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मेरे हिस्से में

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।

जीवन की राहों में थीं कठिनाइयाँ,
पर दोस्ती के फूल मुझे मिले हैं।
चाहत के रंग बिखेरे हैं हमने,
प्यार और सदा का वादा किया है हमने।

जैसे फूलों की खुशबू होती है अदा,
वैसे ही दोस्ती की मिठास है यारों।
हमारे बीते हुए पलों के साथ,
बनते हैं यादें, प्यार के प्यारों।

जब भी थक जाती हूँ राहों की चालों में,
फूलों की माला घुमाती हूँ मैं।
दोस्तों के साथ हाथ थामे चलती हूँ,
खुशियों की बहार बिताती हूँ मैं।

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।
दोस्ती की दास्तान ये रंगीनी जारी रहे,
हर लम्हे में यारी की धुन बजे हैं।

काटे तो आने ही थे मेरे हिस्से में
मेरे हिस्से मे

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से मे, मैंने यार भी तो फूल
जैसे चुने हैं…

जाते जाते तमन्ना है

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की,
हर पल साथ तुम्हारा हो।
जितनी भी सांसें चलें, हर सांसों पर नाम तुम्हारा हो।

चले जाओ तुम, ये दिल रो रहा है,
बस यही एक आरजू है मेरी।
तुम्हारे साथ बिताए हर पल की यादें,
मेरे जीवन की आधार हैं ये तेरी।

क्या कहते हो, क्या कर दिया है तुमने,
जो ये दिल तुम्हें चाहता है इतना।
कुछ भी नहीं, बस तुम्हारे प्यार ने,
इसे दिवाना बना दिया है दिल का मना।

तुम्हारी यादों में खोया है ये दिल,
जीने की वजह बन गये हो तुम।
हर पल तुम्हें चाहे, हर ख्वाहिश में,
ये दिल तुम्हारा ही गाता है गीत सुनूं।

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की,
हर पल साथ तुम्हारा हो।
जितनी भी सांसें चलें, हर सांसों पर नाम तुम्हारा हो।

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की

जाते जाते तम्मना है मेरे दिल कि
हर पल साथ तुम्हारा हो
जितनी भी सांसे चले हर सांसो पर नाम तुम्हारा हो।

यह भी पढे: तुम्हारी यादों का ढेर, टूटा फूटा, ख्वाब यू तुम, मन यू ही भागता, वो सहम गए,

मेरा एक तरफा प्यार


मेरा एक तरफा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्रेम का इज़हार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे

मेरे दिल का हाल बेहाल हो जाता है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
बिन कुछ कहे शब्दो का ढेर
मेरे मन में छोड़ जाती है

किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजरती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
चल रही सांसे उसको देख रुक जाती है

(बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है, )
मानो बिजली पूरे बदन में दौड़ जाती है
मेरे शब्द ठहर जाते है जुबान निःशब्द हो जाती है
मेरी नजर उसकी नजरो से नजर मिला नही पाती है

लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस दौड़ी चली जाती है
एक नजर भर देखती नही वो मेरी और
बस मुझे और बेचैन कर वो निकल जाती है

मैं उसका घंटो इंतज़ार करता हूं
की उसकी नजर मेरी नजरो से मिले और हम दोनो का ने
उसकी मेरी ओर एक नजर मेरे पर इनायत हो जाए

और हम दोनो का नैन मटक्का हो जाए
( देखने के लिए मिला पाऊ उनसे
मैं भी एक नजर भर देख पाऊ )
अपने पहले प्यार का पहला इज़हार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है

बस वो तो अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई ही चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे दिल के अरमान जो उससे एक पल
बात करने के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो चली जाती है

बस मेरे पहले प्यार का पहला इज़हार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है , मेरे दिल को बेहाल कर जाती है, मेरा एक तरफा प्यार बस एक तरफा ही रह जाता है, लेकिन शब्दों में इस प्रेम मैं बयान नहीं कर पाता हूँ।

यह भी पढे: प्रेम की भाषा, बड़ों का आशीर्वाद, यह है प्रेम, प्रेम क्या है,

चाय की चुस्की

चाय की चुस्की की तलब सुबह के समय तो ऐसी होती है,
मानो बिना चाय मेरे दिन की शुरुआत ही न हो रही हो।
लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा,
चाय की महक तुम तक भी पहुच रही है, यही बस बात होगी।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है,
मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।
चाय की चुस्की, चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है,
की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना,
चाय के बिना दिन की शुरुआत अधूरी सी महसूस होना।
चाय की तलब जैसे जीवन की एक आधारभूत आवश्यकता,
जो मन को शांति देकर दिल को बहुत सुकून देती है।

चाय की चुस्की लेने से लगता है दिल खुश हो जाता है,
कलम और कागज़ की जोड़ी बनती है, जब चाय की मिठास के साथ।
चाय की तलब इतनी है कि अक्सर शब्दों की कमी हो जाती है,
की सिर्फ एक चाय की मुलाक़ात से ही सब कुछ कह जाती है।

