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मन की अवस्था

प्रेम मन की अवस्था न दे कभी किसी को मुरझाने।
नफ़रत की शक्ति व्यय होती लगती सबको वो डुबाने ॥
प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।
नहीं नफ़रत की बचे जगह प्रेम ही होवे आधार ॥

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार।
बांधे रहे दिलों को एक-दूजे के साथी,
भावनाओं का रंग लेकर बढ़ जाएं सब के सफ़र।

विद्रोह की आग न जलाएं, प्रेम को जीवन में हराएं,
हर एक दिल को छुओते रहें प्यार के संगीत।
सबको गले लगाएं, दूर भटके विचारों को लाएं,
सृष्टि को प्रेम की ओर ले जाएं इस दौर में विचार।

प्रेम की उगलने वाली धारा, नफ़रत को लेकर सहारा,
हर एक दिल को जोड़े एक दूजे के साथ।
सृजनशीलता की लहरों में बह जाएं सबकी दुख-सुख की बात,
हो जाएं प्रेम की बारिश, और नफ़रत की जड़ जले ज़रा।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।

यह कविता प्रेम की महत्वपूर्णता को व्यक्त करती है। प्रेम मन की एक अवस्था है जो हमें खुशी, समृद्धि और संतोष की ओर ले जाती है। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम अपने आस-पास के लोगों के प्रति सम्मान, स्नेह और सहानुभूति व्यक्त करने की क्षमता बढ़ाते हैं।

नफरत की शक्ति एक विनाशकारी ताकत होती है जो हमारे अंदर की उज्ज्वलता को कम करती है। जब हम नफ़रत को अपने मन में बांधे रखते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, हमें नफ़रत की बजाय प्रेम का चयन करना चाहिए।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार। यह लाइन मनुष्यों को यह समझाती है कि प्रेम की शक्ति से हम सबका भला कर सकते हैं। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम स्नेह, समझदारी और सहयोग के गुणों को विकसित करते हैं, जो हमें एकदृष्टि और सद्भावना के साथ दूसरों के प्रति अनुकरणीय बनाते हैं।

इस कविता के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि प्रेम हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है और हमें सभी मनुष्यों के प्रति स्नेहपूर्वक बर्ताव करना चाहिए। प्रेम की शक्ति हमारे जीवन को सुंदर, समृद्ध और समान्य बनाती है। इसलिए सभी से प्रेम करते रहे, और प्रेम का संदेश फाइलाते रहे।

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इंसान

इंसान जब दुःखी होते हैं तो साधु-सन्तों, मन्दिर-मस्जिद, गुरुद्वारे में जाकर भक्ति-भजन में लग जाते हैं और जब जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा होता है तो यही सब उसे ढोंग-पाखण्ड, आडम्बर लगने लगता है। ऐसा क्यों?

इंसान मतलबी है ओर रिश्ते भी मतलबी ढूँढता है , उसका भगवान से भी कुछ इस तरह का ही रिश्ता है, उसे भगवान से कुछ मिलने की चाहा दिखती है इसलिए वो जाता है, सुख में उसे लगता है की अभी है जब नहीं होगा तब जाऊंगा , उस समय उसकी मानसिकता बदल जाती है।

उसका समय उसे अब कीमती लगने लग जाता है , इसलिए न मंदिर , मस्जिद कुछ याद नहीं आता बस अपने स्वार्थ की पूर्ति करता हुआ नजर आता है , जैसे ही शारीरिक ओर मानसिक कष्ट हल्का सा दिखता है तो वह घबरा कर फिर भगवान के पास आ जाता है,

इंसान  मतलबी है ओर रिश्ते भी मतलबी ढूँढता है , उसका भगवान से भी कुछ इस तरह का ही रिश्ता है,
इंसान

सबकुछ ठीक है तभी तो आडंबर , पाखंड लगता है जब कुछ भी ठीक नही होता तो वह इंसान ठीक करने के लिए दौड़ पड़ता है, बस जैसे ही ठीक होता है वही भूल जाता है फिर उसी चक्र के चक्रव्यूह में फंस जाता है।

अब इंसान को आडंबर क्या लगने लगता है यह सिर्फ एक इंसान का सवाल नहीं है यह हम देख रहे है, हम बहुत तेजी के साथ आगे की ओर बढ़ रहे है, बहुत सारी नई बाते सुन रहे है।

हमारा व्यवहार बदल रहा है , हमारा समाज बदल रहा है , नए विचार आ रहे है , कुछ गलतिया जो बीते दिनों में हुए उन हम नहीं भूले , कुछ नहीं खोज का पता लगना , कुछ विचारों का बढ़ना , एक बहुत बड़ी जनसंख्या का अलग तरीके से सोचना यह सभी कारण होते है हमारी सोच के बदलने में

यदि लाखों किसी को गलत बोलना शुरू कर देते है, तो हम उसको गलत मानना शुरू कर देते है चाहे वो गलत हो या नहीं , हम उसकी पुष्टि नहीं कर पाते। तो हमारे विचार बदल जाते है, जिसकी वजह से पिछले 10-15 साल में बाबाओ के प्रति विचार बदल गए है।

अब वो आडंबर, ढोंग लगने लगा यही लगता है की वह हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे है , सिर्फ लूटने का काम ही है अब हमे यही लगने लगा है।

दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है , जिस तरह की घटनाए बीते कुछ सालों में हुई है उसकी वजह से हमारे विचार में बदलाव आया है।

हममे से कुछ लोग मूर्ति पूजा करते है।

कुछ लोग निर्गुण निराकार की

कुछ दोनों को नहीं मानते वह बोलते है, प्रकृति ही सबकुछ है, जो जैसे चलना चाह रहा है उसे उसी तरह से चलने दीजिए मंजिल सबकी एक ही है इसलिए इन सभी चिंताओ में न पड़े भीतर की खोज को

परस्पर सम्मान

परस्पर सम्मान आदर रिश्तों को करता है मजबूत ….
एक सुरक्षित मज़बूत रिश्ते की यही पहचान ।
क्यारी में पनपते सुंदर सुंदर फूल…..
सुंदर रिश्ते पनपते अपनाते यह असूल ।

आदर सम्मान वो होते अनमोल….
यह व्यवहार पहचान, भाषा देती बोल ।
आदर सम्मान एक आदर्श रिश्ता…..
अनमोल दिल ख़रीदते वो भी कितना सस्ता॥

परस्पर सम्मान एक सुरक्षित मज़बूत रिश्ते की मजबूत डोरी आवश्यकता ओर एक अच्छा नेक करम ।
नही तो हज़ारों हज़ार रिश्ते हे बेदम बकवास तो जिस दिशा में चलेंगे उसी दिशा की सूचना आएगी तो फिर नेक दुआओ के रास्ते पर क्यूँ न चला जाए ।

जो होता है वो अच्छा

जो होता है वो सबसे अच्छा…..
क्यूँकि कुदरत प्रकृति की इच्छा ।
इस विचार के दूरगामी परिणाम सुखद …
समर्पण इस विचार को जी के इसकी हद ॥

जो होता है सबसे अच्छा होता है
anmol shabd

जो होता हे वो ही सच्चाई….
न ढूँढे उसमें कुछ बुराई ।
जो हो रहा हे सही …..
जमा लो जीवन की दही ॥