औरत ना होती तो जिंदगी अधूरी होती
क्या जिंदगी पूरी होती अगर तुम ना होती ?
जिंदगी के हर हिस्से में तुम हो
कहानी और किससे में तुम हो
हर जीत में तुम हो
हर हार में भी तुम हो
सुबह भी तुम शाम भी तुम हो
ख़ुशी भी तुम हो गम भी तुम हो
धुप भी तुम छाव भी तुम हो
मिठास भी तुम हो खटास भी तुम हो
कभी कभी बेस्वाद भी तुम हो
जीवन के हर स्वाद में तुम हो
माँ बहन पत्नी और बेटी भी तुम ही हो
जीवन के हर रूप और स्वरुप में तुम हो
मुझे बनाने वाली भी तुम हो
मुझे बिगाड़ने वाली भी तुम हो
मुझे ऊँचाई पर पहुचाने वाली भी तुम
और उस ऊँचाई से नीचे गिराने वाली भी तुम हो
तुम से ही पैदा होती मेरी हर इच्छा है
तुम नहीं हो तो शायद जीवन ना ही हो
यह इच्छा है।
औरत ना होती तो जिंदगी कैसी होती।
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