हमसे नाता तोड़ कर

अब उसको क्या मिला ये खोकर,
हमसे नाता तोड़ कर जो बेवफा हुआ,
आज वह खुद भी तनहा है खुदी से,
प्यार की राहों में अकेला फिर रहा है।

दिल की गहराईयों में उसकी तरह,
बेवफाई की वजह से तू भी रो रहा है,
दर्द और तन्हाई की एहसास अब तुझे,
शायरी के रूप में अपना दर्द बयां कर रहा है।

ज़माने की ताकत जो थी वह गई,
वफादारी का वादा वह भूल गया,
जिसे ज़िंदगी ने धोखा दिया है,
वह आज खुद अपनी रौशनी खो गया।

शायरी के ज़रिए अपनी दर्द बयां कर,
दिल की आहटों को बदल दे ज़ुबां,
बेवफाई के गम को लेकर उठा ये दर्द,
हमसे नाता तोड़ कर न रह जाए अब अनजान।

हमसे नाता तोड़ कर
sanjay gupta shayri

क्या मिला उसको
हमसे नाता तोड़ कर
आज खुद भी तनहा फिर रहा है
हमको तनहा छोड़कर..

दिन की उम्र 24 घंटे

दिन आता है , दिन चला जाता है इस दिन की उम्र 24 घंटे ही है लेकिन ये संपूर्ण संसार को कार्यरत होने के लिए बाध्य कर देते है कुछ न करने के लिए , क्या आपके जीवन में भी स्वयं को बाध्य करने के लिए कोई नियम है ?  उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य बड़ा होना चाहिए।

दिन की उम्र 24 घंटे
समय

हमे अपनी उम्र से बड़ा कार्य करने के लिए सोचना चाहिए, हम सभी के पास समय की एकदम बराबर मात्रा होती है हर दिन लेकिन हम उस समय का सदुपयोग किस तरह से करते है यह बात बहुत म्हटवपूर्ण है, यदि हम समय की हानी करते रहे तो समय कब समाप्त हो जाएगा हमे पता नहीं चलेगा ओर हमारे पास कुछ नहीं होगा, सुख ओर दुख भी समय की सीमा में है, इनका आना जाना भी समाए के अनुसार ही होता है। इसलिए हमे हमेशा सोच समझकर ही अपने समय का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमारे दिन की उम्र तो 24 घंटे ही है लेकिन इन 24 घंटों का इस्तेमाल आपको ही करना है, आप इन 24 घंटों का इस्तेमाल कहाँ करेंगे यह निर्णय भी आपका ही होता है, कोई ओर इस समय का निर्णय नहीं ले रहा।

इन्हे भी पढे: समय की बचत, समय की बर्बादी, समय का सदुपयोग

बिछड़कर फिर मिलेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,
ज़माने का डर भी था, अपने होने का यकीन कितना था।

बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था,
सपनों की राहों में तुम्हारा अमन कितना था।

चाहे राहें जुदा करे, या दूरियाँ हो जाएं,
हमारी यादों में सदा तुम्हारा असर कितना था।

फिर मिलेंगे जब बातें करेंगे लम्हों की,
दिल की धड़कनों में तुम्हारा इश्क़ इतना था।

यकीन नहीं होता था थोड़ा सा वक़्त बिताने का,
जब भी मिलते थे हम, इक पल जैसे जीना ही था।

बिछड़कर भी जब फिर मिलेंगे, तब साथ रहेंगे हमेशा,
क्योंकि हमारे बीच का प्यार हमेशा हसीना है।

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था
बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था

Ek Ajnabi

ek ajnabi aagaaz Mere likhe hue sher part-10

181.
Ek ajnabi aagaaz ho raha hai…
fir use pehchane anjaam se darr lag raha hai…
dil main kuch aur hai dimaag kuch aur keh raha hai…
chalo jo ho raha hai shayad achcha hi ho raha hai…
shayad mujhe fir pyar ho raha hai…ek ajnabi ki tarah ehsaas

182.
lehrate hain hawa main patte aise…
sarsarahat hai dil main yadon ki jaise…
intezaar hai dil main bhi patzad ka…
kabhi to yaden bhi jhad jayengi mere mann se waise…

patzhad ke baad fir basant ajata hai…
bhool bhool kar bhi teri yaden tazaa hai…
kitna bhi door jaun tere khayalon se…
fir hari bhari yadoon se tera khayal aajata hai…

183.
bheed main achanak akela ho jata hun main…
tere khayalon main achanak kho jata hun main…
haar chuka hun tujhe bhulanme ki koshish kar kar ke…
ab to har koshish main naakaam ho jata hun main…

184.
tujhse door rehkar sambhalna asaan ho jata hai…
tere pass jaakar sambhalna jaroorat ban jati hai…

185.
Jab mila to sab bin maange hi mil gaya…
jb choota to sab achanak se chin gaya..
kabhi to ek katre se bhi kush ho gaya…
kabhi poore samandar se bhi pyasa reh gaya…

