मेट्रो का सफर

मेट्रो का सफर आज कुछ जो इस तरह से शुरू किया वो मजेनटा लाइन की और था, इस रूट पर वसंत विहार तक अधिकतम वही स्टेशन आते है जो कंटेनमेंट जोन है यहाँ पर सभी लोगों को आने ओर जाने की अनुमति नहीं होती जो इधर रहता है या कोई कार्ये करता है उसीको आने जाने अनुमति है, यदि इधर आपको जाना है तो आपको valid permission चाहिए होती है, तभी आपको उस ज़ोन में जाने की अनुमति मिलती है। जो स्टेशन कन्टैन्मन्ट ज़ोन में आते है उनकी अनाउन्स्मेन्ट पहले ही मेट्रो में होती है जिससे आपको यह पता चलता है की आप बिना वजह इधर नहीं उतर कर घूम सकते तो, तो इस बात का अवश्य ध्यान रखे। हम शायद करना के दौरान इस रूट पर से कही गए थे तब कंटेनमैंट जोन के लिए अनाउंस हुआ तो हमे लगा बहुत बड़ा कंटेनमेंट जोन है लेकिन आज जब फिर से इधर गए तो इसका मतलब यह आम रास्ता नहीं है भाई साहब तो इधर आना जाना प्रतिबंधित है।

जैसा की आप इस बॉर्ड को देख रहे है उसमे मेट्रो ट्रेन के कोचेस में कितनी जगह भरी हुई है उसे प्रतिशत में दिखाया गया है। जिससे यह पता चलता है की कौनसे कोच में कितने प्रतिशत लोग बैठे है, ओर आपको जगह मिल सकती है या नहीं इसी उद्देश्य से यह बोर्ड लगे है, इसी बोर्ड को देखकर आप भी उस कोच में एंट्री करे ओर सीट पर बैठे यह जनकपुरी पश्चिम से बोटोनिकल की मेट्रो के मध्य का रास्ता है।

मेट्रो का सफर कुछ इस तरह था
मुनिरका मेट्रो स्टेशन

 

जनकपुरी से सदर छावनी तक एक लंबी टनल है जो सबसे लंबी टनल रूट है दिल्ली मेट्रो का यही मेट्रो बोतनिकल गार्डन तक कई बार टनल से होकर गुजरती है, जब टनल से बाहर आती मेट्रो तब मैं बादलों की तस्वीर ले लेता आज कुछ मनमोहक दृश्य आसमान में बन रहे थे बादल जैसे मेरा मन लूट रहे थे, मैं जब निकला था घर तब समय नीचे वाली तस्वीर दर्शा रहा हूँ, बादलों की ओट में सूरज छुपम छिपम खेलते है ये भी बता रहा हूँ।

समय
समय

आज सूरज चाचू बड़े अच्छे मूड में थे एसा लगा की वो छुपम छुपाई खेल रहे थे कभी बादलों की ओट में छिप रहे थे तो कभी उस ओट से बाहर निकल रहे थे, जैसे बादलों से बाहर आते तो अद्द्भुत दृश्य बादलों का दिख रहा था, कुछ कुछ प्रतीत हुआ इंद्रधनुष भी कही बन रहा था लेकिन ना जाने वो मेरी आँखों से कही दूर छिप रहा था।

बादल
बादल

बादलों के दृश्य को देख मैं मनमोहक हुए जा रहा था मानो मैं बादलों सा होने की दुआ मांग रहा था लेकिन ये सच कहाँ होने को जा रहा था जैसे जैसे मेट्रो स्टेशन पास आ रहा था , मैं अभी जमीन पर हूँ मैं आसमान से बादलों को मांग रहा था।

मेट्रो का सफर कुछ इस तरह था
बादल

आज मेट्रो का सफर इतना ही किया बाकी फिर दुबारा मिलेंगे

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *