कुछ इश्क भी था कुछ इश्क की बाते कुछ बेसब्र थी जिंदगी तो कुछ बेसब्र उनसे मुलाकाते , बस सफर यू ही कटने को था रह गई मेरी अधूरी यादे
उन यादों का सिलसिला कुछ दूर तक ओर चला जिंदगी का दौर खत्म हुआ अब मौत के साथ मेरी गुफ्तगू हो गई
इश्क और कुछ इश्क की बाते, मेरे दिल की जुबान,
जैसे मधुर सुरीली आवाज, जो सुनता हर इंसान।
इश्क की लहरों में डूबा हुआ हूँ मैं,
खो गया खुद को उसके आगे, अब बस वही हूँ मैं।
प्यार की धड़कनों के संग, जीने का आनंद,
हर लम्हे में वो बसता है, मेरे मन के आँगन।
चाहत की राहों पर चलते, मिलते हैं हम,
हर मोड़ पर तोड़ते हैं हम, दरवाज़े जमाने के नियम।
इश्क का रंग छा गया है, मेरे हर लम्हे में,
दिल की धड़कनों को सजा दिया है, अपने एहसासों के नूर से।
जब वो मेरे पास होती है, तो सब भूल जाता हूँ,
वो मेरी नज़रों में बसती है, जैसे ख्वाबों में कोई कहानी।
इश्क की बातें बहुत हैं, कहने को बेशुमार,
पर जब उसके साथ होता हूँ, वो भी बेमिसाल है यार।
इश्क और इश्क की बातें, अनंत हैं और अमर,
इस खुबसूरत रिश्ते का, है मेरे दिल में अद्वितीय अद्यात्म।
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