धीरे धीरे उन सपनों को पूरा करे जिनको कही छोड़ दिया था, जिनको हम भूल गए थे, जिम्मेदारी के बोझ तले वो सपने जो पीछे रह गए, जिन सपनों को हमने कुचल दिया था, जिन सपनों को अब हम याद भी नहीं करते, जो समय के साथ साथ धुंधले हो गए थे, फिर से उनही सपनों को चिंगारी देते है और सुलगाते है आग भीतर की उन सपनों के लिए जो अधूरे रह गए थे।
उनही सपनों को फिर से पूरा करने की कोशिश हम करते है, उनही सपनों को फिर से हकीकत हम बनाते है।
हममे से बहुत सारे लोगों के ऐसे सपने होते है जिनको हम अपने घर की जिम्मेदारी के कारण पूरा ही नहीं कर पाते, या फिर हमारे सपने अधूरे रह जाते है, जिनके लिए हम कोशिश तो बहुत करते है, लेकिन उन्मे कुछ न कुछ कमी रह जाती है।
वो क्या कमी थी जिसकी वजह से वो सपने, वो ख्वाब हकीकत ही नहीं बन पाते है।
पैसों की कमी: बहुत सारे ऐसे सपने होते है जो पैसों की कमी के कारण हकीकत में नहीं बदल पाते।
अड़चने: बहुत सारी ऐसी अड़चने आती है जिंदगी में जिन्हे हम समझ ही नहीं पाते, जिनकी वजह से भी हमारे सपने अधूरे रह जाते है।
जिम्मेदारी: हमारे कंधों पर घर परिवार की जिम्मेदारी भी होती है, जिनकी वजह से भी हम अपने सपनों से दूर हो जाते है।
हम इसी उलझन में फंस जाते है और हमारे सपने कही पीछे और बहुत दूर छूट जाते है जिनको हम पूरा नहीं कर पाते, बल्कि उन सपनों के बारे में हम भूल भी जाते है जो सपने हमने अपने बहपन और जवानी के दिनों में देखे थे, जो हम पूरे नहीं कर पाए और शायद उन सपनों के लिए हमने फिर पलट कर भी नहीं देखा।
आओ फिर से उन सपनों को पूरा करे जिन्हे हमने पीछे छोड़ दिया है।
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