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लोन से छुटकारा पाए

लोन से कैसे छुटकारा पाए ? आसान और प्रभावी उपाय लोन चुकाना जरूरी है, इसके लिए सही रणनीति बनाए।

आजकल लोन लेना आम बात हो गई है, चाहे वह होम लोन हो, कार लोन हो या फिर पर्सनल लोन। लेकिन कई बार लोन का बोझ बढ़ जाता है और इसे चुकाना मुश्किल लगने लगता है। यदि आप लोन से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इन आसान और प्रभावी उपायों को अपनाएं। और लोन से छुटकारा पाए , लोन हमे मानसिक तनाव भी देता है जब आप समय पर अपनी ईएमआई नहीं देते, इसलिए लोन से छुटकारा पाने के लिए आपको नीचे दिए कुछ सुझावों पर कार्य करना चाहिए।

1. एक ठोस बजट बनाएं

लोन चुकाने के लिए सबसे पहला कदम है अपने खर्चों और आय का सही विश्लेषण करना। एक विस्तृत बजट बनाएं और अनावश्यक खर्चों में कटौती करें। इससे आप अतिरिक्त राशि बचाकर लोन जल्दी चुका सकते हैं।

2. उच्च ब्याज दर वाले लोन को पहले चुकाएं

यदि आपके पास एक से अधिक लोन हैं, तो सबसे पहले उस लोन को चुकाएं जिस पर ब्याज दर सबसे ज्यादा है। इससे आपको कुल ब्याज राशि पर बचत होगी और आपका वित्तीय दबाव कम होगा।

3. अतिरिक्त आमदनी के स्रोत बनाएं

अगर संभव हो, तो अतिरिक्त आमदनी के स्रोत खोजें, जैसे कि फ्रीलांसिंग, पार्ट-टाइम जॉब या कोई छोटा व्यवसाय। इससे मिलने वाली अतिरिक्त आय को लोन चुकाने में लगाएं।

4. ईएमआई बढ़ाने पर विचार करें

अगर आपकी आर्थिक स्थिति अनुमति देती है, तो आप अपनी मासिक ईएमआई को बढ़ाकर लोन जल्दी खत्म कर सकते हैं। इससे ब्याज पर खर्च होने वाली राशि कम होगी।

5. बोनस या अतिरिक्त धन का सही उपयोग करें

अगर आपको बोनस, टैक्स रिफंड या कोई अन्य अतिरिक्त धनराशि मिलती है, तो उसे लोन की अदायगी में लगाएं। यह आपकी लोन चुकाने की गति को तेज कर सकता है।

6. लोन कंसॉलिडेशन का विकल्प चुनें

यदि आप कई लोन चुका रहे हैं, तो लोन कंसॉलिडेशन का विकल्प चुन सकते हैं। इसमें सभी लोन को एक ही लोन में बदलकर कम ब्याज दर पर भुगतान किया जाता है, जिससे मासिक बोझ कम हो सकता है। और लोन से छुटकारा पाए

7. समय पर भुगतान करें

लोन की ईएमआई समय पर चुकाना बहुत महत्वपूर्ण है। देर से भुगतान करने पर न केवल जुर्माना लगता है, बल्कि क्रेडिट स्कोर भी खराब होता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।

8. अनावश्यक खर्चों में कटौती करें

महंगी चीजें खरीदने से बचें और जरूरत से ज्यादा खर्च करने की आदत को बदलें। छोटे-छोटे खर्चों पर नियंत्रण करने से आप अच्छी खासी रकम बचा सकते हैं, जिसे लोन चुकाने में लगाया जा सकता है।

9. लोन फोरक्लोज़र के बारे में जानें

अगर आपको कोई बड़ी रकम मिलती है और बैंक अनुमति देता है, तो लोन फोरक्लोज़र का विकल्प चुनें। इससे आप अपना लोन समय से पहले चुका सकते हैं और ब्याज पर बचत कर सकते हैं।

10. वित्तीय सलाहकार से सलाह लें

अगर आपको लोन चुकाने में परेशानी हो रही है, तो किसी वित्तीय विशेषज्ञ से सलाह लें। वे आपको आपके बजट और वित्तीय स्थिति के अनुसार बेहतर समाधान सुझा सकते हैं। और लोन से छुटकारा पाए

