Date Archives May 2023

अच्छे रिश्ते

अच्छे रिश्तों में कोई शर्त नहीं होती वह अच्छे रिश्ते ओर बेहतर हो जाते है जिनमे विश्वास की अटूट डोर है, हर मुश्किल की घड़ी को विस्वास की नीव पर ओर मजबूत होते है रिश्ते

अच्छे रिश्तों में नहीं कोई शर्त.
विश्वास ही गहना उसका अर्थ
दो खूबसूरत दिलो की जोड़ी
बढ़ जाती ख़ुशियाँ चाहे होती थोड़ी ।

रिश्ता एकम रिश्ता
रिश्ता दूए साथ
रिश्ता तिये सोच
रिश्ता चोके सच्चाई
रिश्ता पंजे सम्मान
रिश्ता छक्के संकल्प
रिश्ता सत्ते समझ
रिश्ता अठ्ठे सुंदरता
रिश्ता निम्मे संतुलन
रिश्ता दस्से स्वर्ग ।

बस ओर मेट्रो

बस ओर मेट्रो

एक समय था जब नीली वाली प्राइवेट बस चला करती थी, उसमे बहुत भीड़ होती थी और लोग लटक लटक जाते थे, ज्यादातर लोग गेट पर ही खड़े हो जाते थे, आज जब मेट्रो चलने लगी है तब भी लोगों में वही आदत है लोग गेट पर ही खड़े रहते है, वहाँ से हटते ही नहीं है।

पता नहीं लोगों को क्या लगता है की उन्हे वही खड़ा रहना है, जैसे एकदम से कूदेंगे जैसे ही मेट्रो रुकेगी, चाहे मेट्रो में भीड़ हो या नहीं, लेकिन उन लोगों को तो गेट पर ही खड़ा होना है जैसे सारा आनंद उनको गेट पर ही मिलेगा, किसी को भीतर आने ओर बाहर जाने का रास्ता आसानी से नहीं मिल पाता है, ये लोग ऐसे अढ़ कर खड़े हो जाते है, जैसे की अब जगह नहीं बची है किसी को प्रवेश नहीं होगा।

मेट्रो के तो गेट बंद हो जाते है, इसमे लटक भी नहीं सकते फिर भी यह लोग गेट पर खड़े होते है, पहले जो नीली वाली बसे चलती थी, उन्मे ज़्यादार लोग बस की सीढ़ियों पर ही खड़े रहते थे।

तो मुझे इन गेट पर खड़े होने वाले लोगों को देखकर वही दृश्य याद आता है, जो आजसे 15 साल पहले  होता था, लोग उस समय एक बस के इंतजार में आधे घंटे तक खड़े रहते थे, लेकिन आज इतनी जल्दी होती है, एक मेट्रो का इंतजार वो 2 मिनट नहीं कर पाते पता नहीं कितनी जल्दी है।

अब लोगों को की उनसे इंतजार के 2 मिनट नहीं बीतते दिल्ली मेट्रो के कुछ स्टेशन जैसे राजीव चौक, कश्मीरी गेट, स्टेशन पर तो लोग ऐसे धक्का मुक्की करते है, ओर उसके बाद जैसे की दूसरी कोई मेट्रो तो ही नहीं आएगी इस तरह से वो उसमे धक्का मुक्की करने लग जाते है।

मेट्रो का सफर बहुत आरामदायक हो चुका है, पहले से बेहतर है सब कुछ बेहतर हो रहा है फिर भी इंसान परेशान सा लगता है, इतना आरामदायक जीवन हो चला है, फिर भी कही फंस हुआ लग रहा है ये इंसान..

आज से 10 साल पहले जब रात 9 बजे बस सर्विस नहीं थी या कम थी तब घंटे भर तक एक बस का इंतजार करना पड़ता था ओर वो भी बिल्कुल भरी हुई आती थी, लेकिन आज के समय में लगातार बस भी है ओर मेट्रो भी हर 2 मिनट बाद मेट्रो आ जाती है रात 11 बजे तक तो मेट्रो चलती है, कुछ स्टेशन के लिए 12 बजे तक की भी सर्विस है फिर भी लोग बेचैन हो जाते है।

समय के साथ सबकुछ बेहतर हो रहा है, लेकिन क्या इंसान बेहतर हो पा रहा है इंसान उसी तरह से, उसी सोच के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा है उसमे कोई बदलाव नहीं दिख रहा है!

