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सच का सफर

सच का रास्ता आसान नहीं है मुश्किल है सच का सफर लेकिन सच बोलने के लिए कभी सोचना नहीं पड़ता लेकिन जब हम झूठ बोलते है तब हमे सोचना पड़ता है की दुबारा भी यही बोलना है इस झूठ को छुपाना भी है पड़ता इसलिए सच्चाई के रास्ते को हमे अपनाना इस राह से नहीं भटकना इसी पर आज का विचार “सच की सफर”

सच बोलने के लिए नहीं सोचना हे पड़ता…..
ये सच की क़ाबिलियत उसका तड़का ।
सच के नाम के झूठे नोट भी चल रहे……
इसी व्यवस्था में वो झूठे भी हे पल रहे ।

सच की राह मुश्किल पर रास्ता सीधा….
देखने की बात कितनी किसकी श्रद्धा ।
कुदरत का क़ानून सच उसका आधार ….
इसी आधार से दे मन विचारो को आकार ।

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शुभकामनाए

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाए इस प्रकार दे अपने मित्रजनों को

  1. “जय हिंद, जय भारत, स्वतंत्रता दिवस की बधाई हो!”

2. “आओ मिलकर देश को समृद्ध बनाएं, स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाए!”

3. “स्वतंत्रता का महोत्सव मनाएं, देश के समृद्ध भविष्य का निर्माण करें!”

4. “स्वतंत्रता की आन बान और शान बने रहें, देश हमारा सदा समृद्ध और खुशहाल रहे!”

5. “देश की आजादी को सलाम, हम सबको स्वतंत्रता दिवस की बधाई हो!”

6. “स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएं, बनें देश के नेतृत्व के लिए सक्रिय भागीदार!”

7. “देश की आजादी के लिए हमने किया था संघर्ष, आओ आज देश का सम्मान करें!”

8. “आजादी की खुशी में आओ मिलकर झूमें, देश के विकास के लिए सक्रिय हो!”

9. “देश की स्वतंत्रता को याद करें, देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें!”

10. “आज स्वतंत्रता दिवस है, हम देश को और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकल्प लें!”

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प्रतिज्ञान क्या है

प्रतिज्ञान क्या है ? प्रतिज्ञान एक संकल्प होता है जिसमें व्यक्ति या समूह कोई विशिष्ट कार्य निर्वाह करने का आश्वासन देते हैं और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी इच्छा ज्ञात कर दी होती है। प्रतिज्ञान वास्तविक और अनिवार्य उपलब्धियों के साथ काम करने में मदद करता है।

प्रतिज्ञा लिखने के लिए, आपको अपने उद्देश्य का स्पष्टीकरण करना होगा और फिर उसके लिए एक वाक्य लिखना होगा। उसके बाद, आपको इस वाक्य को संशोधित और संपूर्ण करने के लिए इसमें अन्य विवरणों को जोड़ने की आवश्यकता हो सकती है।

एक उदाहरण से समझे “मैं अपना वजन 6 महीनों के भीतर 10 किलो घटाने का प्रतिज्ञान लेता हूं। मैं इसे हासिल करने के लिए रोजाना व्यायाम करूंगा, स्वस्थ खाने की आदतें बनाऊंगा और नियमित रूप से अपना वजन नोट करूंगा।”

ध्यान दें कि प्रतिज्ञान लिखते समय, आपको संभवतः अपनी सीमाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि आप उन्हे पूरा कर सके सिर्फ प्रतिज्ञान लेने से नहीं बात बनती और संभवतः आप इसे निर्वाह करने के लिए समय के संबंध में भी सोचेंगे।

प्रतिज्ञान क्या है यह हमने ऊपर बताया है अब प्रतिज्ञान को हर रोज आप कम से कम दो बार दोहराए ताकि यह प्रतिज्ञान आप पूरी कर सके

  1. मैं हर दिन सुबह उठने के बाद ध्यान में बैठने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मुझे रोजाना कम से कम 30 मिनट अपनी शारीरिक गतिविधियों का समय निकालने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. हर दिन नियमित रूप से अपने समय का एक टाइम टेबल तैयार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं रोजाना कम से कम 20 मिनट की ध्यान योग्यता का प्रशिक्षण करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  6. हर दिन नियमित रूप से अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  7. रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद लेने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  8. मैं नियमित रूप से अपने स्वयं के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. रोजाना कम से कम 30 मिनट अपने अंतरंग विकास के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  10. मैं नियमित रूप से अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।