निष्कर्ष

लोन से जल्दी छुटकारा पाना आसान नहीं है, लेकिन सही योजना और अनुशासन के साथ यह संभव है। अपनी वित्तीय स्थिति को समझें, अनावश्यक खर्चों में कटौती करें और अपनी बचत को सही तरीके से प्रबंधित करें। इन उपायों को अपनाकर आप जल्द ही अपने कर्ज से मुक्त हो सकते हैं और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर बढ़ सकते हैं।

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महात्मा गांधी


महात्मा गांधी के विचार और उनके जीवन से सीखने योग्य बातें


महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से “बापू” कहा जाता है, केवल भारत की स्वतंत्रता के नायक ही नहीं थे, बल्कि वे पूरी दुनिया के लिए सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रतीक भी थे। उनके विचार न केवल समाज सुधार के लिए बल्कि हमारे व्यक्तिगत जीवन को भी संवारने के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। आइए जानते हैं गांधी जी के कुछ महत्वपूर्ण विचार और जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।


1. सत्य और ईमानदारी का मार्ग अपनाएं

गांधी जी का सबसे बड़ा सिद्धांत था “सत्य”। वे मानते थे कि सत्य की राह कठिन हो सकती है, लेकिन अंततः जीत सत्य की ही होती है। हमारे दैनिक जीवन में भी हमें सच्चाई का दामन नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

🡆 अपनाने योग्य बात: हमेशा सच बोलें और अपने कार्यों में ईमानदारी बनाए रखें।


2. अहिंसा को जीवन का आधार बनाएं

गांधी जी ने दुनिया को सिखाया कि बिना किसी हिंसा के भी क्रांति लाई जा सकती है। वे हर परिस्थिति में अहिंसा के मार्ग पर चले और इसे अपने जीवन का मूल मंत्र बनाया।

🡆 अपनाने योग्य बात: क्रोध, द्वेष और हिंसा से बचें। समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने की कोशिश करें।


3. सरल जीवन, उच्च विचार

गांधी जी का जीवन अत्यंत सादा था। वे विलासिता से दूर रहकर जरूरत भर की चीजों में संतोष रखते थे। उनका मानना था कि हमें अपने विचारों को ऊँचा रखना चाहिए, न कि अपने रहन-सहन को।

🡆 अपनाने योग्य बात: फिजूलखर्ची से बचें, जीवन में अनावश्यक दिखावे के बजाय ज्ञान और नैतिकता को प्राथमिकता दें।


4. स्वच्छता अपनाएं

गांधी जी स्वच्छता को केवल बाहरी सफाई तक सीमित नहीं रखते थे, बल्कि वे मानसिक और आत्मिक स्वच्छता को भी महत्वपूर्ण मानते थे। उनका मानना था कि स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।

🡆 अपनाने योग्य बात: अपने घर, मोहल्ले और आसपास सफाई रखें। न केवल शरीर बल्कि मन और विचारों को भी स्वच्छ बनाए रखें।


5. क्षमा और सहनशीलता का अभ्यास करें

गांधी जी मानते थे कि किसी को माफ करना कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत होती है। उन्होंने अपने जीवन में कई बार अपने विरोधियों को क्षमा किया और उनके प्रति सहनशीलता दिखाई।

🡆 अपनाने योग्य बात: दूसरों की गलतियों को माफ करना सीखें और नकारात्मक भावनाओं को खुद पर हावी न होने दें।


6. स्वदेशी अपनाएं और आत्मनिर्भर बनें

गांधी जी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की थी। वे मानते थे कि हमें दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद अपने संसाधनों पर भरोसा करना चाहिए।

🡆 अपनाने योग्य बात: भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें, अपनी योग्यता को बढ़ाएं और आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें।


7. धर्म और जात-पात से ऊपर उठें

गांधी जी हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करते थे। वे मानते थे कि सच्चा धर्म मानवता है और किसी भी इंसान को उसके धर्म या जाति के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।

🡆 अपनाने योग्य बात: सभी धर्मों का सम्मान करें, सभी इंसानों को बराबर समझें और किसी के प्रति भेदभाव न करें।


निष्कर्ष

महात्मा गांधी के विचार केवल किताबों तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि हमें उन्हें अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। यदि हम सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, सहनशीलता और स्वच्छता जैसे मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें, तो न केवल हमारा जीवन बेहतर बनेगा, बल्कि समाज भी एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा।

🚀 आइए, गांधी जी के विचारों को आत्मसात करें और एक बेहतर इंसान बनें!