नाम था उस शहर का

मेरी कविता का शीर्षक है “नाम था उस शहर का”

चल दिए वो जिस शहर की ओर नाम था उस शहर का कुछ और , बस वो अपनी मस्ती में हो रहे थे धुन सवार कही कोई न कह दे , कुछ उनसे के वापस चलो फिर उसी ओर

चल दिए बस ना जाने कही, इस तरह छोड़ कर अकेले मुझे,
जीवन की इस भीड़ में छूट गए आप, मेरे दिल के साथ तुम्हारी याद भी गयी।

आज तक नहीं भूल सकता, वह दिन जब हम साथ थे,
खुशियों से भरी हर पल था, हम दोनों के लिए तय।

पर अब आप चले गए, चले गए मेरी जिंदगी से दूर,
मेरे दिल में आपकी यादें बसी हैं, जो हमेशा मेरे साथ हैं और रहेंगी।

चल दिए बस ना जाने कही, ये बात हमें हमेशा सताती है,
पर मैं जानता हूँ कि कहीं ना कहीं आप भी मेरे साथ हो,
क्योंकि हमारी यादों को कोई दूर नहीं कर सकता।

चल दिए बस ना जाने कही, लेकिन आपकी यादें हमेशा हमसे होंगी,
जब भी तन्हाई के लम्हे होंगे, तो आपकी यादें हमेशा हमारे साथ होंगी।

चल दिए बस ना जाने कही, ये बात हमेशा दर्द देती है,
पर मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरे साथ होंगे,
क्योंकि हमारी यादों को कोई दूर नहीं कर सकता।

चल दिए वो जिस शहर की ओर नाम था उस शहर का कुछ और , बस वो अपनी मस्ती में हो रहे थे धुन सवार कही कोई न कह दे ,

दुख अतीत की बाते

दुख अतीत की बाते सोचने पर ही होता है इसलिए हमे अपने अतीत की बातों भूल जाना चाहिए ओर स्वयं को वर्तमान के विचार पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए,

दुःख की नज़र होती पीछे अतीत में…
अत्तीत में रहने से वर्तमान में नुक़सान हमे ।
व्यक्ति दुखी और ख़राब कर रहा वर्तमान..
दुखो से बोझिल चलता फिरता शमशान ।

जगाये विश्वास कि सब कुछ होगा सही…
विश्वास का बल अंधेरों की चढ़ा देगा बलि ।
विश्वास में निहित सुंदर भविष्य की कामना…
पूरे होंगे सारे सपने पूरी होगी सब मनोकामना।

जीवन प्रयोग के तीन

जीवन प्रयोग के ऐसे तीन ज जो है, बहुत मजबूत नहीं होने दे कमजोर , जज़्बातों पर नियंत्रण रहता है बहुत जब मन हो जाता है मजबूत सारी समस्या भी हल हो जाती है,

जीवन प्रयोग के तीन ज हो मज़बूत….
जज़्बात, जेब और खूब मज़बूत हो जूत ।
जज़्बात
जज्बात हो नियंत्रित
जब मज़बूत मन तब होती संचालित ।
जेब
जेब हो मज़बूत भारी भरी गहरी ….
भरी समस्याओं की फूट जाएगी गगरी ।
जूता
पहने जूते से होती व्यक्ति की पहचान……
मिलता उसको उसी हिसाब से सम्मान ।

जज़्बात जेब और जूता…..
इन तीनो का कस के पकड़े खूटा ।
हम सब संघर्षों से निपटते हुए, सफलता की ओर अग्रसर बढ़ते हैं।

फितरत बदलना

फितरत बदलना आसान नहीं है , किसी की फ़ितरत नहीं बदल सकते दोस्तों जब भी भैस पुछ उठाएगी तो गोबर करेगी गोबर क्या समझे, न उलझें, सिर्फ़ और सिर्फ़ समझे, अब बात गोबर की उससे उपले बनते हे बेहतरीन खाद बनती हे गोबर गैस का प्लांट चलता हे और पहले गोबर से घर में लेप लगाते थे, दीवारो पे लगाते थे गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म का अहसास होता था।

और अब तो न जाने क्या क्या समान बनाया जा रहा है, गोबर से कागज मूर्तियाँ लिफ़ाफ़े न जाने अनगिनत समान बना रहे हे, लेकिन बदबू में अटक गये तो वहाँ भी फसे रहने की संभावना हे।