कुछ इश्क

कुछ इश्क भर की बात थी, कुछ खास उसके साथ मुलाकात थी, वो मोहब्बत हुई ऐसे जैसे बिन बादल बरसात थी वो मेरी एक नई जिंदगी की शुरुआत थी,कुछ नई नई सी जिंदगी के साथ बात थी चंद रोज पहले हुई मुलाकात थी , उन मुलाकातों के साथ ही जिंदगी की बात थी कुछ इश्क भर

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

उनकी यादों में खोये रहना अच्छा लगता है,
शायद उनसे मिलने का इंतज़ार करना अच्छा लगता है।

जब उनकी आँखों में आप ही नज़र आते हैं,
तब दिल के हर रंग नए नज़ारे से भर आते हैं।

दिल में उनकी खुशियों का थिकाना होता है,
हर दिन उन्हें देखने का उम्मीद में धीरे-धीरे जीता है।

इश्क की दुनिया में हर पल कुछ नया सीखते हैं,
दिल की बातें बिना बोले ही समझ जाते हैं।

जब उनके साथ होते हैं, तो दुनिया कुछ नहीं लगती,
उनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी सी होती।

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

जब तक इश्क हमारे दिलों में बसा रहेगा,
हम खुशियों की दुनिया में जीते रहेंगे।

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प्रतिज्ञान

आपके लक्ष्यों और उद्देश्यों के आधार पर, यहां 20 और प्रतिज्ञाएं हैं. जिन्हे आप हर रोज बार बार दोहरा सकते है यह प्रतिज्ञान आपके जीवन को बेहतर बनाती है।

  1. मैं नियमित रूप से स्वस्थ जीवन जीने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  2. मैं रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं नियमित रूप से स्वयं के विकास के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं रोजाना अपनी पढ़ाई और अध्ययन को ध्यान में रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं रोजाना कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं अपनी दैनिक जीवन में हर बार रचनात्मकता को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  7. मैं हर दिन नए चुनौतियों का सामना करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं रोजाना कम से कम एक नया चीज सीखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं नियमित रूप से अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  10. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के बीच अच्छी बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  11. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के लिए सहायता में होने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  12. मैं हर दिन नए लोगों से मिलने और नए विषयों पर बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  13. मैं रोजाना अपने समय का उपयोग अच्छी तरह से करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  14. मैं नियमित रूप से अपनी स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  15. मैं नियमित रूप से अपने स्वयं के साथ अकेले समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  16. मैं रोजाना कम से कम एक अनुभव का आनंद लेने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  17. मैं नियमित रूप से अपने संबंधों में सच्चाई और विश्वास का पालन करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  18. मैं नियमित रूप से समाज सेवा के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  19. मैं रोजाना कम से कम एक प्रेरक किताब या कहानी का पढ़ने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  20. मैं नियमित रूप से अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।

10 सकारात्मक प्रतिज्ञाएं हैं जिन्हे हर रोज 2 बार दोहराए

  1. मैं हर दिन अधिक सकारात्मक सोचने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने जीवन में नए उत्साहपूर्ण उद्यमों का समर्थन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं हर दिन अपने आप पर विश्वास रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हर दिन अपने दोस्तों और परिवार के साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं हर दिन अपने समय का सदुपयोग करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं हर दिन अपने जीवन में नए संभावित अवसरों को ढूंढने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हर दिन अपने आसपास की सुंदरता और अच्छाई का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं हर दिन अपने स्वयं के विकास और सफलता के लिए नए कदम उठाने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  9. मैं हर दिन अपने जीवन में शांति और सुख का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हर दिन अपने जीवन के लिए एक उत्साहजनक दृष्टिकोण का विकास करने का प्रतिज्ञा लेता हूं

10 प्रेम पर प्रतिज्ञाएं हैं

  1. मैं हमेशा अपने पार्टनर को प्रेम और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने पार्टनर के साथ संवाद करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं अपने पार्टनर को हमेशा समर्थन और आशीर्वाद देने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समझने की कोशिश करता हूं और उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।
  5. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समय देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  6. मैं हमेशा अपने पार्टनर को स्पष्टता से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उन्हें खुश रखने के लिए कोशिश करता हूं।
  8. मैं अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते को स्थायी बनाने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं अपने पार्टनर के साथ एक स्वस्थ, समृद्ध और समन्वित रिश्ते का संरक्षण करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उनके प्रति लगाव और प्रेम का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।

