छोड़ना पकड़ना

छोड़ना पकड़ना एक चीज को छोड़ते है तो दूसरी चीज पकड़ लेते है, लेकिन जिंदगी बोल रही है कब तक छोड़ेगा और पकड़ेगा एक दिन सब छूट ही जाना है कुछ भी तेरे साथ पकड़ा हुआ नही जाना है।

छोड़ते हैं एक चीज़ को, पकड़ते हैं दूसरी को,
जीवन की यह लहरें, बदलती रहती हैं हमारी कोशिशों को।
पर ज़िन्दगी आवाज़ उठाती है और कहती है,
कब तक छोड़ेंगे, कब तक पकड़ेंगे, एक दिन सब छूट ही जाना है।

सच है, कुछ भी तेरे साथ पकड़ा हुआ नहीं है,
यह दुनिया एक पल में बदल जाती है अपनी छवि।
जो आज है, कल वही नहीं रहेगा,
सब छूट जाएगा, यह जान ले तू अपनी सीमाएं।

इसलिए न तेरा आसरा हो और न तेरा अभिमान,
जीवन का अनुभव ले, बांध के न रह जा एक स्थान।
अपने सपनों को पूरा करने का अवसर ढूंढ़,
क्योंकि ज़िंदगी की रफ्तार है अद्यायवादी और अवसादी।

छोड़ना पकड़ना, ये खेल है जीवन का,
लेकिन जब सब छूट जाएगा, तभी तू जीवन को समझ पाएगा।
चल आगे बढ़, जिए अपने यथार्थ सपनों को,
जीने का आनंद ले, हर पल को खुशियों से सजाएगा।

यह भी पढे: छोटी कविता, एक का सिक्का, लोग बदल जाते है, हिम्मत कर राही, जीने का अंदाज,

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *