मन भीतर हो रही है उछल कूद
इस मन को कैसे रोके
इस मन के आवेश में कितने है झोंके
इस मन को कैसे रोके
यह मन यह मन
इधर उधर ले जाए
जीवन संग सतरंगी सपने सजाए
जीवन की उधेड़ बुन में लगाए
नए नए रंग जीवन संग जोड़े
इन रंगों में इंसान खुद ही गुम हो जाए
इस मन भीतर अनेक कल्पना सज रही है
जो ये मन सजाए
इस मन को कैसे कैसे
हम समझाए
नित नए कार्यों में यह मन लग जाए