सफर की कुछ बाते बस यू ही हम भी करने लगे है, अब तुम्हारा इंतजार हम भी करने लगे है
सफर की कुछ बाते बस यूं ही हम भी करने लगे हैं,
अब तुम्हारा इंतज़ार हम भी करने लगे हैं।
ज़िन्दगी की राहों में हम चल पड़े हैं,
ख्वाबों को पीछे छोड़ दिया हैं।
आँखों में उम्मीद की चमक जगी है,
अब खुद को हक़ीक़त में बसा लिया हैं।
जो नज़रों को देखा, सब सपने थे,
अब हमने उन्हें अपने होंठों पे लिए हैं।
चलो चलें इस सफ़र में एक साथ,
हमने सपनों को हक़ीक़त में बदल लिया हैं।
रास्तों पर चलते हैं मिलकर हाथ थामे,
खुशियों को बाँटते हैं हम गम दूर करके।
एक दूसरे के संग बिताते हैं हर पल,
ये सफ़र हमने आपस में मिलकर चुन लिया हैं।
हमारी कविता सदैव चलेगी इस सफ़र के साथ,
प्रेम और आस्था की बातें जो दिल में उभरेंगी।
अब यही हमारी ज़िंदगी का तरीक़ा हैं,
सफ़र की इस राह पर अपनी किस्मत चमकाएँगी।