जन्म निश्चित है……
नियम ये सुनिश्चित है ।
मरण सुनिश्चित हे….
ये सत्य सर्वविदित है ।
हमारे कर्म व्यवहार हो समदर्शी…..
तो सब मिलेगा फिर सहर्ष ही ।
समदर्शी एक कठिन साधना….
कितनी सत्य से निकटता ये जानना ।
मैं के भी उतार जाते कपड़े…..
सत्य की डोर चलो तुम पकड़े ।
जन्म निश्चिंत….
कर्म कर सकते विकसित ।
मरण सुनिश्चित…..
करे तैयारी हो दीक्षित ।