मुस्कुराओ

मुस्कुराओ ….क्युकी दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है, जो मुसकुराता है वो दुनिया को बदलने की हिम्मत रखता है, उसका विश्वास अपनी मुस्कुराहट से ओर बढ़ जाता है, वो मुरझाए हुए चेहरों को फिर से नई जान देता है, उनके भीतर नई ऊर्जा भर देता है।

मुसकुराना मानो दुनिया का खुद से ही बदल जाना है, मुसकुराना एक कला है भीतर चाहे कितने ही दुखी दुखी लेकिन आपके होंठों पर मुस्कुराहट दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट भर देता है,

मुस्कुराओ क्युकी दुनिए का हर आदमी कहिले फूलों ओर कहिले चेहरे को पसंद करता है।

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