जब कोई आपसे पूछे क्या हाल चाल है आपके ? तो आपका जवाब क्या होता है? कुछ नहीं बस बीमार था, तबीयत ठीक नहीं , खासी, झुकाम, बुखार है आदि इत्यादि है यह छोटी छोटी बीमारी भी आज कल हमे पहाड़ की तरह लगती है, जैसे पता नहीं क्या हो गया है यह सब बीमारी कोई न है, यह तो आपके शरीर को ओर बेहतर तरीके से काम कर सको बस इसलिए हो जाती है।
मुझे याद है बचपन में जब मैं बीमार हो जाता था तो मुझे बड़ी खुशी होती थी इसलिए नहीं की मैं घर पर आराम करूंगा बल्कि इसलिए की हाँ अब मैं आराम से कुछ सोच सकूँगा, कुछ अलग किताबे पढ़ सकूँगा मुझे एक्स्ट्रा टाइम मिल गया है कुछ अलग करने का , मैं बीमार हूँ, मैं बीमार हूँ। मैं इस बारे में नहीं सोच करता था बल्कि वो जो टाइम अब मुझे मिला है, उसको कैसे इस्तेमाल करू? ये सोचता था, लेकिन आज हम उस समय का प्रयोग कैसे करते है बीमार होने पर
आप क्या कहते है? आपसे क्या हाल चाल है
जब कोई आपसे पूछे की कैसे कैसे तो बस यही जवाब आता है की बस ठीक हूँ, चल रहा है, बस ओके ओके हूँ, या कट रही है बस, कुछ खास नहीं तुम बताओ आदि इत्यादि इसी प्रकार के साधारण से शब्द जिनका प्रभाव सकारात्मक न होकर नकरात्मक विचारों को जन्म दे रहा है, शरीर में आलस, हतास , निराशावादी विचारों की ओर ले जा रहा है
इन उत्तरों से ऐसा लगता है की आप अपने जीवन में खुश नहीं है या फिर आप आपके भीतर नेगटिव थॉट भारी हुई है जीवन के प्रति ओर यह भी हो सकता है की आप जीवन के प्रति अब उतनी खुशी प्रकट नहीं करते जैसा आप बचपन मे करते थे,
ऐसा क्या हुआ है? जिसकी वजह से आप ऐसा महसूस करते है, आइए इसका जवाब खोजने की कोशिश करते है और जानते है एस क्यू हो रहा है हमारे साथ , हमारे आसपास ऐसे कौनसे शब्द है जिनकी वजह से हम प्रभावित हो रहे है, या लगातार वो शब्द हमे आहात कर रहे है?
सकारात्मक शब्द ओर नकारात्मक शब्द
क्या आपके आसपास जो शब्द बोले जा रहे है या आप उन्हे दूसरे माध्यम से सुन ओर देख रहे हो वो सभी चीज़े सकारात्मक है या फिर फिर नकारात्मक ऊर्जा को फैला रही है जिसकी वजह से आपके शरीर ओर मस्तिष्क पर उन शब्दों का प्रभाव हो रहा है।
ओर आपका जीवन भी उन्ही शब्दों की भांति होता जा रहा है। आपके आसपास लगातार गाली गलोच, बुरे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग होता है ? या फिर आप ऐसे घरेलू नाटक देखते है, वीडियोज़ देखते है जिनमे सिर्फ ऐसे नकार शब्दों का प्रयोग होता है ऐसे शब्द हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करते है।
यह शब्द धीरे धीरे हमारे जीवन को भी उसी तरह से बना देते है जैसे वह शब्द है, यह बेशक मजाक में ही क्यू न प्रयोग हो रहे हो परंतु आपका मस्तिष्क उन शब्दों पर कार्य करता ही रहता है जिसकी वजह से आप उन शब्दों की भांति हो जाते हो इसलिए इस प्रकार के शब्दों से उचित दूरी बनाए।