बवाल फिल्म

वरुण धवन काफी समय बाद फिर एक बार बवाल फिल्म के परदे पर दिखे है संग जाह्नवी कपूर के इस फिल्म में वरुण धवन अज्जु भैया का किरदार निभाते है जो हर जगह बहुत बहुत प्रचलित है ओर ज्ञान बाटते हुए नजर आते है लेकिन जहां ज्ञान देना होता है वहाँ ज्ञान नहीं देते बस इसी पर पूरी फिल्म की कहानी को दौड़ाया जाता है।

ऐक्टर : वरुण धवन ,जान्हवी कपूर, मनोज पाहवा, अंजुमन सक्सेना, मुकेश तिवारी, गुंजन जोशी

डायरेक्टर : नितेश तिवारी

श्रेणी:  Hindi, रोमांस, ड्रामा

अवधि: 2Hrs 2 Min

बवाल फिल्म जिसमे वरुण धवन ओर जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिका में है फिल्म फर्स्ट हाफ में थोड़ी तेज ओर हंसी के कुछ झटके देते हुए चलती है , हालांकि निर्देशक ने कहानी और किरदारों को स्थापित करने में थोड़ा ज्यादा समय लगा दिया है, इस कारण फिल्म थोड़ी धीमी गति में आगे बढ़ती है, मध्यांतर के बाद कहानी अपने असली मकसद पर आती है।

यहां से नितेश फिल्म को एक अलग ट्रीटमेंट देते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बैकड्रॉप पर लव स्टोरी का को बुनना एक मुश्किल टास्क ही था, मगर नितेश इसे अश्विनी अय्यर तिवारी की कहानी और पियूष गुप्ता, निखिल मेहरोत्रा और श्रेयश जैन जैसे लेखकों की टीम के साथ बखूबी निबाह ले जाते हैं। फिल्म के संवाद, ‘हम सब भी तो थोड़े बहुत हिटलर जैसे ही हैं न, जो अपने पास है, उससे खुश नहीं हैं, जो दूसरे के पास है, वो चाहिए।‘ वर्ल्ड वॉर तो खत्म हो गई, मगर ये अंदर की वॉर कब खत्म होगी ?’

क्लाइमेक्स तक आते – आते फिल्म न केवल प्यारा-सा संदेश देती है बल्कि अंदर अच्छा महसूस भी करवाती है। बवाल फिल्म की एडिटिंग थोड़ी चुस्त होती ओर थोड़ी ऐक्टिंग ऊपर दर्जे पर जाती तो मज़ा कुछ ओर ही आ जाता।

सिनेमैटोग्राफर मितेश मीरचंदानी ने लखनऊ और यूरोप को दर्शाने में अपना कौशल दिखाया है। डेनियल बी जॉर्ज का बैकग्राउंड म्यूजिक वर्ल्ड वॉर के दृश्यों में पूरक साबित होता है, मगर मिथुन, तनिष्क बागची और आकाशदीप सेनगुप्ता की तिकड़ी संगीत के मामले में कोई कमाल नहीं दिखा पाए फिल्म में गाने ओर बैकग्राउंड का म्यूजिक कडक होना चाहिए था।

फिल्म Amazon प्राइम पर Available है आप जाकर देखिए।

फिर भी फिल्म तो अच्छी लगेगी बाकी आप अपनी राय में मुझे कमेन्ट में जरूर दे

15 अगस्त

15 अगस्त भारत के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की थी। यह दिन देश के लोगों के लिए गर्व और उत्साह का दिन होता है।

भारत को स्वतंत्रता कब प्राप्त हुई?