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प्रेरणादायक किताब

Who Moved My Cheese? – “Who Moved My Cheese?” एक छोटी लेकिन प्रेरणादायक किताब है, जो बदलाव (change) को अपनाने और उसे सफलतापूर्वक संभालने की सीख देती है। यह कहानी एक काल्पनिक भूलभुलैया (maze) में रहने वाले चार किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो “Cheese” (सफलता, खुशी, अवसर) की तलाश में हैं। इस किताब की सहायता से आपको जीवन के प्रति प्रेरणा मिलती है, जिससे आप अपने जीवन की दिशा को बदलने का प्रयास करते है।

इसलिए आपको हू मूव्ड़ माय चीस जैसी प्रेरणादायक किताब पढ़ते रहना चाहिए

लेखक: डॉ. स्पेंसर जॉनसन
शैली: सेल्फ-हेल्प, मोटिवेशन
प्रकाशन वर्ष: 1998


कहानी का सारांश

📍 चार मुख्य किरदार:

  1. स्निफ़ (Sniff) – जो पहले ही बदलाव को सूंघ लेता है।
  2. स्करी (Scurry) – जो तुरंत एक्शन लेता है।
  3. हेम (Hem) – जो बदलाव से डरता है और उसे स्वीकार नहीं करता।
  4. हॉ (Haw) – जो बदलाव से डरता है, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपनाना सीखता है।

ये सभी एक भूलभुलैया में रहते हैं और “Cheese” की तलाश करते हैं, जो सफलता, नौकरी, रिलेशनशिप, पैसा, खुशी या जीवन के लक्ष्य को दर्शाता है।

📌 कहानी की शुरुआत:

चारों किरदार हर दिन भूलभुलैया में जाकर Cheese Station C से चीज़ (सफलता) प्राप्त करते थे। लेकिन एक दिन वहां का सारा Cheese खत्म हो जाता है

  • Sniff और Scurry तुरंत नई चीज़ की तलाश में निकल जाते हैं और अंततः Cheese Station N में ढेर सारा नया Cheese ढूंढ लेते हैं।
  • Hem और Haw बदलाव से डरते हैं और सोचते हैं कि कोई उनके लिए Cheese वापस लाएगा। वे यहीं रुके रहते हैं और शिकायत करते हैं।

📌 संघर्ष और बदलाव:

  • धीरे-धीरे Haw को समझ आता है कि अगर वह कुछ नहीं करेगा, तो वह भूखा रह जाएगा।
  • वह हिम्मत जुटाकर भूलभुलैया में नई चीज़ की तलाश करता है।
  • रास्ते में उसे कई मुश्किलें आती हैं, लेकिन वह सीखता जाता है कि “बदलाव से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए”।
  • अंततः Haw भी Cheese Station N तक पहुँच जाता है और Sniff और Scurry के साथ खुशी से रहने लगता है।

Hem क्या करता है? – कहानी में यह नहीं बताया गया कि वह बदलाव अपनाता है या नहीं। यह इस बात को दर्शाता है कि कुछ लोग कभी बदलाव को स्वीकार नहीं करते।

who moved my cheese एक प्रेरणादायक किताब
ek prernadayak kitaab

मुख्य सीख (Life Lessons from the Book)

✅ 1. बदलाव हमेशा होता रहेगा:

  • जीवन में बदलाव अपरिहार्य है, इसलिए हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए।

✅ 2. बदलाव को जल्दी स्वीकार करें:

  • जितनी जल्दी हम बदलाव को अपनाते हैं, उतना ही जल्दी हमें नई संभावनाएं मिलती हैं।

✅ 3. डर को छोड़ो और नई चीजें एक्सप्लोर करो:

  • हमें अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आकर नई संभावनाओं की तलाश करनी चाहिए।

