ये जिम्मेदारियां ही हे जो आपको बनाती मजबूत ओर परिपक्व……
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नही ये आती जब जगता अनुभव….
जिम्मेदारियां और अनुभव आपस में हे तालमेल हे जिगरी मित्र…..
जिम्मेदारियां बुरी नही उनके प्रति सोच संवारती आपका चरित्र।
ये जिम्मेदारियां ही हैं जो आपको बनातीं मजबूत और परिपक्व,
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नहीं, ये आती जब जगाता अनुभव।
समय के साथ बदलती हैं ये जिम्मेदारियां,
जब मानसिकता होती हैं प्रगाढ़ और प्रगतिशील।
धीरे-धीरे सीखते हैं हम जीने का कला,
जब जीवन की लहरें आतीं हैं और जातीं हैं अनुभवों की तरंगें।
परिकल्पना की पंखों पर उड़ते हैं हम,
जब सपनों की दुनिया को हम अपनाते हैं।
संघर्षों के मोर्चों पर खड़े होते हैं हम,
जब ज़िन्दगी की मुश्किलें हमें चुनाती हैं।
परिपक्वता की गाथा सुनाते हैं हम,
जब नये अनुभवों के साथ बढ़ते हैं हम।
समय की ओर चलते हैं हम निरंतर,
जब जिम्मेदारियों का भार हमें संभालते हैं।
परिपक्वता के पथ पर चलते हैं हम,
नई दिशा में अपनी आवाज़ उठाते हैं।
जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
जब जिम्मेदारियों को समझते हैं और निभाते हैं।
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