कोई खुश है

कोई खुश है तुम्हारे बिना उसे खुश ही रहना दो
क्यों तुम उसे परेशान करते हो,
जनाब उन्हें कबुल है उनकी खुशनुमा जिंदगी
तो उन्हे उस जिंदगी के संग ही रहने दो

आप कौन होते हो ?
खलल डालने वाले वो अब दूर है आपसे
अब जरा उन्हें दूर ही रहने दो ,
वो बाते बेमतलब की थी।

वो इरादे भी मतलब के रखते थे
फिर क्यों अश्क़ बहाते हो ?
नादान है दिल ,
क्यों इसे बार बार उनके लिए समझाते हो ?

छोड़ दो ,
अब क्यों बेमतलब में तुम उनके लिए अश्क़ बहाते हो,
जब रिश्ता टूट गया है – जब रिश्ता टूट ही गया है
फिर क्यों तुम अपने भीतर अशकों का संबंध बनाते हो

छोड़ दो , जो छूट गया है
अब क्यों जबरदस्ती उस रिश्ते को पकड़े हुए नजर आते हो ?
बस अब तुम ही खुश रहो क्युकी वो भी खुश है तुम्हारे बिना
बेमतलब ही क्यों तुम अश्क बहते हो।

कोई खुश है तुम्हारे बिना , उसे बस खुश रहने दो

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