✅ 4. बीते हुए पर पछताने से अच्छा है आगे बढ़ना:

  • पुरानी असफलताओं या नुकसान के बारे में सोचते रहने से बेहतर है नए मौके तलाशना

✅ 5. खुद बदलाव का हिस्सा बनो:

  • बदलाव को रोकने की बजाय, खुद उसे लाने की कोशिश करें।

निष्कर्ष:

“Who Moved My Cheese?” हमें सिखाती है कि परिस्थितियां हमेशा बदलती रहेंगी और हमें बदलाव के साथ खुद को ढालना सीखना होगा। अगर हम डर छोड़कर आगे बढ़ने का साहस दिखाते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलेगी😊🚀


क्या आपको यह किताब पढ़नी चाहिए?

अगर आप बदलाव से डरते हैं, नई चीजें अपनाने में झिझकते हैं या किसी असफलता से बाहर निकलना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए एक बेहतरीन प्रेरणादायक किताब हो सकती है। 📖✨

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सपनों को पूरा करे

धीरे धीरे उन सपनों को पूरा करे जिनको कही छोड़ दिया था, जिनको हम भूल गए थे, जिम्मेदारी के बोझ तले वो सपने जो पीछे रह गए, जिन सपनों को हमने कुचल दिया था, जिन सपनों को अब हम याद भी नहीं करते, जो समय के साथ साथ धुंधले हो गए थे, फिर से उनही सपनों को चिंगारी देते है और सुलगाते है आग भीतर की उन सपनों के लिए जो अधूरे रह गए थे।

उनही सपनों को फिर से पूरा करने की कोशिश हम करते है, उनही सपनों को फिर से हकीकत हम बनाते है।

हममे से बहुत सारे लोगों के ऐसे सपने होते है जिनको हम अपने घर की जिम्मेदारी के कारण पूरा ही नहीं कर पाते, या फिर हमारे सपने अधूरे रह जाते है, जिनके लिए हम कोशिश तो बहुत करते है, लेकिन उन्मे कुछ न कुछ कमी रह जाती है।

वो क्या कमी थी जिसकी वजह से वो सपने, वो ख्वाब हकीकत ही नहीं बन पाते है।

पैसों की कमी: बहुत सारे ऐसे सपने होते है जो पैसों की कमी के कारण हकीकत में नहीं बदल पाते।

अड़चने: बहुत सारी ऐसी अड़चने आती है जिंदगी में जिन्हे हम समझ ही नहीं पाते, जिनकी वजह से भी हमारे सपने अधूरे रह जाते है।

जिम्मेदारी: हमारे कंधों पर घर परिवार की जिम्मेदारी भी होती है, जिनकी वजह से भी हम अपने सपनों से दूर हो जाते है।

हम इसी उलझन में फंस जाते है और हमारे सपने कही पीछे और बहुत दूर छूट जाते है जिनको हम पूरा नहीं कर पाते, बल्कि उन सपनों के बारे में हम भूल भी जाते है जो सपने हमने अपने बहपन और जवानी के दिनों में देखे थे, जो हम पूरे नहीं कर पाए और शायद उन सपनों के लिए हमने फिर पलट कर भी नहीं देखा।

आओ फिर से उन सपनों को पूरा करे जिन्हे हमने पीछे छोड़ दिया है।

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Ham Sochte Hai

ham sochte hai kya hai aur kya ho jata hai, is baat ka hame bhi nahi pta chalta, sab kuch hamare chahne se bhi nahi milta aur bahut kuch bin chahe hi mil jata hai……….

hamare sochne aur karne mei bahut fark hota hai isliye bahut saare kaam adhure reh jaate hai, hamesha dimaag do taraf sochta hai aur alag chizo mei dimaag lgaata hai jiski wajah se bhi ham jo haasil karna chahte hai vo haasil nahi kar paate, kai baar hamara dimaag negative hota hai toh kai baar positive jab ham negative hote hai toh usme hamare emotion hamare control mei nahi hote un emotion ki wajah se bhi hamari bahut saari chize poori nahi ho paati

kabhi kabhi hame kuch , sirf thoda saa hi paane ke liye bahut mehnat karni padti hai aur kabhi kabhi chize bahut aasani se mil jaati hai, jo chize aasani se mil jaati hai unki kadr bhi nahi karte ham aur jo bahut mehnat ke baad milti hai uska ek alag hi maza hota hai, usko sambhal kar rakhne ka mann karta hai, usko khona nahi chahte ham, use ham zindagi bhar sambhal kar rakhne ki koshish karte hai, isiko fark kehte hai jo mehnat se milta hai aur jo bina mehnat kiye hi mil jaata hai.

