एक दूसरे के दर्द ख़ुशियाँ
समवेदना की समझ….
मनुष्यता के प्राण
उसके प्राणो का ध्वज ।
जब जीवन में प्रेम
तो दूसरे का ख़ुशियाँ
दुःख दर्द दिखता….
जब नही जाना प्रेम
नही गलती सिर्फ़ स्वयं
का दुःख दिखता
तो नही दूसरे का सुख
दुःख समझता ॥
जब दिल में दर्द उतर जाए,
तब गम की लहर आ जाए।
क्या करें जब ये छाती फट जाए,
वो दर्द जिसे बयां करने के लिए शब्द ना मिल पाए।
इस दर्द से जुड़े दोस्त का जब दिल दुखाए,
तो कैसे उसका दर्द कम कर पाए।
जब उसके आँसू बाहर ना निकले,
तो कैसे उसकी रूह से बातें कर पाए।
जीवन का हर मोड़ पर दर्द का एहसास होता है,
कोई अपना अपनों को खोता है, कोई प्यार को तरसता है।
दुखी होता है जब हमें अपने दोस्त का दर्द देख पाते हैं,
मगर उसे संभाल लेने की चाहत हमें हमेशा होती है।
हम दर्द को कम नहीं कर सकते,
लेकिन उस दर्द के साथ रह सकते हैं।
दोस्त के दर्द में शामिल होकर,
उसका साथ देकर, उसकी मुस्कुराहट लौटाने का हमें सौभाग्य मिल सकता है।
जब दोस्त का दर्द हमारा दर्द बन जाए,
तब हमें उसके साथ थाम जाना चाहिए।
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा सच्चा रहेगा,
जब तक हम एक दूसरे के दर्द को समझना नहीं सीखेंगे।
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