Date Archives August 2023

तलाश न करना

कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा,
ज्यों की आवाज़ में छुपी है मेरी कहानियाँ।
मैं सदैव फूलों के रूप में खिलता हूँ,
खुद अपनी मुस्कान से गुलशन सजाता हूँ।

हर एक पंक्ति में छुपी है मेरी रूह की गहराई,
जैसे काव्य के स्वर्गीय आभूषण बनी है।
इस जगत के रंग और धुंध से परे,
मैं लहरों के संग अपनी विचारधारा लाता हूँ।

जब चांदनी रातों में चाँद तितलियों संग नाचता है,
मैं सदैव अपने सपनों को सच में बदलता हूँ।
मेरे शब्द नहीं, मेरे भाव ही मेरी उपस्थिति हैं,
इस शायर की दुनिया में अक्सर इसीलिए बसता हूँ।

तो खोजें न शब्दों का मेरे मित्र, तलाश मेरी आत्मा की,
मेरी कविताओं में छिपा है एक अनमोल रहस्य।
सदैव जीवित रहता हूँ मैं अपनी शायरी के रूप में,
तो लिखें और पढ़ें मेरे वचन, और खुद को पाता हूँ।

कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा
कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा

कभी शब्दो में तलाश ना करना वज़ूद मेरा,
मैं उतना लिख नहीं पाता जितना तुम्हें चाहता हूँ..

यह भी पढे: बस कोशिश है, अधिक नहीं चाहिए, मेरी आवारगी में, मन यू ही भागता,

हम आसमान छूते है

अगर हमारे रोकने से वो रूक जाते
तो हम उनके सामने झुक जाते, हम आसमान छूते है

हम आसमान छूते है
Sanjay gupta shayri

जब हमारी रफ्तार से उन्मुक्त हो जाते,
और दूर तक वो हमें रोकने की कोशिश करते,
तो उन्हें जवाब में हम ये शायरी लिखते:

ज़िंदगी की राहों में चाहते हो रोकना हमें,
हम तो उड़ान भरने का जुनून रखते हैं।
ये वक्त नहीं रुकने का, ये रवाना हैं हम,
कोई ताकत नहीं जो हमें थाम सकते हैं।

जब बादलों की तरह हम आसमान छूते है,
और चाहते हो तुम हमें यहाँ ठहराने के लिए,
तो ये ख़्वाबों की दुनिया है, ये अद्भुत हैं जगह,
कोई बंधन नहीं जो तुम हमें थाम सकते हैं।

हम नदियों के सागर से उछलते हैं,
और चाहते हो तुम हमें बंधन में बांधने के लिए,
तो जाओ तुम और खो जाओ अपनी कहानी में,
हम तो खुद ज़िन्दगी के साथ निभाते हैं।

ये रास्ते नहीं रुकने का, ये आगाज़ हैं हमारा,
जिन्दगी की लहरों में हम बहते चलते हैं।
तुम चाहे जैसे भी हमें रोको, हम नहीं थमेंगे,
शायरी के सहारे अब हम बदलते चलते हैं।

यह भी पढे : तारीफ में क्या लिखू, दीवाना, सिसकिया, रूठे तो मनाए कौन

बहाना ओर जवाब

बहाना ओर जवाब -2 , बहाना :- मुझे बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी…..

जवाब :- लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी थी….

बहाना ओर जवाब
बहाना और जवाब

सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

यह भी पढे: ना करे चिंता, मन का भटकाव, समय बीत रहा है, बोरियत वाला मस्तिष्क,

इश्क की खुमारी

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

इश्क की खुमारी
Sanjay gupta shayri

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

दिल की बातें जो लिखी थीं, वो अब बेचने आए हैं,
उन अक्षरों को अब एक मोहल्ले में बसाने आए हैं।

कितनी मेहनत से रची थीं वो शेरों की पंक्तियाँ,
आज उनकी कद्र बस रुपए की बिक्री में होती है।

