समय गूंगा नहीं है

ये समय गूंगा नहीं है बस रहता यह मौन….
समय पर देता बता किसका ही कौन ।
समय से सब कुछ मान सम्मान या अपमान …
समय जब अपना तो गधा भी पहलवान ।

समय से करो संवाद उसके हृदय को जानो…
उसकी निरंतरता निष्पक्षता को तुम पहचानो।
निरंतरता और निष्पक्षता एक कठिन साधना..
अहंकार की गुरुत्वाकर्षण सीमा को पड़ेगा तोड़ना टापना ।

इन सब बाँतो का नही कही पाठ्यक्रम ….
जीवन में श्रेष्ठ को जानने के कठिन नियम ।
हर घटना में समय सदा था हे और रहेगा साक्षी….
यह समय की अनिवार्य शर्त दिखती हर घटना में उसकी यह बानगी ।

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