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विचारों की बारिश

एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार ये सब मिलकर कर रहे है, एक दूसरे को बीमार जरा बचिए यह है मेरा विचार है, इन विचारों की बारिश है।

विचारों की बारिश है, मन की उछाल है,
इन विचारों का जादू, अनमोल विचार है।
एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार,
मन की उड़ान, ख्वाबों की सौगात है।

हर विचार एक अलग दुनिया का आईना है,
इनमें समाये हर रंग, हर चित्र चित्रित है।
पर कभी-कभी, ये विचार टकराते हैं,
एक दूसरे से टकराते हैं, आहत करते हैं।

मेरे विचार में एक यही समाजधारी है,
ये सोचों की बाधा, रुकावट की खड़ी है।
चिंता मत कीजिए, इस जंगल में जीने की,
विचारों की राह में खुद को बचाने की।

विचारों की बरसात से जगमगाती ये धरा,
उठती है, गिरती है, बदलती है सदा।
पर हम सब एक हैं, इस जगत के अंतर्यामी,
विचारों को बीमार करने की नहीं हमारी कामी।

यह सोचिए, विचार करिए, पर एक दूसरे को
आहत न कीजिए, प्रेम से रखिए हर दोस्ती को।
हम सब में एकता की शक्ति बसती है,
दूसरे के विचारों को तोड़ने मत हस्ती है।

सोचिए, समझिए, इस विचार की महिमा को,
एक दूसरे को सम्मान देकर जीने को।
विचारों का संगम, हमारी आदत बन जाए,
एकता और प्रेम से हमारा जीवन सज जाए।

विचारों की बारिश
विचारों की बारिश

सर्वाधिक आनंद

सर्वाधिक आनंद उन्हे प्राप्त होता है, जो अकेले रहने की कला सीख जाते है।

एकाकी जीवन की कला,
सर्वाधिक आनंद जो मिलता है।
जब अपने आप से मेल होता है,
खुद को आपमें खो जाते है।

अकेलापन को मित्र बना लिया है,
खुद के साथ संगीत गुनगुना लिया है।
मन की आवाज़ को सुनते हैं,
खोये हुए सपनों में जीने की अभिलाषा लिया है।

दिनभर की भीड़ में गहराई से सोचते हैं,
अपने मन की धड़कनों को सुनते हैं।
अपने विचारों को खुलकर खोलते हैं,
खुले आसमान में उड़ जाते हैं।

स्वतंत्रता की इच्छा जगाते हैं,
अपने आप को पहचानते हैं।
खुद को अपनी संगीत के रंग में रंगते हैं,
आनंद के नए स्वर गाते हैं।

सर्वाधिक आनंद
आनंद

खुद के साथ अकेले रहने की कला,
सुखद जीवन की धुन सी बन जाती है।
जब खुद की मिलती है साथी,
उस खुशियों का आनंद जीवन में बन जाती है।

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समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

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पता नहीं

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे है अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते है। ना वो हमसे कुछ कहते है और जिंदगी से उदास रहते है।

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते हैं।

उनकी हंसी की बारिश में खो जाता हूँ,
मेरे दिल की झील में बह जाते हैं वो बार-बार।

जैसे छिपा हुआ है खुदा का एक राज़,
बिना वजह मुस्काने का वो उपहार देते हैं।

ना जाने कौनसे संगीत की सुरीली धुन,
उनके होंठों से बहती है बार-बार।

जब भी उनकी आँखों में देखता हूँ,
एक नया जहां बनता है हर बार।

वो राज़ी हैं खुदा से और अपने दिल से,
जैसे खिलते हैं फूल हर बगिया में बार-बार।

इतनी खुशियों से भरी है उनकी ज़िंदगी,
जैसे उजियारे हों सबके आस-पास हर जगह।

मालूम नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
पर उनकी मुस्कान से जगमगाती है दुनिया हर पल।

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मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।

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उत्सुकता

जीवन को जानने के लिए हम उत्सुक है ओर हमें अपनी उत्सुकता को बढ़ाना चाहिए।

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आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

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मन की अवस्था

प्रेम मन की अवस्था न दे कभी किसी को मुरझाने।
नफ़रत की शक्ति व्यय होती लगती सबको वो डुबाने ॥
प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।
नहीं नफ़रत की बचे जगह प्रेम ही होवे आधार ॥

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार।
बांधे रहे दिलों को एक-दूजे के साथी,
भावनाओं का रंग लेकर बढ़ जाएं सब के सफ़र।

विद्रोह की आग न जलाएं, प्रेम को जीवन में हराएं,
हर एक दिल को छुओते रहें प्यार के संगीत।
सबको गले लगाएं, दूर भटके विचारों को लाएं,
सृष्टि को प्रेम की ओर ले जाएं इस दौर में विचार।