प्यार की कहानियाँ, ज़िन्दगी की कविताएँ,
कबाड़ी की आँखों में बेचने को आज लाए हैं।

मेरे इश्क़ के बदले, दस रुपए की कीमत,
ये कैसी दुनिया है, ये कैसी कहानी है।

पर शायरी की ताकत नहीं घटी है मेरे दोस्त,
वो दिलों को छूने की क्षमता आज भी रखती है।

कोई खुश है

कोई खुश है तुम्हारे बिना उसे खुश ही रहना दो
क्यों तुम उसे परेशान करते हो,
जनाब उन्हें कबुल है उनकी खुशनुमा जिंदगी
तो उन्हे उस जिंदगी के संग ही रहने दो

आप कौन होते हो ?
खलल डालने वाले वो अब दूर है आपसे
अब जरा उन्हें दूर ही रहने दो ,
वो बाते बेमतलब की थी।

वो इरादे भी मतलब के रखते थे
फिर क्यों अश्क़ बहाते हो ?
नादान है दिल ,
क्यों इसे बार बार उनके लिए समझाते हो ?

छोड़ दो ,
अब क्यों बेमतलब में तुम उनके लिए अश्क़ बहाते हो,
जब रिश्ता टूट गया है – जब रिश्ता टूट ही गया है
फिर क्यों तुम अपने भीतर अशकों का संबंध बनाते हो

छोड़ दो , जो छूट गया है
अब क्यों जबरदस्ती उस रिश्ते को पकड़े हुए नजर आते हो ?
बस अब तुम ही खुश रहो क्युकी वो भी खुश है तुम्हारे बिना
बेमतलब ही क्यों तुम अश्क बहते हो।

कोई खुश है तुम्हारे बिना , उसे बस खुश रहने दो

वैसे तो कई शिकवे

वैसे तो कई शिकवे है
Sanjay gupta shayri

वैसे तो कई शिकवे हैं तुम्हारे हमसे, पर सुनो!
शिक़ायत करती हो तो बहुत प्यारी लगती है…

वैसे तो कई शिकवे है तुम्हारे,
मगर शायरी के जरिए अदाएं करते हैं हम।
जब भी तुम्हें याद करते हैं हम,
दरिया-ए-गम में इक नया सफ़र तराशते हैं हम।

तुम्हारी बातों में ज़रा सी ढ़ेर है गिले,
मगर उन गिलों को शायरी के रंगों में रंगते हैं हम।
कभी गुस्सा करते हो तुम हमसे,
शब्दों की लहरों में वफ़ा की आवाज़ बुलाते हैं हम।

जब तुम्हें अकेलापन महसूस होता है,
शायरी की बाँहों में तुम्हें ले आते हैं हम।
मोहब्बत की कश्ती के लिए जो शिक्वे हैं,
उन शिक्वों को रूह की गहराईयों में छिपाते हैं हम।

तुम्हारी यादों की बारिश में बहते हैं हम,
ज़िंदगी की मस्ती को नया रंग देते हैं हम।
शिकवे हो या गिले, तुम्हारे हर एहसास में,
शायरी की ज़ुबान से प्यार का इज़हार करते हैं हम।

क्या करता हूँ मैं

क्या करता हूँ मैं दिन भर ? वैसे तो मैं कुछ नहीं बस अगर सच बताऊ तो सिर्फ लिखने की कोशिश करता हूँ, ओर जो मन में आता है वही अब लिखता हूँ, चाहे मैंने कितना ही सोच रखा हो दिमाग में लेकिन वो एक दम शब्दों को पन्नों पर नहीं उतार पाता है।

इसलिए घंटों बैठ जाता हूँ खुद के साथ अकेले में ताकि मैं कुछ कुछ लिखू जो विचार आ रहे है उन शब्दों में उतार सकु, बस यही एक वो जरिया है , जिसकी वजह से मुझे बहुत शांति मिलती है , लगता है भीतर बहुत कुछ भरा हुआ जिसे बाहर निकाल देना है।

इसलिए मैं अपने लैपटॉप के सामने बैठ जाता हूँ ओर गूगल कीप जिसमे मैं लिखता हूँ, उसको खोल लेता हूँ, जैसे ही कोई विचार मेरे मन में आता है मैं उसे लिख लेता हूँ, यही मैं पहले भी करता था, तब मैं अपनी छोटी सी नोटबुक ओर पेन लेकर बैठ जाता था।