bahut baar yahi hota hai hamare jivan mei ki ham karna toh bahut kuch chahte hai lekin kar nahi paate, kuch hamare vichar aur karya mei sahi taalmel nahi hota, jiski wajah se bhi ham apne karyo mei safal nahi ho paate,

Aesa kyu hota hai lekin: jab bhi ham kisi chiz ke baare mei sochte hai par vo chiz hame nahi milti aesaa kyo? kya us vastu par hamne sahi se dhyan kendrit nahi kiya? ya hamari iccha hi kamjor hai jiske kaaran ham jo chahte hai vo poora nahi ho paata

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धर्म की राजनीति

धर्म की राजनीति इस समय जोरों पर चल रही है, एक समय था जब हम देख रहे थे की जात पात की राजनीति चलती थी लेकिन अब कुछ लोग धर्म की राजनीति पर आ चुके है। यह लोग सिर्फ नफरत की आग ही फैला रहे है, इसमे कोई नई सीख नहीं दे रहे , न ये प्यार , भाई चारा सीखने की कोशिश करते है।

नफरत फैलाना का काम तो हर कोई कर रहा है जरा गुरुद्वारे में जाकर देखो वो तो मालिक की सेवा कर रहा है, उसे नया तुम्हारे धर्म से मतलब है और ना ही तुम्हारे त्योहार से कोई आपत्ति वो बस अपना काम कर रहा है।

लेकिन तुम क्या कर रहे हो? नफरत के बीज दिलों में बो रहे हो, वह बीज तो सिर्फ नफरत का पेड़ ही बड़ा करेंगे।

आज रविवार के दिन मैं अपने दोस्त के साथ बांग्ला साहिब गुरुद्वारे गया, काफी समय के बाद गया था मैं गुरुद्वारे आज मैंने कुछ बाते सीखी जो आप सभी के साथ मैं सांझा करता हूँ।

1. जूतों को रखने की सेवा यह बांग्ला साहिब गुरुद्वारे मैं काफी लंबे समय से हो रही है, यह कुछ मंदिरों में होती है लेकिन सभी मंदिरों में नहीं होती जिस दुकान से हम प्रशाद लेते है उसी की दुकान पर अपने जूते व चप्पल रख देते है, या कोई और रखने का स्थान होता है तो वहाँ सेवा के बदले लोग पैसे ले लेते है या लोग दे देते है जो नहीं होना चाहिए।

2. बांग्ला साहिब गुरुद्वारे में फोन का इस्तेमाल निषेध है यह सभी मंदिरों में भी कर देना चाहिए और कैमरा व मोबाईल सिर्फ और सिर्फ मंदिर द्वारा ही लगाया जाए, जिससे की कुछ देर के लिए आप अपने फोन व अन्य कार्यों से स्वत ही दूर हो जाए।

3. सेवा भावना को बढ़ावा देना: बांग्ला साहिब गुरुद्वारे में जिस स्थान पर सरोवर था वहाँ अब गरीबों के लिए इलाज की व्यवस्था की जाएगी, अब वहाँ diognoistic सेंटर होगा, जिसके कार्य के लिए कोई मजदूर या किसी बुलिडेर को कान्ट्रैक्ट नहीं दिया गया, इस स्थान पर सभी लोग अपनी सेवा देकर कार्य को पूरा कर रहे है।

यदि हम मंदिरों की और देखे तो हम सभी चन्दा लेने के लिए बाहर निकल जाते है, और एक पत्थर भी उठा कर सेवा नहीं देना चाहते उल्टा ही सरकार और मंदिर परिसर को कोसना शुरू कर देते है की आने जाने में मुसीबत कर दी, इनकी वजह से परेशानी हो रही है ऐसी ऐसी बाते हम सुनते है।