भारत काफी लम्बे समय तक अंग्रेजों का गुलाम बनकर रहा। अंग्रेजों ने हम भारतीयों पर करीब 200 वर्षों तक राज किया। भारत में आजादी के लिए कईं क्रांतियाँ हुई और कईं लोगों ने अपना बलिदान दिया।

तब जाकर भारत को 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसी दिन से प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

15 अगस्त 1947 के दिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लगभग 100 साल के संघर्ष के बाद ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद हुआ था। इस दिन नेहरू जी ने राष्ट्र के नाम एक ऐतिहासिक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लोगों को धन्यवाद दिया


स्वतंत्रता का महत्व:

स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी आजादी की कीमत क्या है। हमें यह याद दिलाता है कि हमें लगातार अपने देश के विकास और उन्नति में योगदान देना चाहिए। हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने देश में अमन और शांति को बनाए रखना चाहिए।

स्वतंत्रता का महत्व वही समझ सकता है, जिसने गुलामी का स्वाद चखा हो। स्वतंत्रता का हम सभी के जीवन में काफी महत्व है।

एक पराधीन व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई भी कार्य नहीं कर सकता है लेकिन, एक स्वतंत्र व्यक्ति अपनी मर्जी से प्रत्येक कार्य कर सकता है। यही इनके बीच में मुख्य अंतर है।

भारत को आजादी ऐसे ही रातों-रात नहीं मिली बल्कि, इसके लिए कईं लोगों ने संघर्ष किया है। उन्होंने अपना सब कुछ न्योंछावर के बाद यह आजादी हमें दिलवाई है।

उन्हीं की वजह से आज हम सभी आजादी की साँस ले रहे है। आज हम किसी भी चीज के लिए अपनी आवाज उठा सकते है और मांग कर सकते है

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए एक गर्व का दिन होता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश के संघर्ष के पीछे अनेक लोगों का बलिदान होता है। इस दिन हमें ये भी याद दिलाना चाहिए कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग उन्नति और समृद्धि के लिए करना चाहिए।

इस दिन हमें ये भी समझना चाहिए कि हमें अपने देश के लिए एक होकर काम करना चाहिए। हमें इस दिन को अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए एक संकल्प का दिन बनाना चाहिए। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने देश के भलाई के लिए नहीं बल्कि सभी देशों के लिए काम करना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें ये भी समझाता है कि हमें अपने देश के ऐसे महान् व्यक्तियों को याद रखना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान देकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था। हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए और उन्हें एक आदर्श के रूप में रखना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें एक नयी शुरुआत का दिन भी बनाता है। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए और उसकी हिफाजत करना चाहिए। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए देश के विकास में योगदान देना चाहिए और अपने देश को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए काम करना चाहिए।

समाप्त में, स्वतंत्रता दिवस हमें ये याद दिलाता है कि हमारे देश की स्वतंत्रता एक अनमोल उपहार है। हमें इसे सचेत रखना चाहिए और इसे अपने देश के उन्नति के लिए उपयोग करना चाहिए। इस दिन को धीरे-धीरे एक जन-आंदोलन के रूप में मनाना चाहिए, जिससे हमारे देश की अन्य ताकतों को भी संदेश मिलेगा कि हम स्वतंत्र हैं और अपने देश के लिए हम एक होकर काम करेंगे।

15 अगस्त का महत्व यह भी है कि इस दिन के बाद से भारत एक नया चैप्टर शुरू करता है। भारत ने आजाद होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उन्नति के लिए काम करना शुरू किया है, जैसे शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय एकता आदि।

इस दिन को याद करना हमें यह भी समझाता है कि हमें अपने देश के लिए काम करना चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की कीमत समझनी चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। इस दिन को मनाकर हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं और देश के विकास के लिए सक्रियता से योगदान देने का फैसला लेते हैं।

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एक दूसरे के दर्द

एक दूसरे के दर्द ख़ुशियाँ
समवेदना की समझ….
मनुष्यता के प्राण
उसके प्राणो का ध्वज ।

जब जीवन में प्रेम
तो दूसरे का ख़ुशियाँ
दुःख दर्द दिखता….

जब नही जाना प्रेम
नही गलती सिर्फ़ स्वयं
का दुःख दिखता
तो नही दूसरे का सुख
दुःख समझता ॥

जब दिल में दर्द उतर जाए,
तब गम की लहर आ जाए।
क्या करें जब ये छाती फट जाए,
वो दर्द जिसे बयां करने के लिए शब्द ना मिल पाए।

इस दर्द से जुड़े दोस्त का जब दिल दुखाए,
तो कैसे उसका दर्द कम कर पाए।
जब उसके आँसू बाहर ना निकले,
तो कैसे उसकी रूह से बातें कर पाए।