किस तरह से मैं लिखता था उस समय: अपने मस्तिष्क के विचारों पर गौर किया करता था की मेरे दिमाग में चल क्या रहा है? मैं सोच क्या रहा हूँ? असल मैं नहीं, मेरा दिमाग सोचा करता था बस उस दिमाग को मैं देखता था।

मैं आपको बताता हूँ, वो शुरुआत कैसे हुई जब मुझे घंटों बैठना पड़ता था, सिर्फ एक विचार के लिए , सिर्फ कुछ शब्दों के लिए की मैं लिख पाउ उन विचारों को पन्नों पर उतार मैं सकु बस इसलिए तब भी घंटों कॉफी होम में बैठता था। क्युकी एक एक विचार बहुत देर में आता था।

वो विचार जो ब्रह्मांड से आते थे , जो मुझे प्रकृति से जोड़ते थे , एक संबंध स्थापित करते थे , उन शब्दों को मैं सुनता ओर लिखता था , मुझे कुछ नहीं पता बस मैं लिख लेता था, जैसे मैं सवाल पूछ रहा हूँ ओर मेरे जवाब मुझे मिल जाते थे , कुछ बस सवाल ही बनकर भी रह जाते थे की इनका जवाब कुछ समय बाद मिलेगा अभी नहीं।

मैं हर रोज शिवाजी स्टेडियम के पास कॉफी होम है उधर जाता था, जिससे की आराम से बैठकर लिख सकु जो नया विचार आए उसको पकड़ सकु , उस समय मैं अपनी पुस्तक “कौन हूँ मैं” की शुरुआत पर था बस मन में यही विचार था ओर इसी किताब के इर्द गिर्द सभी प्रश्न ओर उत्तर बन रहे थे।

क्या करता हूँ मैं यह बात मैंने आपको बताई अब आप मुझे बताए की आप क्या करते है।

तुम्हारी याद है ना

तुम्हारी याद है ना

तुम्हारी है याद ना 


यही एक मेरी जायदाद है , ये जो तुम्हारी याद है ना बस,
जैसे खुदा का एक फ़रमान है यहाँ।
जब भी याद आती हो तुम मुझे,
दिल में ज़िंदगी का एक हसीन शहर बसा है यहाँ।

हर एक पल में तेरी याद में खो जाते हैं हम,
कुछ अलग सा एहसास जगाती हो तुम।
जैसे हवाओं की झोंका हो तुम मेरे दिल में,
इस तरह बसते हो तुम इस दिल के किनारे पर।

चाहत की बूंदों में संग बहाते हो तुम,
ख्वाबों की दुनिया में ले जाते हो तुम।
जब भी याद आती हो तुम मुझे,
आंखों में चमक और दिल में खुशियाँ जगाते हो तुम।

ये जो तुम्हारी याद है न बस,
इसे शायरी की बहार बना देते हैं हम।
तुम्हारी याद जैसे गुलाब की खुशबू,
मेरे जीवन की राहत और सुखद समां है यहाँ।

चेहरे की खुशी

किसी के चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना
शायद इसी का नाम मोहब्बत है….

जब उसकी हंसी से दिल मुस्कराता है,
जीवन के गमों को भूल जाता है।

उसकी नज़रों में खिलती है ज़िंदगी की रौशनी,
हर लम्हे में बहार और हर ग़म को भुलाती है।

जब वो प्यार से मुस्कराती है,
दिल में ख़ुशी का आगाज़ हो जाता है।

उसकी मुस्कान का इतना असर है,
जैसे ख्वाबों को रंगीं आशियाँ बनाती है।

मोहब्बत का नाम है ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरती,
जो खुद को भूलकर दूसरों को ख़ुशी देती है।

इस मोहब्बत की रौशनी में जीना है ज़रूरी,
चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना है मज़बूरी।

यह भी पढे: मेरी मुस्कुराहट, मुस्कुराहट छुआ छूत, खूबसूरत चेहरा बूढ़ा, छोटी कविता,