्यावरण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने योग्य एक अमूल्य धरोहर है, और हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

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ना करे चिंता

कृपया ना करे चिंता कौन कौन आपसे बढ़िया परिणाम दे रहा…..
ध्यान दे स्वयं स्थापित कीर्तिमान पे, जाने क्या वो निरंतरता से सुधर रहा ?

चिंता ना करें, ध्यान दें स्वयं स्थापित कीर्तिमान पर,
उच्चता की चोटी पर, जहां आप स्वयं बने हुए हैं स्वामी।

आपकी विजय की कविता गाती है समय के संगीत,
इतिहास की पन्नों में छाया है आपका नाम विक्रमित।

वीरता के अभिनय में आपकी छाप छोड़ी है साक्षी,
कहीं भी जब भी विजय की लहर उठी, आप ही थे नेता।

आपकी प्रगति, आपकी कर्म यात्रा का अभिनय,
चरित्र और साहस की गाथा, जो अमर हुई आज तक।

कोई चुनौती आई, आपने उसे गले लगाया,
सफलता की विजयगाथा, जो आज तक चमक रही है।

आपकी पराक्रम से रौशन हुई देश की प्रतिष्ठा,
वीरता के प्रतीक, जो बने हुए हैं आपके चरित्र का आधार।

ध्यान दें स्वयं स्थापित कीर्तिमान पर, जो निरंतर बढ़े,
कविता गाती है आपकी महिमा, जो आज तक बची रहे।

अपार सम्मान जो दिया आपको लोगों ने,
आपकी प्रतिष्ठा की चर्चा होती है अभिनय के रंगों में।

आपकी कीर्ति बहुतायत से ऊँचाईयों पर पहुँची,
आप हीं हैं वो वीर, जिनका लहराए ध्वज देश का।

आपकी आपने आप से हो प्रतिस्पर्धा….
निरंतर सुधार स्वयं कार्य में सच्ची विधा ।

दूसरे पे ध्यान रहेंगे सदा परेशान….
अपने कार्य पे ध्यान रखे जजमान ।

आपका कार्य बने आपकी पहचान….
और मिले आपको उचित सम्मान ।

सदा ध्यान स्वयं पे….
सम्मान सब को दे ।

नमस्कार देखे समझे चिंता से कुछ नहीं होता जो होता है आप की क्रिया प्रतिक्रिया आप की प्रतिस्पर्धा सिर्फ़ आप से है न कि दूसरे से बस आपको कोशिश करनी है स्वयं का स्थापित कीर्तिमान सुधारना है ये संकल्प करे जिधर का होगा ध्यान वही की सूचना आपको अपने घर में आमंत्रित करेगी तो इसी तरह से सोचना उचित है दूसरे पे ध्यान उससे आप प्रेरणा ले सकते है लेकिन उसकी नक़ल तो पहचाने नहीं हम में अक्ल ।

बस स्वयं से एग्रीमेंट करे कि अपने कार्य की गुणवक्ता में सुधार करते रहे जीवन सरिता अविचलित अविरल बहती रहे मार्ग में आये व्यवधानों से निपट कर अपनी राह सुनिश्चित करे और दूसरौ के लिए प्रेरणा सोत्र बने ।
जीवन चलने का नाम चलते रहो यहाँ सुभ ओ शाम, बस कृपया कर ना करे चिंता और हो जाए सब काम।

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मेरे ख्यालों में

यू बेवजह कही भी कभी भी
“बस तुम”
आया ना करो
बेमतलब अब बस मुझे
तुम सताया ना करो
बिना पूछे जो तुम आ जाते हो
जब मर्जी ये जो तुम मेरे खयालो का
दरवाजा खटखटाते हो
मैं खोलता हूं दरवाजा तो
नजर नही आते हो
पता नही क्यों तुम
मुझे सत्ताकर भाग यू जाते हो
यह बेफालतू की जिद्द है
तुम्हारी मेरे ख्यालों में आने की
मुझे इस कदर सताने की
इसलिए

यू बेवजह कही भी कभी भी मेरे ख्यालों में बस तुम आया ना करो
मेरे ख्यालों में


बात अब तो मेरी तुम मान जाओ
मुझे यू ना तुम सताओ , ना तड़पाओ
बस अब वापस आ जाओ
फिर हक से मेरे
खयालो का दरवाजा खटखटाना, तोड़ना और
भीतर आ जाना
सिर्फ तुम बस जाना
और फिर अगर
तुम चाहो तो रुलाना और सताना भी
लेकिन
मुझे छोड़कर नही तुम जाना

