हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन ….
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन ।
वो देता छाया यह क्या कम हे….
यथाशक्ति वो दे रहा जितना दम हे।
अनगिनत पक्षी कीड़े मकोड़ों इसकी शरण…
ये उसका स्वभाव प्रकृति के प्रति समर्पण ।
पेड़ मरकर भी जीवन के प्रति समर्पित…..
नौका किवाढ़ सज्जा से जीवन शोभित ।
हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।
वो देता छाया यह क्या कम हे,
जब उगते होते हैं वो ज़मीन।
पुष्पों से सजा आँगन उनका,
फलों से भरी होती डाली।
वृक्षों की छाया देती है शर्म,
सबको देती है वो माली।
फलों का मज़ा जब चखा जाता है,
हर बार नए रंग लाता है।
यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।
छोटे छोटे पत्तों से जब खिलता है,
पूरे वन को रंगीला बनाता है।
हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।
जब खेतों में वो बढ़ते हैं,
अन्न की तरह सबको पोषण देते हैं।
जब हवाओं में उनकी लहरें होती हैं,
सबको ताजगी और शान्ति मिलती है।
यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।
धूप के तप से जब सबको बचाते हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य को बनाते हैं।
नीर के बंद कोषों से जब गूढ़ निकलता है,
जीवन की सत्यता को समझाता है।
हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।
इन पेड़ों के महत्व को जब समझोगे,
प्रकृति की रक्षा में योगदान दोगे।
अपने आस-पास के हर एक पेड़ को,
संभालो, प्यार दो, बचाओ।
क्योंकि हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।