दिमाग़ ,आँखे ओर हृदय खुले रहे…
समस्याओ का निपटारा सही से होता रहे ।
नही तो गलती पे गलती होती रहेंगी …
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बेहती रहेगी ।
लहरों की चहल-पहल में बहती जाए,
जीवन की मधुर गाथा सुनती जाए।
हमेशा जगमगाता रहे जीवन का सागर,
आगे बढ़ते रहें हम सब मिलकर।
जीवन की राह में चुनौतियाँ होंगी,
पर निरंतरता से हम उन्हें मिटाएंगी।
चिंताएं और आवेश दूर कर जाएंगे,
खुशियों की नई कहानी लिखाएंगे।
बदलेंगे हम अपने सोच का नजरिया,
सही और गलत के बीच समझदारी लाएंगे।
नये आयाम देंगे अपने सपनों को,
आगे बढ़ेंगे हम मनोविज्ञान के रास्तों पर।
इस गाथा का अंत नहीं होगा कभी,
हम बढ़ते रहेंगे नई उचाईयों की ओर।
दिमाग़, आँखे और हृदय खुले रहेंगे,
समस्याओं का निपटारा सही से होता रहेंगी।
नहीं तो गलती पे गलती होती रहेंगी,
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बहती रहेगी।
स्वयं के विकास में भी इनका खुला रहना ज़रूरी…
तभी की या माँगी हुई मनोकामनाएँ होगी पूरी ।
सब ओर ख़ुशियों का मेला लगेगा..
जीवन ख़ुशियों की ऊर्जा से भरेगा ॥
विकास करना आगे बढ़ना मानवीय भूख…
सभी तलाश रहे खोज रहे हे सच्चा सुख ।
हर किसी को मुकमल जहाँ नही होता वो नसीब …
दिमाग़, आँखो ओर हृदय से सब तरह से
लगाना तरतीब ॥ इन समस्याओ का निपटारा करना।
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