प्रकृति का स्वरूप

विश्व बहुत सुंदर और अनुपम इस विश्व का रूप है, देखिए कितना मनमोहक इस प्रकृति का स्वरूप है, विश्व बहुत सुंदर,
अनुपम उसका रूप ।
देखिए कितना मोहक
इस प्रकृति का स्वरूप ॥

मनुष्य काहे बन बेठा प्रकृति का बैरी….
जिसे होना चाहिए था इसका प्रहरी ।
लोभ के बवंडरो ने मनुष्य को घेरा ….
विनाशकारी युद्धों ने डाला मनुष्यता पे डेरा ॥

अहंकार ओर लालच….
झूठ कपट का ओढ़े कवच ।
करता सब पाप दुष्कर्म…..
अब निकट आ रहा उसका चरम ॥

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