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अचारी बा

“अचारी बा” एक हिन्दी फिल्म है जिसे सभी वर्ग के लोग देख सकते है, यह एक पारिवारिक फिल्म है, इस फिल्म में अचार का मूल्य उन पारिवारिक रिश्तों के तौर पर दर्शाया गया है, जो कुछ खट्टे , कुछ मीठे, कुछ तीखे है।

नीना गुप्ता, वत्सल सेठ, कबीर बेदी, मनासी रच आदि।
फ़िल्म की लम्बाई: 1 घंटा 38 मिनट
कहाँ देखे: जिओ हॉटस्टार
निर्देशक: हार्दिक गज्जर

किरदार का चुनाव: किरदारों का अच्छा चुनाव फिल्म को ओर भी बेहतर बना देता है फिर यह बात दर्शकों को पता होती है की इस फिल्म को देखने समय की हानी नहीं होगी, कुछ अच्छा व बेहतर ही मिलेगा।

और जिस फिल्म में नीना गुप्ता हो उसका फिल्म का रंग और रूप अलग हो ही जाता है, गुजराती स्टाइल में नीना गुप्ता की कॉमेडी बहुत ही अच्छी है, नीना गुप्ता एक 65 वर्ष की महिला की भूमिका निभाती है, जिनके पति का बहुत पहले ही निधन हो गया था और वह एक आचार का व्यापार करती है, जिनका बेटा केतन ( वत्सल सेठ ) जिसकी परवरिश व बहुत अच्छे से करती है।

इस फिल्म में केतन अपनी माँ को छोड़कर मुंबई रहने लग जाता है, और कई सालों बाद अपनी माँ को याद कर मुंबई बुलाता है, वही जयेशनी ( नीना गुप्ता ) की कहानी एक नया मोड लाती है, उन्हे समझ आने लगता है की उनके बेटे ने उसको किसलिए बुलाया था, कहानी और अच्छी होने लगता है, जयेशनी और केतन के डॉग जिसका नाम जेनी होता है उससे गहरी दोस्ती हो जाती है। अब डॉग का नाम जेनी क्यू रखा यह भी आप फिल्म देखकर ही जानिए सारी कहानी यदि मैं आपको बता दूंगा तो फिल्म का मज़ा कैसे आएगा।

आप “अचारी बा” फिल्म देखिए जिओहोत्सतर पर यह फिल्म सिर्फ 1 घंटे 38 मिनट की है और पूरी फॅमिली के साथ यह फिल्म आपको अच्छी लगेगी, क्युकी आजकल सभी फिल्म परिवार सहित नहीं देखी जा सकती लेकिन यह फिल्म आप पूरे परिवार संग देखते सकते है इसमे हसी मजाक , और भरपूर प्यार व रिश्ता बिल्कुल आचार की माफिक है, और फिल्म देखने के बाद कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताए की फिल्म आपको कैसी लगी।

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होली कब है

होली कब है, कब है होली , कब – कब-कब, इस बार होली का त्योहार 2025, 14 मार्च को आ रहा है, हर साल की तरह इस साल भी होली का त्योहार बहुत रंगारंग होगा, यह गीले शिकवे भुलाने का दिन है, आपस में भाईचारा बढ़ाने का दिन है।

संग बैठ खुशिया मनाने का दिन है, पुरानी उन बातों को धो देने का दिन है जिनसे दिलों में दूरिया बढ़ गई थी, होली हम सभी के लिए नजदीकिया बढ़ाने का दिन है।

2025 में होली का त्योहार शुक्रवार के दिन आ रहा है, इससे पहले भी कई बार होली शुक्रवार के दिन आई होगी, लेकिन पहले कभी इतनी बहस नहीं हुई थी, यह मुस्लिम समाज के लिए जुम्मे का दिन है, जुम्मे के दिन मुस्लिम समाज ज्यादा संख्या में बाहर निकलता है नवाज अदा करने के लिए जिसकी वजह से सड़कों पर काफी भीड़ होती है, मुस्लिम समाज रंगों से परहेज करता है वह होली का त्योहार नहीं मनाते जिसकी वजह उन्हे कुछ आपत्ति होती है।

