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ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड का एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ा होना ही अखंड कहलाता है,

इस पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने शब्दों की छोटी सी रचना की है।

कविता का शीर्षक “ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड अखंड…
शक्ति का अदभुत मेला प्रचंड ।
ब्रह्मांड अदभुत….
व्यवस्था में नहीं कमी एक सूत ।
ब्रह्मांड अकल्पनीय…
कार्यशेली गोपनीय सुरमय ।
ब्रह्मांड निरंतर……
सदा विस्तारित चक्र ।
ब्रह्मांड क्यूँ……
एक गहरा गोपनीय खेल विहू ।
ब्रह्मांड व्यवस्था…..
देखे जैसी जिसकी आस्था ।
ब्रह्मांड ऊर्जा….
स्वयं संचालित व्यवस्था ।
ब्रह्मांड के नियम…..
सबके लिए सम ।
ब्रह्मांड का महत्वपूर्ण हिस्सा पृथ्वी
जीवन यौवन से वो उजरी सँवरी ।

धन्यवाद यह रचना राम ललवानी द्वारा लिखी गई है

साथ ही आप ब्रह्मांड का जुड़ा होना एक छोर से दूसरे तक पढ़ सकते है।

मित्रता अद्भुत

मित्रता अद्भुत संबंध है,
जो हमेशा हमारे साथ है।
दुःख में हमें आश्रय देती,
खुशी में हमारे साथ हंसती है।

मित्रता कही दिमाग़ी कही दिली….
मित्रता दिली ही ख़ालिस असली ।
मित्रता के अधभुत रिश्ते ….
कुदरत की मर्ज़ी में लिपटे ।।

मित्रता सच्ची और निःस्वार्थ होती है,
जो मित्र हमें देता है वह अपना सब कुछ हमें देता है।
मुसीबत में वह हमेशा हमारे साथ खड़ा होता है,
और सफलता में हमारे साथ खुशी मनाता है।

अदभुत संबंध हे मित्रता…..
हृदय से हृदय की निकटता ।
मित्र प्राणो का वो रखवाला….
मित्र रोशनी मित्र उजाला ।

मित्रता जीवन का एक अद्भुत उपहार है,
जो हमें हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण संबंध देती है।
जीवन का हर पल अधिक खुशहाल बनाने के लिए,
मित्रता हमारे साथ हमेशा है और हमेशा रहेगी।

मित्रता एक संगीत है जो हमारे जीवन को सुरीला बनाता है,
जो हमें हमारे अंतरंग भावों को समझने की शक्ति देता है।
मित्रता एक आभास है जो हमें हमारी असली पहचान बताता है,
जो हमें हमारी ज़िन्दगी का मतलब बताता है।

मित्रता अद्भुत संबंध है,
जो हमेशा हमारे साथ है।
दुःख में हमें आश्रय देती,
खुशी में हमारे साथ हंसती है।

वर्तमान राजा

आज यानी वर्तमान राजा …
इसी में हे ख़ुशियों का दरवाज़ा ।
सुने वर्तमान को रख के सही तापमान…
बहुत उपयोगी वर्तमान का विमान ।

जब तक हे जीना

जब तक हे जीना तब तक हे सीखना हमारा सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए जब तक हम जिए कुछ न कुछ सीखते रहे इसी पर हमारा आज का विचार

जब तक हे जीना तब तक सीखना ….
जीना नित नये खेल का होता सामना ।
बहुत ही शुभ संकल्प की यह कामना…..
नया सीखेंगे बिना लाए मन में दुर्भावना ।

स से सीधी ख से खास न से नज़र
हे सीखना…..
इस बात को जीने से पूरी होगी साधना ।
सीखना सम्भावनाओ का क्षेत्रफल फैलाता….
मौके मिलते जब सीखने का फल आता ।

अपनी मेहनत

अपनी मेहनत का गुणगान करेंगे…
सत्य का हम संग जब साथ लेंगे ।
निश्चित लक्ष्य हो हम साध लेंगे ….
दूसरो को मेहनत का प्रोत्साहन देंगे ।।

मेहनत का कोई विकल्प नहीं….
उसके आगे सब मुश्किलें झुकी ।
मेहनत करके गुणगान कीजिए…..
मेहनत का तुम सदा साथ दीजिए।।

वक्त के साथ

वक्त के साथ हर कोई बदल जाता है किसी की अकड़ काम हो जाती है, तो झुक झुक कर चलने लग जाता है, ये वक्त है साहिब इसके आगे कोई नहीं चल पाता है।