तो कृपा करके शुरुआत में न जाये पूरा भाव पढ़े फिर आगे की बात करे, समझदार तो गोबर में भी अपना फ़ायदा ढूँढ लेंगे, ढूँढ लिया हे आगे-आगे और आयेंगे और आने चाहिए जो इसमें अच्छे व्यापार की सम्भावना को बड़ा करे विस्तृत करे, अब बस हमे फितरत बदलना है।

हमारी रियाशी

आज का शब्द “हमारी रियाशी” है

हमारी रियाशी जगह वीआईपी….
इतने गड्डे सड़क पे जैसे वाहन ने शराब पी ।
समझ नहीं आता हे सड़क में गड्डे या फिर गड्डे में बनी हे सड़क……
ख़ासकर दुपहिया वाहन उछल उछल जाते दिल जाता धड़क ।

अभी होगी जब बारिश गड्डे में भर जाएगा लबालब पानी …..
गिरेंगे चोटिल होंगे लोग होगा समय बर्बाद याद आएगी नानी ।
ट्रेफ़िक पुलिस क्यू नहीं लेती इन गड्डों की ज़िम्मेदारी….
क्या सिर्फ़ मोटे मोटे चालान करना उनका फ़र्ज़ हे यह कहाँ की ईमानदारी ।

ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड का एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ा होना ही अखंड कहलाता है,

इस पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने शब्दों की छोटी सी रचना की है।

कविता का शीर्षक “ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड अखंड…
शक्ति का अदभुत मेला प्रचंड ।
ब्रह्मांड अदभुत….
व्यवस्था में नहीं कमी एक सूत ।
ब्रह्मांड अकल्पनीय…
कार्यशेली गोपनीय सुरमय ।
ब्रह्मांड निरंतर……
सदा विस्तारित चक्र ।
ब्रह्मांड क्यूँ……
एक गहरा गोपनीय खेल विहू ।
ब्रह्मांड व्यवस्था…..
देखे जैसी जिसकी आस्था ।
ब्रह्मांड ऊर्जा….
स्वयं संचालित व्यवस्था ।
ब्रह्मांड के नियम…..
सबके लिए सम ।
ब्रह्मांड का महत्वपूर्ण हिस्सा पृथ्वी
जीवन यौवन से वो उजरी सँवरी ।

धन्यवाद यह रचना राम ललवानी द्वारा लिखी गई है

साथ ही आप ब्रह्मांड का जुड़ा होना एक छोर से दूसरे तक पढ़ सकते है।

मित्रता अद्भुत

मित्रता अद्भुत संबंध है,
जो हमेशा हमारे साथ है।
दुःख में हमें आश्रय देती,
खुशी में हमारे साथ हंसती है।

मित्रता कही दिमाग़ी कही दिली….
मित्रता दिली ही ख़ालिस असली ।
मित्रता के अधभुत रिश्ते ….
कुदरत की मर्ज़ी में लिपटे ।।

मित्रता सच्ची और निःस्वार्थ होती है,
जो मित्र हमें देता है वह अपना सब कुछ हमें देता है।
मुसीबत में वह हमेशा हमारे साथ खड़ा होता है,
और सफलता में हमारे साथ खुशी मनाता है।

अदभुत संबंध हे मित्रता…..
हृदय से हृदय की निकटता ।
मित्र प्राणो का वो रखवाला….
मित्र रोशनी मित्र उजाला ।

मित्रता जीवन का एक अद्भुत उपहार है,
जो हमें हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण संबंध देती है।
जीवन का हर पल अधिक खुशहाल बनाने के लिए,
मित्रता हमारे साथ हमेशा है और हमेशा रहेगी।

मित्रता एक संगीत है जो हमारे जीवन को सुरीला बनाता है,
जो हमें हमारे अंतरंग भावों को समझने की शक्ति देता है।
मित्रता एक आभास है जो हमें हमारी असली पहचान बताता है,
जो हमें हमारी ज़िन्दगी का मतलब बताता है।

मित्रता अद्भुत संबंध है,
जो हमेशा हमारे साथ है।
दुःख में हमें आश्रय देती,
खुशी में हमारे साथ हंसती है।

वर्तमान राजा

आज यानी वर्तमान राजा …
इसी में हे ख़ुशियों का दरवाज़ा ।
सुने वर्तमान को रख के सही तापमान…
बहुत उपयोगी वर्तमान का विमान ।