प्रेम की उगलने वाली धारा, नफ़रत को लेकर सहारा,
हर एक दिल को जोड़े एक दूजे के साथ।
सृजनशीलता की लहरों में बह जाएं सबकी दुख-सुख की बात,
हो जाएं प्रेम की बारिश, और नफ़रत की जड़ जले ज़रा।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।

यह कविता प्रेम की महत्वपूर्णता को व्यक्त करती है। प्रेम मन की एक अवस्था है जो हमें खुशी, समृद्धि और संतोष की ओर ले जाती है। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम अपने आस-पास के लोगों के प्रति सम्मान, स्नेह और सहानुभूति व्यक्त करने की क्षमता बढ़ाते हैं।

नफरत की शक्ति एक विनाशकारी ताकत होती है जो हमारे अंदर की उज्ज्वलता को कम करती है। जब हम नफ़रत को अपने मन में बांधे रखते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, हमें नफ़रत की बजाय प्रेम का चयन करना चाहिए।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार। यह लाइन मनुष्यों को यह समझाती है कि प्रेम की शक्ति से हम सबका भला कर सकते हैं। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम स्नेह, समझदारी और सहयोग के गुणों को विकसित करते हैं, जो हमें एकदृष्टि और सद्भावना के साथ दूसरों के प्रति अनुकरणीय बनाते हैं।

इस कविता के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि प्रेम हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है और हमें सभी मनुष्यों के प्रति स्नेहपूर्वक बर्ताव करना चाहिए। प्रेम की शक्ति हमारे जीवन को सुंदर, समृद्ध और समान्य बनाती है। इसलिए सभी से प्रेम करते रहे, और प्रेम का संदेश फाइलाते रहे।

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एक सकारात्मक बुद्धि

एक सकारात्मक बुद्धि जब हर दिशा में कार्य करती….
जीवन बाँटता अनंत ख़ुशियाँ, सब कमियों की क्षतिपूर्ति ।
सकारात्मक बुद्धि अच्छे सच्चे कर्मों का वो कारण…..
वर्तमान प्रकाशमय ओर भविष्य भी प्रकाशित होता असाधारण ॥

एक सकारात्मक बुद्धि सुलझी होती ,नहीं वो जाती चिंता में घुल …
समस्या की जड़ में करती आक्रमण ओर जड़ करती निर्मूल ।
सकारात्मक सोच ओर विचारो को करे प्रचारित विस्तारित….
जीवनो में भर जाए नई ऊर्जा , सुदृढ़ विचारो हो अवतरित ॥

सकारात्मक बुद्धि अच्छे सच्चे कर्मों का वो कारण,
जो देता है जीवन को सार्थकता का मान।

सोच विचारों को ऊँचा उठाए,
नकारात्मकता को दूर भगाए।

बुद्धि में ज्ञान की बारिश हो,
सकारात्मकता से हमेशा ऊपर रहो।

दृष्टि में उजाला और सच्चाई की चमक,
हर कार्य में सकारात्मकता का अभियान चलाएं।

अच्छे कर्मों का फल यहाँ भोगें,
ख़ुशियों के रंगों में धूम मचाएं।

नकारात्मकता को दूर कर खुद को परिवर्तित करें,
सकारात्मक बुद्धि से जीवन को सजाएं।

ऐसी सकारात्मक बुद्धि हमारे जीवन में बसे,
जो खुशियों के पर्वत में हमेशा उड़ान भरे।

सकारात्मक बुद्धि की ज्योति हमेशा जले,
खुशहाल और सफल जीवन की मुस्कान सदा बने।

दिन की उम्र 24 घंटे

दिन आता है , दिन चला जाता है इस दिन की उम्र 24 घंटे ही है लेकिन ये संपूर्ण संसार को कार्यरत होने के लिए बाध्य कर देते है कुछ न करने के लिए , क्या आपके जीवन में भी स्वयं को बाध्य करने के लिए कोई नियम है ?  उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य बड़ा होना चाहिए।

दिन की उम्र 24 घंटे
समय

हमे अपनी उम्र से बड़ा कार्य करने के लिए सोचना चाहिए, हम सभी के पास समय की एकदम बराबर मात्रा होती है हर दिन लेकिन हम उस समय का सदुपयोग किस तरह से करते है यह बात बहुत म्हटवपूर्ण है, यदि हम समय की हानी करते रहे तो समय कब समाप्त हो जाएगा हमे पता नहीं चलेगा ओर हमारे पास कुछ नहीं होगा, सुख ओर दुख भी समय की सीमा में है, इनका आना जाना भी समाए के अनुसार ही होता है। इसलिए हमे हमेशा सोच समझकर ही अपने समय का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमारे दिन की उम्र तो 24 घंटे ही है लेकिन इन 24 घंटों का इस्तेमाल आपको ही करना है, आप इन 24 घंटों का इस्तेमाल कहाँ करेंगे यह निर्णय भी आपका ही होता है, कोई ओर इस समय का निर्णय नहीं ले रहा।

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