शब्द परिचय

यह जो शब्द है
इनमें कितना गुस्सा भर जाता है
इनका आपा खो जाता है
शब्दो को कौन समझाए ?
इनको कैसे मनाए ?

छोटी छोटी बातों पर ये शब्द तो रूठ जाए
इधर आए तो कभी उधर जाए
जब कोई इनका अपना खो जाता है
दुख बहुत आता है, रिक्त स्थान हो जाता है
वो स्थान फिर नहीं भार पाता है

लेकिन शब्द कुछ कर नही पाता है
जब करना चाहता है तो
 
शब्दो का ज्ञान उन्हें कुछ समझता है
क्रोध बहुत भीतर भरा हुआ है
मानो कोई प्यारा छूट गया है
वो अपने ना थे लेकिन
अपनो से कम ना थे

उनके जागने पर हम सोते थे
उनके होने पर ही हम होते है।
उनके ना होने पर कहाँ चैन से
सोते है हम।

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