भविष्य निर्माण हो जाते चौतीस पैंतीस ….
खाना पीना अब नहीं रह गया ख़ालिस ।
तीस पैंतीस में थोड़ी जीवन आई स्थिरता..
इस उम्र में आनंद और खाने पीने में रमता।
फिर पचास पचपन में गाड़ी चलती पीछे ..
शारीरिक बौद्धिक सब क्षमता होती नीचे ।
इस आयु में भिन्न प्रकार की बीमारियाँ लेती घेर ….
ब्लड प्रेशर शुग़र कलेस्ट्रॉल अन्य बीमारियों होता शरीर ढेर ।
स्मृति चुस्ती फुर्ती भी होती कम…
बाजुओं शरीर का कम होता दम ।
अब आता याद पास है धन विद्या कला…
नहीं किया परोपकार सेवा और भला ।
यदि कोई इस स्थिति से रहे हो गुजर…
परोपकार कर्म से जीवन जाएगा संवर ।
निःसंचोक बचे समय का करे सदुपयोग..
ये प्रयोग आवश्यक सबसे बड़ा यह योग।
जो किया है प्रकृति समाज से अर्जित….
गुणों ज्ञान धन जो कर सकते अर्पित ।
आज जो तेरा कल किसी और का नियम से कार्य नहीं दे स्वय को धोखा, फिर कैसे हो भविष्य निर्माण