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बड़े अधूरे अधूरे

बड़े अधूरे अधूरे से लगते है, कैसे तुम्हारे बिन हम इस जीवन को जी पाए
हम तुम्हारे बिना, कभी पूरे न हो पाए
एक बार संग आओ जरा हम, हम तुम अधूरे क्यों? क्यू ना संग रहकर पूरे हम दोनों हो जाए, ना जाने वो कौनसी बाते है जो हमे दूर ले जाए, कुछ बाकी है मन में जो तार छूटा सा जाए, ये मिलन काही अधूरा ना रह जाए,

आओ संग पूरा होकर देखे क्या कमाल हम लगते है
तुम साथ नही होती तो सवाल हम लगते है,

जरा साथ तो आओ फिर देखो क्या जवाब हम लगते है, तुम्हारे होने से जिंदगी का शवाब हम लगते है,

बड़े अधूरे अधूरे से लगते है,
कैसे तुम्हारे बिन हम इस जीवन को जी पाए।
हम तुम्हारे बिना, कभी पूरे न हो पाए।
एक बार संग आओ जरा हम,
हम तुम अधूरे क्यों? क्यू ना संग रहकर पूरे हो।

जब तुम्हारी आँखों में चमक बिखराती है,
तब सारे अधूरेपन को भुलाती है।
तुम्हारे होंठों की मुस्कान जगमगाती है,
हमारे दिल को आनंदित बनाती है।

हर सुबह जब सपने बिरजू करते हैं,
तब तुम्हारी यादों का पुल बनाते हैं।
रात के अंधेरे में जब अकेलापन छाता है,
तब तुम्हारी मुस्कान साथी बनाती है।

तुम्हारे बिना ये दिन बेकार लगते हैं,
हर पल बेमतलब तितलियों की तरह उड़ते हैं।
तुम्हारी आवाज़ की मधुरता भरी हर बात,
हमारे दिल को खुशियों से भर देती है।

जब तुम्हारी बाहों में आराम मिलता है,
तब पूरे होते हैं हमारे अरमान।
जीने की वजह तुम हो, ये जानते हैं हम,
तुम्हारे संग जीना सपनों की तरह है आनंदित और हर्षित।

फिर आओ नए रंगों से ढंकते हैं हम,
तुम्हारे संग जीने का एहसास दिलाते हैं।
हम तुम अधूरे नहीं, एक-दूजे के संग पूरे हैं,
जीवन के इस सफर में हम खुशियों से भरे हैं।

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जिंदगी से जिंदगी

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके
क्युकी वो दब गई, दफन हो गई

उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों
जिनमें मैने बहुत सारी नादानी की थी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?
ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में, जिंदगी से जिंदगी की कुछ मुलाकाते

जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में,
क्यों गुम हो जाऊ?
क्या है ख़ास?
है क्या ख़ास?

नहीं पता, मुझे नहीं पता
लेकिन फिर भी ना जाने क्यों?
ना जाने क्यों?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है

लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है, बताओ आते है ना
वो दिन
वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे

उनमें तुम्हारा बचपन भी था, लड़कपन, जवानी, झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था तुम्हारे चेहरे पर
लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में, पन्नों में,
कलम की स्याही से जिन्हे फिर ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट,
दबे आंसू, झलकता जाम

ओर धुंधली यांदे है जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है
लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,

उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरे बीते हुए दिन है
बीते हुए दिन है, जिंदगी से जिंदगी की मुलाकते है।

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