लेकिन हिन्दू धर्म में होली का त्योहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है, और रंगों से खेलने की प्रथा तो देवी देवतायो से चलती आ रही है।

यह कोई मुद्दा नहीं था जिसे मुद्दा बनाया जा रहा है, क्युकी पहले भी जुम्मे वाले दिन होली आई होगी लेकिन किसी को कोई आपत्ति नहीं आई फिर इस बार क्यू, क्या ये मीडिया कुछ शब्दों का ट्रेंड में, या सोशल मीडिया मेडिया पर ऐसे शब्दों को जबरदस्ती ट्रेंड में लाना ही है।

यदि आप होली के दिन किसी एरिया में देखेंगे तो मीट की बिक्री अधिक होती है ओर यह कारोबार ज्यादातर मुस्लिम लोग ही करते है, अब क्या वो होली वाले दिन मीट की दुकान बंद करंगे या अपने काम को करंगे, और एस बिल्कुल नहीं है की उनके ऊपर होली का रंग नहीं गिरता, यदि जुम्मे वाले दिन होली नहीं होती तब भी उनके ऊपर रंग ओर पानी दोनों ही गिरते जब वो लोग ऐतराज नहीं करते तो यह भड़काऊ लोग कौन है जो सोशल मीडिया में आकार हाल मचा रहे है।

कौन है ये लोग जो टीवी पर आकार गलत बयान दे रहे है, सभी को तकलीफ नहीं होती बस कुछ ही लोग है जिनको जिनको तकलीफ होती है और उनही लोगों की वजह से दरार पड़ जाती है, और दो धर्मों के बीच मतभेद पैदा होता है।

हम सभी साथ रहना चाहते है लेकिन कुछ असामाजिक तत्व ही है जो आपसी मतभेद पैदा कर रहे है।

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छोले भटूरे

छोले भटूरे दिल्ली वालों की सबसे पसंदीदा चीज है, जिस वो सुबह नासते में खाना पसंद करते है, और दिन में खाते है, यह सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग ही खाते है ऐसा भी नहीं है, लेकिन हाँ शाकाहारी लोगों की यह पहली पसंद है।

मैंने दिल्ली में बहुत सारी जगह भटूरे खाए है जैसे राधे श्याम, सीता राम, ॐ भटूरे , गोपाल और भी बहुत सारे बीकानेर , हल्दीराम इनके साथ साथ रेहड़ी ओर पटरी पर भी अलग अलग जगह छोले भटूरे का स्वाद लिया है।

लेकिन आज तक मैंने उस जगह कभी भटूरे नहीं खाए जहां नॉन वेज भी मिलता हो, हालांकि मैंने कभी देखा भी नहीं था की जहां शाम को चिकन बनता हो ओर सुबह छोले भटूरे बनते हो, ऐसी जगह पर मैं तो खाना बिल्कुल पसंद नहीं करता जहां पर चिकन भी ओर वही छोले भटूरे मिले।

ऐसे ही हमारे इधर पिशोरी चिकन वाला है जो सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक भटूरे बेचता है ओर सके बाद वही चिकन बेचने लग जाता है, यह देखकर भी बहुत अजीब लगता है, जो लोग शुद्ध शाकाहारी होंगे, ओर जिनको नहीं पता की यह आदमी शाम को चिकन बेचता है ओर दिन में छोले भटूरे तो उन लोगों के साथ तो यह व्यक्ति एक तरह से धोखा ही कर रहा है, क्युकी ज्यादातर लोग वही उसके पास खा रहे है जो उस रास्ते से निकल रहे है।

क्या यह सही है इसका मैं एक और उदाहरण देता हूँ जब आप किसी नॉर्मल परचून की दुकान से दूध ओर दही लेने जाते है तो क्या वो व्यक्ति अंडे भी बेचता है?

क्या आपके घर में कान्हा जी सेवा होती है और आप दूध दही का भोग लगाते है, क्या आपका दूध और दही सही जगह से आ रहा है?