वक्त के साथ बदलाव सबमे दिखता है

प्रेरणा एक संभावना

प्रेरणा हमारे जीवन में कितना महतव रखती है ओर यही प्रेरनाए कितनी ही संभावनाओ को को जन्म देती है, ये प्रेरणा एक जीवन संभावना है जिसके द्वारा हमारे जीवन का सुधार होता है।
प्रेरणा एक जीवंत संभावना
जीवन में सुधार की कामना ।
प्रेरणा के द्वार अच्छे बुरे दोनों के लिए खुले
दस्तक दे इसके द्वार अच्छाई के फूल खिले ।

ले प्रेरणा नकारात्मक से सकारात्मक की
या फिर ले वो संदेह से विश्वास की
प्रेरणा ले निराशा से आशा की
प्रेरणा ले अंधेरो से उजाले की
सही प्रेरणा जीवन की मास्टर की।

शिक्षा ही जीवन

शिक्षा ही जीवन का आधार है, शिक्षा से ही होता जीवन का विस्तार है।

भूलों अपने दुखो को न भूलो जो मिली शिक्षा
शिक्षा सच्चा मित्र करेगा सुरक्षा और रक्षा ।
शिक्षा आकाश समान नहीं उसकी सीमा
सब सम्भव ख़ुशियों और तरक़्क़ी का बीमा ।

शिक्षा विस्तार
नये मनुष्य का आधार ।
शिक्षा प्रकाश
शिक्षा ही कैलाश ।
शिक्षा महामार्ग
मिटते अज्ञान के दाग ।
शिक्षा हथियार
सदा लगाते रहे धार ।
शिक्षा मनुष्यत्व
शिक्षा परम तत्व ।
शिक्षा पीड़ानाशक
शिक्षा कुशल शासक ।

जय शिक्षा जय जय शिक्षा, शिक्षा जहाँ मिले उसे स्वीकार mode से स्वीकार करे उसका सदा स्वागत करे उसका सदा आवाहन करे उसे बढ़ने फूलने फलने में सहायक बने दीखिये फिर शिक्षा का आकाश कैसे विस्तृत रूप विराट रूप धरता हे जिसकी भूमि अंतहीन अपरमित हे जय शिक्षा जय जय शिक्षा तेरी सदा ही विजय हो तू हे तो समाज में बदलाव हे शिक्षा जीवन को सुखद और खुशहाल करने में उसका सम्पूर्ण योगदान हे तो खूब खूब शिक्षा का विस्तार हो समाज में उसका प्रभाव दिखे ।

सुंदर आयाम

हर सुबह उठकर अपने विचारों को उत्तम बनाए उन विचारों को बार बार मनन व चिंतन करे आज का शब्द “सुंदर आयाम”

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती,
वृक्ष अपना फल नहीं खाते,
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित ,
नियम प्रकृति का दूसरे के प्रति समर्पित ……
ऐसे ही दयावान व्यक्ति अनायास दूसरो के
हित के लिए होता हर समय आकर्षित ।

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती।
वृक्ष अपना फल नहीं खाते।
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित।

प्रकृति की अनूठी सुंदरता,
मनोहारी नजारों में बिखराती।
नदियाँ अपनी बहुता प्रदर्शित करती,
पर खुद को नहीं उन्हें भरती।

वृक्षों की हरियाली से लबरेज,
फलों की मिठास से नहीं भरेज।
वे धरती के अनुपम उपहार हैं,
जो दूसरों को खुशियाँ देते हैं।

हीरे और जवाहरात की मोहकता,
दूसरों के श्रृंगार में बसता।
ना स्वयं चमकते हैं, ना भूलते हैं,
पर दूसरों की ख़ूबसूरती में खो जाते हैं।

यह अद्भुत प्रकृति का रहस्य है,
सदैव दूसरों को सुशोभित करने का इरादा है।
जो देती है वृक्षों को जीवन,
और नादियों को मार्गदर्शन।

इसीलिए वे सुंदरता का प्रतीक हैं,
जो प्रकृति की महिमा को दिखाते हैं।
हमें सिखाते हैं समर्पण और निस्वार्थता,
क्योंकि खुद को भूल जाना ही सुंदरता है।

यह भी पढे: प्रकृति का सौन्दर्य, प्रकृति को शीघ्रता नहीं, प्रकृति का नियम,

अकारण प्रश्नता

अकारण प्रश्नता हो जाए व्यवहार….
यही सच्चा जीवन का शृंगार ।
बॉट दे उसे कर दे यह व्यापार…..
करो सब को जो जैसा हे स्वीकार ।

माँग और पूर्ति का खेला चल रहा….
खेल रहे हे सब सब होके बेपरवाह। ।
समय आधार सब हो गाएगा मिट्टी……
अकारण प्रसन्नता हे तेरी मुट्ठी ।