सोचकर बाजार गया था अपने कुछ अश्क़ बेचने…
हर खरीददार बोला, अपनों के दिये तोहफे बिका नहीं करते
मेरे दिल की गहराइयों में छुपी है ये कहानी,
जहाँ दर्द के बीज उगाए, प्यार के फूल खिला नहीं करते।
प्यार की कीमत सबको समझाने को आया था मैं,
पर जब देखा दुनिया ने, रिश्तों का मोल गिना नहीं करते।
हर चेहरे के पीछे छुपा है दर्द और गम का सौदा,
जब तक शायद उन्हें ख़रीदने वाला उनकी अदा समझा नहीं करते।
अश्क बिकाने गया था बाज़ार में, लेकिन वहाँ कोई ख़रीदने वाला नहीं,
क्योंकि प्यार और दर्द की कीमत कोई तोला नहीं करते।
सोचकर बाजार गया था।