मौन सही में परिपूर्ण

मौन सही में परिपूर्ण …..
मौन की दुनिया संपूर्ण ।
मौन में हो जागृत विश्वास….
कुछ भी नहीं दूर सब पास पास ।

वाणी से जन्म लेते षड्यंत्र …..
मौन को जिये मौन सर्व यंत्र ।
मौन शक्तिमान अपार बलशाली…..
बिगड़ी बात मौन ने सम्भाली ।
इसकी डोर करती संबंधों की रखवाली ।

मौन सही में परिपूर्ण,
जहां शब्दों की हो नहीं कोई आवाज़।
वहाँ शांति का वास होता है,
मन की गहराइयों में छुपी छांव होती है।

मौन की दुनिया संपूर्ण,
जहाँ ध्यान की झील में डूबे हर व्यक्ति।
अन्तरंग शांति का निर्माण करता है,
विचारों की लहरों को तालाब में बहता है।

मौन में हो जागृत विश्वास,
क्योंकि आकाश में हर तारा बखूबी जानता है।
कुछ भी नहीं दूर, सब पास पास,
मौन की गहराइयों में छिपी हर कहानी बसती है।

मौन से बोलती है हर सूरत,
जब अकेलापन घेर लेता है मनुष्य को।
उस समय शब्दों की बजाय दिल की धड़कन सुनती है,
और सबकुछ अनुभव करने का समय मिलता है।

मौन की विभीषिका यही होती है,
जब शब्दों से परे भावनाओं की बात होती है।
सुनो, यह मौन कविता है खुद की अनुभूति की,
जो शब्दों के पर्दे से आप तक पहुंचाती है।

मौन सही में परिपूर्ण मौन को जिये और नित प्रति उसका अभ्यास करे और मौन से अपने अनसुलझे प्रश्न रखे फिर आर्य मौन का प्रयास करे जिसमें बाहर तो बाहर भीतर भी मौन को सिद्ध करने का प्रयास करे भीतर के कोलाहल को शांत करके अपने उठाये प्रश्न पर ध्यान धरे इसमें यदि आप कर पाते हे तो आपने अपने अवचेतन से कार्य ले सक पाने में सक्षम हो रहे हे दक्ष हो रहे हे और सच्चाई से अपने प्रश्नों के उत्तर भी पा सकेंगे , सब का मंगल हो रहा हे ।
मौन आपका मंगल करे आपकी दिशा दशा का सही से आँकलन करे बहुत शुभ लाभ हो ।

बात अच्छी लगे तो उसपर कार्य करके देखें स्वय का जीवंत अनुभव से सत्य का अनुभव कर के देखे इससे बड़ी कसौटी नहीं है जीवन की ।

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