कृष्ण जन्माष्टमी, शिवरात्री, नवरात्र और भी कई त्योहार जिनमे दूध और दही का अधिक महाताव होता है, हम सभी उन परचून वालो से सामान लेते है या अनलाइन मंगाया लेते है जहां पर इन चीजों को अलग नहीं रखते और वही हम भोग व अपने खाने पीने के सामान में शामिल कर लेते है।

क्या यह उचित है? क्या हमे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, हम क्या खा रहे है और हमारा सामान कहाँ से आ रहा है इस बात का हमे बहुत ध्यान रखना चाहिए।

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असफलता को स्वीकार

असफलता को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, जब आप किसी चीज के लिए जी जान से मेहनत करते हो ओर उसको पाना चाहते है, लेकिन उसको हासिल करने में आप सफल नहीं हो पाते तब आप बहुत टूट जाते है, उसके बाद आपको कोई और रास्ता भी नहीं दिखता, अब उस रास्ते से वापस आना मुश्किल हो जाता है।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह से हो रहा है, मैं अपनी असफलता को पचा नहीं पा रहा हूँ, और अब मैं काफी पीछे हो चुका हूँ, मेरे सभी रास्ते लगभग बंद हो चुके है। अब वो रास्ते कैसे खुलेंगे यही सोचना है, लेकिन अब सोचने का नहीं करने का वक्त है, और वो भी बहुत कम समय में क्युकी अब खर्चे के लिए पैसे चाहिए जो मेरे पास बिल्कुल भी नहीं है।

कैसे सबकुछ होगा और कैसे मैं कर पाऊँगा मुझे इसी बात की चिंता हो रही है।

क्या अब मैं नौकरी की तरफ रुख करू या कुछ और करू मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा है, क्योंकि बिजनस करने के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं बचे, बात सिर्फ अब बिजनस की नहीं है मेरे पास अपने घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं बचे, मैंने अपने सारे क्रेडिट कार्ड , सैविंग, ओर जो भी कुछ भी था वो सब खत्म हो गया है। इसलिए बिजनस भी कुछ नहीं कर सकता अब सिर्फ नौकरी ही एकमात्र रास्ता दिख रहा है, लेकिन नौकरी भी मुझे कौन देगा जब मेरे पास कोई अनुभव नहीं है।

मैंने पिछले साल मई में अपनी किताबों की दुकान को छोड़ा था, की अब मैं फूल टाइम ब्लॉगिंग करूंगा, और मैंने यह फैसला लिया था की अब मैं सिर्फ लिखूँगा इसके अलावा कुछ और नहीं करूंगा, मैंने शुरुआत भी अच्छी करी ओर मैं लगातार लिख रहा था, लेकिन परिणाम मेरे अनुसार नहीं आ रहे थे, धीरे धीरे समय बीत रहा था जिसकी वजह से मुझे अपने ऊपर ही शक होने लग गया था, की मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा हूँ, इसलिए मैं स्वयं को जाचता रहता था।

लेकिन 8 महीने बीत गए कोई प्रोग्रेस नहीं दिखी, और अब घर में कुछ परेशानी भी आने लगी जैसे की भाई को मेडिकल प्रॉब्लेम की वजह से समय और ध्यान सारा उधर ही केंद्रित हो गया, जिसके चलते अब मैं अपने कार्य पर फोकस नहीं कर पा रहा था।

यही सब सोच कर मन में घबराहट हो रही है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी, लेकिन कुछ भी पहली बार ही होता है, जब इसमे मैं फंसा हूँ तो निकलूँगा भी बस यही एक सकारात्मक सोच मेरे मन में चलती है।

कुछ न कुछ तो कर ही लुँगा ऐसा मेरा विश्वास है, इसलिए अभी तक मैं इंतजार कर रहा था, लेकिन वो इंतजार अब खत्म हुआ कुछ किया जाए वो वक्त शुरू हो चुका है, क्या करू ओर क्या नहीं यह बात अभी तक नहीं समझ आ रही है मुझे इसलिए अब मैं बिल्कुल रुक चुका हूँ।

असफलता को स्वीकार मैं कर चुका हूँ लेकिन अब ऐसा लगता है काफी देर हो गई है, फिर से वापस मुझे उसी ओर लौटना होगा , जो मैं छोड़कर आया था ओर फिर कुछ करना होगा।

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