प्यार का इजहार

मेरे दिल का हाल जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है ओर प्यार का इजहार न कर पता हूँ

मेरा एक तरफ़ा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्यार का इजहार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे
किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
सांसे रुक जाती है
बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है
मेरे शब्द रुक जाते है मेरी नजर
उसकी नजरो से मिल नही पाती है
लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस भागी चली जाती है
एक नजर भर देखती नही
बात नही करती वो मुझसे
बस मुझे और बेचैन कर वो जाती है
मैं घंटो इंतज़ार करता हूं उसका
उसके एक नजर भर देखने के लिए
अपने पहले प्रेम का इजहार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है
बस अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे सारे अरमान जो उससे
बात करने
के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो जाती है
बस मेरे पहले प्यार का पहला इजहार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है

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