सुनी बात पे न करना विश्वास ..
सत्य समझने का करना प्रयास ।
जल्दी करते सुने हुये पे विश्वास….
कम बुद्धि कौशल हम दूसरे के दास ।
झूठ सुनाने से तेज़ी जल्दी से फैलता..
लोग भी सुनना चाहते जो हो चटपटा ।
चटपटे के शौक़ीन दो चार बात जोड़ते …
सुनकर मज़ा लेते नहीं सत्य को खोजते ।
कान के कच्चे होने से बढ़ती परेशानियाँ…
उलझ जाते सुनकर उनकी कहानियाँ ।
सुनना फिर अंदर ले जाना या नहीं ले जाना ये तय करती बुद्धि….
आँखों देखती संग कान सुनते तब सही ग़लत या कितनी बात में शुद्धि ।
जनता भोली कुछ नया सुनना चाहती…
झूठो के बिछाये जाल में फस जाती ।
सुनी सुनाई बात पे न करना विश्वास….
ये कहना है मेरा और यही मेरा प्रयास ।
सुनी बात पे न करना विश्वास,
सत्य समझने का करना प्रयास।
जगमगाते शब्दों में न जाना रास्ता,
विश्वास के पहाड़ों को छूने का प्रयास।
कई बार जब आवाज उठाई जाती है,
मन में संदेह खुद को समझाई जाती है।
पर ज्ञान की रोशनी से जगमगाते सभी,
सत्य की और बढ़ते यही रास्ता।
हकीकत के लिए खुद को तैयार करो,
अपनी बुद्धि के ज्ञान में डूब जाओ।
चिन्ता की अंधकार से उभरो तुम,
ज्ञान के सौरभ में लहराओ तुम।
सत्य की पहचान अपनी बना लो,
भ्रम के आँधियों को तुम छा लो।
सुनी बातों पर मत करो विश्वास,
सत्य को पहचानो, बनो ज्ञान का आदान्त।