जीवन का हर मोड़ पर दर्द का एहसास होता है,
कोई अपना अपनों को खोता है, कोई प्यार को तरसता है।
दुखी होता है जब हमें अपने दोस्त का दर्द देख पाते हैं,
मगर उसे संभाल लेने की चाहत हमें हमेशा होती है।

हम दर्द को कम नहीं कर सकते,
लेकिन उस दर्द के साथ रह सकते हैं।
दोस्त के दर्द में शामिल होकर,
उसका साथ देकर, उसकी मुस्कुराहट लौटाने का हमें सौभाग्य मिल सकता है।

जब दोस्त का दर्द हमारा दर्द बन जाए,
तब हमें उसके साथ थाम जाना चाहिए।
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा सच्चा रहेगा,
जब तक हम एक दूसरे के दर्द को समझना नहीं सीखेंगे।

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भीड़ तंत्र का हिस्सा

क्या आप भी इस भीड़ तंत्र का हिस्सा है? जो सोचते है ऐसे ही जीना चाहिए ओर मर जाना चाहिए बिना कुछ किये बस घर से आफिस या दुकान यही सब में बीत जाती है, जिंदगी और कुछ नही कर पाते खुद को भी हम खो बैठते  शादी करना बच्चे पैदा करना बस यही एक जीवन है।

मसक्कत भरी सी लगती है क्या जिंदगी? या फिर कुछ करने की इच्छा होती है, या जो इच्छा होती है उसको दबा कर मार दिया और कुचल दिया गया है, कही अब कोई ठिकाना नही मिलने वाला उन्ह इच्छाओ को जो तुमने दबा दी है वो इच्छा अब इच्छा नही है ऐसा लगता है।

क्या आप भी भीड़ तंत्र के शिकार है ? क्या आप भी उसी भीड़ में चल रहे जिसमे लाखो करोड़ो लोग भी है जिसका  नाम समाज का दे दिया गया है परंतु वास्तविकता कुछ और ही है जहां आपको मत देने का अधिकार है परंतु खुद की एक अलग सोच रखने का कोई अधिकार नही है,
क्या ऐसा सच में है ??

मैं भी फ़िल्म और क्रिकेट खेल प्रेम हूँ, परंतु अपने विचारो को पूर्णतया जानता हूं और समझ सकता हूं की मैं क्यों? क्योंकि कुछ समझाने के लिए समझना बहुत जरूरी है फिल्में जो हमे सर्फ और सिर्फ चार दिवारी और प्रेम, और इस जीवन के जो किस्से हो रहे है बस वही बता रही है।

जिसके अलावा कुछ भी नही जैसे की आत्ममंथन कैसे करे या अपने जीवन को और बेहतर कैसे बनाये या खुद को कैसे जाने इन विषयो के बारे में कोई फ़िल्म जगत का प्राणी नही बताता सिर्फ अपनी मन की सीमाओं ओर आप बीती तथा जो आज के समय में हो रही है या हो सकने वाली घटनाओ के बारे ही एक कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है इसके अलावा कुछ भी नही।

आज कल सिर्फ लोगो के मन में शादी करलो और अपना जीवन चक्र चलाओ बस इन्हें यही सिखाया जा रहा है, जो बिल्कुल ही जीवन के विपरीत एक स्तिथि लगती है, क्योंकि आपका उत्थान होना बहुत काम हो जाता है, जब आप एक वैवाहिक जीवन जीने की और अग्रसर होते है।

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मन यू ही भागता

मन यू ही भागता फिर रहा है कही, फिर रहा है कही, इस मन को कैसे संभालु , बस इस मन की व्यथा है , मन यू ही भागता रहा,
खुशियों की तलाश में थका हुआ।
कहीं न रुकता, न ठहरता,
हर समय खोजता रहा।

जीवन की दौड़ में पड़ा हुआ,
खुद को भुलाता जा रहा था।
सफलता की तलाश में जुटा हुआ,
मन खुशियों के सागर में बहता रहा था।

पर वो नहीं जानता था,
कि जो उसे खुश करता था,
वो उसी के अंदर ही मौजूद था।

बस वो एक दिन देख लिया,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही था।
जो उसने ढूंढा था बाहर,
वो उसी के अंदर छुपा हुआ था।

अब वहीं बैठकर, खुशियों के साथ,
वहीं वो खुश होता जा रहा है।
मन नहीं भागता अब,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही पाता है।