शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा…..
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे
बाक़ी सब झूठा ।
कई बार दूर से सामने नहीं दिखता रास्ता…..
सड़क बता रही हे कारण लेकिन दृष्टिकोण होता सस्ता ।
दृष्टिकोण में सुधार करे , करे उसमे विकास ….
तभी बड़ी बड़ी सूचनाएँ समझ पायेंगे करेंगे जब निरंतर प्रयास।
शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे।
मधुरता उजागर करेगी सदा,
जीवन को रंगीन करके ही छोड़ा।
क्या है जगत की धूप और छाँव,
जो करता है न्याय, सत्य का पालन।
हर कार्य जचाएगा जब भी,
सच्चाई की रोशनी में जब भी।
कितने भी झूठ बस वही रहेगा,
जो सत्य की परिभाषा बनेगा।
जगत के रंग में न रंगे दिल,
अच्छाई की राह पर चले दिल।
कविता यह गीत है सत्य का,
जो आपको कहती है सच्चाई का।
शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
जीवन को सार्थक बनाएगी यह लीला।
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