हल्दीराम व बीकानेर

हल्दीराम व बीकानेर: हल्दीराम व बीकानेर में बैठकर खाना मेरी पहली पसंद है, इसके अलावा मैं किसी दूसरे रेस्तरा में बैठकर खाना ज्यादा पसंद नहीं करता, यदि वो रेस्तरा शुद्ध शाकाहारी है, तो फिर मैं बैठ जाता हूँ बस खाना अच्छा हो कोई दिक्कत नहीं है, हल्दीराम व बीकानेर में तो मैं बिना सोचे ही अंदर चला जाता हूँ, लेकिन यदि किसी दूसरे रेस्तरा में जाना होता है पहली बार तो देखना पड़ता है की वह शुद्ध शाकाहारी है या नहीं तभी उस रेस्तरा के भीतर जाने की सोचता हूँ, वरना बाहर से आगे बढ़ जाते है यदि उस रेस्तरा में नोनवेज भी है तो फिर नहीं जाना बस

आजकल वैसे भी जिसको देखो शाकाहारी के साथ साथ मांसाहारी भी परोस रहा है, जिस जगह मांसाहारी होता है उस जगह मैं खाना खाने के लिए नहीं जाता, बहुत हुआ खोजने पर नहीं मिलता नहीं तब उस जगह पर जाया जाता है नहीं तो नहीं।

शाकाहारी व मांसाहारी: जब शाकाहारी में इतना अच्छा खाना उपलब्ध है तो फिर क्यू मांसाहारी भोजन खाना, ओर क्यू ही किसी जीव की हत्या का दोष अपने माथे पर लेना, इस प्रकार के कर्मों से बचकर ही रहा जाए तो बेहतर है, किसी को समझाना कोई जरूरी नहीं बस मैं खुद इस बात को समझ गया हूँ, यही बहुत जरूरी था की उस जगह भी नहीं खाना जहां पर मांसाहार भी तैयार किया जाता है, क्युकी उनके बर्तन भी वही होते है, कभी उसमे शाकाहार परोस देंगे तो कभी मांसाहार, वह हर छोटी छोटी बातों का ख्याल नहीं रखते इसलिए उस जगह पर खाना भी उचीत नहीं है जिस जगह पर मांसाहार परोस कर दिया जाता हो।

इसलिए भी मेरी पहली पसंद हल्दीराम बन जाती है जहां मुझे इस प्रकार का कुछ नहीं सोचता पड़ता ना ही कुछ पूछना पड़ता की यह शाकाहारी है या मांसाहारी है, बिना झिझके ओर हिचके जो खाने खाने का मन करे उसका ऑर्डर कर दिया है।

साथ ही खाने की क्वालिटी ओर कीमत यह दोनों ही उचीत है, बहुत अधीक ओर बहुत कम नहीं है, सभी लोगों के एक सही जगह है।

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