उम्र 40 की जब उम्र के पड़ाव पार होने लगे तब ख्यालों की मात्रा बढ़ने लगती है, लेकिन लोगों की नजदीकिया उस समय बहुत कम होने लगती है, एक उम्र के बाद आपके दोस्त आपके रिश्तेदार आदि भी बहुत दूर हो जाते है, सभी अपने जीवन में व्यस्त हो जाते है जैसे आप होते है अपने जीवन में, संबंधों को बहुत सिचना पड़ता है उन्हे संभाल कर चलना होता है, हर छोटी बड़ी बात में रिश्ता कब कमजोर हो जाए उस बात का हमे एहसास ही नहीं होता।
उम्र 40 की जब होती है तो लगभग आपके जीवन का आधा समय बीत चुका है और यह भी कहा जा सकता है की आज के समय के हिसाब हम आधे से अधिक समय व्यतीत कर चुके है, क्युकी औसतन उम्र 60-70 की होने लगी है। यदि यही उम्र है तो हमने अपने जीवन को अभी तक कैसे तैयार किया है और आगे की तैयारी क्या है? क्या हम जो हो रहा है, जैसे हो रहा है के भरोसे तो नहीं बैठे हुए है यदि आप जैसे हो रहा है और जो हॉएगा के भरोसे बैठे है तो आपको उठने की आवश्यकता है, और अपने जीवन की तैयारी करने की बहुत आवश्यकता है, क्युकी सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठना उचित नहीं है, क्युकी भाग्य का निर्माण करना ही हमारा कर्म है।
यदि इस तरह से देखा जाए तो क्या हमने अभी तक किया है, क्या इस उम्र में आकर हम सेटल हो चुके है या अभी भी स्ट्रगल वाला जीवन व्यतीत कर रहे है। क्या अब जीवन आरामदायक है या फिर 99 के फेरे में बुरी तरह से फंस चुके है, जिससे बाहर निकलना असंभव सा प्रतीत होता है।
उम्र 40 की यह संकेत भी देता है की अब हमे स्वयं की खोज पर ज्यादा जोर देना चाहिए, हमे अब स्वयं की यात्रा मे आगे बढ़ना चाहिए, जो गलतिया अभी तक की है उन्हे दोहराया नया जाए, और अब उन गलतियों में सुधार भी किया जाए।
उम्र 40 की इस उम्र में आने के बाद अधिकांश लोग बहुत सारे कार्यों को करना छोड़ देते है, बहुत से सीखना भी छोड़ देते है, बहुत लोग किटाबे पढ़ना भी छोड़ देते है, लेकिन हम जिंदगी के किसी भी पड़ाव पर हो हमे सीखना या फिर पढ़ना नहीं छोड़ना चाहिए, क्युकी जीवन लगातार कुछ नया सीखने से और भी बेहतर होता है।
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