186.
rasta to kat jata hai yun hi chalte chalte…
manjil bhi mil jaati hai yun hi chalte chalte…
tej chalun to humsafar bhi chhoot jaate peeche hain chalte chalte..
aaram karun to dost bhi age nikal jaate hain chalte chalte…

187.
jane neend in ankhon main kyun nahin hai…
kabhi khwabon main to tujhse mil liya karta tha…
tere saath nahin tere khayalon main ji liya karta tha…
ab to lagta hai ki khwabon ki bhi mujjhse dushmani hai…

188.
ek lambi kahani ka chhoota hua kirdaar jaisa hun…
khench lao to ek ateet jaisa hun…
ab to kisi ke khayalon main bhi nahin …
ek bhooli hui yaad jaisa hun…

189.
Pyar to hai par ikrar-e-mohabbat se darte hain…
ikrar bhi hai par Anjaam-e-Mobbat se darte hain…
Har Agaaz ka anjaam ho ye bhi to jaroori nahin…
bas tera saath na choot jaye is baat se darte hain…

190.
Teri bahon main anne ko dil chahta hain…
Teri panaho main samane ko dil chahta hain…
Teri ankhon mai kho jao main…
Tujhme samaane ko dil chahta hai…

191
Tu mujhe yaad aati hain…
Jaise sanse dil main atak jatti hain…
Jeena thoda asaan ho jata hai…
bus jo tera chehra nazar ata hai…

192
ek jhalak panne ko taras jate hain…
teri nazaro main anne ko taras jate hain…
pata nahi kiase kategi yeh zindagi meri…
ab to har saans main jeene ko taras jaate hain…
(Har hansi main khushi ko taras jaate hain…
har saans main jeene ko taras jaate hain…)

193
subah meri subah nahi hoti…
raat bhi ab utni sukun bhari nahi hoti…
mausam judai ka mushkil hai har lamha …
tere bina zindagi ,zindagi nahi hoti…

194.
Wo  mausam dard ka bhi  meetha hoga 
Har karwa sach khushi se kubul hoga 
Agar tu  sath agar tu  paaas hoga 

195

Abhi socha ki  koi shayeri  likhun
Fir socha koi ghazal likh dun
Tujhe pyar bhara dil-e-nazrana likhun
Phir socha ki tujhe ek aina bhej dun
  196
Tere pehlu main sone ko jee chahta hain 
Teri bahon main anne ko  ji  chahte hain 
Hawa bhi  na ho  darmiya hamare
Teri sanson se dhadakna hi  mera dil chahta hain 
197
Pyar hain tera jo sanse lene ka ek aur bahana mil gaya
Jo mila tujhse to khush rehna ka ek aur bahana mil gaya 

198
Bus ek nazar ki  baat  hain aur kuch nhi 
Bus ek awaz ki baat  hain aur kuch nahi 
Ji lenge zindagi  kaise bhi  kahin bhi 
Bus ek tere sath ki  baat hain aur kuch nahi 

199.
Main ji  raha hu  ek zindagi  hain teri…
Har pal har sans sab dhadkane hain teri…
Chura lu  ek pal tanhai ka bhi kabi…
Har lamha hain tanhayi ka khoya khayalon main teri…
 
200.
Rasta hain mushkil par manzil utni  bhi  duur nahi 
Jab hum hain sath to tujhe khone ka darr dur tak nahi

दिल को छु जाए

जब दिल को छू जाए वो इश्क़ की राहत,
तब जान ले तू, दर्द की कहानी की बात।

मुझको समझने के लिए ज़माने की नहीं ज़रूरत,
बस इश्क़ कर, और ज़ख्मों को महसूस कर जरा।

मोहब्बत की इन्तहाँ नहीं होती कोई सीमा,
दर्द का इलाज़ लिख, मेरे शब्दों की एक रीमा।

जब तक न खो जाए तेरी रौशनी दिल की,
तब तक संग रहेगी, मेरी शायरी ये बेदिल की।

ना कर इतनी मेहनत तू, मेरे दर्द को समझने की,
प्यार कर, और वादे से भर दे ज़िंदगी की राहें।

संजय गुप्ता शायर

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की

मेरी आवारगी में

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है,
तेरी याद जब सताती है, दिल बेकरारा हो जाता है।

घर की चाहरदी सब अजनबी सी लगती है,
तेरे बिना यहां रहना, बस कठिन हो जाती है।

आवारगी में घूमते हैं ये रास्ते जहां,
तेरी यादों की महक साथ लेकर चलते हैं।

दिल की तनहाई में जब तेरी याद आती है,
घर बिखर जाता है, अकेलापन सताता है।

आवारगी में जब दिल तेरी तलाश में होता है,
तू घर की याद बनकर, दिल को संभालता है।

तेरी यादों की मधुर सुरी जब घर को छू जाती है,
खुशियों की चादर ओढ़ कर, दिल को भर जाती है।

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है, क्यों की जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नही लगता