इन्हे भी पढे: ख्याल, तेरा ख्याल, तुम्हारा ख्याल,

सच्चाई का करे

सच्चाई का करे सदा स्वागत , इसमे कोई घाटा नहीं है , इसमे मिलती सदा भलाई है, ये आपके गुण को गुना कर देती है इसका करे सदा स्वागत, झूठ से बचे एक झूठ को छुपने के लिए 100 झूठ ओर बोलने पड़ते है, इसलिए सदा रहे दूर उस झूठ से, सच्चाई का दे हमेशा साथ रख कर मन में यह आत्मविश्वास , आत्मविश्वास की डोर बहुत मजबूत देती हिम्मत ओर सूझबूझ, प्रेम भाव से देखे सबको छल कपट से भी रहे दूर, अहित किसी ना करे बस यही भाव लेकर सदेव आगे बढ़े, अडिग रहे अपने पथ पर आगे बढ़े, सच्चाई का करे स्वागत

सच्चाई का करे
सदा स्वागत…
देगा यह कमा के
कई गुणा लागत ॥ जहां सच्चाई वहाँ नही
डर का बसेरा….
वहाँ सदा ख़ुशियों का
नित नया सवेरा ॥ सच्चाई की धार…
डरते झूठे ओर मक्कार ॥

सच्चाई का करे सदा स्वागत,
इसमें कोई घाटा नहीं है।
इसमें मिलती सदा भलाई है।
ये आपके गुण को गुणा कर देती है।

इस पर चिंतन करें सदा स्वागत।
सत्य की पथ पर चलें निरंतर,
खोये आपने मन की भ्रांतियों को।
जीवन में जो भी गलत है,
उसे सही करें निश्चित तौर पर।

धोखे से दूर रहें, मखौलियों से।
सत्यता का पाठ पढ़ें सिर उच्च कर।
जीवन की गहराइयों में जा कर,
खोए हुए आत्मा को खोजें निरन्तर।

यथार्थता की ओर आगे बढ़ें,
प्रेमभाव से हर किसी को देखें।
अहंकार को छोड़ दें पीछे,
निष्काम कर्मों में जीवन बिताएं।

सच्चाई का स्वागत करें सदा,
जीवन को नयी दिशा दें बरसों।
धर्म की रक्षा करें सबकी,
इसी से मिलेगी सदा सुख-शांति।

सच्चाई का करें सदा स्वागत,
इसमें नहीं है कोई घाटा।
सदा उज्ज्वल हो जाए आपका जीवन,
सत्य की रोशनी से भर दे हर पल।

इन्हे भी पढे राम ललवानी द्वारा लिखी गई कुछ कविताए: जीवन आप रहे, जीवन में सफलता, जीवन का आनंद

कुछ बात ऐसी

कुछ बात ऐसी
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी कहानी ,हर मोड़ पर थी कहानी
कुछ अभी की तो कुछ बात पुरानी
ना जाने कौनसी कहानी

कुछ इस तरह
कुछ उस तरह
चलती रही हमारी कहानी
कुछ उलझी कहानी तो सुलझी कहानी
कुछ भूली बिसरी जवानी
कुछ बीत गई जवानी

संग ना जाने कितने किस्से और हुई कहानी
कुछ सफर जाने पहचाने तो कुछ अनजाने

अब यार छोड़ो
ये बाते सब पुरानी
देखलो
ढल गयी मेरी जवानी,
करली नादानी जो करनी थी नादानी
हो गयी नादानी,
अब नही करनी और कोई नादानी
अब नही कोई हरकत बचकानी
बस चल रही है ये जिंदगानी
जो ढलनी थी मेरी जवानी
वो भी ढल गई है

अब नही कोई परेशानी,
बस मस्त जीने दो मुझे अपनी जिंदगानी
कुछ बात ऐसी,
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी

इन्हे भी पढे: सारी शिकायते, सुकून मिलता है, लफ्जों में बयां, इश्क की कहानी

पढ़ाई क्यों जरूरी है

पढ़ाई क्यों जरूरी है ? इस बात को समझते है, पढ़ाई हम सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह हमारे व्यक्तित्व को विकसित करती है, और हमे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाती है, जब तक हम किसी भी विषय को अच्छे से नहीं पढ़ते , हमारी सोच विकसित नहीं होती है, और हम सफलता की दुनिया में आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

आज के समय जीतने भी सफल व्यक्ति है उनकी दिनचर्या में पुस्तके शामिल है वह हर रोज कुछ नया कुछ नया पढ़ते है , कुछ नया सीखते है तभी कुछ नया वो सभी कर पाते है हमारा मस्तिष्क ओर विकसित तभी होता है जब कुछ पढ़ते है देखते है , नई नई चीजों के बारे में जानने की कोशिश करते है।

पढ़ाई करने से हमारे ज्ञान और विचारशक्ति में विस्तार होता है। इससे हम विभिन्न क्षेत्रों में अपने आपको आगे बढ़ सकते है, और अपने अवसरों को समाज व सम्पूर्ण मानव जाति के लिए उपयोगी बना सकते हैं।

पढ़ाई के द्वारा हम समाज में एक सक्षम व्यक्ति के रूप में उभर सकते हैं। यह हमारे जीवन में एक आधार बनती है, जो हमें सफलता के द्वार तक पहुंचाती है।

पढ़ना हमारी प्रथम प्राथमिकताओं में होना चाहिए, जितना ज्यादा हम किताबें पढ़ेंगे, जितना ज्यादा अध्ययन करेंगे, हमारे दिमाग में उतना ही ज्यादा कंटेंट होगा साथ ही हमारे दिमाग में जितना ज्यादा कंटेंट होगा उतने ही बेहतर ढंग से हम हमारे एग्जाम में उसका प्रयोग कर पाएंगे।

यकीन मानिए यदि गलती से भी मेरे जैसा अध्ययनरत छात्र इस कोरी बकवास पर विश्वास करके बैठ जाए कि— किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होता तो जरा सोचिए तो सही जब मेरे दिमाग में कंटेंट ही नहीं होगा तो मैं प्रयोग क्या करूँगा???

इसलिए, पढ़ाई जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। हम सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए इसे अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए।

पढ़ाई क्यों जरूरी है इस बात का आपको विचार करना है ओर इसे समझना है।

इन्हे भी पढे: पढ़ाई की आदत, शिक्षा का ही जीवन का आधार है, पढ़ाई की आदत

तुम्हारा खुद का समय

तुम्हारा खुद का समय यह वो समय है जिसे तुम स्वयं के साथ व्यतीत करना चाहते है, यह समय खुद के साथ बस कैसे बिताना चाहते हो ये तुम्हारा ही फैसला है , क्या तुम इस समय को अपने दोस्त, फैमिली, या किसी काम में लगना चाहते हो या फिर अकेले ही इस समय का भरपूर आनंद उठाना चाहते हो, इस समय में तुम्हे पूरी आजादी है तुम जो कुछ भी करना चाहते हो वही तुम कर सकते हो, इस समय के और तुम्हारे बीच में कोई नहीं होता बस इस समय का फायदा तुम कैसे लेते हो ये तुम पर ही निर्भर है।

क्या इस समय में तुम आत्म मंथन करते हो या कुछ गेम खेलने लगते हो या फिर किताबो के संग वक्त बिताते हो, कुछ संगीत या कुछ और क्या करते हो इस वक्त के साथ तुम, या फिर अपने समय को भी बस बिताने की कोशिश करते हो और तुम्हे पता ही नही की तुम्हारा खुद का समय है क्या ? यह समय जो तुम खुद के लिए खोज रहे थे उस समय को भी तुम बस बरबादी की ओर मोड़ रहे हो।

इस समय के साथ सोचता हूं मुझे सोचना और लिखना बेहद पसंद है यह समय दुबारा नहीं आएगा इसलिए मैं अपने समय को सिर्फ सोचने के लिए बिताना पसंद करता हूं, मैं आध्यात्म और आत्मचिंतन में समय को व्यतीत करता हूं, सोचने से अर्थ मेरा मैं स्वयं को बेहतर कैसे करू, और क्या क्या कर सकता हूं इसी विषय में अधिक सोचता हूं और अपने विचारो को और स्कारात्मक बनाना ही मेरा उद्देश्य रहता है। मैं अपने भीतर के नकारात्मक विचारों को हटाने का प्रयास करता रहता हूं और उन्हें अपने मन और मस्तिष्क से दूर ही रखने की कोशिश में रहता हूं।

बहुत बार ऐसा होता है की हमे हमारा समय नहीं मिल पाता किसी न किसी कार्य में बुद्धि व्यस्त हो जाती है जिसकी वजह से हम स्वयं को ही भूल जाते है। स्वयं को याद रखने के लिए हमेशा अपने विचारो को शांत रखना चाहिए।
ज्यादा समय ध्यान में व्यतीत करना चाहिए, जिससे आप स्वयं के साथ ज्यादा से ज्यादा बिता सके

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