लोग बदल जाते है

लोग बदल जाते है अपनी ही बातों पर वो लोग तिक नहीं पाते है, हो सकता है कोई उनकी मजबूरई हो लेकिन क्या मजबूरई इतनी बड़ी जो अपनी ही बातों पर अडिग नहीं रह पाते वो , मजबूरी नहीं सामने खड़ी हो पाएगी, जब तुम करके रखो सारी तैयारी लोग बदल जाते है…..
सही बात पे नही अमल कर पाते ।
उनकी भी होगी कोई मजबूरी….
व्यक्ति को मजबूरी से ऊपर उठना ज़रूरी ।

मजबूरी तुम पे न हो भारी…..
जब कि होगी सही से तेयारी ।
नही लग जाएगी मजबूरी की बीमारी….
ओर तुम पे लगाम डाल के करेगी सवारी ॥

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